संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : ३ जुलाई २०२० : नागपुर. कोरोना लाकडाउन की अवधि के 3 महीने में महावितरण की बिजली बिल की वसूली नहीं पायी जिसके चलते कंपनी आर्थिक संकट में आ गई है. वहीं दूसरी ओर राज्य में विपक्ष और अनेक संगठनों द्वारा लाकडाउन की अवधि के बिजली बिल में छूट देने की मांग की जा रही है. ऐसे संकट से निपटने के लिए ऊर्जामंत्री नितिन राऊत ने केन्द्र सरकार से 10 हजार करोड़ रुपयों के अनुदान की मांग की है. उन्होंने दो दिनों तक विभाग के आलाधिकारियों से बैठकें ली और उसके बाद केन्द्रीय उर्जामंत्री आर.के. सिंह को पत्र लिखकर राशि की मांग की.
राउत ने कहा कि लाकड़ाउन के कारण सारे उद्योग, कारखाने, व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए. लोगों की आय बंद हो गई जिसके चलते बिजली बिल की वसूली भी नहीं हो रही है. ऐसे में महावितरण की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है. कंपनी के पास कर्मचारियों के वेतन, बिजली खरीदी, विविध कर, कर्ज की किश्त आदि के लिए पैसे नहीं है. अभूतपूर्व आर्थिक संकट में महावितरण है और बावजूद इसके राज्य में बिजली ग्राहकों को अखंडित व उच्च दर्जे की सेवा दे रही है.
3500 करोड़ का ओवरड्राफ्ट
राउत ने लिखा है कि महावितरण का 3500 करोड़ रुपयों का ओवरड्राफ्ट हो गया है. वहीं विविध प्रकल्पों के लिए लिए गए 38000 करोड़ रुपये के कर्ज का प्रतिमाह 900 करोड़ रुपये किश्त व उस पर ब्याज का भुगतान करना होता है. हालत इतनी खराब हो गई है कि इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए महावितरण को कई वर्ष लग जाएंगे. निधि उपलब्धता के संदर्भ में बैंक व वित्तिय संस्थाओं से महावितरण को सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिला. केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध किये गए 90 हजार करोड़ रुपये के पैकेज लाभ भी महवितरण को नहीं मिला है जिसका परिणाम ग्राहकों पर पड़ रहा है. उन्होंने इन विपरीत हालातों से निकलने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की मांग केन्द्र सरकार से की.
राउत ने लिखा है कि महावितरण का 3500 करोड़ रुपयों का ओवरड्राफ्ट हो गया है. वहीं विविध प्रकल्पों के लिए लिए गए 38000 करोड़ रुपये के कर्ज का प्रतिमाह 900 करोड़ रुपये किश्त व उस पर ब्याज का भुगतान करना होता है. हालत इतनी खराब हो गई है कि इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए महावितरण को कई वर्ष लग जाएंगे. निधि उपलब्धता के संदर्भ में बैंक व वित्तिय संस्थाओं से महावितरण को सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिला. केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध किये गए 90 हजार करोड़ रुपये के पैकेज लाभ भी महवितरण को नहीं मिला है जिसका परिणाम ग्राहकों पर पड़ रहा है. उन्होंने इन विपरीत हालातों से निकलने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की मांग केन्द्र सरकार से की.
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