Saturday, 2 May 2020

नितीन गडकरीच्या हस्तक्षेपामुळे  जिनिंग उद्योग , कापूस उत्पादकांना दिलासा मिळू शकेल : संजय पाटील

नितीन गडकरीच्या हस्तक्षेपामुळे जिनिंग उद्योग , कापूस उत्पादकांना दिलासा मिळू शकेल : संजय पाटील

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संजय पाटील : नागपूर : केंद्रीय भूतल परिवहन व महामार्ग मंत्री नितीन गडकरी यांच्या हस्तक्षेपामुळे कापूस खरेदी व विक्रीचा प्रश्न निर्माण होईपर्यंत भारतीय कापूस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआय) आणि कापूस उत्पादकांना थोडा दिलासा मिळू शकेल. महाराष्ट्र कॉटन जिनिंग असोसिएशनच्या शिष्टमंडळाने गडकरी यांना निवेदन दिले असून कापूस व कापसाचे कापसापासून वेगळे करण्याच्या प्रक्रियेत काही शिथिलता मिळावी, यासाठी त्यांनी निवेदन दिले.

या संदर्भात गडकरी यांनी केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्री स्मृती इराणी यांच्याशी संवाद साधला. गडकरी यांच्या कार्यालयाने प्रसिद्ध केलेल्या प्रसिद्धी पत्रकात म्हटले आहे की, इराणींनी मार्च महिन्यात जिनिंग उद्योगांना दिलेला दर 0.5  टक्क्यांनी वाढविला आहे. “सीसीआयने विदर्भातील जिनिंग उद्योगांना मार्चमध्ये खरेदी केलेल्या कापसापासून 34 टक्के लिंट आणि 66 टक्के बियाणे वेगळे करण्यास सांगितले होते.

एप्रिल, मे आणि जूनमध्ये लिंटचा उतारा अनुक्रमे   34.5 टक्के, 35  टक्क्यांनी वाढला होता. तथापि, खरेदीला उशीर झाल्याने आणि कापसाला ओलावा लागल्याने लक्ष्य पूर्ण करणे शक्य झाले नाही. गडकरी यांच्या विनंतीला उत्तर देताना आता इराणींनी मार्चच्या दरात  0.5 टक्क्यांनी वाढ करण्याची परवानगी दिली आहे. अशाप्रकारे जिनिंग उद्योगांना काम मिळाले आहे आणि यामुळे शेतकनाही  25 % फायदा होईल कारण त्यांच्याकडे साठवलेल्या 25 %  टक्के कापूस बाजारात येईल, ”असे प्रसिद्धीपत्रकात म्हटले आहे. तसेच, सीसीआय निर्धारित लक्ष्य पूर्ण करण्यास सक्षम असेल. देशाला लिंट व बियाण्याचे उद्दिष्ट पूर्ण करण्यात आणि नंतर कापसाच्या गाठी निर्यात करण्यात सक्षम होईल.

कांग्रेस का पीएम मोदी से सवाल,  क्या यह अंतिम लॉकडाउन या आगे और भी..?संजय पाटिल

कांग्रेस का पीएम मोदी से सवाल, क्या यह अंतिम लॉकडाउन या आगे और भी..?संजय पाटिल

रणदीप सिंह सुरजेवाला
रणदीप सिंह सुरजेवाला


संजय पाटिल : नई दिल्ली :  कोरोना वायरस लॉकडाउन की अवधि 17 मई तक बढ़ाने जाने को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। पार्टी ने पूछा कि इस लॉकडाउन से बाहर निकलने की सरकार की योजना क्या है और यह पूरी तरह खत्म कब होगा। वहीं कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों के घर वापसी को लेकर भी हमला बोला। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से आग्रह किया कि प्रवासी मजदूरों से किराया लिए बगैर उन्हें घर भेजने के लिए रेलगाड़ियों की व्यवस्था की जाए और किसानों, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की इकाइयों और वेतनभोगी वर्ग को राहत देने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।


लॉकडाउन खत्म कब होगा?

सुरजेवाला ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कहा कि गृह मंत्रालय ने शुक्रवार शाम आदेश जारी कर 17 मई तक लॉकडाउन का तीसरा चरण लागू कर दिया। न प्रधानमंत्री सामने आए, न राष्ट्र को संबोधित किया, न गृहमंत्री आए, यहां तक कि कोई अधिकारी भी सामने नहीं आया। आया तो केवल एक आधिकारिक आदेश। सुरजेवाला ने सवाल किया कि लॉकडाउन के तीसरे चरण के पीछे क्या लक्ष्य और रणनीति है तथा इसके आगे का क्या रास्ता है? क्या लॉकडाउन-3 आखिरी है और 17 मई को खत्म हो जाएगा? या फिर, लॉकडाउन-4 व लॉककाउन-5 भी आने वाला है? यह पूर्णतया खत्म कब होगा?



आर्थिक संकट से उबरने का लक्ष्य क्या है?
उन्होंने पूछा कि 17 मई तक कोरोना संक्रमण व आर्थिक संकट से उबरने का लक्ष्य क्या है? मोदी सरकार ने 17 मई तक संक्रमण, रोजी-रोटी की समस्या व आर्थिक संकट से निपटने के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किए हैं? उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 17 मई तक क्या सार्थक व निर्णायक कदम उठाए जाएंगे?


