Saturday, 6 June 2020

महिला ठग प्रीति दास का डायलाग ’33 थाने के 66 पीआई मेरे जेब में हैं, मैं चाहू उसका गेम कर सकती हूं.’ : संजय पाटिल

महिला ठग प्रीति दास का डायलाग ’33 थाने के 66 पीआई मेरे जेब में हैं, मैं चाहू उसका गेम कर सकती हूं.’ : संजय पाटिल

Priti Das 01

संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 7 जून 2020 : नागपुर. हाईप्रोफाइल महिला ठग प्रीति दास के खिलाफ 2 थानों में एफआईआर होने के बाद शनिवार को पूरे सिटी में वाइट कालर समाजसेवकों में हड़कम्प मच गया. विशेष रूप से ऐसे लोग जो समाजसेवा की आड़ में सरकारी दफ्तरों में धन-उगाही में लगे रहते हैं, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई है. इधर प्रीति के खोज के लिए पुलिस ने कई जगह तलाशी ली, लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं है. पुलिस विभाग में प्रीति के दबदबे का अलग ही आलम था और उसका चुटकी बजाकर सबसे चर्चित डायलाग यह था कि ’33 थाने के 66 पीआई मेरे जेब में हैं, मैं चाहू उसका गेम कर सकती हूं.’
4 इंस्पेक्टरों से थी काफी ‘करीब’
प्रीति के रैकेट का पुलिस आयुक्त डा.बी.के. उपाध्याय द्वारा पर्दाफाश किये जाने के बाद पुलिस विभाग में कई अफसरों को पसीना छूट गया. विशेष रूप से ऐसे अफसरों को जो प्रीति से काफी ‘नजदीकी’ रखते थे. क्राइम ब्रांच का एक पीआई, पश्चिम नागपुर के जोन-2 का एक सीनियर पीआई, दक्षिण नागपुर के जोन-4 का एक सेकंड पीआई भी शामिल है. इनके अलावा उसके व्यक्तित्व से ‘प्रभावित’ होने वाले कई छोटे-बड़े अधिकारी भी हैं. कई अधिकारियों के साथ उसकी तस्वीरे सोशल मीडिया पर देखी जा सकती है. यहां तक कि कुछ इंस्पेक्टरों का थानों में जन्मदिन मनाने के वीडियो भी उसने सोशल मीडिया पर शेयर किये हैं. शनिवार को ऐसे अफसर इसी जुगाड़ में लगे रहे कि सोशल मीडिया पर जो भी तस्वीरें हैं, वह किसी तरह हट जाए, लेकिन बहुत कुछ अब भी बरकरार है.
एक इंस्पेक्टर को पत्नी ने बचाया
दावा किया गया कि पश्चिम नागपुर के जोन-2 के एक प्रमुख थाने के इंस्पेक्टर से तो प्रीति के घर जैसे संबंध थे. कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि जब बर्डी में दर्ज 18 लाख के ठगी के मामले प्रीति जेल गई थी, उसके पहले एक इंस्पेक्टर से उसका ‘गहरा-रिश्ता’ हो गया था. इस रिश्ते की बदौलत झूठे इल्जाम लगाकर थाने तक लाना और खुद ही बीच-बचाव करके मामले को निपटाना रोजमर्रा की बातें थी. सैयद नामक एक युवक को इस कथित ‘गहरे-रिश्ते’ की जानकारी भी थी. इस इंस्पेक्टर का परिवार नागपुर शहर में नहीं रहता था. नये रिश्ते के चक्कर में घर-परिवार भुला बैठा इंस्पेक्टर की पत्नी एक दिन नागपुर आ धमकी. प्रीति के सामने ही पत्नी ने इंस्पेक्टर की खटिया खड़ी कर दी. बहुत बड़ा तमाशा हुआ. इंस्पेक्टर की हालत सैंडविच जैसी हो गई थी. उस समय प्रीति ने 18 लाख वाले ठगी मामले में उसके सह-आरोपी इरशाद को वहां बुलाकर इंस्पेक्टर के साथ मारपीट भी की थी. लोकलाज के चक्कर में कोई पुलिस में शिकायत नहीं हुई थी. लेकिन इंस्पेक्टर को इस रिश्ते से छुटकारा पाने की काफी महंगी कीमत चुकानी पड़ी. इस सौदे के चक्कर में इंस्पेक्टर को अपना एक प्लाट, कुछ लाख रुपये, सोने के आभूषण से हाथ धोना पड़ा था.
कामठी रोड के फ्लैट की चर्चा
प्रीति के कारनामों की सबसे खतरनाक चर्चा कामठी रोड पर एक फ्लैट को लेकर है. यह फ्लैट भी उसके एक पुलिसिया-मित्र का है. यह मित्र जब उत्तर नागपुर के एक थाने में पदस्थ था, तब वहां प्रीति का पूरा दिन उठना-बैठना था. थानेदार गश्त पर भी हो तो ‘मैडम’ वहां आने वाले मामलों में अपना दखल रखती थी. यहां तक थानेदार साहब जब रात 12-1 बजे ‘अपने-घर’ जाते थे, तब भी वह उनके साथ होती थी. बहरहाल इस फ्लैट में सिटी पुलिस के कई मामले सुलझाए और पुलिस-प्रशासन में दखल रखने वाले कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस फ्लैट के बारे में ‘गहरी’ जानकारी है. लकड़गंज थाने में प्रीति और उसके साथियों के खिलाफ आत्महत्या के उकसाने का जो मामला दर्ज हुआ भी है उसका भी इस फ्लैट से गहरा संबंध बताया जाता है.
बचाने में जी-जान से लगा कांग्रेस नेता
एक तरफ शनिवार को प्रीति से पीड़ित-प्रताड़ित कई लोग उसकी खिलाफ शिकायत करने की तैयारी में लगे रहे. दूसरी ओर, कांग्रेस का एक ‘पाटिल’ नामक का नेता उसको बचाने में जी-जान से लगा रहा. प्रीति के कई पुलिस-मित्रों को फोन के द्वारा संपर्क कर पाटिल इस कोशिश में लगा हुआ है कि कुछ भी करके उसे जमानत मिल जाए. पाटिल के कारण ही वह सिटी के एक बड़े अधिकारी तक पहुंच गई और वहां से उसका पुलिसवालों पर रौब जमाने का काम भी शुरू हो गया था. पुलिस थानों में प्रीति के साथ यह पाटिल भी लगातार चक्कर लगाता देखा गया. यह महोदय पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी सक्रिय रह चुके हैं. जिससे राकां के पश्चिम नागपुर के एक पूर्व प्रमुख पदाधिकारी से भी प्रीति की काफी नजदीकी बनी हुई है. इस परिवार के साथ कई बार प्रीति राजनीतिक मंच पर भी रही. वैसे देर रात यह खबर मिली थी कि बीजेपी की एक पश्चिम नागपुर के नेता के घर प्रीति ने शरण ली है लेकिन पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाई. प्रीति को उसके पुलिस और नेता मित्रों के कारण पांचपावली और लकड़गंज पुलिस शनिवार को देर रात तक नहीं खोज पाई.

PI को भी लगा लाखों का फटका, नहीं मिल रहा प्रीति दास का सुराग

नागपुर. 09 जून 2020 : हाईप्रोफाइल ठग प्रीति दास के शिकार लोगों की सूची बहुत लंबी है. मामले दर्ज होने के बाद अब प्रीति का कच्चा-चिट्ठा बाहर आ रहा है. शहर पुलिस सरगर्मी से उसकी तलाश कर रही है, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा है. आईसीआईसीआई बैंक में रिसेप्शनिस्ट का काम करते हुए प्रीति ने कई बड़े कस्टमरों को अपने झांसे में लिया. उनमें से ही एक था प्रापर्टी डीलर इरशाद. उसके जरिए प्रीति ने शहर के कई व्यवसायियों से गोल्ड स्कीम के नाम पर लाखों रुपये निवेश करवाए. लोगों का पैसा डूबने के बाद विवाद शुरू हो गए. ऐसे में उसने एक पीआई को झांसे में लिया.
पीआई के साथ मंदिर में शादी कर फ्लैट में रहने लगी. जब पीआई की पत्नी को इसका पता चला तो जमकर बवाल हुआ. प्लाट, नकद और सोना लेने के बाद पीआई का पीछा छूटा. लोकलाज के डर से पीआई अपना दुखड़ा किसी को नहीं बता पाया और तभी से प्रीति ने पुलिस विभाग में अपना दबदबा बनाने का काम शुरू किया. बताया जाता है कि डेढ़ वर्ष पहले किसी व्यक्ति ने सीताबर्डी थाने में उसके खिलाफ ठगी की शिकायत दी थी, लेकिन मामला दर्ज नहीं हुआ.
सभी शिकायतों का लें संज्ञान
अब पुलिस कमिश्नर ने सभी पुलिस थानों को प्रीति के खिलाफ मिली शिकायतों का ब्यौरा निकालने को कहा है. कई ऐसे मामले हैं जो प्रीति ने पुलिस अधिकारियों से मित्रता की आड़ में दबवा दिए. एक टीम को उसके सेमिनरी हिल्स में होने की जानकारी मिली थी, लेकिन छापेमारी के बाद बैरंग लौटना पड़ा. 2 स्थानों पर और छापा मारा गया. अब प्रीति के खिलाफ पीड़ित लोग खुलकर सामने आ रहे हैं, वहीं उसके कुछ हितैशी भी बचाने में जुट गए हैं.
बताया जाता है कि सामाजिक संगठन प्रीति के सपोर्ट में उसके खिलाफ दर्ज मामले झूठे होने का दावा कर रहा है. कई पुलिस अधिकारी और राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग अब उससे किसी प्रकार की मित्रता होने से इंकार कर रहे हैं. प्रीति के साथ अक्सर फोटो खिंचवाने वाले अधिकारी अब स्पष्टीकरण देते घूम रहे हैं.
'गवसेना प्रीती, ना तिचे दास'
नागपूर : 11 जून 2020 : पोलिस अधिकाऱ्याशी असलेल्या संबंधांचा वापर करून अनेकांची फसवणूक व ब्लॅकमेल करणारी प्रीती दास अद्यापही 'स्मार्ट व हायटेक' पोलिसांना गवसलेली नाही. 'पोलिसच तिची पाठराखण करीत आहेत. ती राजकीय आश्रयाला गेल्याने पोलिस तिच्या अटकेसाठी प्रयत्न करीत नाही,'अशी चर्चा शहरात सुरू आहे. तिचे साथीदारही मोकाटच आहेत. त्यामुळेच 'ना गवसेना प्रीती, ना तिचे दास' असा सूर शहरात उमटत आहे.
पोलिस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय यांनी तडकाफडकी प्रीती दासविरुद्ध गुन्हा दाखल करण्याचे निर्देश दिले. त्यानंतर तिच्याविरुद्ध तीन गुन्हे दाखल झालेत. मात्र, पोलिसांनी अद्यापही तिच्या अटकेसाठी तत्परता दाखविली नाही.
प्रीती ही अनेक पोलिस स्टेशनमधील शांतता समितीची सदस्य आहे. उत्तर नागपुरातील पोलिस स्टेशनमध्ये तिचा दबदबा आहे. या भागातील अनेक अधिकाऱ्यांसोबत तिचे संबंध आहेत. एका अधिकाऱ्याच्या वाढदिवसाच्या पार्टीतील प्रीतीची हजेरी चर्चेत आली होती.

