Monday 18 May 2020

भारत में 1 लाख केसः देखें कोरोना ने कैसे पकड़ी रफ्तार ;संजय पाटील

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प्रवासी मजदूरों के पलायन से केसेज बढ़ने की आशंका। (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : नागपुर प्रेस मीडिया  : 19 मे 2020 : देश में पहला कोरोना मरीज मिलने के 109 दिन बाद, मामलों की संख्‍या एक लाख को पार कर गई है। पिछले करीब 12 दिनों में मामले दोगुने हो गए हैं। सोमवार को देशभर से 4,713 नए मामले सामने आए। भारत में लॉकडाउन के साथ-साथ डेली केसेज की संख्‍या बढ़ रही है, यह इस बात का संकेत है कि भारत में अभी कोरोना पीक पर नहीं पहुंचा है। 14 मई से 17 मई के बीच एवरेज केसेज की बात करें तो भारत की तस्‍वीर चिंताजनक हैं। इस दौरान रोज करीब 4,418 मामले सामने आए हैं। ताजा मामलों के हिसाब से भारत दुनिया में चौथे नंबर पर है।

62 दिन में 100 से एक लाख केस
भारत में कोरोना वायरस के शुरुआती 25 हजार मामले सामने आने में 86 दिन लगे। अगले 11 दिन में केसेज डबल होकर 50 हजार तक पहुंचे गए। फिर एक हफ्ते में ही केसेज की संख्‍या 75 हजार पार हो गई। 75 हजार से एक लाख तक पहुंचने में भारत को सिर्फ 5 दिन लगे। 100 से एक लाख केसेज तक पहुंचने में 62 दिन का वक्‍त लगा। कोरोना केसेज के ग्रोथ रेट की बात करें तो भारत दुनिया में चौथा सबसे धीमा देश है। एक लाख केसेज पर भारत का ग्रोथ रेट 5.1 है जो कि दुनिया में नीचे से चौथे पायदान पर है। हमसे कम ग्रोथ रेट तुर्की, फ्रांस और ईरान में है।


महाराष्‍ट्र, गुजरात के हालात बेहद परेशान करने वाले
महाराष्‍ट्र में रोज कोरोना के 2,000 से ज्‍यादा केसेज आ रहे हैं। एनालिस्‍ट्स के मुताबिक, गुजरात और महाराष्‍ट्र में मामले सामने आने की दर नेशनल एवरेज से कहीं ज्‍यादा है। प्रधानमंत्री की इकनॉमिक एडवायजरी काउंसिल की सदस्‍य रहीं इकनॉमिस्‍ट शमिका रवि के मुताबिक, महाराष्‍ट्र और गुजरात में प्रति 10 लाख आबादी पर मृत्‍यु-दर नेशनल एवरेज के चार गुने से भी ज्यादा है। गुजरात का फैटलिटी रेट 10.33% हैं, वहीं महाराष्‍ट्र का 9.81% प्रति 10 लाख।


राहत दे रहा है ये आंकड़ा
कोरोनो केसेज के आंकड़े जहां डरा रहे हैं, वहीं रिकवरी रेट में लगातार सुधार हो रहा है। भारत का रिकवरी रेट 38.8% है। अब तक 39 हजार से ज्‍यादा मरीज रिकवर होकर डिस्‍चार्ज किए जा चुके हैं। सोमवार रात तक 3,103 मौतों के साथ भारत का डेथ रेट भी बाकी दुनिया से बेहतर है। यहां का फैटलिटी रेट 3.1% है। भारत में हर 1 लाख आबादी पर कोरोना के 7.1 मरीज हैं जबकि दुनिया में यह आंकड़ा 60 पेशेंट्स का है। स्‍पेन में प्रति एक लाख आबादी पर 494 केस सामने आए जो कि सबसे ज्‍यादा है। अमेरिका में यह आंकड़ा 431 केस, इटली में 372 केस और यूनाइटेड किंगडम में 361 केस प्रति लाख आबादी है।


कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा, लॉकडाउन में ढील पड़ सकती है महंगीः विशेषज्ञ

बेंगलुरू : देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन इसके कम्युनिटी ट्रांसमिशन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन एक प्रख्यात स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने आज कहा कि भारत को कोविड-19 के सामुदायिक स्तर पर फैलने के जोखिम का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि लॉकडाउन में राहत देने के कारण कोरोना वायरस बड़े पैमाने पर फैल सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि देश में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन (तीसरा चरण) पहले ही शुरू हो चुका है। मगर पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि यह परिभाषा पर निर्भर करता है।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन शब्द से बच रहे हैं विशेषज्ञ
उन्होंने कहा कि अगर हम उन लोगों में प्रसार को देखते हैं जिन्होंने कहीं की यात्रा नहीं की या किसी संक्रमित के संपर्क में नहीं आाए, तो निश्चित तौर पर ऐसे कई मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन ज्यादातर मामले विदेशी यात्रियों के प्रवेश के मूल कारण के इर्द-गिर्द या उनके जानकारों की यात्रा करने से संबंधित हैं। इसलिए जो लोग इसे अब भी दूसरा चरण बता रहे हैं, उनका कहना है कि यह पता लग सकने वाला स्थानीय प्रसार है और ऐसा सामुदायिक प्रसार नहीं है जिसका अनुमान न लगाया जा सके।’ उन्होंने कहा कि इसलिए हम सामुदायिक प्रसार जैसे शब्द के इस्तेमाल से बच रहे हैं।यह परिभाषाओं एवं भाषा का विषय है।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन के लिए तैयार रहे देश
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 81970 पहुंच चुकी है। इनमें से 27920 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं जबकि 2649 की मौत हो चुकी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हृदय रोग विभाग के पूर्व में प्रमुख रहे रेड्डी ने कहा कि यह भी मानना होगा कि सामुदायिक प्रसार हर उस देश में वास्तव में नजर आया है जहां इस वैश्विक महामारी ने भयावह रूप लिया है और भारत को भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए। और उसे इस तरह से काम करना चाहिए जैसा कि यह हो रहा है और रोकथाम के सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए। रेड्डी ने कहा कि सामुदायिक प्रसार का न सिर्फ जोखिम है बल्कि असल में यह एक खतरा है।

                                             लॉकडाउन खुलने से बढ़ेगी आशंका
रेड्डी ने कहा कि मलेशिया समेत दक्षिण पूर्वी एशिया के राष्ट्र, खासकर भारत में प्रति लाख लोगों पर उन देशों के मुकाबले मृत्यु दर कम रही जहां वैश्विक महामारी का प्रकोप उसी वक्त नजर आया था। भारत में मृत्यु दर कम होने के कई कारक हो सकते हैं जैसे कम आयु वर्ग की आबादी ज्यादा होना, ग्रामीण जनसंख्या अधिक होना और लॉकडाउन जैसे एहतियाती कदम उठाया जाना। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खुलने पर कुछ जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं क्योंकि लोगों की आवाजाही बढ़ जाएगी और वायरस के बड़े पैमाने पर फैलने की आशंका भी बढ़ जाएगी। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा शारीरिक दूरी बनानी होगी और मास्क पहनना एवं हाथ धोने जैसी आदतों का लगातार पालन करना होगा।




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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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