मजदूरों-गरीबों और किसानों के लिए विशेष राहत की मांग

सुरजेवाला ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तरफ से प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि लाखों मजदूरों की 15 दिन में बिना किराया लिए घर वापसी करने की खातिर सैनिटाइज की गई ट्रेन का इंतजाम किया जाए। गरीबों-मजदूरों-किसानों के जन-धन खातों, किसान योजना खातों, मनरेगा मजदूर खातों व बुजुर्ग-महिला-विकलांगों के खातों में सीधे 7500 रुपये डाले जाएं।



एमएसपी पर खरीदें अनाज, 24 घंटे में हो भुगतान
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि किसानों का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदें व 24 घंटे के अंदर भुगतान हो। गन्ना किसान हो या अन्य किसान, सबके हजारों करोड़ रुपये के बकाए का सात दिनों में भुगतान हो। किसान का ब्याज माफ कर कर्ज वसूली एक साल के लिए स्थगित की जाए।


एमएसएमई सेक्टर के लिए पैकेज की मांग

उन्होंने कहा कि 11 करोड़ नौकरी देने वाली 4.25 करोड़ एमएसएमई इकाइयों को फौरन दो लाख करोड़ का तनख्वाह व ऋण गारंटी पैकेज दिया जाए। मध्यमवर्गीय व नौकरीपेशा लोगों का वेतन व नौकरी की सुरक्षा का पैकेज सुनिश्चित हो तथा खत्म होती करोड़ों नौकरियों व मनमाने तरीके से काटी जा रही तनख्वाहों पर अंकुश लगे।



कोरोना जांच का दायरा बढ़ाया जाए
सुरजेवाला ने कहा कि देश में कोरोना की जांच का दायरा कई गुना बढ़ाया जाए। डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों को निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) मुहैया करवाएं व विशेष आर्थिक मदद दें। यही सुविधा पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों व जरूरी सेवाओं में लगे कर्मियों को भी मिले।



केंद्र सरकार अपनी फिजूलखर्ची फौरन रोके
कांग्रेस नेता ने मांग की कि केंद्र सरकार अपनी फिजूलखर्ची पर फौरन अंकुश लगाए। प्रधानमंत्री मोदी अविलंब 20,000 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा परियोजना, 1,10,000 करोड़ रुपये की बुलेट ट्रेन परियोजना, 8,458 करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री की यात्रा के लिए जहाज की खरीद पर रोक लगाएं व भारत सरकार के फिजूल खर्चों पर 30 प्रतिशत की कटौती करें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से बचाए पैसे से राज्यों को कोरोना से जंग लड़ने के लिए 1,00,000 करोड़ का पैकेज दिया जाए व उद्योगों को क्षेत्र केंद्रित पैकेज दिया जाएं।

Friday, 1 May 2020

एक विचार : कोरोनोवायरस महामारी के द्वारा विकास की पोल खुल गई : संजय पाटिल

एक विचार : कोरोनोवायरस महामारी के द्वारा विकास की पोल खुल गई : संजय पाटिल


Coronavirus: How are patients treated? - BBC News

संजय पाटिल : कोई भी महामारी केवल चिकित्सकीय समस्या नहीं होती। वह सभ्यता को एक्सपोज करने वाली घटना भी होती है। आज दुनिया भर के गहरे चिंतक-विचारक कोरोना वायरस की व्याख्या इसी रूप में कर रहे हैं और बता रहे हैं कि किस तरह इसने वैश्विक उपलब्धियों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। येल यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रफेसर एमेरिटस और पिछले साल प्रकाशित किताब ‘एपिडेमिक्स एंड सोसाइटी : फ्रॉम दि ब्लैक डेथ टु दि प्रेजेंट’ के लेखक फ्रैंक स्नोडेन मानते हैं कि हरेक महामारी अपने आप में विशिष्ट होती है और यह समाज के बारे में बहुत कुछ बता जाती है।


कोविड-19 को भूमंडलीकृत विश्व की पहली महामारी बताने वाले स्नोडेन ने पिछले दिनों एक समाचारपत्र को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें अपनी किताब के लिए शोध करने के दौरान ही कोई महामारी फैलने का आभास हो गया था, लेकिन यह इतनी जल्दी फैलेगी, यह नहीं सोचा था। उनका कहना है कि जिस तरह की दुनिया हमने बना रखी है उसमें रोगाणुओं का विस्फोट कभी भी हो सकता था।

19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति ने मुंह और मलद्वार से होने वाले संक्रमण के हालात पैदा किए, जिस कारण हैजा और टायफायड जैसी बीमारियां फैलीं। लेकिन मौजूदा सदी में बढ़ती जनसंख्या, फैलते महानगरों और पर्यावरण की कीमत पर हो रहे लोलुपतापूर्ण विकास ने कोरोना के लिए जमीन तैयार की है। जैव विविधता और वन्य जीवों के आवास नष्ट करके हम उनकी बीमारियों के भंडार तक पहुंच गए। उनके दायरे में इंसानी घुसपैठ ने ही हाल के दिनों में सार्स, एवियन फ्लू, इबोला और मर्स जैसी बीमारियां पैदा की हैं।


आज चौबीसों घंटे हवाई सेवा जारी रहती है। नतीजतन जो बीमारी सुबह जकार्ता में होती है वह शाम तक लॉस एंजिलिस पहुंच जाती है। क्या यह महामारी अधिनायकवाद की ओर ले जाएगी, इसके जवाब में वह कहते हैं कि महामारी कई बार अधिनायकवाद लाती है तो कई बार इसका उलटा भी होता है। जैसे हैती में येलो फीवर के बाद स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हो गया। नोबेल विजेता, तुर्की के प्रसिद्ध उपन्यासकार ओरहान पामुक का कहना है कि महामारियों में अद्भुत समानता रही है। चाहे वह कॉलरा हो या प्लेग या कोरोना वायरस, सबमें बीमारी के लिए जिम्मेदार सूक्ष्मजीवी कमोबेश एक जैसे थे, और सरकारों की शुरुआती प्रतिक्रियाएं भी।


