Sunday, 7 April 2019

मोदी सरकार के ख़िलाफ़ 'चार्जशीट'

SHARE
मेधा पाटकर
संजय पाटील 
 दिल्ली---2014 से लेकर अब तक कम से कम 75 लोगों की मौत भूख से हुई है.-मोदी सरकार में 1.1 करोड़ नौकरियां साल 2018 में ही ख़त्म हुईहैं.-एक करोड़ 33 लाख रुपये सरकारी ख़ज़ाने से लूटे गए हैं. 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान का 56% आवंटित फ़ंड सिर्फ़ प्रचार-प्रसार में ख़र्च हुआ.2015 तक इंदिरा आवास योजना में 74% दलितों को घर मिले और 2017-18 तक ये आंकड़ा सिमटकर 0.2% रह गया है.
ये मुद्दे शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में उठाए गए.
People's Agenda यानी जन सरोकार की बात करने के लिए यहां देशभर से लोग इकट्ठा हुए थे.
सैकड़ों सामाजिक संगठनों की अपील पर आए लोगों ने कामगारों, किसानों, दलितों और महिलाओं के अधिकार के लिए आवाज़ उठाई. कार्यक्रम में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी पहुंचे.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस मंच पर पहुंची और उन्होंने 'जन सरोकार' को अपना समर्थन देने का ऐलान किया. उन्होंने इशारों ही इशारों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा.
सोनिया ने अपने भाषण में कहा कि मौजूदा सरकार अपने ही किए वादों को पूरा करने के लिए तैयार नहीं है और ऐसे क़ानून बना रही है जिससे उसके चहेते उद्योगपतियों और कारोबारियों को फ़ायदा हो.
उन्होंने कहा कि आज ऐसे लोगों को देशभक्त बताया जा रहा है जो देश की विविधता को स्वीकार नहीं करते.
सोनिया ने कहा, "हमें ऐसी सरकार चाहिए जो देश के सभी नागरिकों के प्रति उत्तरदायी हो.''
उन्होंने कहा, "ख़ास ताक़तों ने हमारे संस्थानों को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया है. वर्तमान सरकार ने पिछले 65 सालों के कल्याणकारी ढांचे को कमतर कर दिया है. जाति धर्म और विचारधारा के आधार पर अपने नागरिकों से भेदभाव को उचित ठहराया जा रहा है. हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने की संवैधानिक गारंटी को फिर से प्राप्त करने की आवश्यकता है."
सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार के शब्दों और कर्मों में बिलकुल अंतर नहीं होना चाहिए, उनकी सरकार ने यह पहले भी करके दिखाया है और अगर उनकी सरकार फिर बनती है तो फिर करके दिखाएगी.
इसके अलावा कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल और राजीव शुक्ला समेत कई और नेता भी यहां उपस्थित थे.
'जन सरोकार' के मोर्चे पर मौजूदा सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए एक 'चार्जशीट' पेश की गई जिसमें सरकार की कई विफल नीतियों और वादों की ओर ध्यान खींचा गया.
कार्यक्रम के आयोजकों में शामिल समाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर अरुणा रॉय ने बीबीसी को बताया, ''चार्जशीट में जो भी बातें कही गई हैं वो पूरी तरह तथ्यों पर आधारित हैं. आर्थिक विषमता के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है. देश के 73% धन के मालिक 10% लोग हैं. ऐसे कई सूचक हैं. आप बेरोज़गारी को ही ले लीजिए, हाल के दिनों में जितनी बेरोजगारी बढ़ी है उतनी कभी नहीं बढ़ी. इन सारी चीज़ों को मिलाकर देखें तो भारत की कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है."
अपनी बात पूरी करते हुए अरुणा रॉय कहती हैं, "इसके अलावा देश में लोकतांत्रिक मूल्यों पर अत्याचार हुआ, बोलने की आज़ादी का क्या हाल हुआ है, कितने लोगों को जेल में डाला गया है, हिंसा और नफ़रत कितनी बढ़ गई है. ये रिपोर्ट कार्ड (सरकार का) तो बहुत बुरा रिपोर्ट कार्ड है. लेकिन हम विपक्षी दलों से ये भी कहना चाहते हैं कि आप अगर सत्ता में आते हैं तो आप पर भी ऐसे ही नज़र रखी जाएगी."
कार्यक्रम में जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर भी मौजूद थीं.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "आज देश में प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार करने की साज़िश रची जा रही है. हमारा एजेंडा उन 93% मज़दूरों के लिए है जिन्हें असुरक्षित रखा गया है. हमारी कोशिश है कि सरकार न्यायपालिका के काम में दख़ल न दें. न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार का हस्तक्षेप जनतंत्र को ख़त्म कर रहा है और इसके ज़रिए सरकार तमाम क़ानून बदलने में लगी हुई है. ऐसी स्थिति में हम लोग एकजुट होकर सरकार से देश को बचाने का एजेंडा मांग रहे हैं.''
SHARE

Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

0 comments: