Tuesday, 19 March 2019

भारत एक खोज-Episod 2-*ये है भारत का असली इतिहासl बाकि सब झूठ हैl*

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by sanjay patil
*सम्राट अशोक ने अपने राज्य में पशु हत्या पर पाबन्दी लगा दी थी, जिसके कारन ब्राह्मणों की रोजगार योजना बंद को गई थी, उसके बाद सम्राट अशोक ने तीसरी धम्म संगती में ६०,००० ब्राह्मणों को बुद्ध धम्म से निकाल बाहर किया था, तो ब्राह्मण १४० सालों तक गरीबी रेखा के नीचे का जीवन जी रहे थे, उस वक़्त ब्राह्मण आर्थिक दुर्बल घटक बनके जी रहे थे, ब्राह्मणों का वर्चस्व और उनकी परंपरा खत्म हो गई थी, उसे वापस लाने के लिए ब्राह्मणों के पास बौद्ध धम्म के राज्य के विरोध में युद्ध करना यही एक मात्र विकल्प रह गया था, ब्राह्मणों ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लाने के लिए...*
*👇👇 अखण्ड भारत में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में अखण्ड भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक महान के पौत्र , मौर्य वंश के 10 वें न्यायप्रिय सम्राट राजा बृहद्रथ मौर्य की हत्या धोखे से उन्हीं के ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग के नेतृत्व में ईसा.पूर्व. १८५ में रक्त रंजिस साजिश के तहत प्रतिक्रांति की और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था ।*
*और इस प्रकार ब्राह्मणशाही का विजय हुआ।*
👆🏻 *उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक सभी बौद्ध विहारों को ध्वस्त करवा दिया था तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओ का खुलेआम कत्लेआम किया था। पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों व यहाँ की जनता पर बहुत अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार वर्ण (हिन्दू) धर्म कबूल करवाता था*।
👆🏻 *उत्तर-पश्चिम क्षेत्र पर यूनानी राजा मिलिंद का अधिकार था। राजा मिलिंद बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। जैसे ही राजा मिलिंद को पता चला कि पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों पर अत्याचार कर रहा है तो उसने पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया। पाटलिपुत्र की जनता ने भी पुष्यमित्र शुंग के विरुद्ध विद्रोह खड़ा कर दिया, इसके बाद पुष्यमित्र शुंग जान बचाकर भागा और उज्जैनी में जैन धर्म के अनुयायियों की शरण ली*।
*जैसे ही इस घटना के बारे में कलिंग के राजा खारवेल को पता चला तो उसने अपनी स्वतंत्रता घोषित करके पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया*। *पाटलिपुत्र से यूनानी राजा मिलिंद को उत्तर पश्चिम की ओर धकेल दिया*।
👆🏻 *इसके बाद ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग राम ने अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी साकेत को बनाया। पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया। अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी*...
👆🏻 *राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग राम ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, बौद्ध भिक्षुओं का सर (सिर) काट कर लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी। इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ। राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे । इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे। राजा को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा, बौद्ध भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था । इसके बाद बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था*।
*राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात वर्तमान में अपभ्रंश "सरयू" हो गया*।
👆🏻 *इसी "सरयू" नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने "रामायण" लिखी थी। जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और "रावण" के रूप में मौर्य सम्राटों का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था। इतना ही नहीं, रामायण, महाभारत, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में "सरयू" नदी के किनारे हुई*।
👆🏻 *बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए। तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा' कि इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे कि बीते वर्षो में यह क्या थे*
*तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रों, देवी देवताओं को भगवान बनाकर स्थापित कर दिया और पूजा के नाम पर यह दुकाने खोल दी*।
*साथियों, इसके बाद ब्राह्मणों ने मूलनिवासियो से बदला लेने के लिए षडयन्त्र पूर्वक (रंग-भेद) वर्णव्यवस्था का निर्माण किया गया, वर्णव्यवस्था के तहत, जाती व्यवस्था में ६००० जातीया बनाई, और उसमे ७२००० उप जातीया बनाई। और इसे ब्राह्मणों ने इश्वर निर्मित बताया ताकि इसे सहजता से स्वीकार कर ले। मूलनिवासियो को इतने छोटे-छोटे जातियों के टुकड़ो में बाँटा ताकि मूलनिवासी ब्राह्मणों से फिर से युद्ध न कर सके और ब्राह्मणों पर फिर से विजय प्राप्त न कर सके।*
👆🏻 *ध्यान रहे उक्त बृहद्रथ मौर्य की हत्या से पूर्व भारत में मन्दिर शब्द ही नही था, ना ही इस तरह की संस्कृती थी। वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है*।
👆🏻 *पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी " सच्ची रामायण" पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर* *412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बीच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला* ।
*जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य सही है। सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है कि "रामायण" नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातात्विक कोई आधार नही है*।
👆🏻 *अथार्त् 100% फर्जी व काल्पनिक है*।
👆🏻 *एक ऐतिहासिक सत्य जो किसी किसी को पता है...*
*जागो मुलनिवासियों, बहुजनों, अपने मुल इतिहास को जानों, पाखण्डि ब्राह्मणवादियों के बहकावे में न आयें। अन्यथा वो दिन जब हमें पानी पीने, तन में कपड़ा पहनने का, पढ़ने-लिखने, अधिकार नहीं था, एक जानवरों से भी बत्तर जिंदगी जीने पर मजबूर किया करते थे, ऐसा दिन आने में दूर नहीं। को दूसरे बाबासाहेब हमें बचाने नहीं आयेंगें।*
👆🏻 *जागरूक रहें, जागरूक करें और अधिक से अधिक अधिक शेयर करें...*
Emperor Asoka had imposed a ban on animal killing in his state, due to which the employment scheme of the Brahmins was closed, after that Ashoka had carried out 60,000 Brahmins in the third Dham Sangati from Buddha Dham, then Brahmin 140 For years, living under the poverty line, Brahmin was living as an economically weak factor, the supremacy of the Brahmins and their tradition had ended; To fight against Brahmins, the only option was to fight against the state of Buddhist Dhamma, Brahmins to bring back their lost prestige ... *
* की In Pataliputra, the capital of Magadha in Akhand Bharat, Chakravarti Samrat Chandragupta Maurya, the creator of Akhand Bharat, and grandson of Emperor Ashoka the Great, the 10th Judge of the Maurya dynasty, King Mahendrath Maurya, was deceived by deceit, under the leadership of Brahmin commander Pushyamitra Sung, .East. In 185 the blood ran under the conspiracy and declared itself king of Magadha. *
* And thus the conquest of the Brahmin rule. *
👆🏻 * When he became king, he had demolished all Buddhist monasteries from Pataliputra to Shilakot and openly slaughtered many Buddhist monks. Pushyamitra Shung used to torture Buddhists and the people here, and on the strength of strength, the character (Hindu) religion was accepted by them as Manusmrtha composed by Brahmins.

