मुंबई : Agency : महाराष्ट्र कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा है। कोरोना के मामले एक अबूझ पहेली बनते जा रहे हैं, क्योंकि कई बार कोई लक्षण नहीं होते हैं। 2 हजार से ज्यादा कोरोना मरीजों और 160 मौतों के बाद एक्सपर्ट्स के विश्लेषण में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। वायरस के अटैक और बढ़ती मौतों को लेकर विशेषज्ञों ने एक डोजियर तैयार किया है। इसके नतीजे महाराष्ट्र में कोरोना की पहेली को उलझा रहे हैं।
अब यह एक सर्वसम्मत तथ्य है कि 85 से 90 फीसदी कोरोना मरीजों में बुखार-जुकाम और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण हल्के रूप में दिखाई देते हैं। पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट इस बात को लेकर भी चिंतित है कि कोरोना की मृत्यु दर महाराष्ट्र में 6.85 प्रतिशत है जो देश में सबसे ज्यादा है। डोजियर में कोरोना के सभी लक्षणों को शामिल करने की कोशिश की गई है। अगर 85-90 फीसदी मरीजों में वायरस सुप्तावस्था में रहता है तो बाकी में भी इसके लक्षणों का आसानी से पता नहीं चलता। वहीं दूसरी ओर उनकी सेहत में तेजी से बदलाव आता है।
'मौत से कुछ घंटे पहले नॉर्मल थे कई मरीज'
राज्य के मुख्य सचिव के टेक्निकल अडवाइजर डॉक्टर सुभाष सालुंखे का कहना है, 'पुणे में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब मरीज मौत से कुछ घंटों पहले तक सामान्य रूप से हंसते और बातचीत करते दिख रहे थे।' सोमवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, चीफ सेक्रटरी, मेडिकल प्रमुखों और डॉक्टरों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मौतों के मामलों समेत इलाज के पहलू पर चर्चा हुई थी।
'90 फीसदी ऑक्सिजन सैचुरेशन फिर भी मौत'
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'मीटिंग की जरूरत महसूस की गई क्योंकि हमें अपने ट्रीटमेंट प्लान के साथ मजबूती से कोरोना से लड़ना है। यह भी एक तथ्य है कि कोरोना पीड़ित स्थिर मरीज जिसका ऑक्सिजन सैचुरेशन 90 फीसदी से ज्यादा है, वह अचानक ऑक्सिजन की कमी से दम तोड़ देता है।' यह भी पाया गया है कि कोविड-19 के मामले रूटीन ARDS (अक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) से अलग प्रकृति के होते हैं जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत होती है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'मीटिंग की जरूरत महसूस की गई क्योंकि हमें अपने ट्रीटमेंट प्लान के साथ मजबूती से कोरोना से लड़ना है। यह भी एक तथ्य है कि कोरोना पीड़ित स्थिर मरीज जिसका ऑक्सिजन सैचुरेशन 90 फीसदी से ज्यादा है, वह अचानक ऑक्सिजन की कमी से दम तोड़ देता है।' यह भी पाया गया है कि कोविड-19 के मामले रूटीन ARDS (अक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) से अलग प्रकृति के होते हैं जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत होती है।
6 मृतकों के हार्ट टिश्यूज में सूजन दिखी
ARDS या श्वसन तंत्र का फेल होना कई बैक्टीरिया या वायरस की वजह से हो सकता है। लेकिन कोरोना के मामलों में सिर्फ एक ही वजह है। इसी वजह से कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। डॉक्टरों ने ऐसे मामलों में कमजोर हार्ट और किडनी फंक्शन भी नोटिस किया है। डोजियर के मुताबिक छह मरीजों के शव परीक्षण में हार्ट टिश्यूज में सूजन देखी गई
ARDS या श्वसन तंत्र का फेल होना कई बैक्टीरिया या वायरस की वजह से हो सकता है। लेकिन कोरोना के मामलों में सिर्फ एक ही वजह है। इसी वजह से कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। डॉक्टरों ने ऐसे मामलों में कमजोर हार्ट और किडनी फंक्शन भी नोटिस किया है। डोजियर के मुताबिक छह मरीजों के शव परीक्षण में हार्ट टिश्यूज में सूजन देखी गई
मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को कोरोना मुमकिन?
क्या गर्भवती मां से बच्चे को कोरोना हो सकता है? ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की नई गाइडलाइन के मुताबिक कई मामलों से पता चलता है कि कोरोना वायरस SARS-Cov-2 जोकि COVID-19 की वजह है, उससे एक गर्भवती मां से बच्चे को संक्रमण हो सकता है। हालांकि यह भी कहा गया है कि किस अनुपात में गर्भवती महिलाएं प्रभावित हो सकती हैं इसका पता चलना अभी बाकी है।
क्या गर्भवती मां से बच्चे को कोरोना हो सकता है? ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की नई गाइडलाइन के मुताबिक कई मामलों से पता चलता है कि कोरोना वायरस SARS-Cov-2 जोकि COVID-19 की वजह है, उससे एक गर्भवती मां से बच्चे को संक्रमण हो सकता है। हालांकि यह भी कहा गया है कि किस अनुपात में गर्भवती महिलाएं प्रभावित हो सकती हैं इसका पता चलना अभी बाकी है।
पिछले महीने जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन (JAMA) में चीन के रिसर्चर्स ने वुहान के तीन ऐसे मामलों का जिक्र किया है, जिनमें कोरोना पॉजिटिव मां के पैदा हुए बच्चे को भी कोरोना संक्रमण था। हालांकि WHO इस बात पर कायम है कि कोरोना पीड़ित गर्भवती महिला से उसके पैदा हुए बच्चे में संक्रमण को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता।
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