Wednesday, 3 April 2019

बौद्ध धर्म का पुनर्जागरण वैचारिक क्रांति : पद्मश्री डॉ सुखदेव थोरात

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संजय पाटिल द्वारा : वर्धा--आधुनिक भारत में, बौद्ध धर्म का पुनर्जागरण 1956 से हुआ। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष  सोचते हैं कि बौद्ध धर्म का पुनर्जागरण एक वैचारिक और मनोवैज्ञानिक क्रांति है। पद्मश्री डॉ.सुखदेव थोराट ने व्यक्त किया।

महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, पाली सोसाइटी ऑफ इंडिया और डॉ। भदंत आनंद कौसल्यायन बौद्ध अध्ययन केंद्र के सहयोग से ग़ालिब हॉल में पाली दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वह इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। कार्यकारी कुलपति प्रो.मनोज कुमार कार्यकारी रजिस्ट्रार प्रो.ए ए डॉ.सिंह, पाली सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भिक्षु स्वरूपानंद महाथेरो, प्रो. बालचंद खांडेकर डॉ.सत्यपाल, भदंत सदानंद महाथेरो, प्रो.अंगराज चौधरी, प्रो. बालचंद खांडेकर, डॉ.एम एल कासरे, प्रो.भागचंद जैन, प्रो. रमेश चंद्र नेगी, रमेश प्रसाद, भिक्षु नंदराटन, भिक्षु धम्माचार्य मौजूद थे। संचालन डाॅ. भदंत आनंद कौशल बौद्ध अध्ययन केंद्र के प्रभारी और स्थानीय संयोजक डॉ. सुरजीत कुमार सिंह ने किया है। स्वागत कार्यकारी कुलसचिव प्रो. ए ए सिंह ने किया है।

डॉ.थोराट ने कहा, बौद्ध धर्म के पुनर्जागरण के संबंध में, इसे राइज, फॉल और ट्रांसफॉर्मेशन के तीन तथ्यों को ट्रैक करना चाहिए। व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में धर्म महत्वपूर्ण है और यह नैतिक मूल्यों को सिखाता है। अपने व्यापक बयान में, उन्होंने बौद्ध धर्म में मूल्य, विकास और धर्म की आवश्यकता के लिए कई ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भ दिए।

अध्यक्षीय भाषण में कार्यकारी कुलपति प्रो.मनोज कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे का मानव धर्म मानव कल्याण के लिए उपयोगी है। मनुष्य का अवतार बनाना खतरनाक है। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म पर भ्रामक साहित्य की सच्चाई को उजागर करने के लिए अकादमिक स्तर पर शोध किए जाने की आवश्यकता है। इस समय डॉ. ज्ञानदित्य शाक्य, डॉ। नंदड़त थानवीर, नागपुर। राखी बडोले की मराठी पुस्तक 'पाली ग्रामर', अजय मौर्य की  Books 'डॉ. भीमराव अंबेडकर के सामाजिक संघर्ष ’की पुस्तकें प्रकाशित हुईं। कार्यक्रम में पाली सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ। भिक्षु स्वरूपानंद महतो डॉ. सुरजीत कुमार सिंह को महाराष्ट्र पाली सोसाइटी का अध्यक्ष घोषित किया गया। कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र की अध्यक्षता में।

वर्धा----आधुनिक भारतात बौद्ध धर्माचे पुनर्जागरण १९५६पासून झाले. बौद्ध धर्माचे पुनर्जागरण एक वैचारिक आणि मानसिक क्रांती होय, असे विचार विद्यापीठ अनुदान आयोगाचे माजी अध्‍यक्ष पद्मश्री डॉ. सुखदेव थोरात यांनी व्‍यक्‍त केले.
महात्‍मा गांधी आंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालयात पाली सोसायटी ऑफ इंडिया आणि विश्‍वविद्यालयातील डॉ. भदन्त आनंद कौशल्‍यायन बौद्ध अध्‍ययन केंद्राच्‍या संयुक्‍त विद्यमाने गालिब सभागृहात पाली दिनानिमित्त आंतरराष्‍ट्रीय चर्चासत्र आयोजित करण्यात आले होते. उद्घाटनप्रसंगी मुख्‍य वक्‍ता म्‍हणून ते बोलत होते. कार्यक्रमाच्‍या अध्‍यक्षस्‍थानी कार्यकारी कुलगुरू प्रो. मनोज कुमार होते. व्यासपीठावर कार्यकारी कुलसचिव प्रो. के. के. सिंह, पाली सोसायटी ऑफ इंडियाचे अध्‍यक्ष डॉ. भिक्षु स्‍वरूपानंद महाथेरो, कोलकाताचे संघनायक डॉ. सत्‍यपाल, भदन्त सदानंद महाथेरो, प्रो. अंगराज चौधरी, प्रो. बालचंद खांडेकर, डॉ. एम. एल. कासारे, प्रो. भागचंद जैन, प्रो. रमेश चंद्र नेगी, रमेश प्रसाद, भिक्षु नंदरत्‍न, भिक्षु धम्‍मप्रिय उपस्थित होते. कार्यक्रमाचे संचालन डॉ. भदन्त आनंद कौसल्‍यायन बौद्ध अध्‍ययन केंद्राचे प्रभारी तथा स्‍थानिक संयोजक डॉ. सुरजित कुमार सिंह यांनी केले. स्‍वागत कार्यकारी कुलसचिव प्रो. के. के. सिंह यांनी केले.
डॉ. थोरात म्‍हणाले, बौद्ध धर्माच्‍या पुनर्जागरणा संदर्भात त्‍याचा उदय, पतन आणि परिवर्तन या तीन तथ्‍यांचा मागोवा घेतला पाहिजे. धर्म व्‍यक्तिगत आणि सामाजिक जीवनात महत्‍वाचा असून त्‍यातून नैतिक मूल्‍याची शिकवण मिळते. आपल्‍या सारगर्भित वक्‍तव्‍यात त्‍यांनी बौद्ध धर्मातील मूल्‍य, विकास आणि धर्माची गरज प्रतिपादित करत अनेक ऐतिहासिक आणि सामाजिक संदर्भ दिले.
अध्‍यक्षीय भाषणात कार्यकारी कुलपति प्रो. मनोज कुमार म्‍हणाले, महात्‍मा गांधी आणि आचार्य विनोबा भावे यांचा मानव धर्म मानवाच्‍या कल्‍याणाकरिता उपयोगी ठरतो. मनुष्‍याला अवतार बनविणे घातक आहे. धर्माविषयी भ्रामक साहित्‍याची सत्‍यता उलगडण्‍यासाठी शैक्षणिक पातळीवर संशोधनाची गरज आहे असेही ते म्‍हणाले. यावेळी डॉ. ज्ञानादित्‍य शाक्‍य, नंदरत्‍नस्‍थवीर, नागपूरच्‍या डॉ. रेखा बडोले यांचे मराठी पुस्‍तक 'पाली व्‍याकरण', अजय मौर्या यांचे 'डॉ. भीमराव आंबेडकर का सामाजिक संघर्ष' या पुस्‍तकांचे प्रकाशन करण्‍यात आले. कार्यक्रमात पालि सोसायटी ऑफ इंडियाचे अध्‍यक्ष डॉ. भिक्षु स्‍वरूपानंद महाथेरो यांनी डॉ. सुरजित कुमार सिंह यांना महाराष्‍ट्र पाली सोसायटीचे अध्‍यक्ष घोषित केले. चर्चासत्राचा समारोप कुलपति प्रो. गिरीश्‍वर मिश्र यांच्‍या अध्‍यक्षतेखाली झाला.
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I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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