संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 24 जून 2020 : नयी दिल्ली. सरकार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पुनर्व्यवस्थित किया जा रहा है तथा इस दिशा में आगे और सुधारों की भी जरूरत है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को यह बात कही। एनएचएआई के पास राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी है। इनके जरिये राज्यों के बीच यात्रियों और सामान का परिवहन होता है। इस समय राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई डेढ़ लाख किलोमीटर है। यह देश में कुल सड़कों का दो प्रतिशत है। लेकिन देश के कुल यातायात का 40 प्रतिशत बोझ राष्ट्रीय राजमार्ग उठाते हैं।
उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, ‘‘हम एनएचएआई के पुनर्गठन के लिए कदम उठा रहे हैं। प्राधिकरण में बड़े सुधारों की जरूरत है।” मंत्री ने कहा कि आज समय की जरूरत ऐसी परियोजनाएं तैयार करने की हैं जिनके लिए बैंकों से आसानी से कर्ज सुलभ हो सके। उन्होंने कहा कि किस तरीके से एनएचएआई ने टोल-परिचालन-स्थानांतरण (टीओटी) आधार पर 5,000 करोड़ रुपये की राजमार्ग मौद्रिकरण परियोजना तैयार की जिसके लिए सिर्फ विदेशी कंपनियां बोली लगा सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘प्राधिकरण को छोटे 500 करोड़ रुपये के संपत्ति मौद्रिकरण पैकेज लाने के लिए विश्वास दिलाने में छह माह लगे। 5,000 करोड़ रुपये के पैकेज के लिए सिर्फ विदेशी कंपनियां बोली लगा सकती थीं, इसलिए उनसे छोटा पैकेज लाने को कहा गया। सड़क एवं राजमार्ग क्षेत्र में निवेश अवसरों पर कोविड-19 के प्रभाव विषय पर वेबिनार को संबोधित करते हुए गडकरी ने बताया कि इसी तरह प्राधिकरण 3,000 किलोमीटर राजमार्गों के निर्माण के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) के बजाय निर्माण, परिचालन और स्थानांतरण (बीओटी) तरीका अपनाना चाहता है, लेकिन इसके लिए अभी निविदा नहीं निकाली गई है।
उन्होंने याद दिलाते हुए कहका कि कैसे एनएचएआई की बीओटी आधार पर 17 परियोजनाओं के लिए कोई निविदा नहीं मिली थी। गडकरी ने सड़क किनारे सुविधाएं स्थापित करने में देरी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार राजमार्गो। पर 2,000 पेट्रोल पंप स्थापित करने की तैयारी कर रही है। गडकरी ने एनएचएआई द्वारा कंपनियों के साथ विवादों के निपटान के लिए और समय मांगने पर भी नाराजगी जताई।
उन्होंने बताया कि एनएचएआई ने 22 ऐसे मामलों में और समय मांगा है। इसी के साथ मंत्री ने कहा कि अधिकारों के विकेंद्रीकरण और परियोजना निदेशकों तथा क्षेत्रीय अधिकारियों को 50 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं पर खुद निर्णय लेने का अधिकार दिए जाने के बावजूद एनएचएआई के अधिकारी बड़ी संख्या में मामले मुख्यालय के पास भेज देते हैं। उन्होंने कहा कि एनएचएआई में सभी स्थानांतरण डिजिटल कर दिए गए हैं। (एजेंसी)
NHAI एक्सप्रेस-वे के साथ विकसित करेगी स्मार्ट सिटी और स्मार्ट गांव
नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे परियोजना पर काम कर रही है। इस एक्सप्रेस का निर्माण होने के बाद दिल्ली-मुंबई की दूरी को 12 घंटे में तय किया जा सकेगा। पूरी तरह नए सिरे से विकसित की जा रही इस परियोजना से दोनों शहरों की मौजूदा दूरी 220 किलोमीटर कम हो जाएगी। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे परियोजना की अनुमानित लागत एक लाख करोड़ रुपए है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ स्मार्ट सिटी, स्मार्ट गांव और लॉजिस्टिक पार्क बनाने को लेकर कानूनी सलाह मांगी है। सरकार जानना चाहती है कि क्या एनएचएआई ये कर सकती है ताकि इस अवसर का लाभ देश के सबसे पिछड़े, आदिवासी और दूर-दराज के क्षेत्र का विकास करके उठाया जा सके।
यह नया एक्सप्रेस-वे दिल्ली-मुंबई के पुराने रास्ते से अलग रास्ते से निकलेगा। यह गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान के पिछड़े और दूर-दराज के कई आदिवासी इलाकों से गुजरेगा। इसे तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि हम एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ स्मार्ट सिटी, स्मार्ट गांव, लॉजिस्टिक पार्क, औद्योगिक संकुल और सड़क किनारे की सुविधाएं विकसित करने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने कानूनी सलाह मांगी है कि क्या एनएचएआई यह कर सकती है। यदि इसका जवाब सकारात्मक रहता है तो हम तत्काल इस दिशा में काम करना शुरू कर देंगे।
गडकरी ने कहा कि हालांकि एनएचएआई के पास इसका अधिकार इसकी स्थापना के वक्त से है और इसके लिए उसके संविधान में प्रावधान भी है। लेकिन वह फिर भी इस पर कानूनी सलाह लेना चाहते हैं ताकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा कि यदि जवाब नकारात्मक मिलता है तो फिर हम इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए रखेंगे।
सरकार वाहन कबाड़ नीति जल्द पेश करने की तैयारी में
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने की नीति लाने के लिये तैयार है। इसके तहत बंदरगाहों के पास रीसाइक्लिंग सेंटर बनाये जा सकते हैं। उन्होंने इस बात का भरोसा जताया कि इस कदम से भारत पांच साल में वाहनों के विनिर्माण में दुनिया भर में अग्रणी बन सकता है। एमएसएमई और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा, "अब, हम वाहन कबाड़ नीति लाने जा रहे हैं। जिसके तहत पुरानी कारों, ट्रकों और बसों को कबाड़ में तब्दील किया जायेगा।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के बंदरगाहों की गहराई को 18 मीटर बढ़ाने का फैसला किया है। इसके साथ ही वाहनों को कबाड़ बनाने वाले रीसाइक्लिंग सेंटर बंदरगाहों के पास लगाये जा सकते हैं। इससे प्राप्त सामग्री ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए उपयोगी होगी क्योंकि यह कारों, बसों और ट्रकों की विनिर्माण की लागत को कम करेगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ जायेगी।
गडकरी ने कहा, "पांच साल के भीतर, भारत सभी कारों, बसों और ट्रकों का नंबर एक विनिर्माण केंद्र होगा, जिसमें सभी ईंधन, इथेनॉल, मिथेनॉल, बायो-सीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रिक के साथ-साथ हाइड्रोजन ईंधन सेल भी होंगे।" वह उच्च शिक्षा के भविष्य पर एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक को संबोधित कर रहे थे।
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