Thursday, 2 April 2020

कोरोना से निपटने को भारत में 49 दिनों का लॉकडाउन जरूरी: रिसर्च : कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के रिसर्चर्स सैद्धांतिक भौतिकी विभाग श्री राजेश सिंह : संजय पाटील

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कोरोना लॉकडाउन से कुछ यूं थम गई जिंदगी..

संजय पाटील : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि यदि लॉकडाउन (बंद) का पालन नहीं किया जाता है तो देश कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में नाकाम हो जाएगा। उन्होंने बंद के कारण अपने गृहराज्यों की ओर पलायन कर रहे प्रवासी श्रमिकों को भरोसा दिलाया कि सरकार ने उनके भोजन एवं ठहरने का प्रबंध किया है। मुख्यमंत्री ने यहां एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 21 दिवसीय राष्ट्रव्यापी बंद को सफल बनाने का मंत्र है कि ‘‘आप जहां हैं, वहीं रहें’’, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस को रोकने के लिए लागू किए गए बंद के कारण बड़ी संख्या में लोग उन शहरों से अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं, जहां वे काम करते हैं। मैं उनसे निवेदन करता हूं कि आप कृपया वहीं रहिए, जहां आप अभी हैं।’’ केजरीवाल ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि अमेरिका और इटली जैसे विकसित देशों में क्या हुआ है। शुक्र है कि भारत अभी उस चरण में नहीं है, लेकिन भीड़ में चलने से संक्रमण का खतरा बढ़ेगा।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने लोगों के ठहरने के लिए स्कूलों में प्रबंध किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने स्टेडियम खाली करा लिए हैं और आवश्यकता पड़ने पर लोगों के वहां भी ठहरने का प्रबंध किया जाएगा। हम रोजाना चार लाख लोगों को नि:शुल्क भोजन दे रहे हैं। आइए, इससे (संक्रमण से) मिलकर लड़ें।’’

कोरोना से निपटने को भारत में 49 दिनों का लॉकडाउन जरूरी: रिसर्च

नई दिल्ली : कोरोना वायरस के कहर से इस समय भारत समेत पूरी दुनिया कराह रही है। इससे निपटने के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन घोषित किया गया। भारत में भी पीएम नरेन्द्र मोदी ने 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया है। अब कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के रिसर्चर्स एक नए गणितीय मॉडल के साथ आए हैं, जिसमें भारत में 49 दिनों के लिए पूरी तरह से देशव्यापी लॉकडाउन या दो महीनों में समय-समय पर छूट के साथ निरंतर लॉकडाउन की बात कही गई है। इसे भारत में कोरोना को दोबारा उभरने से रोकने के लिए जरूरी बताया गया है।
ज्यादा प्रभावी नहीं होगा 21 दिनों का लॉकडाउन
विश्वविद्यालय में व्यावहारिक गणित और सैद्धांतिक भौतिकी विभाग से राजेश सिंह की मदद से रणजय अधिकारी द्वारा लिखे गए रिसर्च पेपर में बताया गया कि भारत सरकार ने जो 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया है, उसके प्रभावी होने की संभावना नहीं है और इसके अंत में कोरोना का फिर से उभार होगा। देश में कोविड-19 महामारी पर सोशल डिस्टेंसिंग के प्रभाव के आकलन का शायद यह पहला मॉडल है, जिसमें भारतीय आबादी की उम्र और सोशल कॉन्टैक्ट स्ट्रक्चर को शामिल किया गया है। रिसर्च पेपर का टाइटल है ‘एज स्ट्रक्चर्ड इम्पैक्ट ऑफ सोशल डिस्टेंसिंग ऑन द कोविड-19 एपिडेमिक इन इंडिया’
म्र आधारित एसआईआर मॉडल के जरिए किया गया शोध
इस अध्ययन में सोशल डिस्टेंसिंग उपायों- कार्यस्थल में गैर मौजूदगी, स्कूल बंद करने, लॉकडाउन और इसकी अवधि के साथ उनकी प्रभावाकारिता का आकलन किया गया है। रिसर्चर्स ने भारत में कोविड-19 महामारी के बढ़ने का अध्ययन करने के लिए सर्वे और बेजन इम्प्यूटेशन से प्राप्त सोशल कॉन्टैक्ट मैट्रिसेज के साथ एक आयु-संरचित एसआईआर मॉडल का प्रयोग किया।
टीके के अभाव में वायरस को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग सबसे कारगर उपाय
लेखकों ने लिखा, 'सोशल कॉन्टैक्ट की संरचनाएं गंभीर रूप से संक्रमण के प्रसार को निर्धारित करती हैं और टीकों के अभाव में, बड़े पैमाने पर सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों के माध्यम से इन संरचनाओं का नियंत्रण वायरस के खात्मे का सबसे प्रभावी तरीका होता है।' गौरतलब है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय के तौर पर भारत में 24 मार्च की मध्यरात्रि से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया गया है।
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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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