Friday, 15 March 2019

कौन हैं चुनावों में PM मोदी को चुनौती देने का ऐलान करने वाले चंद्रशेखर- Report for you - SANJAY PATIL -NAGPUR

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चंद्रशेखर का जन्म सहारनपुर में छटमलपुर के पास धडकूलि गांव में हुआ था. जिले के एक स्थानीय कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई की. वो पहली बार 2015 में विवादों में घिरे थे. आखिर कौन हैं ये चंद्रशेखर और क्या है उनकी भीम आर्मी, आइए जानते हैं...

.जानें: कौन हैं चुनावों में PM मोदी को चुनौती देने का ऐलान करने वाले चंद्रशेखर

संजय पाटील - नागपूर---
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने ऐलान किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपना प्रत्याशी उतारेंगे. भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने बुधवार को कहा कि अगर कोई प्रत्याशी नहीं मिला तो वह खुद पंतप्रधान नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में खड़े होंगे. भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद 15 माह जेल में रह चुके हैं. चंद्रशेखर का जन्म सहारनपुर में छटमलपुर के पास धडकूलि गांव में हुआ था. जिले के एक स्थानीय कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई की. वो पहली बार 2015 में विवादों में घिरे थे. आखिर कौन हैं ये चंद्रशेखर और क्या है उनकी भीम आर्मी , आइए जानते हैं...

भीम आर्मी है क्या?
भीम आर्मी एक बहुजन संगठन है, जिसे भारत एकता मिशन भी कहा जाता है. ये दलित चिंतक सतीश कुमार के दिमाग की उपज है. इसे 2014 में चंद्रशेखर आजाद और विनय रतन आर्य ने हाशिए वाले वर्गों के विकास के लिए स्थापित किया गया. भीम आर्मी का कहना है कि वह शिक्षा के माध्यम से दलितों के लिए काम कर रहा है.
इसका बेस कहां है?
इसका बेस मुख्य तौर पर यूपी में है. सहारनपुर में ये वर्ष 2017 में चर्चाओं में आया. चर्चाओं में आने की वजह थी जाति संघर्ष. हिंसा के आरोपों के बाद भीम आर्मी के मुख्य कर्ताधर्ता चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था. चंद्रशेखर की अगुवाई में 25 युवा भीम आर्मी संभालते हैं. भीम सेना और अंबेडकर सेना भी ऐसे ही संगठन हैं लेकिन भीम सेना हरियाणा में ही काम कर रही है और अंबेडकर सेना का गढ़ पूर्वी यूपी में है.

इसका मूल संस्थापक कौन?
भीम आर्मी के मूल संस्थापक छुटमलपुर निवासी एक दलित चिंतक सतीश कुमार हैं. इस आर्मी को उनके दिमाग की उपज बताया जाता है. सतीश कुमार पिछले कई वर्षों से ऐसे संगठन बनाने की जुगत में थे, जो दलितों का उत्पीड़न करने वालों को जवाब दे सके. लेकिन, उन्हें कोई योग्य दलित युवा नहीं मिला, जो कमान संभाल सके. ऐसे में सतीश कुमार को जब चंद्रशेखर मिले, तो उन्होंने चंद्रशेखर को ‘भीम आर्मी’ का अध्यक्ष बना दिया.

भीम आर्मी ने रफ्तार कैसे पकड़ी?
सितंबर साल 2016 में सहारपुर के छुटमलपुर में स्थित एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पहली बार यह संगठन सुर्खियों में आया था.

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की मां ने कहा-अब समाज के लिए ही जिएगा मेरा बेटा
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की मां कमलेश देवी ने कहा है कि मेरे बेटे ने समाज के लिए 16 माह जेल में गुजारे हैं, मुझे इसके लिए उस पर नाज़ है. वो जो करेगा अच्छा ही करेगा, मैं उसके साथ हूं, मैं कभी उसके रास्ते में रुकावट नहीं बनूंगी. मैंने उसे समाज को दे दिया है. चंद्रशेखर की की मां ने  ये बात अपने घर पर कही.
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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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