Tuesday, 7 April 2020

तो क्या निजी फायदे के लिए डोनाल्ड ट्रंप हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन  दवाई पर दे रहे हैं जोर : संजय पाटील

तो क्या निजी फायदे के लिए डोनाल्ड ट्रंप हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई पर दे रहे हैं जोर : संजय पाटील

From Modi to Imran Khan, Trump's visit to Delhi holds a victory ...

Hydroxychloroquine दवा को कोरोना वायरस (Coronavirus) के 

खिलाफ 'गेमचेंजर' कहा जा रहा है। दुनिया के बाकी देश इस दवा की 

सप्‍लाई के लिए भारत की तरफ देख रहे हैं।


संजय पाटील : एनबीटी द्वारा : अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात को मंजूरी देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता बताया है। ट्रंप ने कहा कि पीएम मोदी महान हैं और बहुत अच्‍छे हैं। कोरोना वायरस की मार से बेहाल अमेरिका के राष्‍ट्रपति ने कहा कि अमेरिका ने 29 मिलियन दवा की डोज खरीदी है। इसमें से ज्‍यादातर दवा भारत से मिलेगी। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की 29 मिलियन डोज खरीदी है। इसमें से बड़ी तादाद में दवा भारत से आएगी। इससे पहले ट्रंप ने संकेत दिया है कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर से प्रतिबंध नहीं हटाया तो अमेरिका कार्रवाई पर विचार कर सकता है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्‍तेमाल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में किया जा रहा है। इससे पहले ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस दवा के लिए गुहार लगाई थी।अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने फॉक्‍स न्‍यूज से बातचीत में कहा कि भारत ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। उन्‍होंने कहा कि पीएम मोदी महान हैं और बहुत अच्‍छे हैं। भारत से अभी बहुत अच्‍छी चीजें आनी बाकी हैं। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका ने कोरोना वायरस से जंग के लिए  व्‍हाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि भारत ने अमेरिका के साथ बहुत अच्‍छा व्‍यवहार किया है और मैं समझता हूं कि इस बात के कोई कारण नहीं हैं कि भारत अमेरिकी दवा के ऑर्डर पर से बैन नहीं हटाएगा। ट्रंप ने कहा, 'मैंने यह नहीं कहीं सुना कि यह उनका (पीएम मोदी) का फैसला था। मैं जानता हूं कि उन्‍होंने इस दवा को अन्‍य देशों के निर्यात के लिए रोक लगाई है। मैंने उनसे कल बात की थी। हमारी बातचीत बहुत अच्‍छी रही। भारत ने अमेरिका के साथ बहुत अच्‍छा व्‍यवहार किया है।'
दवा पर भारत ने भी दिया था जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इसके बाद उठे विवाद पर कहा कि यह किसी भी सरकार का दायित्व होता है कि पहले वह सुनिश्चित करे कि उसके अपने लोगों के पास दवा या इलाज के हर जरूरी संसाधन उपलब्ध हों। इसी के मद्देनजर शुरू में कुछ एहतियाती कदम उठाए गए थे और कुछ दवाओं के निर्यात को प्रतिबंधित किया गया था। भारत ने सोमवार को 14 दवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। हालांकि पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा लाइसेंस कैटेगरी में रहेगी और उसकी मांग पर लगातार नजर रखी जाएगी। लेकिन अगर मांग के अनुरूप आपूर्ति रही तो फिर कुछ हद तक निर्यात की अनुमति दी जा सकती है।