👆🏻 * Greek King Milind had the right to the north-west region. King Milind was a follower of Buddhism. As soon as Raja Milind discovered that Pushyamitra Shung was torturing the Buddhists, he attacked Pataliputra. Pataliputra's public also set up a revolt against Pushyamitra Sung, after which Pushyamitra Shung fled and saved the followers of Jain religion in Ujjaini.

* As soon as this incident happened to King Kharvel of Kalinga, he declared his independence and attacked Pataliputra *. * Pataliputra pushed the Greek King Milind to the North West *.
👆🏻 * After this Brahmin Pushyamitra Shung Ram, along with his supporters, occupied the area between Pataliputra and Shialkot and made his capital Saket. Pushyamitra Shung changed his name to Ayodhya. Ayodhya i.e.-built capital without war ... *

👆🏻 * After making the capital, Pushyamitra Shung Ram announced that any person who brings the heads of Buddhist monks (head) will be given a reward of 100 gold coins. In this way the greed of gold coins was slaughtered by Buddhist monks across the country. The heads of Buddhist monks started coming to the capital After this some drivers used to steal their brought head and take the gold mud by showing the king again. The King came to know that people are also deceiving this, so the king kept a big stone and seeing the head of the monarch, the monk, was killed by dying on that stone and spoiling his face. After this, the head of a Buddhist monk was thrown in the river Ghaghra *.
* There were so many heads of Buddhist monks in the capital Ayodhya that the name of the river with the damaged heads was named Sarvorda, which has now become "Sarai" in the present.
👆🏻 * On the banks of this "Sarayu" river, the ruler of Pushyamitra Shung, Valmiki wrote "Ramayana". Describing Maurya emperors as Poojyamitra Shung and Ram as "Ravan" in which Ram had praised his capital Ayodhya and received much more awards from the king. Not only this, the composition of many fictional Brahmin religious texts like Ramayana, Mahabharata, memories, etc. was also done by Pushyamitra Sung of Ayodhya on the banks of "Sarayu" river.

👆🏻 Due to the massacre of Buddhist monks, all Buddhist Vihars have become empty. Then the Arya Brahmins thought, 'What will happen to these Buddhist monasteries that the coming generation never know what it was in the past years *
* Then they changed all these Buddhist monasteries into the temples and established their ancestors and fictional characters, goddesses by making God and opened these shops in the name of worship.
* After this, the Brahmins followed the conspiracy to create revenge from the native inhabitants, under the system of chastity, made 6000 castes in the caste system, and created 72000 sub castes in it. And it is said that the Brahmins created God, so accept it easily. Divide the native people into pieces of small castes so that the native can not fight again with the Brahmins and could not conquer the Brahmins again. *
👆🏻 * Observe that before the killing of the great Maurya Maurya, there was no word of temple in India, nor was this kind of culture. At present, there is a tradition of breaking the coconut by killing stones at Brahmin religion. This tradition is a symbol of killing the head of a Buddhist monk of Pushyamitra Shung.

👆🏻 * Periyar Ramaswamy Nayakar also wrote "True Ramayana" book which went to Allahabad High Court Case No. * 412/1970 in the year 1970-1971 and Supreme Court between 1971-1976, Case Appeal No. 291/1971 *.
* In which Supreme Court Justice PN Bhagwati Justice VR Krishna Iyer, Justice Mutjah Fazil Ali, on Dec 16.99 976, decided that the true Ramayana is correct and all its facts are correct. The true Ramayana book proves that all the texts in the country known as "Ramayana" are all imaginary and they have no archaeological basis.
👆🏻 * i.e. 100% is fake and fictitious *.
👆🏻 * A historical truth that anyone knows ... *

* Jago Mulanivasis, Bahujanas, know your child's history, do not come in the mischief of the hypocrite Brahmins. Otherwise, on the day when we used to drink water, wear and tear, read and write, and used to force a livelier to live life, such a day would not be far away. Second Babasaheb will not save us. *

👆🏻 * Be aware, be aware and share as much as possible ... *
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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

1 comment:

  1. उठो भीम के वीर सपूतो संसद की तैयारी है !
    मंदिर में क्या रखा है , भीम मिशन की तैयारी है !
    खुद जागो और जग जगाओ , पाखण्ड से मुक्ति पाओ ,
    होकर शिक्षित मिशन चलाओ ,
    करके संगठन संघर्ष की तैयारी है !

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