संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया: 31 मे 2020: नागपूर : 'कुणाला खूश करण्यासाठी नव्हे, तर सरकारचे कायदे व नियम बघूनच काम करतो. यामुळे कुणी दुखावला जात असेल. परंतु, जनतेचे हित ठेवून निर्णय घेतो. स्टंटबाजी माझा स्वभाव नाही. तशी हौसही नाही. लोकांसाठी चांगले निर्णय घेणे म्हणजे हुकूमशाही नव्हे. मी इतरांसारखा अॅक्टिंग करीत नाही तर अॅक्शन घेतो', अशा भाषेत मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे यांनी शनिवारी फेसबुक लाइव्हवर त्यांच्याविरोधात बोलणाऱ्यांना उत्तर दिले. शहरातील करोना नियंत्रणाचे श्रेय आपले एकट्याचे नाही, ते टीमवर्क आहे, असे मतही त्यांनी नोंदविले.
गेल्या काही दिवसांपासून आयुक्त मुंढे यांच्याविरोधात मनपात सुरू असलेल्या विरोधावरून त्यांनी तिसऱ्या फेसबुक लाइव्हवर उत्तर दिले. ते म्हणाले, 'करोनामुळे जीवनपद्धती बदलण्याची गरज आहे. कंटेन्मेंट झोनमध्ये नियमानुसारच कारवाई केली जात आहे. एकही पैसा खर्च न करता ही कामे झालीत. नागपुरात करोनाची जी स्थिती आहे ते संपूर्ण टीमचे यश आहे. यात स्वच्छता कर्मचारी, आशा वर्कर, पोलिस प्रशासन ते शहरातील सर्व विभागांच्या लहानात लहान कर्मचाऱ्यांपासून मोठ्या अधिकाऱ्यांपर्यंत सर्वांचे मोठे योगदान आहे. अपयश असेल किंवा काही चूक झाली असेल तर ती आयुक्त म्हणून माझी आहे.'
दाढी-कटिंग कुठे केली?
लाइव्हवेळी मराठीसोबत हिंदीत बोलेन, असे जाहीर केल्यानंतर काही वेळात मुंढेंनी हिंदीत बोलण्यास सुरूवात केली. त्यानंतर त्यांच्यावर अनेकांनी कमेंटच्या माध्यमातून आक्षेप घेतले. यात दोन गटही पडले होते. काहीजण मिश्किल प्रश्नही विचारत होते. सलून बंद असल्याने 'मुंढे, आपण कटिंग व दाढी कुठे केली', अशी विचारणा काहींनी केली. नाशिकचे आयुक्त, सोलापूरचे जिल्हाधिकारी म्हणून मुंढे यांनी काम केले. त्यांना या दोन शहरांतील नागरिकांनी 'परत या' असे आवाहन केले. मुंबईकरांनीही त्यांना हाक दिली. नागपूरकरांनी तर 'बदली झाल्यास रस्त्यांवर उतरून आंदोलन करू', असा इशाराही दिला.
पाच रुग्णालये कायमस्वरूपी 'कोव्हिड'
मनपाची आरोग्ययंत्रणा पंधरवड्यात काहीअंशी बळकट होईल. जे सर्वात चांगले रुग्णालय होते, त्याला कॉर्पोरेट लूक मिळाला आहे. एकूण ४५० खाटांचे रुग्णालय केवळ कोव्हिड रुग्णांवर उपचार करण्यासाठी पंधरा दिवसांत सुरू होतील. यातील ४०० खाटांवर ऑक्सिजनची व्यवस्था असेल तर, ५० खाटांवर आयसीयू व्यवस्था असेल, असे मुंढे यांनी जाहीर केले.
Leaning a lesson from the COVID-19 outbreak and lockdown, people should change their lifestyle and follow social distancing norms, wear face-mask and ensure personal hygiene and sanitation, said Tukaram Mundhe, Municipal Commissioner.
Interacting with people through Facebook Live on Saturday, Mundhe spoke on ‘What after the lockdown?’ Replying to questions of people, he said that, people would have to change their habits. Whether the lockdown is relaxed or not, people will have to change themselves. If public transport, hotels, restaurants open in coming days, people will have to ensure that guidelines are followed properly. There should be no crowding. Everyone must wear face-mask during travel, use sanitiser, ask bus or auto-rickshaw driver whether the vehicle is sanitised, ask hotel/restaurant owners if sanitisation is done. Also, people will have to continue with the habit of washing hands frequently with soap and water, he said. Mundhe stated that, Nagpur could successfully battle COVID-19 so far due to team-work.
“If at all, there is any failure during this period, being Municipal Commissioner it is mine. But, I give credit for success to the entire team that includes sanitation workers, ASHA workers, Police administration and officers and employees of various departments,” he said. The Municipal Commissioner said that, it was not proper for the society to isolate the COVID-19 warriors, including doctors, nurses and paramedical staff when they went home. Also, it has come to light that people are resorting to kind of boycott of even the patients who got cured. “It is not proper to resort to social boycott,” he stressed.
Mundhe said that, private hospitals were asked to take swab samples of patients with fever, pneumonia or cough and inform Nagpur Municipal Corporation (NMC). Replying to a question regarding renting out house to person coming from out of Nagpur, he said that, person coming from outside should home-quarantine self for 14 days and also follow social distancing and other norms. He also spoke on the facilities of NMC in the city.
