Wednesday, 27 March 2019

दलित, ओबीसी वोटर तय करेंगे किसे मिलेगी नागपुर लोकसभा सीट : संजय पाटील

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संजय पाटील  द्वारा : नागपूर नागपुरलोकसभा सीट पर किसी उम्मीदवार की जीत में दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वोटर अहम भूमिका निभाते हैं। इस सीट पर जीत के लिए तैयारियों में जुटी बीजेपी और कांग्रेस भी अगले महीने होने वाले चुनावों में इन समुदायों के वोट हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही हैं। नागपुर बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शक .
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का मुख्यालय है। इस शहर में दीक्षाभूमि भी है जो नवयान बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्मारक है। भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले बाबासाहेब भीम राव आंबेडकर ने इसी जगह पर 1956 में अपने हजारों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। 

छह विधानसभा क्षेत्र हैं 
नागपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें नागपुर दक्षिण पश्चिम, नागपुर दक्षिण, नागपुर पूर्वी, नागपुर मध्य, नागपुर पश्चिम और नागपुर उत्तर शामिल हैं। नागपुर उत्तर अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के लिए आरक्षित सीट है। नागपुर में कुल 21,26,574 वोटर हैं जिनमें 10,45,934 महिलाएं हैं। इस सीट पर लोकसभा चुनावों के पहले चरण में यानी 11 अप्रैल को मतदान होगा। 

विश्लेषकों का मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का समर्थन कर चुके दलित, खासकर नवबौद्ध, इस बार किसी अन्य विकल्प पर विचार कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर से मौजूदा सांसद हैं। कांग्रेस ने पूर्व बीजेपी सांसद नाना पटोले को गडकरी के खिलाफ अपना उम्मीदवार बनाया है। 

दलित बौद्धों का अच्छा-खासा प्रभाव है 
नागपुर लोकसभा क्षेत्र के कई हिस्सों में दलित बौद्धों का अच्छा-खासा प्रभाव है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट का कहना है, 'इस बार दलितों में बीजेपी विरोधी रुझान लग रहा है। हालांकि, यह वोट कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन, प्रकाश आंबेडकर के वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) और मायावती की बीएसपी के बीच बंट जाएंगे।' 

थोराट के मुताबिक, 'इन वोटों को बंटने से बचाने का एकमात्र उपाय यह है कि वे एक हो जाएं।' लेकिन, नागपुर उत्तरी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक मिलिंद माने थोराट के आकलन से असहमत दिखे। उन्होंने दावा किया, 'गडकरी के पक्ष में दलित बौद्ध वोटों का प्रतिशत इस बार 27 प्रतिशत तक जाएगा, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में यह महज तीन-चार प्रतिशत था। सिर्फ विकास कार्यों के कारण ऐसा नहीं होगा, बल्कि आंबेडकरवादियों के साथ बीजेपी का संबंध भी एक बड़ा कारण होगा। बौद्धों ने बीजेपी पर विश्वास करना शुरू कर दिया है।' बीजेपी विधायक ने कहा, 'गडकरी दीक्षाभूमि को बराबर अहमियत देते हैं। दलित, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक आसानी से गडकरी से संपर्क साध सकते हैं।' 

50 फीसदी से ज्यादा वोटर ओबीसी हैं
 
एक आकलन के मुताबिक, नागपुर क्षेत्र में 50 फीसदी से ज्यादा वोटर ओबीसी हैं। इनमें मुख्यत: कुन्बी और तेली समुदायों के वोटर हैं। शेष करीब 15-20 फीसदी वोटर दलित हैं, जिनमें हिंदू और बौद्ध दोनों हैं। मुस्लिम वोट करीब 12 प्रतिशत है। कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष और विधायक नितिन राउत ने दावा किया कि दलितों में बीजेपी के खिलाफ बहुत रोष है। 


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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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