पोलिस स्टेशनमधील शांतता समिती व भरोसा सेलच्या समितीची सदस्य असल्याचा लाभ प्रीतीने घेतला. प्रकरण मिटवून देण्यासाठी ती नागरिकांची फसवणूक करायला लागली. पैसे न मिळाल्यास पोलिस निरीक्षकाच्या मदतीने खोट्या गुन्ह्यात अडकविण्याची धमकी देऊन ती ब्लॅकमेलही करीत होती. तिची दहशत वाढत असल्याने एका नागरिकाने पोलिस आयुक्तांकडे तक्रार केली. या तक्रारीची दखल घेत पोलिस आयुक्तांनी प्रीती व तिच्या साथीदारांविरुद्ध गुन्हे दाखल करण्याचे निर्देश दिले. पोलिसांनी तिच्याविरुद्ध गुन्हेही दाखल केले. मात्र, तिला अटक केली नाही. तिच्या अटकेने आपले संबंध समोर येण्याच्या भीती पोलिस अधिकाऱ्यांना आहे. प्रीती एका राजकीय नेत्याच्या आश्रयाला असून, हा नेता तिला वाचविण्याच्या प्रयत्नात असल्याची चर्चा बुधवारीही शहरात होती.

Court rejects anticipatory bail plea of Preeti Das

Sessions Court turned down the anticipatory bail plea of self-styled social worker Preeti Jyotirmaya Das, who was booked by Pachpaoli Police for allegedly blackmailing a middle-aged man and extorting more than Rs 14.87 lakh from him, on Wednesday. A resident of Plot No 25, Priyadarshini Housing Society, Kamptee Road, Preeti Das (39) had allegedly targeted Umesh alias Guddu Devishankar Tiwari (50) on social media. Also a resident of Pachpaoli, Tiwari befriended Preeti on Facebook and fell into her trap.
By promising to tie the nuptial knot with Tiwari, she allegedly started blackmailing him. She allegedly extorted Rs 14, 87,600 from Tiwari by threatening to implicate him in a false criminal case. Facing charges under Sections 420 and 34 of the Indian Penal Code, Preeti moved an application through her lawyer Adv A P Raghute seeking anticipatory bail.
Adv Nitin Telgote, District Government and Special Public Prosecutor, strongly opposed to giving any relief to accused Preeti considering the seriousness of the case. Adv Telgote informed the court that similar offences were registered against her at different police stations in the city and adjoining districts. After hearing the arguments of the defence and grounds cited by prosecution, the court rejected her anticipatory bail application.

प्रीति दास को झटका, गिरफ्तारी का काम अब भी अटका

नागपुर. पांचपावली थाना में दर्ज फिरौती वसूलने के मामले में फरार हाईप्रोफाइल ठग प्रीति दास को न्यायालय से भी झटका मिला है. पुलिस अधिकारियों से मधुर संबंध रखने वाली प्रीति से अब सभी ने कन्नी काट ली है, लेकिन कुछ राजनीतिक लोग अब भी उसके समर्थन में खड़े है. उन्हीं की मदद से अब तक प्रीति फरार है. इसी बीच उसने न्यायालय में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की अर्जी दायर की, लेकिन कोर्ट ने उसकी अपील ठुकरा दी. इससे प्रीति को बड़ा झटका लगा है. मामला दर्ज हुए 1 सप्ताह बीत जाने के बावजूद अब तक प्रीति की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
डिटेक्शन और आरोपियों को पकड़ने में माहिर नागपुर पुलिस के हाथ अब तक खाली है. उमेश तिवारी की शिकायत पर पांचपावली पुलिस ने प्रीति के खिलाफ फिरौती वसूलने का मामला दर्ज किया था. प्रीति ने शादी का झांसा देकर उमेश को अपने जाल में फंसाया. बाद में उसे दुष्कर्म के मामले में फंसाने की धमकी देकर फ्लैट के लिए रकम वसूलती रही. इतना ही नहीं गाड़ी, सोने की चेन, मोबाइल और घरेलु उपयोगी सामान लिया.
खोज रही 3 थानों की पुलिस
प्रीति की गतिविधियों की जानकारी मिलने पर सीपी उपाध्याय ने उसके खिलाफ एक्शन लेने के निर्देश दिए. पांचपावली के बाद लकड़गंज थाने में और फिर जरीपटका थाने में मामला दर्ज किया गया. बताया जाता है कि शिकायत होते ही प्रीति के हितैशी अधिकारी ने उसे जानकारी दे दी और तब से प्रीति फरार है. अदालत में पांचपावली पुलिस ने उसे जमानत देने का कड़ा विरोध किया. उसपर दर्ज मामले गंभीर होने और जमानत मिलने पर जांच को प्रभावित होने का हवाला दिया. न्यायालय ने उसकी अपील ठुकरा दी. पांचपावली के थानेदार किशोर नगराले ने बताया कि प्रीति की तलाश जारी है. केवल पांचपावली ही नहीं अन्य 2 थानों में दर्ज मामलों में भी उसकी तलाश की जा रही है. जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. कुछ जगहों पर पुलिस ने दबिश दी, लेकिन वह हाथ नहीं लगी. 
प्रीति बिंदास पर लगाए मोका 
स्वघोषित सामाजिक कार्यकर्ता प्रीति दास के समर्थन में कुछ राजनीतिक लोग खड़े है, वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण महिला सेना की अध्यक्षा मनीषा पापड़कर ने उसके खिलाफ मोका लगाने की मांग की है. उन्होंने डीसीपी क्राइम को दिए ज्ञापन में यह मांग की. मनीषा ने कहा कि समाज सेवा की आड़ में प्रीति बिंदास ने कई लोगों के साथ धोखाधड़ी की. ब्लैकमेलिंग कर कई लोगों से रकम की उगाही की. ऐसी महिलओं की वजह से अब लोगों का समाजसेवियों को देखने का नजरिया बदल जाएगा. इसीलिए इस तरह की महिलाओं पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. पता चल रहा है कि कुछ थानेदारों के साथ उसके मधुर संबंध थे. वह थानेदारों के चेंबर में बैठकर अपनी दूकान चलाती थी. इसीलिए अब थानेदारों के चेंबर में भी सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए. केबिन के भीतर होने वाली गतिविधियों का रिकार्ड रहेगा. जिन अधिकारियों ने इन कामों में उसकी मदद की उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. शिष्टमंडल में संगीता सोनटक्के, मंजूषा पानबुड़े, स्वाति जायसवाल, कांता उमरे और पूनम चाड़गे भी शामिल थी.  

वायरल हुआ प्रीति का वसूली वीडियो- भंडारा में दर्ज हुआ था धोखाधड़ी का मामला

नागपुर : 11 जून 2020 : सिटी पुलिस द्वारा हाईप्रोफाइल ठग प्रीति दास पर नकेल कसे जाने के बाद उसका कच्चा-चिट्ठा बाहर आ रहा है. पांचपावली में एक व्यक्ति को ब्लैकमेल करने, लकड़गंज में एक व्यक्ति को आत्महत्या के लिए मजबूर करने और जरीपटका में पुलिस अधिकारी के नाम पर वसूली करने का मामला दर्ज होने के बाद प्रीति फरार हो गई. उसके खिलाफ दर्ज हो रहे मामलों के सामने आने के बाद पुराने प्रकरण भी बाहर आने वाले हैं. प्रीति बिंदास का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वह एक परिवार से 5 लाख रुपये की वसूली करते साफ दिखाई दे रही है. यह मामला है नौकरी लगाने के नाम पर वसूली का. इस प्रकरण में पुलिस ने प्रीति के अलावा मकसूद शेख और हीरानंद ठाकुर को भी आरोपी बनाया था.
प्रीति और उसके साथियों ने भंडारा के कटरे परिवार को चूना लगाया. उनके बेटे संदीप और व्यासकुमार कटरे को एक्सिस बैंक में नौकरी दिलाने के लिए 22.75 लाख रुपये की वसूली की. दोनों बैंक के फर्जी लेटर हेड पर ऑफर और ज्वाइनिंग लेटर भी दिया. पीड़ितों ने घर बेचकर उसे पैसे दिए थे, लेकिन नौकरी नहीं लगी. भंडारा पुलिस ने मामला दर्ज किया था. प्रीति और उसके साथी एक वीडियो में कटरे परिवार से पैसे लेते साफ दिखाई दे रहे हैं.
अब सवाल ये उठता है कि आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद प्रीति ने पुलिस अधिकारियों से मधुर संबंध कैसे बना लिए. जो महिला ठगी के मामलों में जेल जा चुकी है, वह पुलिस अधिकारियों की करीबी कैसे बन गई. बड़े ही शातिर तरीके से उसने यह काम किया. राजनीतिक लोगों को अपना बनाकर उसने यह काम शुरू किया. खुद कार्यक्रम प्रायोजित करके अपना सत्कार करवाना शुरू किया और समाजसेवा की आड़ में वसूली का काम दोबारा शुरू किया. 
होटल व्यवसायी भी हो चुका शिकारबताया जाता है कि सेंट्रल एवेन्यू का एक होटल व्यवसायी भी प्रीति का शिकार हो चुका है. उसने पहले होटल व्यवसायी से दोस्ती की. बाद में उसका इस्तेमाल करने लगी. होटल व्यवसायी की जगह पर उसने अपना कार्यालय शुरू किया और खुद को पार्टनर बताने लगी. जल्दी ही व्यापारी को उसकी कारगुजारियों का पता चल गया और उसने दूरी बना ली. तब तक प्रीति चूना लगा चुकी थी. ऐसे कई मामले हैं जो बदनामी के डर से पुलिस रिकार्ड में नहीं आए. सीताबर्डी थाने का एक प्रकरण भी चर्चा का विषय बना हुआ है. लगभग डेढ़ वर्ष पहले एक व्यक्ति ने पुलिस से धोखाधड़ी की शिकायत की थी.
अब हाईकोर्ट की शरण में जाने की तैयारीपांचपावली थाने में दर्ज ब्लैकमेलिंग कर फिरौती वसूलने के मामले में प्रीति को निचली अदालत से झटका मिला. कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी ठुकरा दी. बताया जा रहा है कि अब प्रीति उच्च न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी में है. गुरुवार की दोपहर पुलिस को जानकारी मिली थी कि वह हाईकोर्ट परिसर में आ सकती है. इसीलिए एक टीम ने हाईकोर्ट में जाल बिछाया था, लेकिन प्रीति हाथ नहीं लगी. अब पुलिस सरगर्मी से प्रीति की तलाश में जुट गई है. वहीं प्रीति के ‘दास’ भी उसे बचाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.

प्रीती दासची पोलीस विभागात अनेकांशी संबंध

नागपूर :13 जून 2020 : प्रेमाच्या जाळ्यात ओढून एका व्यक्तीची फसवणूक केल्याप्रकरणी चर्चेत आलेली प्रीती दास हिची पोलीस विभागातील अनेक वरिष्ठ अधिकाऱ्यांशी गट्टी होती. या माध्यमातून तिने बलात्कार प्रकरणातील पीडित शोधून गुन्हा दाखल करवून आणि त्यातून अर्थकारण करण्यात ती तरबेज होती. त्यामुळे राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्षातील महिला पदाधिकाऱ्यांशी तिचे मतभेद निर्माण झाले, अशी माहिती समोर येत आहे.
प्रीती ज्योतिर्मय दास (३९)  कामठी रोड हिच्याविरुद्ध काही दिवसांपूर्वी पाचपावली पोलीस ठाण्यात गुन्हा दाखल करण्यात आला. तेव्हापासून ती फरार आहे. उमेश ऊर्फ गुड्ड देविशंकर तिवारी (५०) यांना तिने फेसबुकवर फ्रेंड रिक्वेस्ट पाठवली. फेसबुकवरूनच संवाद साधून  संपर्क क्रमांक घेतला. पत्नीशी फारकत घेऊन एकत्र राहण्याचे स्वप्न दाखवून घर विकत घेण्याच्या नावाने १४ लाख ८७ हजार ६०० रुपयांनी त्यांची फसवणूक केली.
सामाजिक कार्याच्या नावावर गोरखधंदा
शहरात अनेक महिला सामाजिक कार्यकर्त्यां असून त्या बलात्कार पीडितांच्या मदतीसाठी धावून जातात. पण, त्यामागे मोठे अर्थकारण असते. अनेकदा तक्रारदार महिला तयार नसताना त्यांना पैशांचे आमिष दाखवले जाते व बलात्काराची  तक्रार द्यायला लावली जाते. यातून लाखो रुपये मिळाल्यानंतर ते आपापसात वाटून घेतले जातात. यात प्रामुख्याने देहविक्री होत असलेल्या क्षेत्रात सामाजिक कार्यकर्ता म्हणून कार्य करणाऱ्या अनेक महिलांचा समावेश असल्याची चर्चा पोलीस वर्तुळात आहे.

ठगबाज प्रीती दासची शरणागती

नागपूर :14 जून 2020 :  खंडणी, फसवणुकीसह अनेक प्रकरणांत फरार असलेली ठगबाज प्रीती दास हिने अखेर पाचपावली पोलिस स्टेशनमध्ये शनिवारी शरणागती पत्करली. आत्मसमर्पण करताच पोलिसांनी अटक करून तिला न्यायालयात हजर केले. न्यायालयाने तिची १७ जूनपर्यंत पोलिस कोठडीत रवानगी केली.
प्रीतीच्या शरणागतीने तिचे 'दास' अडचणीत येण्याची शक्यता वर्तविण्यात येत असून, अनेक पोलिस अधिकारी व नेत्यांच्या हृदयाचे ठोके वाढले आहेत. आता पाचपावली पोलिस तिच्याकडून सत्य वदवून घेण्यात कितपत यशस्वी होतात, याकडेही लक्ष लागले आहे.
गेल्या आठवड्यात प्रीतीविरुद्ध पाचपावली पोलिस स्टेशनमध्ये खंडणीचा गुन्हा दाखल झाला. त्यानंतर लकडगंज व जरीपटका पोलिस स्टेशनमध्येही फसवणूक, खंडणीचे गुन्हे दाखल झाले. त्यानंतर लगेच प्रीती पसार झाली. तिला एका नेत्याने आश्रय दिला. या नेत्याने 'जुन्या' ओळखीच्या माध्यमातून प्रीतीची अटक टाळण्यासाठी प्रयत्न केले. मात्र, प्रकरण 'हायप्रोफाइल' असल्यामुळे या नेत्याला कोणीही मदत केली नाही. शिवाय, प्रीतीच्या अटकेसाठी पाचपावली पोलिसांनी चक्रव्यूह आखले होते. पोलिसांचा दबाव वाढल्याने शनिवारी सकाळी ११ वाजताच्या सुमारास प्रीतीने पाचपावली पोलिसांसमोर आत्मसमर्पण केले.
नागपुरातच होती दडून
गुन्हा दाखल झाल्यानंतर प्रीतीने सुरुवातीला मित्र-मैत्रिणींकडे आश्रय घेतला. जुन्या मैत्रीची शपथ देऊन तिने चार पोलिस निरीक्षकांना याप्रकरणातून वाचविण्याची विनंती केली. पोलिस निरीक्षकांनाही तिला अटकपूर्व जामीन मिळवून देण्यासाठी धावपळ केली. परंतु, तिच्याविरुद्ध कठोर कारवाईचे निर्देश पोलिस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय यांनीच दिल्याचे कळताच या निरीक्षकांनी हात वर केले. प्रीतीची कसून चौकशी झाल्यास व तिने पोलिस निरीक्षकांची नावे घेतल्यास अनेक पोलिस निरीक्षकांचा 'बुरखा' फाटण्याची शक्यता वर्तविण्यात येत आहे.
आणखी एक गुन्हा
प्रीतीविरुद्ध सीताबर्डी पोलिस स्टेशनमध्ये शनिवारी आणखी एक फसवणुकीचा गुन्हा दाखल करण्यात आला. आठवडाभरात तिच्याविरुद्ध दाखल झालेला हा चौथा गुन्हा होय. काही दिवसांपूर्वी प्रीतीने वर्धा येथील युवक नवल पांडे याला खासगी कंपनीत नोकरी लावून देण्याचे आमिष दाखवत दीड लाख रुपये घेतले. मात्र, नोकरी लावून दिली नाही व पैसेही परत केले नाही. पांडे याने सीताबर्डी पोलिसांत तक्रार केली.