प्रशासन के सामने बौने पड़े नेता
मंत्री से लेकर पार्षद तक किसी की नहीं चलती
नागपुर. सिटी में कोरोना लॉकडाउन को लगभग सवा दो महीने हो रहे हैं. अब तो रोज ही कोरोना के मरीज अलग-अलग इलाकों में मिल रहे हैं और मनपा के अधिकारी उन इलाकों को पूरी तरह से सील कर जेल बनाने में जुटे हुए हैं. हालत यह हो गई है कि जिन इलाकों को डेढ़-दो महीनों से सील किया गया है, उन्हें भी ये अधिकारी सील कर भूल गए हैं.
कुछ बस्तियों को सील करने के बाद 14 दिनों तक वहां से कोई दूसरा मरीज नहीं मिला, इसके बावजूद परिसर के लोगों को कैद कर रखा गया है. जिसके चलते अब रोज ही किसी न किसी प्रतिबंधित इलाके में नागरिक सड़क पर उतरकर आक्रोश जता रहे हैं. मनपा के तानाशाह अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी तक कर रहे हैं. जनता का गुस्सा देखते हुए इलाके के पार्षद, विधायक भी स्थिति का जायजा लेने जा रहे हैं. अधिकारियों से बात भी कर रहे हैं लेकिन इस कोरोना के दौरान अधिकारी भी नेताओं की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा मानो प्रशासन के इन अधिकारियों के सामने नेता भी बौने पड़ गए हैं. मंत्री से लेकर मेयर व पार्षद तक की नहीं चल रही है.
एसी में बैठकर एकतरफा फैसला
प्रतिबंधित क्षेत्रों के संदर्भ में तो मनपा के अधिकारीगण एसी कमरों में बैठकर एकतरफा फैसला सुना रहे हैं. किसी बस्ती की एक गली में मरीज मिला तो दो-ढाई वर्ग किमी का एरिया सील करने का आर्डर दिया जा रहा है. कोई भी अधिकारी उन एरिया में खुद जाकर जायजा नहीं ले रहा कि उनके बंद कमरे में बैठकर लिया गया फैसला कितने हजार नागरिकों को बेवजह कैद कर रहा है. उनकी क्या तकलीफें हैं, यह जानने कोई अधिकारी नहीं निकल रहा.
प्रतिबंधित क्षेत्रों के संदर्भ में तो मनपा के अधिकारीगण एसी कमरों में बैठकर एकतरफा फैसला सुना रहे हैं. किसी बस्ती की एक गली में मरीज मिला तो दो-ढाई वर्ग किमी का एरिया सील करने का आर्डर दिया जा रहा है. कोई भी अधिकारी उन एरिया में खुद जाकर जायजा नहीं ले रहा कि उनके बंद कमरे में बैठकर लिया गया फैसला कितने हजार नागरिकों को बेवजह कैद कर रहा है. उनकी क्या तकलीफें हैं, यह जानने कोई अधिकारी नहीं निकल रहा.
एसी कमरे में बैठकर प्रतिबंधित जोन को सील करने का फरमान सुनाकर मामला पुलिस विभाग के पाले में डालने और अपना पल्ला झाड़ने का काम मनपा के अधिकारीगण कर रहे हैं. प्रतिबंधित क्षेत्र को सील करने का कोई निश्चित दिन तक नहीं बताया जा रहा ताकि नागरिक उतने दिन सहकार्य करें. बताया 14 दिन जाता है और उसके बाद क्षेत्र को खोलना ही भूल जाते हैं. यही कारण है कि नागरिकों का रोष बढ़ता जा रहा है. पांढराबोडी, पार्वतीनगर, जवाहरनगर, मोमिनपुरा इलाके में तो नागरिकों को खतरा मोल लेकर सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ा.
नेताओं की किरकिरी
हालत यह हो गई है कि शहर के सत्ताधारी व विपक्ष के जनप्रतिनिधियों तक की मनपा के अधिकारीगण किरकिरी करने में लगे हुए हैं. जनता अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को पकड़ रही है तथा तकलीफें सुना रही है और मनपा के आलाधिकारी हैं कि जनप्रतिनिधियों की भी नहीं सुन रहे हैं. सरकारी जीआर की आड़ में उनकी भी फजीहत करने में लगे हुए हैं. विधायकों ही नहीं, मंत्री तक की सुनवाई नहीं हो रही है. मेयर सहित सारे पार्षद भी परेशान हो गए हैं क्योंकि जनता उन्हें पकड़ती है और अधिकारियों द्वारा कोई सुनवाई नहीं होने से वे जनता के सामने जाने में हिचकिचाने लगे हैं. ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि प्रशासन जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना ही एकतरफा फैसले ले रहा है, जिससे ऐसा लग रहा है जैसे प्रशासन के सामने सारे नेता बौने पड़ गए हैं.
हालत यह हो गई है कि शहर के सत्ताधारी व विपक्ष के जनप्रतिनिधियों तक की मनपा के अधिकारीगण किरकिरी करने में लगे हुए हैं. जनता अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को पकड़ रही है तथा तकलीफें सुना रही है और मनपा के आलाधिकारी हैं कि जनप्रतिनिधियों की भी नहीं सुन रहे हैं. सरकारी जीआर की आड़ में उनकी भी फजीहत करने में लगे हुए हैं. विधायकों ही नहीं, मंत्री तक की सुनवाई नहीं हो रही है. मेयर सहित सारे पार्षद भी परेशान हो गए हैं क्योंकि जनता उन्हें पकड़ती है और अधिकारियों द्वारा कोई सुनवाई नहीं होने से वे जनता के सामने जाने में हिचकिचाने लगे हैं. ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि प्रशासन जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना ही एकतरफा फैसले ले रहा है, जिससे ऐसा लग रहा है जैसे प्रशासन के सामने सारे नेता बौने पड़ गए हैं.
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