Tuesday, 2 June 2020

हाईकोर्ट, "पीएम केयर फंड कैसे खर्च किया जाएगा " ? : संजय पाटिल

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Bombay High Court extends gangster Arun Gawli s parole by five ...

संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 3 जून 2020 : नागपूर : सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर फंड की स्थापना पर सवाल उठाने वाली दो याचिकाओं को खारिज करने के बावजूद, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने ट्रस्ट के अध्यक्ष, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को नोटिस जारी किया, केंद्र सरकार और अन्य से पूछा कि पीएम केयर फंड से पैसे कैसे खर्च होंगे।

नागपुर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता अरविंद वाघमारे द्वारा दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति  सुनील शुक्रा और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने पीएम केयर फंड ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में अपनी क्षमता के साथ, प्रधानमंत्री, ट्रस्ट के सचिव, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, मंडल आयुक्त, जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को भी नोटिस जारी किए हैं। इसने अन्य प्रतिवादियों को भी दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।

अरविंद वाघमारे ने याचिका में पीएम केयर फंड ट्रस्ट की स्थापना पर कोई आपत्ति नहीं जताई और स्पष्ट किया कि वह स्वयं कुछ राशि दान करके अधिनियम के विरोध में नहीं थे। हालांकि, पीएम केयर फंड ट्रस्ट की समग्र संरचना में कहा गया है कि तीन सदस्यों को समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति या देश में प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिए। इस ट्रस्ट की स्थापना के बाद, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और अन्य पदाधिकारियों को इसमें नियुक्त किया गया था। याचिका में कहा गया है कि सामाजिक और अन्य क्षेत्रों में तीन रिक्तियां हैं।.

इसके अलावा, पीएम केयर फंड ने देश भर से फंड जुटाए हैं। वास्तव में इस फंड को कैसे खर्च किया जाएगा, राज्यों को इससे कितना फायदा होगा, इस फंड से होने वाले खर्च का लेखा-जोखा CAG द्वारा सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

इस बीच, केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने वाघमारे की याचिका का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में उल्लिखित सभी बिंदुओं को पहले ही खारिज कर दिया है। एक याचिका को बिना नोटिस के खारिज कर दिया गया, जबकि दूसरे को वापस ले लिया गया। सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा समान मुद्दों को सुनने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने सिंह के तर्क को खारिज कर दिया। हम यहां सुप्रीम कोर्ट में उठाए गए मुद्दों की अनदेखी करेंगे। लेकिन, जनता को यह जानने का अधिकार है कि तीन लोगों को अभी तक इस फंड ट्रस्ट में क्यों नियुक्त नहीं किया गया है और पीएम केयर में जमा धन कैसे खर्च किया जाएगा। इसलिए, इन दो मुद्दों पर दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया गया था।

PMO ने पीएम केयर्स फंड को ‘लोक प्राधिकार’ घोषित करने संबंधी याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाये

संजय पाटील :  नागपूर प्रेस मीडिया : 11 जून 2020 : नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ‘पीएम केयर्स फंड’ को आरटीआई कानून के तहत ‘लोक प्राधिकार’ घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका की विचारणीयता पर बुधवार दिल्ली उच्च न्यायालय में सवाल उठाये। वीडियो कांफ्रेंस के जरिये की गई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नवीन चावला को पीएमओ की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि वह एक जवाब दाखिल करेंगे जिसमें बताया जायेगा कि इस याचिका पर विचार क्यों नहीं किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने मामले को सुनवाई के लिए 28 अगस्त तक सूचीबद्ध कर दिया। उच्च न्यायालय सम्यक गंगवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ), पीएमओ के दो जून के एक आदेश को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन्हें इस आधार पर दस्तावेज उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया गया कि पीएम केयर्स फंड सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत एक लोक प्राधिकार नहीं है। याचिका में सीपीआईओ के आदेश को खारिज करने और आरटीआई आवेदन में उनके द्वारा मांगे गये दस्तावेज उपलब्ध कराये जाने के निर्देश देने का अनुरोध किया है। अधिवक्ताओं देबप्रियो मौलिक और आयुष श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के निपटने के लिए उठाये गये एक कदम के तहत पीएमओ ने 28 मार्च को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) का गठन किये जाने की घोषणा की थी। पीएमओ ने प्रेस विज्ञप्ति में कोविड-19 महामारी के गंभीर स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों के मद्देनजर नागरिकों से पीएम केयर्स फंड में दान करने की अपील की थी।
याचिका में कहा गया है कि एक मई को याचिकाकर्ता ने एक आरटीआई आवेदन दायर किया था और पीएम केयर्स फंड की ‘ट्रस्ट दस्तावेज’ की एक प्रति, फंड से संबंधित दस्तावेज या पत्र और पूरी फाइल की एक प्रति मांगी थी जिसमें फंड का गठन करने का फैसला लिया गया। इसमें कहा गया है कि हालांकि पीएमओ के सीपीआईओ ने इस आधार पर दो जून को सूचना देने से इनकार कर दिया कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई अधिनियम के तहत कोई लोक प्राधिकार नहीं है।
इस निर्णय को याचिका में चुनौती दी गई है। प्रधानमंत्री, रक्षा, गृह और वित्त मंत्री पीएम केयर्स फंड के पदेन ट्रस्टी हैं। इस बीच पीएम केयर्स फंड को लेकर दायर एक अन्य याचिका वापस लिये जाने पर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता ने आरटीआई कानून के तहत आवेदन किये बगैर ही अदालत में यह याचिका दायर की थी। वकील सुरेंद्र सिंह हुड्डा ने याचिका दायर कर आरटीआई अधिनियम के तहत पीएम केयर्स फंड के बारे में सूचना दिये जाने का आग्रह किया था क्योंकि यह एक लोक प्राधिकार है। याचिकाकर्ता ने इस फंड में मिले धन का ब्योरा देने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया था। 
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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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