ठग प्रीति दास पर तीसरी FIR

नागपुर : 14 जून 2020 : महाठग के नाम से चर्चित प्रीति दास के खिलाफ शनिवार को एक और एफआईआर दर्ज हुई है. पुलिस अधिकारियों के साथ कई लोगों को ठगने के बाद सीताबर्डी पुलिस डेढ वर्षों के प्रीति दास के खिलाफ शिकायतों को वेरिफाई कर रही है. शनिवार को वर्धा शिवाजी चौक निवासी नवल राधेश्याम पांडे (29) ने प्रीति के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.
गौर करने की बात यह है कि पुलिस ने स्वयम ही इस पीड़ित को खोज निकाला है जिसे प्रीति ने नौकरी दिलाने के नाम पर 1.50 लाख का चुना लगाया. इसके पहले प्रीति के खिलाफ पहली एफआईआर पांचपावली निवासी उमेश तिवारी ने की. दुसरी लकडगंज थाने में जूनी मंगलवारी निवासी वैशाली पौनीकर ने की. तीसरी जरीपटका और चौथी भंडारा में हुई है. शनिवार को सीताबर्डी में दर्ज मामले को मिलाकर प्रीति के खिलाफ कुल 5 एफआईआर दर्ज हो चुकी है. हालांकि महाठग स्वयम पुलिस को सरेन्डर कर दिया है.
1.50 लाख की थी मांग
प्राप्त जानकारी के अनुसार नवल पांडे यह परिवार के साथ वर्धा में रहता है और युनायटेड एग्रो कम्पनी में नौकरी करता है. नवल ने वर्ष 2015 में बीई इलेक्ट्रानिक्स की शिक्षा पुरी की. इसके बाद वह नौकरी के तलाश में भटकने लगा. मार्च 2017 को नवल को पता चला कि गलेक्सी कन्सलटंसी सर्विसेस, एनआईटी काम्प्लेक्स सिताबर्डी में बेराजगारों को नौकरी लगा देने का काम किया जाता है. इस दौरान नवल की मुलाकात प्रियदर्शनी अपार्टमेंट, इंदोरा निवासी प्रीति जोर्तीम्य दास (39) से हुई.
उसने बताया कि उसके कार्यालय में युवओं को रोजगार उपलब्ध करवाने का काम किया जाता है. इस बीच उसने आरेंज सिटी वाटर सप्लाई एजंसी में नौकरी लगाने के लिए नवल से 1,50,000 रुपये की मांग की. इसके बाद पीड़ित ने प्रीति को 22 जुलाई 2017 को 1.50 लाख का चेक दिया. बावजूद इसके नौरकी नही लगी. उससे पुछने पर वह सिर्फ इसना ही कहती थी कि काम हो रहा है. नौकरी नहीं लगने पर उसने अपने पैसे मांगे तब प्रीति ने 1लाख का चेक दिया किंतु बैंक में विड्राल करने पर वह बाउंस हो गया. इस पर उसने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है, नौकरी का काम हो रहा है. कुछ महिने बाद प्रीति ने उसके खाते में 30,000 रुपये जमा किये इसके बाद उसने 55,000 रुपये का चेक दिया, लेकिन वह भी बाउंस हो गया. इस प्रकार प्रीति ने नवल से नौकरी के नाम पर 1,20,000 रुपये की ठगी की. फरयादी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया दिया है.

प्रीती दास ठगबाजीत दहा वर्षांपासून

नागपूर :15 जून 2020 :  प्रीती दासच्या अटकेनंतर तिने केलेल्या फसवणुकीचे अनेक किस्से आता समोर येत आहेत. गत दहा वर्षांपासून ती ठगबाजीमध्ये सक्रिय असून, पहिली फसवणूक तिने भिसीच्या नावे केल्याची माहिती आहे. यावेळी तिचे नाव स्नेहा दुबे होते. या भिसी घोटाळ्यात तिच्याविरुद्ध सीताबर्डी पोलिस स्टेशनमध्ये फसवणुकीचा गुन्हा दाखल झाला होता.
२०१०मध्ये बाबा दीपसिंगनगर परिसरात स्नेहा दुबे ऊर्फ प्रीती दासने भिसी सुरू केली. तिने परिसरातील रहिवाशांकडून लाखो रुपये गोळा केले. परिसरातील नागरिकांनी तिला पैसे परत मागितले. तिने नागरिकांना धनोदश दिले. हे धनादेश वटलेच नाहीत. त्यामुळे तिच्याविरुद्ध गुन्हा दाखल झाला. हा तपास आर्थिक गुन्हेशाखेकडे गेला. आर्थिक गुन्हेशाखा पोलिसांनी स्नेहा ऊर्फ प्रीतीला अटक केली होती. याप्रकरणात जामीन मिळाल्यानंतर प्रीतीने नाव बदलविले. तिने बुशारा खान असे नाव ठेवले. काही वर्षे ती बुशारा खान म्हणून वावरली. या नावानेही तिने अनेकांना गंडा घातला. त्यानंतर ती प्रीती दास झाली.
सामाजिक कार्यकर्ता म्हणून उपराजधानीत वावरू लागली. पोलिस निरीक्षकांसोबत मैत्री करून तिने आपला दबदबा निर्माण केला. गत तीन वर्षांत प्रीती दासचा संपूर्ण पोलिस विभागात दबदबा निर्माण झाला. तिचे अनेक दास तयार झालेत. चार पोलिस निरीक्षक तर तिचे एकदम खासमखास झालेत. तिच्या इशाऱ्यावर या निरीक्षकांनी खोट्या तक्रारी दाखल केल्याची चर्चा आहे.
दरम्यान, पाचपावली पोलिसांनी प्रीतीची रविवारी कसून चौकशी केली. तिने कोणा-कोणाची फसवणूक केली, याची माहिती घेण्यात आली. याशिवाय पोलिस तिच्या आवाजाचे नमुनेही घेणार असून, ते तपासणीसाठी न्यायवैद्यक प्रयोगशाळेकडे पाठविण्यात येणार आहे.
नोकरीच्या नावे अनेकांना गंडा
प्रीतीने नोकरी लावून देण्याच्या बहाण्याने अनेक युवकांना गंडा घातला. युवकांना नोकरी लावून देण्यासाठी तिने सीताबर्डीतील एनआयटी कॉम्प्लेक्समध्ये जॉब कन्सल्टन्सीचे कार्यालयही थाटले होते. ऑरेंज सिटी वॉटर वर्क्समध्ये नोकरी लावून देण्याचे आमिष दाखवून तिने नवल पांडे याच्यासह शेकडो बेरोजगारांची फसवणूक केली.
प्रीतीविरुद्ध स्थानबद्धतेची कारवाई
प्रीती दास, स्नेहा दुबे ऊर्फ बुशारा खानविरुद्ध पाचपावली, लकडगंज, जरीपटका व सीताबर्डी पोलिस स्टेशनमध्ये चार गुन्हे दाखल झाले आहेत. दाखल होत असलेल्या गुन्ह्यांची मालिका बघता ठगबाज प्रीतीविरुद्ध पोलिस एमपीडीएअंतर्गत स्थानबद्धेतची कारवाई करण्याची दाट शक्यता आहे.

नागपुरात उपासमारीने मृत्यू होण्याची मोठी शक्यता : संजय पाटील

नागपुरात उपासमारीने मृत्यू होण्याची मोठी शक्यता : संजय पाटील

India's Hunger Index: What Can Be Done? | Outlook Poshan
संजय पाटील  : आज जागतिक अन्नसुरक्षादिन, लॉकडाउनमध्ये अनेकांची उपासमार

संजय पाटील  : नागपूर प्रेस मीडिया : 7 जून 2020: नागपूरकरोनाशी लढण्यासाठी वैद्यकीय यंत्रणेसह प्रशासकीय चमू दिवस-रात्र झटत आहे… एकीकडे करोनाला हरविण्यासाठी लढा सुरू असताना लॉकडाउनमुळे हातचे काम गेल्याने भुकेचा प्रश्नही तेवढाच भीषण झाला. 'लॉकडाउनच्या काळात आम्ही घरी राहायला तयार आहोत, मात्र पोट कसे भरायचे', असा प्रश्न कष्टकऱ्यांनी उपस्थित केला. त्यांची भूक भागविण्याची मोठी जबाबदारी जिल्हा पुरवठा शाखेवर येऊन पडली. रेशनकार्डधारकांना नियमित धान्य देण्याबरोबर प्रतिव्यक्ती ५ किलो मोफत तांदूळ देण्याची घोषणा झाली. एप्रिल आणि मे महिन्यात रेशनकार्ड असणाऱ्या १४ लाख ५८ हजार १७२ शिधापत्रिकाधारकांना याचा लाभ मिळाला असल्याचा दावा जिल्हा प्रशासनाकडून करण्यात आला. रास्त दरात ३ लाख ४९ हजार १५ क्विंटल धान्य वितरित करण्यात आले आहे. मात्र, संकट मोठे असल्याने नियमात न बसणाऱ्या गरजूंचे काय, हा प्रश्न कायम होता. समाजातून अनेक मदतीचे हात अशांसाठी पुढे आले.
 हातावर पोट असणाऱ्यांची संख्या जिल्ह्यात मोठ्या प्रमाणात आहे. कष्टकरी म्हणून ओळखल्या जाणाऱ्यांच्या हातातील कामच करोनामुळे बंद झाले. अशा संकटकाळात ओढवलेल्या उपासमारीमुळे जगण्याचाच प्रश्न गंभीर झाला…. १४ लाख ५८ हजार शिधापत्रिका धारकांपर्यंत धान्य पोहोचविल्याचा दावा प्रशासनाने केला असला तरी अद्यापही अनेकांची थाळी रिकामीच आहे. करोनामुळे दोनवेळच्या अन्नासाठीचा संघर्ष अधिकच भीषण झाला असल्याची व्यथा धान्याच्या प्रतीक्षेत असलेल्या अनेकांनी व्यक्त केली.
असे वितरित झाले धान्य
धान्य : वाटप : दर
गहू : १ लाख ८७ हजार ५३ क्विंटल : २ रुपये किलो
तांदूळ : १ लाख ४८ हजार ९१४ क्विंटल : ३ रुपये किलो
साखर : २ हजार २४८ क्विंटल : २० रुपये किलो
दूरडाळ : ५ हजार ७४३ क्विंटल : ५५ रुपये किलो
चणाडाळ : ५ हजार ५७ क्विंटल : ४५ रुपये किलो