स्थानीय और राष्ट्रीय सरकारों ने शुरू में इनकी मौजूदगी से ही इनकार किया, फिर इसका ठीकरा अपने मनचाहे शत्रु पर फोड़ने का प्रयास किया। अमेरिकी विचारक नोम चॉम्स्की कोरोना को गंभीर समस्या मानते हैं, पर उनका कहना है कि जैसा राजनीतिक नेतृत्व अभी दुनिया को हासिल है, उसे देखते हुए एटमी युद्ध, ग्लोबल वार्मिंग और जर्जर लोकतंत्र का खतरा भी वास्तविक है। इतिहासकार और दार्शनिक युवाल नोआ हरारी के अनुसार कोरोना एक बड़ी महामारी जरूर है लेकिन इससे लड़ा जा सकता है। इसके लिए दुनिया को साथ आना होगा, पर राजनेताओं को आरोप-प्रत्यारोप से ही फुर्सत नहीं है।
धक्कादायक: ३५० किलोमीटर पायपिटीनंतर मजुराने घेतला गळफास : संजय पाटील

धक्कादायक: ३५० किलोमीटर पायपिटीनंतर मजुराने घेतला गळफास : संजय पाटील

Farmers Hanging In Lalitpur Hindi News - सूखे ...

लॉकडाऊनमुळे मजुरांची अभूतपूर्व अशी कुचंबणा झाली असून घराच्या ओढीने हैदराबादमधून गोंदियाच्या दिशेने पायी निघालेल्या एका मजुराची शोकांतिका समोर आली आहे. तब्बल ३५० किलोमीटर पायी चालल्यानंतर या मजुराने आपली जीवनयात्रा संपवल्याने सारेच हळहळले आहेत.


संजय पाटील : वर्धा : करोनाचा प्रादुर्भाव रोखण्यासाठी जाहीर करण्यात आलेल्या लॉकडाऊननंतर सर्वाधिक भरडला गेला तो मजूर. मजुरांच्या हातचा रोजगार गेला आणि त्यांच्यासाठी सारेच रस्ते लॉक झाले. कोसोदूर असलेल्या गावच्या मार्गावर अडचणींचे पहाड उभे राहिले. त्यातून अनेक मजुरांनी घरच्या ओढीने पायपीट सुरू केली. ही पायपीट अनकांच्या जीवावर बेतली. यात गोंदियातील मजुराचेही नाव जोडले गेले आहे. हैदराबाद येथून पायी निघालेल्या गोंदिया येथील बांधकाम मजुराच्या वाट्याला या प्रवासाने आत्महत्या दिली. हैदराबाद ते गिरड असा ३५० किलोमीटरचा प्रवास करून देखील हताश आणि निराश झालेल्या या मजुराची पायपीट गळफासाने संपली. हे सारेच मन सून्न करून टाकणारे आहे.
गोंदिया येथील अमरसिंह मडावी (४० वर्षे) या मजुराच्या बाबतीत ही शोकांतिका घडली आहे.

हैदराबाद येथे बांधकामाच्या साइटवर काम करणाऱ्या अमरसिंहला अचानक काम थांबल्यामुळे काही सुचेनासे झाले. पुढे काम सुरू होईल या प्रतीक्षेत त्याचे चार दिवस निघाले. पण, काम सुरू होण्याची शक्यता धुसर झाल्याने चार दिवसांनंतर त्याने घरी परतण्याचा निर्णय घेतला. जायला कुठलीही गाडी नाही किंवा दुसरं साधन नव्हतं. त्यामुळे त्याच्यासोबत असलेल्या मजुराने आणि त्याने पायी जाण्याचे ठरविले. दोघांचा पायी प्रवास सुरू झाला. वाट तुडवत दोघांनी साडेतीनशे किलोमीटर चालत वर्ध्यातील गिरड गाठले. गिरडच्या आधी वाटेत एका ट्रकचा आधार दोघांना मिळाला. ट्रकमध्ये आणखीही मजूर होते. दरम्यान, नाश्त्यासाठी ट्रक वाटेत थांबला. यावेळी लघुशंकेसाठी अमरसिंह गेला असता ट्रक त्याला तिथेच सोडून मार्गस्थ झाला. जागा अनोळखी असल्याने व एकटाच असल्याने अमरसिंह हताश झाला. त्यातून त्याने तिथे जवळ असलेल्या शेतात कडुलिंबाच्या झाडाला गळफास घेऊन आत्महत्या घेतल्याचे पोलिसांच्या प्राथमिक तपासात समोर आले आहे.


अशी पटली ओळख...


नागपूर-वर्धा सीमेवर गिरड परिसरात अजय झाडे या शेतकऱ्याच्या शेतात एका मजुराने गळफास घेऊन आत्महत्या केल्याची माहिती पोलिसांना देण्यात आली. शेतात कडुलिंबाच्या झाडाला लटकलेला मृतदेह गिरड पोलिसांनी ताब्यात घेतला. शवविच्छेदनासाठी मृतदेह पाठविण्यात आला. त्यानंतर या मृतदेहाची ओळख पटविण्याचे पोलिसांसमोर मोठे आव्हान होते. मात्र, मृतदेहाजवळ आढळलेल्या मोबाइलने काम सोपे केले. पोलिसांनी मोबाइल चार्ज करून त्याच्या कुटुंबाचे संपर्क क्रमांक मिळविले आणि त्याचा पत्ता शोधून काढला. त्यात हा इसम गोंदिया जिल्ह्यातील देवरी तालुक्यातील चिल्लारी येथील असल्याचे व त्याचे नाव अमरसिंह मडावी असल्याचे स्पष्ट झाले. दीड महिन्यापूर्वी हैदराबाद येथे बांधकामाच्या कामासाठी तो गेला होता. मात्र, लॉकडाऊनमुळे त्याच्या हातचे काम गेले आणि जीवही गेला. उपासमार, बेकारी, निराशा यामुळे त्याने आत्महत्या केली असावी, असा पोलिसांचा प्राथमिक अंदाज आहे. त्याला गिरडचे ठाणेदार महेंद्र सूर्यवंशी यांनीही दुजोरा दिला आहे.


