संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 11 जुलै 2020 : नागपुर. विदर्भ की जनता को लूटने वाले अन्यायकारण बिजली बिल के विरोध में विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की ओर से 10 जूलाई को दोपहर बिजली बिल वापसी आंदोलन किया जा रहा है. मुख्य संयोजक राम नेवले ने बताया कि कोरोना एक नैसर्गिक आपदा है और इस आपदा काल का बिजली बिल सरकार को ही भरना चाहिए.
कोरोना काल के बिजली बिल को संपूर्ण विदर्भ भर में बिजली कार्यालयों में जाकर वापस लौटाया जाएगा. इसी के साथ ऊर्जामंत्री नितिन राऊत के निवास स्थान पर विरास का एक शिष्टमंडल बिजली बिल वापस लौटाएगा और उन्हें सूचना दी जाएगी कि कोई भी बिजली बिल जमा नहीं करेगा.
यह आंदोलन पूरे विदर्भ के 11 जिलों में 120 तहसीलों में होगा. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क लगाकर उक्त आंदोलन किया जाएगा. साथ ही कोरोना के बाद भी 200 यूनिट तक बिजली माफ करने, बिजली दर कम करने, कृषि पंपों के बिजली बिल खत्म करने, विदर्भ को बिजली प्रकल्पों के प्रदूषण से मुक्त करने की मांग भी इस दौरान की जाएगी. सभी विदर्भवासियों से इस आंदोलन में शामिल होकर अपने बिजली बिल वापस करने की अपील नेवले ने की है.
चंद्रपुर. लाकडाउन काल में 24 मार्च से सभी व्यवसाय, रोजगार बंद थे इसलिए सभी बिजली बिल माफ करें और आगामी समय में 200 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली देने समेत अन्य मांगों के लिए आज विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की ओर से जिले की 10 तहसील में बिजली बिल वापसी आंदोलन किया गया. गडचांदुर के महावितरण कार्यालय में नागरिकों ने प्रशासकीय नियम का पालन कर भारी भरकम राशि वाले बिल लौटाये.
आज शुक्रवार की दोपहर 12 बजे जिले के चंद्रपुर, राजुरा, कोरपना, गोंडपिपरी, जिवती, भद्रावती, वरोरा, मूल, सावली और पोंभूर्णा तहसील में आंदोलन किया गया. जिसमें लाकडाउन काल का बिजली बिल माफ करें, 200 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली आपूर्ति, बिजली उत्पादन खर्च 2.50 रुपए होने के बावजूद घरेलू उपयोग के बिजली का बिल 7.50 रुपए लगाया जाता है और ओद्योगिक उपयोग के लिए यह दर 11.50 रुपए है. दोनों की दर कम करें, पिछले तीन वर्षो से विदर्भ आकाल की चपेट में है. इसलिए कृषि पंपों का संपूर्ण बकाया बिल माफ करें, कृषि को पूर्ण समय पूर्ण दाब से बिजली आपूर्ति, मांगने वालों को तुरंत बिजली आपूर्ति और विदर्भ को लोडशेडिंग से मुक्त करने की मांग के लिए आंदोलन किया. गडचांदुर आंदोलन में शेतकरी संगठना के प्रभाकर दिवे, मदन सातपुते, दीपक चटप, प्रवीण एकरे, आशिष मुसले, वामनराव बोबडे, अरुण रागीट, कालीदास उरकुडे, दिलीप आस्वले, वासुदेव गौरकार, स्वप्निल झुरमुरे आदि शामिल थे.
भद्रावती में विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की ओर से तीन महीने का बिजली माफ करने के लिए तहसीलदार और बिजली मंडल इंजीनियर के माध्यम से निवेदन प्रेषित कर मुख्यमंत्री से उक्त मांग की है. लाकडाउन की वजह से किसान, खेतिहर मजदूर और सामान्य नागरिकों के पास कोई रोजगार न होने से उनकी आर्थिक स्थित खराब है. इसलिए बिजली बिल माफ करने की मांग की है. इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष प्रा. विवेक सरपटवार, सचिव राजु बोरकर, पार्षद सुधीर सातपुते, सिध्दार्थ सुमन, अविनाश मानकर, एस.एम. पायपरे, बाबा बिपटे, विशाल कांबले, सुभान सौदागर, राजु गैनवार, प्रकाश आस्वले, लक्ष्मण बोढाले, मारोतराव रामटेके, विठ्ठल बदखल आदि उपस्थित थे.
