Thursday, 25 June 2020

बाबा रामदेव ने सर्दी-खांसी की दवा के लाइसेंस पर बनाई कोरोना की दवाई : संजय पाटील

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 25 जून 2020 : हरिद्वार : कोरोना वायरस के लिए पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल दवाई लॉन्च होते ही विवादों में घिर गई है। मंगलवार शाम स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा दवाई लॉन्च किए जाने के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने दवाई के प्रचार प्रसार पर रोक लगा दी थी। इसके बाद बुधवार को बाबा रामदेव की दवा को एक और झटका लगा है। इस बार उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबा की दवा पर सवाल उठाया है।
अथॉरिटी के उपनिदेशक यतेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को कोरोना की दवा के लिए नहीं बल्कि इम्युनिटी बूस्टर और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। रावत ने बताया कि उन्हें मीडिया के माध्यम से ही पता चला कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा कोरोना की किसी दवा का दावा किया जा रहा है जबकि उन्हें इम्युनिटी बढ़ाने वाली और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था।

पतंजलि को नोटिस जारी

रावत ने कहा कि भारत सरकार का निर्देश है कि कोई भी कोरोना के नाम पर दवा बनाकर उसका प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता। आयुष मंत्रालय से वैधता मिलने के बाद ही ऐसा करने की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल, विभाग की ओर से पतंजलि को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। बता दें कि मंगलवार शाम बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने देश के तमाम मीडिया संस्थानों के सामने एक बड़े कार्यक्रम में कोरोना की दवाई बनाने का दावा किया था, जिसमें रामदेव ने बताया कि उनकी दवाई की क्लीनिकल जांच की गई है।

बाबा ने दावा किया था कि क्लिनिकल टेस्ट में दवा से 100 फीसदी सफल परिणाम सामने आया है। हालांकि, लॉन्च होने के बाद से ही पतंजलि की यह दवा कोरोनिल विवादों में है। यह भी हैरान करने वाली बात है कि कंपनी को सर्दी-जुकाम और खांसी की दवा बनाने का लाइसेंस मिला है और उसने इस लाइसेंस के जरिए बनी दवा को कोरोना के नाम पर लॉन्च कर दिया।


बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को सर्दी-खांसी की दवा और इम्युनिटी बूस्टर बनाने के लिए लाइसेंस जारी किया गया था लेकिन उन्होंने कोरोना के नाम पर दवा लॉन्च कर दी। उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने अब बाबा को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।

निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक पलटे- हमारे अस्पताल में कोई ट्रायल नहीं हुआ

कोरोनिल पर बीएस तोमर ने बयान दिया है।

जयपुर :कोरोना वायरस की दवा का ऐलान कर दुनियाभर में हलचल मचाने वाले योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राजस्थान में ऐसी किसी दवा के क्लिनिकल ट्रायल को सिरे से खारिज करने वाले चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा के बाद अब निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक और चेयरमैन बीएस तोमर भी पलट गए हैं।उन्होंने गुरुवार को दिए अपने बयान में साफ कहा कि उनके अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई क्लिनिकल ट्रायल नहीं हुआ है।
तोमर का यह बयान गुरुवार को उनके खिलाफ जयपुर के गांधीनगर थाने में दर्ज केस के बाद आया है। कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज की दवा के दावे को लेकर पंतजलि आयुर्वेद हरिद्वार और निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक तोमर के खिलाफ यहां दर्ज केस में कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर जनता को गुमराह करने के आरोप लगाए गए थे। इससे पहले राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. शर्मा कोरोना की दवा के नाम पर लोगों गुमराह करने की बात कहते हुए बाबा रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात भी कह चुके हैं।
इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का प्रयोग

उधर, बीएस तोमर ने अपने बयान में कहा है कि, 'हमने अपने अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई भी क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया'। उन्होंने बताया कि हमने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का प्रयोग मरीजों पर किया था। उन्होंने यह भी कहा कि, 'मैं नहीं जानता कि योग गुरु रामदेव ने इसे कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाला कैसे बताया?'।