आमदार वसतिगृह कॅम्पस कचरा घर : संजय पाटील

आमदार वसतिगृह कॅम्पस कचरा घर : संजय पाटील


पीडब्ल्यूडी अधिकारी जनार्दन भानुसे, कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडी, डिवीजन नंबर 1, नागपुर,

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आमदार निवासातील जेवणात अळ्या

संजय पाटील :नागपूर :11 May: करोना संक्रमणाच्या भीतीमुळे आमदार निवासात विलगीकरणासाठी ठेवण्यात आलेल्या नागरिकांना निकृष्ट दर्जाचे जेवण दिले जात असल्याचा प्रकार रविवारी पुढे आला. याविरोधात नागरिक संतप्त झाले. त्यांनी जेवणास नकार दिला. जेवणात अळ्या असल्याचेही पुढे आले. प्रारंभी येथे दर्जेदार जेवण दिल्या जात असल्याबद्दल कंत्राटदाराला शाबासकी दिली गेली. आता अत्यंत निकृष्ट जेवण दिल्या जात असल्याने संतापात भर पडली आहे. प्रशासनाने या घडामोडीनंतर कंत्राटदार बदलला. आता चांगले जेवण मिळेल, अशी ग्वाही दिली. दरम्यान, महापौर संदीप जोशी यांच्याकडे यासंदर्भात तक्रार गेल्यानंतर त्यांनी आयुक्तांना चौकशीचे निर्देश दिले.

आमदार निवास शहरातील करोनाबाबतचे पहिले विलगीकरण केंद्र आहे. येथील सर्व विंग प्रशासनाने ताब्यात घेतल्या. या ठिकाणी शहरातील प्रभाग क्र. ३५ येथील नागरिकही विलगीकरणात आहेत. या नागरिकांना रविवारी देण्यात आलेल्या जेवणात हा प्रकार घडला. जेवणाच्या थाळीत कच्चा भात, कच्ची पोळी आणि भातामध्ये अळया असल्याचे अनेकांना दिसले. त्यामुळे नागरिकांनी जेवणच केले नाही. प्रशासन व पोलिसांकडे तक्रार केली. त्यानंतर जेवण निवासातील एका मोठ्या टेबलवर आणून ठेवून दिले. तसेच काही नागरिकांनी थेट महापौरांकडे याबाबत तक्रार केली. या निकृष्ट जेवणाची छायाचित्रे आयुक्त तुकाराम मुंढे यांनाही पाठविण्यात आली. महापौरांनी याप्रकाराबद्दल तीव्र नाराजी व्यक्त केली आहे. 'अत्यंत दर्जेदार नाही. परंतु, किमान समाधानकारक जेवण मिळावे', अशी भावना त्यांनी व्यक्त केली आहे. यासंदर्भात जिल्हा प्रशासनाचे नोडल अधिकारी तसेच उपजिल्हाधिकारी उमेश घाडगे यांनी या तक्रारीला दुजोरा दिला.

 संजय पाटील : नागपूर : एमएलए हॉस्टल में लगभग 210 कमरों को जिला प्रशासन द्वारा संगरोध (corontine poeple)  सुविधाओं के लिए अधिग्रहित किया  है और औसतन 300 से 400 लोगों को विभिन्न हिस्सों से रखा जाता है, पीडब्ल्यूडी अधिकारी जनार्दन भानुसे, कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडी, डिवीजन नंबर 1, नागपुर,  ने कहा

MLA हॉस्टल का CAMPUS बाहरी क्षेत्र में मलबे क कूड़ा पड़ा है, ऐसा लगता है कि लोक निर्माण विभाग (PWD), नागपुर डिवीजन के अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं गया हो। राजस्व अधिकारियों ने श्रृंखला को तोड़ने और सामुदायिक प्रसारण को रोकने के लिए COVID-19 रोगियों के निकट संपर्क स्थापित करने के लिए सिविल लाइंस में MLA हॉस्टल के दो इमारत पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, सामान्य हाउसकीपिंग पहलू इमारत के अंदर की सफाई के लिए सीमित है, ऐसा लगता है कि बाहरी हिस्से परिसर में बहुत कम ध्यान दिया गया है, जहां कोई व्यक्ति द्वारा देखा गया विभिन्न कोनों में कूड़ा , मलबे बहुत ज्यादा मात्रा द्वारा देखा जा सकता है।

सामान्य रूप से किसी भी स्वास्थ्य सुविधा की एक बुनियादी आवश्यकता यह है कि यह पूरे क्षेत्र में साफ होना चाहिए या कम से कम वहाँ सफाई के लिए  काम जरूर होना चाहिए। यह विचार किटाणुओं के प्रजनन से बचना है क्योंकि यह लोगों को अलग-थलग रखने के लिए बहुत ही उद्देश्य को पराजित कर सकता है। इसके अलावा, विशेष रूप से सफाई की कमी से बैक्टीरिया का अंकुरण भी हो सकता है जो संगरोध (corontine poeple)  के लिए परेशानी का कारण बन सकता है जो पहले से  संगरोध (corontine poeple)  में हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों ने एमएलए हॉस्टल  को विषमता में दर्ज किया है, लेकिन उनमें से कुछ ने कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है। इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि यह अत्यंत आवश्यक है कि पूरे परिसर की साफ-सफाई के लिए अधिकारियों का ध्यान केवल कमरों तक सीमित न हो और इमारतों के अंदर आम सुविधा हो।