चंद्रपुर में समिति के पदाधिकारियों ने आज बिजली वितरण कंपनी के मुख्य कार्यालय के सामने जोरदार नारेबाजी कर बिजली बिल वापसी आंदोलन किया. एमएसईबी इंजीनियर के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को मांग का निवेदन प्रेषित किया है. आंदोलन में समिति के जिलाध्यक्ष किशोर पोतनवार, नितीन भागवत, अनिल दिकोंडवार, दिवाकर मानुसमारे, सुनिल देशपांडे आदि कार्यकर्ता शामिल थे.
राजुरा में अधि. मुरलीधर देवालकर, पंढरी बोंडे, कपिल इद्दे, मधुकर चिंचोलकर, प्रभाकर ढवस, वरोरा में अधि. शरद कारेकर, कोरपना में अरुण नवले, रमाकांत मालेकर, बंडु राजुरकर, अविनाश मुसले, सावली में गोपाल रायपुरे, मनोहर गेडाम, मूल में कवडू येनप्रेडीवार, पोंभूर्णा में गिरीधरसिंह बैस, टेकाम, बबन गोरंटीवार और जिवती में निलकंठ कोरांगे, अधि. श्रीनिवास मुसले, शब्बीर जागीरदार, सैयद इस्माईल आदि ने आंदोलन किया.
किसान नेता वामनराव चटप ने कहा कि लाकडाउन के काल में व्यवसाय, उद्योग, कारोबार पूर्णत: ठप पडे थे. इसके साथ रोजगार भी बंद पडे थे. इसलिए इस काल के घरेलू, व्यवसायिक, उद्योजक और कारोबारियों का 24 मार्च से 3 महीने के बिल माफ किया जाये. इसके लिए विदर्भ के 11 जिलों में आंदोलन कर सरकार का ध्यानाकर्षण किया है.
नागपुर. पिछली सरकार ने वर्ष 2015 में गांधी जंयती के निमित्त राज्य में महावितरण के चार प्रादेशिक कार्यालय पुणे, औरंगाबाद, नागपुर व कल्याण में शुरु किया था. कल्याण व औरंगाबाद कार्यालयों में सह व्यवस्थापकी संचालक के रूप में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति की गई और नागपुर व पुणे में बिना आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी. लेकिन इन्हें कोई अधिकार ही नहीं दिया गया था. जिससे पिछले 5 वर्षों से ये चारों प्रादेशिक कार्यालय सफेद हाथी साबित हो रहे थे.
अब ऊर्जामंत्री नितिन राऊत ने इस संदर्भ में हुई बैठक में कहा है कि प्रादेशिक कार्यालयों को भी अधिकार दिए जाएंगे जिससे वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले बिजली ग्राहकों के हित में तेजी से कार्य कर सकें. अब तक अधिकार नहीं होने के कारण योजनाओं को अमल में लाने में उन्हें दिक्कतें आ रही थीं.
अब ट्रांसफार्मरों के वितरण, दुरुस्ती, ट्रांसफार्मरों के तेल साहित्य के लिए टेंडर निकालने का अधिकार दिये जाएंगे. इससे एचवीडीएस योजना के तहत नये कृषिपंप कनेक्शन देने के लिए तेजी से ट्रांसफार्मर वितरणमें सुविधा होगी. इस बैठक में उर्जा विभाग के प्रधान सचिव दिनेश वाघमारे, औरंगाबाद प्रादेशिक विभाग के सहव्यवस्थापकीय संचालक सुनील चव्हाण, संचालक दिनेशचंद्र साबू, सतीश चव्हाण, भालचंद्र खंडाईत व अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
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