2 दिन में उन्होंने दवा कैसे बनाई?
तोमर की निम्स यूनिवर्सिटी की ओर से सीटीआरआई से औषधियों के ईम्यूनिटी टेस्टिंग के लिए 20 मई को परमिशन ली गई थी। दो दिन बाद ही यानी 23 मई से ही ट्रायल शुरू कर दिया गया। एक महीने तक चले इस ट्रायल के बाद ही 23 जून को योग गुरु रामदेव के साथ मिलकर कोरोना की दवा का ऐलान कर दिया गया। तोमर का अब कहना है कि हमारे ट्रायल की फाइंडिंग को आए अभी 2 ही दिन हुए थे कि योग गुरु रामदेव ने दवा बनाने का दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि यह तो वो ही बता सकते हैं कि दो दिन में उन्होंने दवा कैसे बनाई है। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।
'क्लिनिकल ट्रायल' करके आम जन को गुमराह

जयपुर में गुरुवार को चिकितसा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने फिर कहा है कि भारत सरकार द्वारा ‘ड्रग्स एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट’ के तहत 21 अप्रैल, 2020 को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना किसी दवा का ट्रायल नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार की अनुमति के बिना किसी दवा का मानवीय परीक्षण भी नहीं किया जा सकता। बिना अनुमति के 'क्लिनिकल ट्रायल' करके आमजन को गुमराह करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी।

 पतंजलि ने दिए सरकारी आपत्तियों के जवाब, गेंद आयुष मंत्रालय के पाले में

नयी दिल्ली. एक तरफ देश में जहां कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। वहीँ अब बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल ने एक नयी बहस को जन्म दे दिया हैं। एक तरफ जहां बाबा रामदेव ने अपनी दवाई को लेकर यह दावा किया कि यह कोरोना संक्रमण को ठीक कर देगी वहीं इस मामले पर आयुष मंत्रालय ने काकल शाम को ही बयान दे दिया है कि वह इस कोरोनिल दवाई के प्रचार पर रोक लगा रहा है और इस बाबत पतंजलि से सम्पूर्ण जानकारी भी मांगी है। आयुष मंत्रालय ने यह भी कहा कि उन्होंने ऐसे किसी भी दवाई को मंजूरी नहीं दी है।
 वहीं आयुष मंत्रालय ने अब पतंजलि से यह भी पूछा कि पहले वो इस कोरोनिल दवा में इस्तेमाल किए गए तत्वों का विवरण दें साझा करे और साथ ही में जिस जगह या अस्पताल में में इसकी जांच हुई उसका नाम दें। दवाई के प्रोटोकॉल और सैंपल साइज की भी डिटेल भी अब आयुष मंत्रालय ने मांगी है। अब इस पूछ परख से परेशान होकर बाबा रामदेव और पतंजलि ने अपनी सफाई में आयुष मंत्रालय को साबुत पेश किए और यह भी कहा कि मंत्रालय और उनके मध्य एक प्रकार से सिर्फ़ यही एक कम्युनिकेशन गैप या गैर संवाद रह गया था। वहीं इस पर पर पतंजलि के बालकृष्ण ने भी ट्वीट करके अपनी तरफ से जानकारी दी है कि Randomised Placebo Controlled Clinical Trials के जितने भी Standard Parameters हैं उन सबका पालन किया गया है एवं वे इस बात के लिए भी भारत सरकार का आभार मानती है कि सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन दे रही है।
इस पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि दवा के अनुसंधान में  में समस्त गाइडलाइन का पालन किया गया है। जिसके बाद ही यह  दवा  बाजार में उतारी गयी है। साथ ही बाबा रामदेव का यह भी दावा है कि दवा का ट्रायलMIMS में किया गया, जहां के डायरेक्टर ने भी Coronil दवा की टेस्टिंग में प्रभावी होने की बात मानी है। 
आपको बता दें की कल पतंजलि योगपीठ और बाबा रामदेव ने कोरोना की आयुर्वेदिक दवा बना ली है और ऐसा दावा करते हुए उन्होंने आज बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस में Coronil नाम की दवाई पेश की। उनका यह भी कहना था की उक्त दवा से कोरोना संक्रमण 100 प्रतिशत ठीक हो सकता है। यही नहीं पतंजलि योगपीठ और बाबा रामदेव ने आज मंगलवार से ही इसे बाजार में उतार दी है। बाब ने यह भी स्पष्ट किया कि दवा के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान पहले 3 दिन में 69% रोगी कोरोना संक्रमण से नेगेटिव हो गए और अगले 7 दिनों में 100 फीसदी मरीज ठीक हो गए हैं।   
वहीं उक्त दवाई पर आचार्य बालकृष्‍ण का कहना था कि कोरोनिल कोविड-19 मरीजों को 5 से 14 दिन में ठीक कर सकती है। इसके निर्माण के बारे में उन्होंने बताया था कि कोरोनिल में गिलोय, अश्‍वगंधा, तुलसी, श्‍वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण है। इसमें मौजूद अश्‍वगंधा से कोविड-19 के रिसेप्‍टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) को शरीर के ऐंजियोटेंसिन-कन्‍वर्टिंग एंजाइम (ACE) से नहीं मिलने देता है और साथ ही इसमें मौजूद है गिलोय और तुलसी जो कोविड-19 के RNA पर अटैक करती है और उसे मल्‍टीप्‍लाई होने से रोकती है जिससे संक्रमण फैलता नहीं।
अब इस पर आयुष मंत्री श्रीपद नाइक का कहना है कि ” यह अच्छी बात है कि बाबा रामदेव ने देश को एक नई दवा दी है, लेकिन नियम के अनुसार, इस मामले को पहले आयुष मंत्रालय में आना होगा। उन्होंने  कहा कि उन्होंने एक रिपोर्ट भेजी है। हम इसे देखेंगे और रिपोर्ट देखने के बाद ही उक्त मामले में कोई अनुमति दी जाएगी।”
इस दवा का मूल्य 545 रूपये रखी गयी है और यह कोरोना किट में तीन दवाइयाँ हैं जिसमे पहली है कोरोनिल, दूसरी श्वासारी और तीसरी दवा है अणु तेल। अब देखना यह है कि आयुष मंत्रालय इस पर क्या फैसला लेता है और बाबा के दावों को कितना अच्छे से परख पता है।    