COVID-19 पॉजिटिव के घनिष्ठ संपर्कों को पहचानते हुए प्रशासन का मूल उद्देश्य यह है कि  संगरोध (corontine poeple)  को किसी भी अन्य सह-रुग्णता को अनुबंधित नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अलगाव के अतिउद्देश्य को समझ सकता है। हालाँकि, एक आसपास के निर्माण स्थल पर परिसर में, 2 डी 3 एएमएलए हॉस्टल, कोई भी देख सकता है कि झाड़ियों और सूखी पत्तियों को लंबे समय तक साफ नहीं किया गया है। भवन के भूतल पर आगे नंबर 2 पर कुछ बचे हुए या इस्तेमाल किए गए कागज़ के कप और अन्य सामग्री बुधवार शाम कमरे के विशेष स्थान के बाहर बिखरी पड़ी थी। इसी तरह, बहुत सी निर्माण सामग्री भी इमारत के पीछे कई स्थानों पर पड़ी हुई है। पार्किंग क्षेत्र से मलबे के ढेर को साफ नहीं किया गया है और वही भवन नंबर 1 में कमरों के चल रहे नवीनीकरण का है।

पीडब्ल्यूडी अधिकारी ने कहा कि एमएलए हॉस्टल में लगभग 210 कमरे जिला प्रशासन द्वारा संगरोध  संगरोध (corontine poeple) सुविधाओं के लिए अधिग्रहित किए गए हैं और औसतन 300 से 400 लोगों को विभिन्न हिस्सों से रखा जाता है।

 जनार्दन भानुसे, कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडी, डिवीजन नंबर 1, नागपुर, प्रेस / मीडिया से बात करते समय कमरे में और इमारत के अंदर स्वच्छता और सफाई के मामलों में प्रोटोकॉल का पालन लिया जाता है। लेकिन जब यह बताया गया कि परिसर में मलबे और झाड़ियों को देखा गया था, तो भानुसे ने स्वीकार किया कि कूड़ा कुछ लोगों ने किया, हमारे नोटिस बोर्ड को देख सकता है .  लेकिन कूड़ा हटाने का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने बिखरे हुए मलबे के पहलुओं पर गौर करने का भी वादा किया और यह भी सुनिश्चित किया कि कैंपस को पूरी तरह से साफ किया जाए और सभी झाड़ियों को उखाड़ दिया जाए और सभी कोनों को अच्छी तरह से साफ किया जाए।

हम देखते हैं कि इस मामले में भ्रष्टाचार है. अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और वे अपने ठेकेदार की मदद से इस भ्रष्टाचार को चलाते हैं, लोग इसकी जांच करना चाहते हैं, क्योंकि यह कोरटाइन लोगों के जीवन का सवाल है, लोगों को इससे अवगत कराना चाहते हैं, इन अधिकारियों के खिलाफ सरकार क्या कार्रवाई कर रही है . यदि अधिकारी गलती करता है तो उसे दंड देना चाहिए या नहीं, यह सवाल नागपुर के लोगों ने पूछा है. एमएलए ,  मंत्री, और स्वास्थ्य विभाग अब क्या सो रहे हैं  ? विधायक मंत्री, नागपुर के कलेक्टर, नागपुर के डिवीजनल कमिश्नर और स्वास्थ्य विभाग क्या सो रहे हैं ? अधिकारी और ठेकेदार सफाई और रखरखाव के नाम पर धन का व्यय कर सकते हैं ? वे इसके लिए बिल डालते हैं, और उन्हें धन के रूप में भी बिल प्राप्त हुआ है, यह अधिकारी और ठेकेदार की   जेब में जाता है , क्या आप जानते हैं ? एमएलए होस्टल का पूरा प्रभार उप-अभियंता ललित मुंदडा पर है, इस गैरव्यवहार  के लिए जबाबदारी ले सकते हैं ?

यदि पीडब्ल्यूडी के लिए एक जांच समिति का गठन किया गया , तो हमें पता चलेगा कि पिछले तीन वर्षों में एमएलए हॉस्टल, रवि भवन और इस पीडब्ल्यूडी के अन्य विभागों के रखरखाव और मरम्मत के लिए कितना पैसा दिया गया था और वास्तव में कितना काम किया गया है ?


आगे जारी रखने के लिए ...........

Thursday, 30 April 2020

निवडणूक आयोगाची विधान परिषद निवडणुकीला परवानगी: केंद्रीय निवडणूक आयोग निर्णय : संजय पाटील

निवडणूक आयोगाची विधान परिषद निवडणुकीला परवानगी: केंद्रीय निवडणूक आयोग निर्णय : संजय पाटील

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संजय पाटील : मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांच्या आमदारकीवरून महाराष्ट्रात निर्माण झालेला पेच आता संपुष्टात येत असून राज्यात विधान परिषद निवडणूक घेण्यास केंद्रीय निवडणूक आयोगाने परवानगी दिली आहे. ही परवानगी देताना आयोगाने करोनाबाबत काळजी घेण्याच्या महत्त्वपूर्ण सूचना केल्या आहेत.

नवी दिल्ली: महाराष्ट्रात विधान परिषद निवडणूक घेण्यास केंद्रीय निवडणूक आयोगाने परवानगी दिली आहे. ही परवानगी देताना आयोगाने करोनाबाबत काळजी घेण्याच्या महत्त्वपूर्ण सूचना केल्या आहेत. या निर्णयामुळे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांच्या आमदारकीसंदर्भातला राजकीय पेच आता संपुष्टात येणार आहे.


केंद्रीय निवडणूक आयोगाच्या या निर्णयानुसार आता २० ते २२ मेपूर्वी या निवडणूका पार पडतील असे म्हटले जात आहे. मात्र, ही निवडणूक घेत असताना सोशल डिस्टन्सिंग आणि कोरनाबाबतच्या इतर सगळी काळजी घेणे बंधनकारक असणार आहे.