यांना मिळाले मोफत

पंतप्रधान गरीब कल्याण अन्न योजनेंतर्गत सार्वजनिक वितरण व्यवस्थेतील पात्र लाभार्थ्यांसाठी तांदूळ मोफत देण्याचा निर्णय घेण्यात आला. प्रतिव्यक्ती प्रमाणे ५ किलो तांदूळ याप्रमाणे एप्रिल, मे आणि जून असे तीन महिने हे धान्य मोफत दिले जात आहे. एप्रिल आणि मे या दोन महिन्यात ३ लाख १ हजार ७५९ क्विटंल तांदूळ आणि ६ हजार ६९७ क्विंटल डाळ असे एकूण ३ लाख ८ हजार ४५६ क्विंटल धान्य मोफत देण्यात आले असल्याचे पुरवठा विभागाचे नायब तहसीलदार प्रशांत शेंडे यांनी सांगितले. एप्रिल आणि मे महिन्यात २ लाख ७० हजार ७२६ लोकांनी शिवभोजन थाळीचा लाभ घेतल्याचे शेंडे यांनी सांगितले.

लाखो गरजू अद्यापही प्रतीक्षेत

रेशनकार्ड असणाऱ्यांनाच जिल्हा पुरवठा कार्यालयांकडून धान्य देण्यात येत असल्याने इतर लाखोंचा प्रश्न अद्याप कायम आहे. न्यायालयाच्या निर्देशानुसार रेशनकार्ड नसणाऱ्या गरजूंचे सर्वेक्षण करण्यात आले. त्यानुसार जिल्ह्यात ७१ हजार ५२२ कुटुंबांकडे रेशनकार्ड नसल्याचे पुढे आले. या कुटुंबात राहणाऱ्या २ लाख ८६ हजार ८८ लाभार्थ्यांना आता मे आणि जून महिन्याचे मोफत देण्याची प्रक्रिया हाती घेण्यात आली आहे. सर्वेक्षणच आता झाले असल्याने ऐन लॉकडाउनचा काळ त्यांनी कसा काढला, असेल हा प्रश्न इथे उपस्थित होतो. जून महिन्यात त्यांना आता मे आणि जून महिन्यांचे धान्य देण्यात येणार असल्याचे प्रशासनाकडून सांगण्यात आले.



7 जून 2019 रोजी प्रथमच जागतिक अन्न सुरक्षा दिन साजरा करण्यात आला. हे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारे डिसेंबर 2018 मध्ये अन्न आणि कृषी संघटनेच्या सहकार्याने स्वीकारले होते.

हा दिवस साजरा करण्याचा उद्देश्य म्हणजे अन्न सुरक्षा मानक राखण्यासाठी जन जागृती करणे आणि अन्नजन्य आजारांमुळे होणाऱ्या मृत्युदर कमी करणे.

संयुक्त राष्ट्र संघाने आपल्या दोन संस्था अन्न आणि कृषी संघटना (Food and Agriculture Organization- FAO) आणि जागतिक आरोग्य संघटन (World Health Organization- WHO)ला जगभरातील अन्न सुरक्षेला चालना देण्यासाठी नियुक्त केल्या आहे.

अन्न सुरक्षा का आवश्यक आहे आणि ती कशी मिळवता येऊ शकते? या वर चर्चा करण्यासाठी संयुक्त राष्ट्रांनी मार्गदर्शक तत्त्वे विकसित केली आहे. त्याचे 5 मुद्दे खालील प्रमाणे आहेत.
1 सरकारने सर्वांसाठी सुरक्षित आणि पौष्टिक जेवण सुनिश्चित केले पाहिजे.
2 कृषी आणि अन्न उत्पादनामध्ये चांगल्या पद्धती राबविण्याची गरज आहे.
3 व्यावसायिकाने अन्न पदार्थ सुरक्षित असल्याची खात्री द्यावी.
4 सर्व ग्राहकांना सुरक्षित, निरोगी आणि पौष्टिक आहार मिळविण्याचा हक्क आहे.
5 अन्न सुरक्षा ही एक सामायिक जबाबदारी आहे. सुरक्षित, पौष्टिक आणि पुरेसे अन्न चांगल्या आरोग्यास प्रोत्साहित करतं. त्याचबरोबर उपासमारीची समस्या दूर करतं.
शासकीय उपक्रम -
भारतीय खाद्य सुरक्षा आणि मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India-FSSAI) ने राज्यांद्वारे सुरक्षित अन्न पुरवठा
करण्यासाठी प्रयत्नासाठीच्या संदर्भात पहिले राज्य अन्न सुरक्षा इंडेक्स (State Food Safety Index-SFSI) विकसित केले आहेत.

या निर्देशकांच्या माध्यमाने अन्न सुरक्षेच्या पाच निकषांवरील राज्यांच्या कामगिरीचे मूल्यांकन केले जाईल. या श्रेणीमध्ये खालील निकषांचा समावेश आहे.
* मानव संसाधन आणि संस्थात्मक व्यवस्थापन अंमलबजावणी, अन्न चाचणी पायाभूत सुविधा आणि देखरेख
* प्रशिक्षण आणि क्षमता वाढविणे
* ग्राहक सशक्तीकरण
* एका अभिनव आणि बॅटरीने चालणारे रमन 1.0 नावाच्या डिव्हाईस ला बाजारपेठेत आणले आहेत. हे डिव्हाईस एका मिनिटापेक्षा कमी वेळेत खाद्य तेल, चरबी आणि तुपामधील केलेली भेसळ शोधण्यात सक्षम आहे.
* शाळांकडे अन्न सुरक्षेचा मुद्दा नेण्यासाठी ‘फूड सेफ्टी मॅजिक बॉक्स’ नावाच्या नव्या समाधानाची सुरुवात केली गेली आहे.
* या किट मध्ये स्वतःच अन्न मध्ये भेसळ असल्याची तपासणी करण्यासाठी मॅन्युअल आणि एक डिव्हाईस लागले आहे.
* FSSAI ने विद्यापीठ, शाळा, महाविद्यालये, संस्था, कार्यस्थळे, संरक्षण आणि अर्ध-सैन्य प्रतिष्ठान, रुग्णालये, आणि कारागृह सारख्या 7 संकुलांना 'ईट राइट कॅम्पस' म्हणून घोषित केले आहे.
* FSSAI ने अन्न कंपन्या आणि व्यक्तींचे योगदानाला ओळख देण्यासाठी ‘ईट राइट अवार्ड’ ची स्थापना केली आहे. जेणे करून नागरिकांना सुरक्षित आणि आरोग्यासाठी अन्न निवडण्यामध्ये सशक्त बनवणे.

अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितीतही उत्पादनात आघाडी घेऊनदेखील शेतकरी वर्गाची दैन्यावस्था संपलेली नाही. सरकारची चुकीची धोरणे, बाजार व तंत्रज्ञान, स्वातंत्र्याच्या अभावामुळे रोडावलेले भांडवल यांनी हा उत्पादक वर्ग त्रस्त आहे. अशा वेळी येऊ घातलेला अन्न सुरक्षा कायदा भारतीय शेतकºयांच्या बोकांडी तर बसणार नाही ?16 ऑक्टोबर हा जागतिक अन्न दिवस म्हणून पाळला जातो. इतर दिवस जसे साजरे केले जातात, तसा तो उत्सव न ठरता त्यावर अधिक गांभीर्याने विशेषत: भारतासारख्या भूकपीडित देशांनी बघावे, अशी जागतिक अन्न-कृषी संघटनेची अपेक्षा आहे व त्याला दिशा देऊ शकेल असा कृती कार्यक्रमही या निमित्ताने जाहीर झाला आहे. जगातील सुमारे सतरा टक्के लोकसंख्या उपाशीपोटी असून त्यातील बव्हंशी भारतासारख्या विकसनशील व इतर अविकसित राष्ट्रांत आहे. या लोकसंख्येला पुरेसे अन्न मिळावे याचा विचार करताना जागतिक अन्न-कृषी संघटनेने गरिबी वा भूक याबरोबर पुरेसे अन्न उपलब्ध करून देण्यात अपयशी ठरत असलेल्या सरकार नामक व्यवस्था व एकंदरीत अन्नाच्या अर्थ व बाजारव्यवस्था असा सांगोपांग विचार केलेला दिसतो. यात अर्थातच अन्न उत्पादन, साठवणूक वा प्रक्रिया यासाठी प्रगत तंत्रज्ञानाचा वापर यांचाही समावेश केला आहे.या वर्षीच्या कार्यक्रमातील ठळक वैशिष्ट्य म्हणजे अन्नाच्या किमती स्थिर व परवडण्याजोग्या ठेवण्यावर दिलेला भर. अन्नाच्या किमती वाढल्या, की लोकसंख्येचा एक मोठा भाग अचानकपणे अन्नापासून वंचित होतो व त्यावर नियंत्रण मिळवणे जिकिरीचे होऊन बसते. यात उत्पादनविषयक समस्यांबरोबर जागतिक बाजार व्यवस्था व देशोदेशींच्या संबंधित धोरणातील विसंगतींचा समावेश होतो. जागतिक व्यापार संघटना यात महत्त्वाची भूमिका बजावू शकते. ग्लोबल वॉर्मिंगसारख्या जागतिक हवामानातील बदलामुळे अन्न उत्पादनाचे सारे नकाशेच बदलून जाणार आहेत, त्याचीही चिंता घोंगावते आहे. यापुढचा अन्नविषयक धोरणात्मक कार्यक्रम हा जागतिक होत जाणार आहे. त्यामुळे भारतासारख्या उत्पादनात अग्रेसर असलेल्या देशाने बंदिस्तपणा सोडून, विशेषत: शेतमाल आयाती-निर्यातीत उदार होत आपली धोरणे ठरवली पाहिजेत. अन्न सुरक्षा हा विषय तसा केवळ दारिद्र्यरेषा ठरवण्यापुरता मर्यादित न ठेवता, त्याचा या साºया अंगांनी विचार करावा लागेल.या दिनाच्या निमित्ताने जाहीर झालेल्या कार्यक्रमात अन्न उत्पादनाला प्रोत्साहित करण्याबरोबर देशोदेशींच्या आपापसातील सामंजस्य-सहयोगाचे व्यवहार यासाठी शासकीय प्रयत्नांबरोबर अशासकीय व्यवस्थांचीही मदत घेतली जाणार आहे. संबंधित राष्टÑांना आर्थिक, तसेच तांत्रिक सहकार्य देऊ करतानाच त्या देशातील शेतकरी, महिला व वंचित वर्गांना सामील करून घेतले जाणार आहे. हे वर्ग पहिल्यांदाच आपल्याला या निर्णय प्रक्रियेत दिसू शकतील. असा सर्व पातळ्यांचा सर्वंकष विचार करणारा जागतिक संस्थेचा हा कार्यक्रम प्रत्यक्षात मात्र अमलात आणणे किती कठीण आहे, हे आजवर सरकार नामक व्यवस्थांनी आपल्या आडमुठेपणाने अगोदरच सिद्ध केले आहे.या पार्श्वभूमीवर भारत कुठे आहे? अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितीतही उत्पादनात आघाडी घेऊनदेखील शेतकरी वर्गाची दैन्यावस्था संपलेली नाही. सरकारची चुकीची धोरणे, बाजार व तंत्रज्ञान, स्वातंत्र्याच्या अभावामुळे रोडावलेले भांडवल यांनी हा उत्पादक वर्ग त्रस्त आहे. यात पुढे येऊ घातलेला अन्न सुरक्षा कायदा भारतीय शेतकºयांच्या बोकांडी बसतो की काय, अशी भीतीही व्यक्त होते आहे. कारण या योजनेत दिले जाणारे धान्य हे खुल्या बाजारात प्रचलित दराने खरेदी न करता, किमान हमी भावात जबरदस्तीने लेव्हीसारखे शेतकºयांकडून मिळवले जाईल व त्यावर आपण गरिबांचे कैवारी असल्याची हौस सरकार भागवून घेऊ शकेल. भारतीय कृषी क्षेत्रातील भांडवलाची पुनर्भरणी होणे अत्यावश्यक असताना या क्षेत्राला दोन पैसे मिळवून देणारी जी साखर, कापूस, कांदा यासारखी पिके आहेत, त्याबाबत येथील सरकार अन्यायाची भूमिका घेते. यामागे ग्राहकांचे हित पाहण्याची सबब सांगितली जाते. मात्र आजवर बाजारातील शेतमालाचे भाव पाहता हा उद्देशही सफल झाल्याचे दिसत नाही.अन्नधान्याच्या बाबतीतही या सरकारची भूमिका अशीच वादग्रस्त आहे. बाजारातील भाव वाढू नये म्हणून साठा करण्याचे समर्थन करायचे. त्यासाठी त्या धान्याला देशातच बाजारात काय भाव मिळू शकतो हे न बघता, किमान हमी भावाचा बडगा उगारून आपल्याकडे साठवणक्षमता आहे वा नाही हे न बघताच खरेदी करायची. तो साठा तसा सडवायचा आणि जनतेचे दुर्लक्ष झाले, की आपल्याच प्रयोगशाळांकडून मानवी उपयोगास अयोग्य असे शिफारसपत्र मिळवून त्या विक्रीतून प्रचंड भ्रष्टाचार करायचा, असा सारा प्रकार असल्यावर कोणत्या गरिबाच्या तोंडात घास जाणार?जाहीर झालेल्या कार्यक्रमात निकोप बाजार व्यवस्था व विकसित तंत्रज्ञानाची उपलब्धता यांचा उल्लेख आहे. या दोन्ही पातळ्यांवर भारतातील परिस्थिती अत्यंत निराशाजनक आहे. भारतातील शेतमाल बाजार अत्यंत बंदिस्त असून या स्वतंत्र भारताच्या नागरिक असलेल्या शेतकºयाला आपला माल कुणाला, कसा, काय भावाने विकावा, याचे स्वातंत्र्य नाही. भारतातील गरिबांना परवडण्यायोग्य दरात अन्न देता येईल एवढी उत्पादन क्षमता भारतीय शेतकºयांमध्ये नक्कीच आहे. या क्षेत्रात रास्त दराच्या माध्यमातून भांडवलाची पुनर्भरणी झाल्यास रोजगार निर्मितीतून या अन्नधान्याचा खपही वाढवता येऊ शकतो व गरिबी निर्मूलनावर होणाºया अनुदानात लक्षणीय कपातही होऊ शकते. मात्र सरकारला आपला या क्षेत्राकडे पाहण्याचा दृष्टिकोन बदलावा लागेल. जागतिक दिशेने आगेकूच करणाºया व या धोरणांना अनुकूल असणाºया ‘जी 8’ देशांपैकी काही देशांचे अर्थसाहाय्य दुप्पट करणारी 500 दशलक्ष डॉलर्सची योजना जाहीर झाली आहे. दुर्दैवाने भारत त्यात नाही यावरूनच आपल्याला अजून किती व काय पल्ला गाठायचा आहे, हे लक्षात येते.

उपासमारीचे संकट; मदत द्या


नागपूर : 14 जून 2020 : करोना विषाणूंमुळे घोषित करण्यात आलेल्या लॉकडाउनमुळे विदर्भातील सुमारे एक लाखाहून अधिक ऑटोचालकांवर उपासमारीची वेळ आली असून, त्यांना आर्थिक मदत देण्यात यावी, अशी विनंती करणारी जनहित याचिका मुंबई हायकोर्टाच्या नागपूर खंडपीठासमोर सादर करण्यात आली.
विदर्भ ऑटोरिक्षा चालक फेडरेशनने दाखल केलेल्या याचिकेवर न्या. अतुल चांदूरकर आणि न्या. अमित बोरकर यांच्या खंडपीठासमोर सुनावणी झाली. तेव्हा हायकोर्टाने राज्य सरकार, जिल्हाधिकारी व इतरांना नोटीस बजावली.
याचिकाकर्त्यानुसार, राज्यात लॉकडाउन लागल्यापासून ऑटोंवर बंदी घालण्यात आली आहे. विदर्भातील नागपूरसह प्रमुख शहरांमध्ये सुमारे १ लाख ऑटोचालक आहे. ऑटो व्यवसायावरच त्यांचा उदरनिर्वाह आहे. परंतु, ऑटोवर बंदी घालण्यात आल्याने अनेकांना आर्थिक टंचाईचा सामना करावा लागत आहे. सरकारने शाळा व कॉलेजही बंद केले आहेत. तसेच खासगी शिकवणी वर्गही बंद आहेत. अनेक ऑटोचालक प्रवासी वाहतुकीसोबतच विद्यार्थ्यांनाही सेवा देत होते. परंतु, आता त्यांचा सगळाच व्यवसाय बंद पडला आहे. त्यावर उपाय म्हणून ऑटोचालकांना राज्य सरकारने किमान पाच हजार रुपये महिना द्यावा, त्यांच्या कुटुंबाला जगण्यासाठी आवश्यक साधने द्यावीत, अशी मागणी करणारे निवेदने आमदार व खासदारांना देण्यात आली. परंतु, त्यावर कोणीही लक्ष दिले नसल्याने हायकोर्टात याचिका दाखल करावी लागली आहे, असे संघटनेने याचिकेत नमूद केले.