महाराष्ट्र ने भी 'कोरोनिल' पर लगाया बैन, अनिल देशमुख की बाबा रामदेव को चेतावनी

महाराष्ट्र में लगा प्रतिबंध

मुंबई : योग गुरु बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल (Coronil) पर छिड़े विवाद के बीच राजस्थान सरकार के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने भी रोक लगा दी है। महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रामदेव को चेतावनी देते हुए कहा है कि महाराष्ट्र में नकली दवाएं नहीं बिकने देंगे। उन्होंने कहा कि कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट किया, 'नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर यह पता लगाएगा कि क्या पतंजलि के कोरोनिल का क्लीनिकल ट्रायल किया गया था। हम बाबा रामदेव को चेतावनी देते हैं कि हमारी सरकार महाराष्ट्र में नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देगी।'
बचाव में उतरी बीजेपी
एक ओर दवाई को लेकर विवाद बना हुआ है तो दूसरी ओर बीजेपी इसके बचाव में उतर आई है। बीजेपी नेता राम कदम ने दावा किया है कि नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने कोरोनिल को प्रमाणित किया है।

आयुष मंत्रालय ने लगाई थी विज्ञापन पर रोक
बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद की 'दिव्‍य कोरोना किट' के विज्ञापन पर आयुष मंत्रालय ने रोक लगा दी है। साथ ही पंतजलि को नोटिस भी जारी किया था हालांकि पतंजलि का दावा है कि उसने आयुष मंत्रालय को मांगी गई सारी जानकारी भेज दी है। बाबा रामदेव का दावा है कि कोरोना के खिलाफ पतंजलि की दवा बिल्कुल सही है।

दवा पर बैन लगाने वाला राजस्थान पहला राज्य
आयुष मंत्रालय की आपत्ति के बाद राजस्थान रामदेव की दवा कोरोनिल की बिक्री पर रोक लगाने वाला पहला राज्य था। राजस्थान सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना कोरोना महामारी की दवा के रूप में किसी भी आयुर्वेदिक औषधि की बिक्री नहीं की जा सकती है।

उत्तराखंड ने कहा-इम्युनिटी बूस्टरे के लिए दिया था लाइंसेस
उत्तराखंड सरकार ने भी कहा था कि उन्होंने दवा को इम्युनिटी बूस्टर के लिए लाइंसेस दिया था। राज्य सरकार के आयुर्वेद विभाग ने बुधवार को कहा कि उसने बाबा रामदेव को ‘इम्युनिटी बूस्टर’ के लिए लाइसेंस दिया था और इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध करा दी गई हैं।

उत्तराखंड आयुर्वेद और यूनानी सेवाएं के निदेशक आनंद स्वरूप ने यहां बताया कि उनके विभाग ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को ‘इम्यूनिटी बूस्टर’, बुखार और खांसी के लिए दवा बनाने का लाइसेंस जारी किया था।

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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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