काँग्रेस, राष्ट्रवादी आणि शिवसेना या महाविकास आघाडीच्या पक्षांनी विधान परिषदेच्या रिक्त असलेल्या ९ जागांसाठी निवडणुका घेण्याबाबत आयोगाला विनंती करणारे पत्र पाठवले होते.धाडले. मुख्य सचिव अजोय मेहता यांनीही तशी विनंती केली, तर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी या निवडणुका घेण्याबाबतची विनंती राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी यांच्याकडे एका पत्राद्वारे केली. शिवसेनेचे गटनेते आणि मंत्री एकनाथ शिंदे तसेच शिवसेना सचिव मिलिंद नार्वेकर यांनी ही पत्रे राज्यपालांपर्यंत पोहोचवली. राज्यपाल कोश्यारी यांनीही निवडणूक आयोगाला या विधानपरिषद निवडणूक घेणे किती आवश्यक आहे हे सांगितले होते. त्यानंतर आज सकाळी दिल्लीत केंद्रीय निवडणूक आयोगाची बैठक पार पडली. या बैठकीत निवडणुकीला परवानगी देण्याचा निर्णय घेण्यात आला.

राज्यपालांचं ठरेना; उद्धव ठाकरे यांचा पंतप्रधान मोदींना फोन?

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांची राज्यपालांच्या कोट्यातून विधान परिषदेवर नियुक्ती होणार की नाही, याबाबत सस्पेन्स कायम असतानाच मुख्यमंत्र्यांनी मंगळवारी रात्री पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्याशी फोनवरून चर्चा केल्याचे वृत्त आहे. याबाबत अधिकृत दुजोरा मात्र अद्याप मिळू शकलेला नाही.


मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी २८ नोव्हेंबर २०१९ रोजी मुख्यमंत्रिपदाची शपथ घेतली होती. उद्धव ठाकरे विधिमंडळाच्या दोनपैकी एकाही सभागृहाचे सदस्य नसल्याने सहा महिन्यांच्या कालावधीत कोणत्याही एका सभागृहाचे सदस्य होणे बंधनकारक आहे. त्यानुसार येत्या २८ मेच्या आधी उद्धव ठाकरे यांना विधिमंडळाचे सदस्य व्हावे लागणार आहे. या स्थितीत राज्यपालांच्या कोट्यातील रिक्त जागेवार उद्धव ठाकरे यांची नियुक्ती व्हावी म्हणून राज्यातील महाविकास आघाडी सरकार प्रयत्नशील आहे.



उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांच्या अध्यक्षतेखाली ९ एप्रिल रोजी झालेल्या मंत्रिमंडळ बैठकीत महाराष्ट्र विधान परिषदेच्या एका रिक्त जागेवर उद्धव ठाकरे यांची नियुक्ती करण्याची शिफारस करण्याचा निर्णय घेण्यात आला व तशी शिफारस राज्यपालांकडे करण्यात आली. मात्र, त्यावर राज्यपालांनी कोणताच निर्णय न घेतल्याने राज्यपालांना काल पुन्हा एकदा विनंती करण्यात आली. मंत्रिमंडळाच्या शिफारशीवर राज्यपालांनी तातडीने कार्यवाही करावी अशी विनंती घेऊन आघाडीच्या नेत्यांनी राज्यपालांची भेट घेतली. दुसरीकडे काल रात्रीच उद्धव ठाकरे यांनी याबाबत पंतप्रधान मोदींशी चर्चा केल्याचे कळते.




उद्धव ठाकरे यांनी राज्यातील सद्यस्थिती पंतप्रधानांच्या कानावर घातली. सध्या राज्य करोनाशी लढा देत आहे. अशावेळी राज्यात राजकीय अस्थिरता निर्माण होणे योग्य नाही. त्यातून चुकीचा संदेश जाऊ शकतो. हे टाळायला हवे, असे उद्धव यांनी पंतप्रधानांना सांगितल्याचे कळते. याप्रश्नी आपण लवकरात लवकर लक्ष घालेन, अशा शब्दांत पंतप्रधानांनी मुख्यमंत्र्यांना आश्वस्त केल्याचेही सूत्रांचे म्हणणे आहे.


महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की कुर्सी का 'खेल', जानें MLC की क्या होती हैं शक्तियां


जिस प्रकार संसद को चलाने के लिए दो सदन होते हैं। ठीक उसी प्रकार कुछ राज्यों में भी दो सदन होते हैं:- विधानसभा और विधान परिषद (Legislative Council)। विधान परिषद को उच्च सदन कहा जाता है और विधानसभा को निचला सदन। महाराष्ट्र में इसी उच्च सदन की एक सीट अब यह तय करने वाली है कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सीएम बने रहेंगे या नहीं। दरअसल, उद्धव ठाकरे सीएम हैं लेकिन किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। सीएम बनने के छह महीने के अंदर उन्हें निर्वाचित होना है लेकिन कोरोना के कारण कोई चुनाव नहीं बचा है। ऐसे में अब उद्धव ठाकरे तभी सीएम रह सकते हैं, जब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उन्हें विधान परिषद के लिए मनोनीत कर दें।
द्धव ठाकरे जनवरी में हुए विधान परिषद चुनावों में नहीं उतरे। उन्हें उम्मीद थी कि अप्रैल में होने वाले चुनाव में वह निर्वाचित हो जाएंगे। कोरोना के कारण विधान परिषद के चुनाव टल गए। ऐसे में अब उनके पास राज्यपाल का मनोनयन ही बचा है। कैबिनेट के प्रस्ताव के बावजूद अभी तक राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को मनोनीत नहीं किया है, ऐसे में गठबंधन सरकार की सांसें अटकी हुई हैं। उद्धव ठाकरे इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात कर चुके हैं। शुक्रवार को वह राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी मिलने पहुंचे।
अकसर मंत्री और मुख्यमंत्री बनाने के काम आता है विधान परिषद