याचिकेवरील सुनावणीदरम्यान सरकारच्या वतीने बाजू मांडताना सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी यांनी, ऑटोचालकांच्या समस्यांवर समाधान काढण्यासाठी सरकार प्रयत्न करीत आहे. त्याबाबत लवकरच बैठक होणार असल्याचे नमूद केले. तेव्हा ऑटोचालकांबाबत घेतलेल्या निर्णयाची माहिती सादर करण्यासाठी सरकारला वेळ देण्यात आला. याचिकाकर्त्यातर्फे अॅड. रवी सन्याल यांनी बाजू मांडली,


भारत में लॉकडाउन से 34 प्रतिशत घरों के पास खाने का पैसा नहीं, हम कर सकते हैं मदद: इमरान खान


इस्‍लामाबाद : 14 जून 2020 : कहते हैं कि घर में नहीं दाने और अम्‍मा चली भुनाने। कोरोना वायरस महासंकट के बीच भ्रष्‍टाचार और लापरवाही के आरोपों को लेकर अपने ही घर में बुरी तरह से घ‍िरे पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत को मदद का ऑफर दिया है। इमरान खान ने एक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि भारत में 34 प्रतिशत घर खाने के लिए बिना मदद के एक हफ्ते से ज्‍यादा समय तक नहीं चल सकते हैं। :  
इमरान खान ने एक खबर का लिंक ट्वीट कर कहा, 'इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 34 प्रतिशत घरों में लोग बिना सहायता के एक सप्‍ताह से ज्‍यादा समय तक नहीं चल सकते हैं। मैं भारत की मदद और ट्रांसफर प्रोग्राम को साझा करने के लिए तैयार हूं। हमारे कैश ट्रांसफर प्रोग्राम की जनता तक पहुंच और पारदर्शिता को लेकर अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रशंसा हुई है।'
पाकिस्‍तानी पीएम ने कहा, 'हमारी सरकार ने सफलतापूर्वक 120 अरब रुपये नौ सप्‍ताह के अंदर एक करोड़ परिवारों को बेहद पारदर्शी तरीके से ट्रांसफर किए हैं। ताकि गरीब परिवार कोरोना वायरस के कहर से आसानी निपट सकें।' दरअसल, इमरान खान एक रिपोर्ट का हवाला दे रहे थे जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से भारत में बहुत गंभीर प्रभाव पड़ा है।

भारतीयों के खाते में तत्‍काल पैसा भेजने की जरूरत
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो और मुंबई की संस्‍था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 84 प्रतिशत भारतीय घरों में लॉकडाउन के बाद आय में गिरावट आई है। कुल परिवारों में एक तिहाई परिवार बिना अतिरिक्‍त मदद के एक सप्‍ताह से ज्‍यादा जिंदा नहीं रह सकते हैं। इस‍ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीयों के खाते में तत्‍काल पैसा और उन्‍हें भोजन देने की सख्‍त जरूरत है।

दरअसल, इमरान ने अपने इस मदद के ऑफर के जरिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। अभी कुछ द‍िन पहले ही इमरान ने कहा था कि लॉकडाउन के कारण भारत में लोग भूखों मर रहे हैं। वहीं, अमेरिका जैसे अमीर देश में लाइनों में खड़े लोगों को खाना दिया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि हालांकि, पाकिस्तान में उतना नुकसान नहीं हुआ है। इमरान खान ने पाकिस्तान में लॉकडाउन के दूसरे चरण को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दूसरा लॉकडाउन बर्दाश्त नहीं कर सकता है। लॉकडाउन के कारण देश को 800 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

पाकिस्तान में कोरोना वायरस से हालात बेकाबू
इमरान भारत को मदद का यह ऑफर ऐसे समय पर दे रहे हैं जब खुद उनके देश में कोरोना वायरस से हालात बेकाबू हो गया है। डॉक्‍टरों को पीपीई क‍िट नहीं मिल रहा है और खुद इमरान सरकार के दिग्‍गज मंत्री और नेता कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं। पाकिस्तान में विपक्षी पार्टी मुस्लिम लीग-नवाज के प्रमुख शहबाज शरीफ भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 119,536 हो गई है। वहीं अब तक 2,356 मरीजों की मौत हो चुकी है। इमरान पूरी दुनिया से कर्ज मांगते फिर रहे हैं। इसी बीच एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने पाकिस्तान को कोरोना वायरस महामारी की चुनौती से निपटने के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देने की घोषणा की है।

बेरोजगारीने 6 तरुणाची आत्महत्या

नागपूरः 20 जून 2020:  शहरातील एकूण सहा जणांनी आत्महत्या केल्याचे समोर आले आहे. यातील एक तरुणाने लॉकडाउन दरम्यान रोजगार गेला आणि पोटापाण्याचा प्रश्न निर्माण झाल्याने आत्महत्या केल्याचे समोर आले आहे. विवेक माणिकराव लाडकर (वय, ३०, रा. नारायणपेठ) असे या आत्महत्या करणाऱ्या तरुणाचे नाव आहे.

विवेक काही काळापूर्वी खासगी कंपनी काम करीत असल्याची माहिती प्राप्त झाली आहे. गुरुवारी सकाळी १०च्या सुमारास त्याने आत्महत्या केल्याचे समोर आले. लॉकडाउनमुळे सगळे व्यवसाय ठप्प झाले आणि आपल्याकडे जिवीकेचे साधन नसल्याने आपल्यावर उपासमारीची वेळ आली आहे. त्यामुळे आपण आत्महत्या करीत असल्याच्या आशयाची एक चिठ्ठी त्याने आत्महत्येपूर्वी लिहीली आहे. शांतीनगर पोलिसांनी ही चिठ्ठी जप्त केली असून या प्रकरणी अकस्मात मृत्यूची नोंद केली आहे. त्याने बेरोजगारीमुळे त्याने आत्महत्या केली असावी पोलिसांचा प्राथमिक अंदाज आहे. याखेरीज हुडकेश्वर पोलिस ठाण्याच्या हद्दीतील जगन्नाथ गुणवंतराव ठाकरे (६२) यांनी आत्महत्या केली. तसेच एमआयडीसी पोलिस ठाण्याच्या हद्दीतील दिलीप चंद्रदेव दास (वय, ३५, रा. शांतीनगर) यांनी आपल्या घरी गळफास लावून आत्महत्या केली. इमामवाडा पोलिस ठाण्याच्या हद्दीतील अमोल जिवन पोटपोसे (वय २५, पाच नल चौक) याने आपल्या राहत्या घरी गळफास लावून आत्महत्या केली. हुडकेश्वर पोलिस ठाण्याच्या हद्दीतील शालीकरामजी माणीकराव धारपुरे (७०, रा. गुरुकुंजनगर) यांनी आत्महत्या केली. याखेरीज मानकापूर पोलिस ठाण्याच्या हद्दीतील अभीषेक अभय दुबे (वय, २२, रा. गोरेवाडा) याने गळफास लावून आत्महत्या केली. या सर्वच प्रकरणांमध्ये संबंधित पोलिसांनी अकस्मात मृत्युची नोंद करून तपास सुरू केला आहे.

व्यवसायी ने की आत्महत्या

नागपुर, 21 जून (भाषा) महाराष्ट्र के नागपुर के एक कारोबारी ने लॉकडाउन के कारण आर्थिक परेशानी की वजह से रविवार को अपने घर में कथित रूप से आत्महत्या कर ली।एक अधिकारी ने बताया कि मृतक उपेंद्र उर्फ उप्पी ताराचंद महाडुले खानपान का व्यवसाय करते थे और शहर में उनकी एक किराना की दुकान और एक गोदाम है। अधिकारी ने बताया कि महाडुले ने अपने कथित सुसाइड नोट में खुदकुशी करने का कारण आर्थिक परेशानी को बताया है। अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच के दौरान, मृतक ने शेयर बाजार में निवेश किया था लेकिन लॉकडाउन के दौरान नुकसान हुआ। सदर थाने में दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया गया है।

आर्थिक परेशानी के चलते एक व्यवसायी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. यह घटना सदर थानांतर्गत गांधीचौक परिसर में हुई. मृतक राजनगर निवासी उपेंद्र उर्फ उप्पी ताराचंद महादुले (50) बताए गए. उपेंद्र उत्सव कैटरर्स और महादुले बिछायत केंद्र के संचालक थे. सदर के गांधीचौक पर उनका आफिस, किराणा दूकान और गोदाम था. रविवार की सुबह 8 बजे के दौरान पुलिस को उपेंद्र द्वारा फांसी लगाए जाने की जानकारी मिली. खबर मिलते ही पुलिस दल मौके पर पहुंचा. उपेंद्र ने सदर स्थित अपनी 4 मंजिला इमारत की छत पर बने शेड से कपड़े की चिंदी बांधकर फांसी लगाई थी.
उपेंद्र की आत्महत्या की खबर पूरे सदर परिसर में फैल गई और दोस्तों-रिश्तेदारों का हुजूम उमड़ गया. पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. जांच के दौरान पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उपेंद्र अपने जीवन से दुखी होकर और आर्थिक परेशानी के चलते आत्महत्या करने की बात लिखी थी. पुलिस ने सुसाइड नोट जब्त कर लिया है. उपेंद्र ने शेयर बाजार में मोटी रकम निवेश की थी. अनुमान है कि शेयर बाजार में घाटा होने के कारण उपेंद्र परेशान थे. कई दिनों से तनाव में रह रहे थे.
शनिवार को भी देर रात तक सदर परिसर में ही घूम रहे थे. कंटेन्मेंट जोन के पास पुलिस को दिखाई दिए. पुलिस ने उन्हें घर जाने को कहा. इसके बाद भी उपेंद्र अपने घर नहीं गए. वैसे उपेंद्र से जुड़े लोग यह मानने को तैयार नहीं है कि आर्थिक परेशानी के चलते उन्होंने आत्महत्या की. शहर के बड़े कैटरिंग व्यवसायियों में उपेंद्र का नाम था. पुलिस ने सुसाइड नोट जब्त कर आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया है. 

आर्थिक  कारणास्तव सलून चालकाची आत्महत्या

नागपूरः 25 जून 2020 : लॉकडाउनमुळे व्यवसाय ठप्प झाल्याने आर्थिक अडचणीचा सामना करणाऱ्या सलून चालकाने गांधीसागरमध्ये उडी घेऊन आत्महत्या केली. दिलीप बाबूराव कापसे (वय ६० रा. यादवनगर, कामठी रोड),असे मृताचे नाव आहे.

पोलिसांनी दिलेल्या माहितीनुसार, दिलीप कापसे यांचे राणी दुर्गावती चौकात सलून आहे. लॉकडाउनमुळे सलून बंद असल्याने कापसे यांना आर्थिक चणचण भासायला लागली. ते तणावात होते. दोन दिवसांपूर्वी ते घरून निघाले. गांधीसागरमध्ये उडी घेऊन आत्महत्या केली. बुधवारी सकाळी एका ज्येष्ठ नागरिकाचा मृतदेह तलावात तरंगताना पोलिसांना आढळला. पोलिसांना मृताच्या खिश्यात दस्तऐवज आढळले. त्यावरून ओळख पटली. पोलिसांनी पंचनामा करून मृतदेह शवविच्छेदनासाठी हॉस्पिटलकडे रवाना केला. आर्थिक अडचणीमुळे त्यांनी आत्महत्या केल्याचे पोलिसांनी सांगितले. गणेशपेठ पोलिसांनी आकस्मिक मृत्यूची नोंद करून तपास सुरू केला आहे. सलून बंद असल्याने चालकांना आर्थिक अडचणीचा सामना करावा लागत आहे. सलून चालकांनी दुकाने सुरू करण्यासाठी यापूर्वी अनेकदा आंदोलनही केले आहे.
दरम्यान, मदत आणि पुनर्वसन राज्यमंत्री विजय वडेट्टीवार यांनी सलून आणि पार्लर सुरू झाल्यावर अटी व शर्तींचं पालन करावं लागेल असं म्हटलं होतं. राज्य सरकारने अद्याप सलून किंवा पार्लर सुरू करण्यास परवानगी दिलेली नाही. मात्र लवकरच यासाठीचा आदेश जारी केला जाईल. अशीही माहिती त्यांनी दिली.

तरुण अभियंत्याने गळफास घेऊन आत्महत्या केली

संजय पाटील : नागपूर मीडिया प्रेस : 7 जुलै 2020 : नागपूर: करोनामुळे नोकर कपात झाल्याने नोकरी मिळणार नाही, या भीतीने तरुण अभियंत्याने गळफास घेऊन आत्महत्या केली. ही हृदयद्रावक घटना अर्चित पॅलेस,नरेंद्रनगर येथे शनिवारी उघडकीस आली.  सिद्धांत संजय कडू (२२), असे मृताचे नाव आहे. सिद्धांत याचे अभियांत्रिकीचे शिक्षण पूर्ण झाले होते. तो नोकरीच्या शोधात होता.
करोना संसर्गामुळे लॉकडाऊन झाल्याने नोकरी लागणार नाही, अशी भीती त्याला होती. त्यामुळे गत काही दिवसांपासून तो तणावात होता. शुक्रवारी रात्री त्याने आई-वडिलांसोबत जेवण केले. त्यानंतर तो आपल्या खोलीत गेला आणि पंख्याला चादर बांधून त्याने गळफास घेतला. पहाटे ४ वाजताच्या सुमारास संजय यांनी सिद्धांत याला आवाज दिला असता प्रतिसाद मिळाला नाही.
संजय यांनी दरवाजा उघडून बघितले असता सिद्धांत हा गळफास लावलेल्या स्थितीत दिसला आणि त्यांना हादराच बसला. त्यांनी डॉक्टरला तातडीने बोलावले. डॉक्टरांनी तपासले असता त्याचा आधीच मृत्यू झाल्याचे निष्पन्न झाले. घटनेची माहिती मिळताच बेलतरोडी पोलिसांचा ताफा तेथे पोहोचला. पंचनामा करून पोलिसांनी मृतदेह मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटलकडे रवाना केला. पोलिसांनी सिद्धांत याने आत्महत्यूपूर्वी लिहिलेली चिठ्ठी जप्त केली. 'मला माफा करा,आई ,बाबा तुम्ही सुखी व प्रेमाने राहा’, असे त्याने चिठ्ठीत लिहिले आहे. त्याचे आई-वडील सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी आहेत. त्याला एक बहीण असून ती शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व रुग्णालयात (मेडिकल) वैद्यकीय अभ्यासक्रमाला असल्याची माहिती पोलिसांनी दिली. सिद्धांतच्या आत्महत्येप्रकरणी बेलतरोडी पोलिसांनी आकस्मिक मृत्यूची नोंद करून तपास सुरू केला आहे.

रोजगार गेला, तरुणाचा गळफास, तर वृद्धाची रेल्वेखाली उडी

जळगावः करोना संसर्गामुळे सुरु असलेल्या लॉकडाऊनमध्ये अनेकांचा रोजगार गेला आहे. इतरत्र देखील रोजगार उपलब्ध होत नसल्याने अनेकांवर उपासमारीची वेळ येत आहे. याच बेरोजगारीने जळगाव जिल्ह्यात दोघांचा बळी घेतला आहे. तालुक्यातील वडली येथिल तरुणाने बेरोजगारीला कंटाळून गळफास घेतला आहे. तर दुसऱ्या घटनेत लोणवाडीतील घटनेत एका वृध्दाने धावत्या रेल्वेसमोर झोकून देत जीवनयात्रा संपविली आहे. रितेष उर्फ राजू सुरेश पाटील (२३) असे मृत तरुणाचे तर लहू कौतिक पाटील (७०) असे वृद्धाचे नाव आहे
जळगाव तालुक्यातील वडली येथे रितेष उर्फ राजू ट्रॅक्टरसह मोठ्या वाहनांवर रोजंदारीने चालक म्हणून काम करीत होता. त्याचा भाऊ, वडील वेल्डींगचे दुकान चालवत होते. लॉकडाऊन काळात या तीघांचे रोजगार बंद पडले. राजुला बेरोजगारी असह्य झाली होती. खिशात पैसे नाही, हाताला काम नाही या नैराश्यातून राजुने राहत्या घरापासून काही अंतरावर असलेल्या देवराम महाराज मंदिराच्या मागे निंबाच्या झाडाला दोरीने गळफास घेऊन आत्महत्या केली. बुधवारी सकाळी सहा वाजता ही घटना उघडकीस आली. यानंतर गावकऱ्यांनी घटनास्थळी एकच गर्दी केली होती. या घटनेमुळे पाटील कुटुंबियांना प्रचंड धक्का बसला.
धावत्या रेल्वेखाली वृध्दाची उडी

दुसऱ्या एका घटनेत जळगाव तालुक्यातीलच लोणवाडी येथील लहू कौतिक पाटील (७०) यांनी मंगळवारी सकाळीच घर सोडले होते. संध्याकाळी पाच वाजता म्हसावद-बोरनार शिवारातील लोहमार्गावरील रुळावर त्यांचा एक धड नसलेला मृतदेह आढळून आला. मुंबईकडे जाणाऱ्या मालगाडीसमोर झोकून देत त्यांनी आत्महत्या केल्याची माहिती पोलिसांनी दिली. लहू पाटील यांची परिस्थिती देखील जेमतेम होती. मुलगा अनिल हा सुरत येथे परिवारासह रहात होता. लॉकडाऊनमुळे रोजगार बंद झाल्याने मुलगा परिवारासह घरी आला होता तर मोठा मुलगा भाऊसाहेब हा सासरवाडीला खांडवा वास्तव्याला आहे. लोणवाडी येथे पत्नी सुशिलाबाई यांच्यासोबत ते वास्तव्याला होते.

आत्महत्या : कपिल नगर आणि माणकापूरची घटना


नागपूर : 12 जुलै 2020 :  वेगवेगळ्या पोलिस ठाण्यांतर्गत 2 जणांनी फाशी देऊन आत्महत्या केली. कपिल नगर पोलिस स्टेशन अंतर्गत पहिली घटना घडली. यामध्ये सुरेश राजेंद्र खोब्रागडे (वय 55, रा. प्लॉट नंबर 277, सिद्धार्थ नगर, टेका नाका, कामठी रोड) यांनी गुरुवारी रात्री 10.30 वाजता ग्रामीण आरटीओ कार्यालयाच्या मागील अंगणात झाडाला गळफास लावून आत्महत्या केली.

स्थानिक लोकांनी त्याला झाडाला लटकवल्याची माहिती दिली. त्याला रुग्णालयात नेण्यात आले पण डॉक्टरांनी त्याला मृत घोषित केले. मृतक कॅटरिन म्हणून काम करायचा. त्यांच्या पश्चात पत्नी व 2 मुले असा परिवार आहे. दुसरी घटना मानकापूर पोलिस स्टेशन परिसरात घडली. चिंगाबाई टाकळी पुराणी बस्ती, आशादाई अशोक अंबाद्रे (वय 47, रा. झेंडा चौक) यांनी घराच्या कमाल मर्यादा पंख्याने दुपटीला फाशी दिली. या दोन्ही घटनांमध्ये तक्रारदाराच्या तक्रारीवरून पोलिसांनी अपघाती मृत्यूचा गुन्हा दाखल करून तपास सुरू केला आहे.