संविधान राज्यों को अधिकार देता है कि वे चाहें तो अपने राज्य में विधान परिषद बना सकते हैं। इसी राज्य के तहत कई राज्यों ने विधान परिषद का गठन किया है। कभी भंग ना होने वाली इस सभा के सदस्य छह साल तक अपने पद पर रहते हैं। अकसर बिना चुनाव लडे़ मंत्री या मुख्यमंत्री इसी सदन के सहारे अपनी कुर्सी बचाते हैं। संविधान का नियम है कि मंत्री या मुख्यमंत्री की शपथ लेने के छह महीने के अंदर आपको किसी भी एक सदन का सदस्य बनना होता है।



विधानपरिषद और विधानसभा कुछ मामलों में बराबरी का हक रखते हैं। कुछ मामलों में विधानसभा के पास ज्यादा अधिकार हैं। सदस्यों की बात करें तो विधानसभा की तरह ही विधान परिषद का सदस्य भी मंत्री और मुख्यमंत्री बन सकता है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधान परिषद के ही सदस्य हैं।
विधान परिषद के सदस्य की शक्तियां

विधानसभा और परिषद दोनों के ही सदस्यों को समान शक्तियां मिलती हैं।
1- सदन के सत्र के दौरान, सदन का सत्र शुरू होने के 40 दिन पहले या 40 दिन बाद तक सिविल मामलों में विधान सभा या परिषद के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
2- सदन में कही गई बात के लिए कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं है। सदन में दिए गए वोट के संबंध में भी सदस्यों को किसी को जवाब नहीं देना होता है।
3- सदन के सत्र के दौरान किसी भी केस के संबंध में सदन का सदस्य कोर्ट में उपस्थित होने या कोई सबूत देने से इनकार कर सकता है।

विधान परिषद के कार्य
1-साधारण विधेयक विधानसभा या विधान परिषद में पेश किया जा सकता है लेकिन असहमति की स्थिति में विधानसभा प्रभावी है।
2. वित्त विधेयक को विधान परिषद में पेश नहीं किया जा सकता है। ना ही वह इसे नामजूर कर सकती है। विधेयक रोक लेने की स्थिति में 14 दिन में उसे अपने आप पारित मान लिया जाता है।
3. राज्यसभा चुनाव में भी विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं दे सकते हैं।
4. विधान परिषद के माध्यम से उन लोगों को सदन का सदस्य बनाया जा सकता है, जो किसी कारणवश प्रत्यक्ष चुनाव ना जीत सके हों।
5- उच्च सदन होने के नाते विधान परिषद के सदस्य सत्तापक्ष की निरंकुशता पर अंकुश लगाने का काम करते हैं।
6. जन-कल्याण की योजनाओं और तमाम कानूनों पर बौद्धिक चर्चा के लिए इस सदन के योग्य सदस्य अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं।




स्थायी सदन होता है विधान परिषद
विधान परिषद विधानमंडल का स्थायी सदन होता है। इसका मतलब है कि इसे भंग नहीं किया जा सकता है। इसके सदस्य दो वर्षों के रोटेशन के हिसाब से निर्वाचित और रिटायर होते रहते हैं। सदन के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है। फिलहाल छह राज्यों में विधान परिषद है। हालांकि, आंध्र प्रदेश में विधान परिषद समाप्त करने के लिए प्रस्ताव पास किया गया है। इस पर संसद की मुहर लगने के बाद राज्य का विधान परिषद समाप्त कर दिया जाएगा।



महाराष्ट्र में विधान परिषद के लिए कुल सदस्यों की संख्या 78 है। इसमें से 30 सदस्यों को विधानसभा के सदस्य के चुनते हैं। 22 सदस्यों को स्थानीय निकायों की ओर से चुना जाता है। सात सदस्यों को प्रदेश के स्नातक चुनते हैं। सात सदस्यों को प्रदेश के शिक्षक चुनते हैं। बाकी बचे 12 सदस्यों को राज्यपाल शिक्षा, विज्ञान, कला और सामाजिक क्षेत्र में योगदान के आधार पर चुनते हैं।


"शराब से ठीक हो जाएगा गले का कोरोना", कांग्रेस विधायक भरत सिंह : संजय पाटील

"शराब से ठीक हो जाएगा गले का कोरोना", कांग्रेस विधायक भरत सिंह : संजय पाटील

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संजय पाटील : जयपुर : NBT: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) जारी है। इस बीच राजस्थान के सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने प्रदेश में शराब की दुकानें खोलने की अपील सूबे के सीएम अशोक गहलोत से की है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। कांग्रेस विधायक ने कहा कि जब कोरोना वायरस हाथों को अल्कोहल से धोने पर साफ हो सकता है तो इसे पीने से गले का वायरस भी जरूर साफ हो जाएगा।

सांगोद विधायक ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र

कोटा के सांगोद से विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र में अवैध शराब का मुद्दा भी उठाया है। उन्होंने लिखा है कि कोरोना लॉकडाउन के कारण शराब की दुकानें बंद हैं। आर्थिक घाटे से राज्य सरकार की कमर टूट रही है, वहीं शराब नहीं मिलने से इसका अवैध धंधा पनप रहा है। प्रदेश में लॉकडाउन के चलते सभी जिलों में अपराध पर काफी कमी आई, लेकिन अवैध शराब का धंधा काफी बढ़ा है।

अवैध शराब का उठाया मुद्दा

कांग्रेस विधायक ने कहा कि, अवैध शराब का धंधा करने वालों के लिए यह स्व-रोजगार योजना है और पैसा कमाने का सुनहरा अवसर भी है। हालांकि, इससे सरकार के राजस्व पर असर पड़ रहा है, वहीं अवैध शराब पीने वालों के स्वास्थ्य को भी खतरा है। उन्होंने भरतपुर में अवैध शराब से दो लोगों की मौत का जिक्र भी किया। साथ ही सरकार की ओर से बढ़ाई गई एक्साईज ड्यूटी की बात करते हुए कहा कि अच्छा तो यही होता कि सरकार शराब की दुकानें खोल दे। इस फैसले से पीने वालों को शराब मिलेगी और सरकार को राजस्व मिलेगा।

'अल्कोहल से गले में आया वायरस साफ होगा'

कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने पत्र में लिखा है, 'जब अल्कोहल से हाथों को धोने से कोरोना वायरस साफ हो सकता है, तो शराब पीने से निश्चित रूप से गले का वायरस साफ हो जाएगा। अवैध शराब पीकर जान गंवाने से तो ये कहीं अच्छा है।' दरअसल, भरतपुर के घटना वैर थाना इलाके में 27 अप्रैल को दो युवक चंद्रशेखर और विश्वेन्द्र सिंह की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई | लॉकडाउन के दौरान सरकार ने शराब की बिक्री को रोक रखा है। इस बीच गांव में अवैध शराब के सेवन से दो युवकों की मौत हो गई। जिसका जिक्र भी विधायक ने अपने पत्र में किया है।

लॉकडाउन में देशी शराब पीना पड़ा महंगा, दो लोगों ने जान गंवाई

भरतपुर : कोरोना वायरस (coronavirus) के संक्रमण को रोकने के मद्देनजर पूरा राजस्थान लॉकडाउन (lockdown in rajasthan) है। लॉकडाउन के कारण प्रदेश में सभी सरकारी ठेके बंद है। जिसके चलते अब प्रदेश में चोरी-छिपे अवैध शराब का कारोबार तेजी से फैल रहा है। देशी शराब पीने से लोगों की जान भी जा रही है। ऐसा ही एक मामला भरतपुर जिले के एक गांव से सामने आया है। यहां अवैध रूप से घरों में बनाई जा रही देशी शराब पीने से दो लोगोंं की मौत हो गई है। गांव वाले शराब को जहरीली बता रहे हैं।


जानकारी के अनुसार, घटना वैर थाना इलाके के गांव खरबेरा की है। यहां बीते 27 अप्रैल को गांव के दो युवक चंद्रशेखर व विश्वेन्द्र सिंह की जहरीली शराब पीने से मौत हो गयी | लॉक डाउन के दौरान जब सरकार ने शराब के ठेके बंद कर शराब की बिक्री को रोक रखा है। तब भी गांव में अवैध शराब बनाकर बिक्री की जा रही है। बताया जा रहा है कि उसके सेवन से दो युवकों की मौत हो गयी। जानकारी के मुताबिक, दोनों युवकों ने गांव के ही एक व्यक्ति से देशी शराब खरीदकर पी थी। जिसके बाद पेट में तेज जलन व दर्द होने से चंद्रशेखर को अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गयी।

वहीं, दूसरे दिन विश्वेन्द्र सिंह की तबीयत भी बिगड़ने लगी। आनन-फानन में उसके परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे । कुछ देर बाद उसकी भी मौत हो गई। मृतक के परिजन ने बताया की दोनों ने गांव के एक व्यक्ति से देशी शराब खरीदकर पी थी। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।


कर्नाटक सरकार ४ मेपासून मॉल्स, दारुची दुकाने सुरू करण्याच्या तयारीत

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बेंगळुरू: केद्र सरकार ३ मे नंतरही लॉकडाउन वाढवणार किंवा कसे याची वाट न बघता कर्नाटक सरकारने ४ मे पासून राज्यात सर्व व्यावसायिक आणि औद्योगिक कामे सुरू करण्याचे स्पष्ट संकेत दिले आहे. यात दुकानांसह मॉल्सही सुरू करण्याचा निर्णय कर्नाटक सरकारने घेतला आहे. मात्र, हा निर्णय कंटेनमेंट झोनसाठी लागू असणार नाही.


या निर्णयाद्वारे राज्यातील दारूची दुकाने, शॉपिंग मॉल्स उघडली जाणार आहेत. मात्र, भागाभागात जिथे कंटेनमेंट झोन जाहीर झालेले असतील, अशाच ठिकाणी लॉकडाउनचे नियम लागू करण्यात येणार आहेत. मात्र, ३ मे या दिवशी केंद्र सरकार काय गाइडलाइन्स जाहीर करणार हे पाहूनच आपल्या निर्णयाची अंमलबजावणी करायची की नाही हे कर्नाटक सरकार ठरवणार आहे.
या आठवड्याच्या सुरू होताच कर्नाटक सरकारने ग्रीन आणि ऑरेंज झोन जिल्ह्यांमध्ये आयटी सेक्टर, काही निवडक उद्योग, १५ शासकीय विभाग, शेती आणि शेतीशी संबंधित कामे आणि स्वतंत्र दुकाने सुरू केली आहेत.


येत्या २ ते ३ महिने करोनाचा संसर्ग सुरूच राहील असे वाटते, अशा परिस्थितीत एकीकडे करोनाशी सामना करत असताना दुसरीकडे रोजगार आणि व्यावसायिक क्षेत्रही सुरू करणे अत्यंत आवश्यक आहे, असे कर्नाटकचे मुख्यमंत्री बी. एस. येडियुरप्पा यांनी मंत्रिमंडळाच्या बैठकीनंतर म्हटले आहे. ४ मे पासून कंटेनमेंट झोन नसलेल्या भागात व्यावसायिक आणि औद्योगिक उपक्रम सुरू करण्याचा निर्णय आम्ही घेतला आहे, अशी माहितीही त्यांनी दिलीय.