भारत मानवीयता के आधार पर देगा दवा
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि कोरोनावायरस महामारी के समय भारत ने हमेशा कहा है कि ऐसे कठिन हालात में पूरे विश्व को एक होकर इससे लड़ना होगा। इसमें मानवीय पहलू के बारे में भी सोचना होगा। भारत ने कहा कि वह इन दवाओं को उन जरूरतमंद देशों को भी भेजेगा जो इस बीमारी से सबसे अधिक ग्रसित हैं। विदश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे कठिन परिस्थिति में किसी तरह के अनर्गल विवाद को खड़ा नहीं किया जाना चाहिए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों डॉक्टरों के हवाले से दावा किया था कि कोरोना वायरस से निपटने में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई काफी कारगर साबित हो सकती है। इतना ही नहीं उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर इसकी नई खेप भेजने का भी आग्रह किया था क्योंकि भारत इस दवाई का सबसे बड़ा उत्पादक है। ट्रंप लगातार कोरोना वायरस से निपटने में इस ऐंटी-मलेरिया टैबलेट के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं जबकि कई वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस पर इसके असर की पुष्टि नहीं हुई है। तो आखिर ट्रंप क्यों इतना दबाव डाल रहे हैं, इसको लेकर अमेरिकी अखबार ने सनसनीखेज दावा किया है।
दवा कंपनी में शेयर है वजह?
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ऐसा दावा किया है कि ट्रंप इस दवा पर इसलिए दांव खेल रहे हैं क्योंकि इसमें उनका निजी फायदा है। अखबार ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि अगर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को पूरी दुनिया अपना लेती है तो दवा कंपनियों को इसका बड़ा फायदा मिलेगा जिनमें से एक कंपनी सैनोफी में ट्रंप का भी हिस्सा है। कंपनी के अधिकारियों संग ट्रंप के गहरे रिश्ते भी बताए जा रहे हैं।
दवाई के लिए भारत को भी ताव दिखाने लगे ट्रंप
उधर, ट्रंप ने भारत से इस दवा की नई खेप भेजने को कहा है जिसपर भारत का कहना है कि पहले हम अपनी जरूरत पूरी करेंगे फिर इसका निर्यात होगा। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने यह संकेत दिए कि अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं हटाता तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। यह एक ऐंटी मलेरिया टैबलेट है। भारत में मलेरिया के मामले हर साल बड़ी संख्या में आते हैं और यही वजह है कि भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक है।

भारत बड़ा उत्पादक, चीन कर सकता है खेल
सबसे बड़ा उत्पादक होने की वजह से दुनियाभर के देशों की निर्भरता भारत पर बढ़ गई है। भारत की उत्पादन क्षमता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 30 दिन में 40 टन टैबलेट का प्रॉडक्शन कर सकता है। दरअसल, इस दवा को बनाने के लिए ऐक्टि फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स की जरूरत पड़ती है और इसका 70 फीसदी चीन सप्लाई करता है। भारत का दबादबा करने के लिए हो सकता है चीन इसके उत्पादन में अड़ंगा लगा दे।

कोरोना से लड़ाई में 'गेमचेंजर' है ये दवा, 30 दिन में 20 करोड़ टैबलेट्स बनाने का दम रखता है भारत

कोरोना वायरस से लड़ रही पूरी दुनिया को hydroxychloroquine नाम की एक दवा में उम्‍मीद की किरण दिखी है। मलेरिया के खिलाफ इस्‍तेमाल होने वाली इस दवा को COVID-19 के खिलाफ 'गेमचेंजर' का दर्जा दिया जा रहा है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप इस दवा की सप्‍लाई चाहते हैं, किसी भी तरीके से। इसके लिए वह किसी देश को पुचकार रहे हैं, किसी को आंखें तरेर रहे हैं। उन्‍होंने भारत से hydroxychloroquine सप्‍लाई करने को कहा है। भारत ने ट्रंप की डिमांड को देखते हुए इस दवा के निर्यात पर लगा बैन हटा दिया है। hydroxychloroquine के लिए दुनिया भारत के आगे हाथ फैलाए खड़ी है क्‍योंकि इसकी पूरी सप्‍लाई का 70 फीसदी हमारे ही देश में बनता है।
एक महीने में 40 टन प्रोडक्‍शन
इंडियन फार्मास्‍यूटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन के अनुसार, दुनिया को hydroxychloroquine की 70 फीसदी सप्‍लाई भारत करता है। देश के पास इस दवा को बनाने की कैपासिटी इतनी है कि वह 30 दिन में 40 टन hydroxychloroquine (HCQ) प्रोड्यूस कर सकता है। यानी इससे 20 मिलीग्राम की 20 करोड़ टैबलेट्स बनाई जा सकती हैं। चूंकि यह दवा ह्यूमेटॉयड ऑर्थराइटिस और लूपुस जैसी बीमारियों के लिए भी इस्‍तेमाल होती है, इसका प्रोडक्‍शन अभी और भी बढ़ाया जा सकता है। भारत में इस दवा को बनाने वाली कंपनीज में Ipca Laboratories, Zydus Cadila औार Wallace Pharmaceuticals का नाम शामिल है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने हाल ही में Ipca और Zydus Cadila को HCQ की 10 करोड़ टैबलेट्स बनाने का ऑर्डर दिया है।
भारत ने बढ़ाया आउटपुट
भारत ने hydroxychloroquine का आउटपुट बढ़ा दिया है। कुछ दिन पहले ही उसे उन सामानों की लिस्‍ट में जोड़ा गया था जिनका एक्‍सपोर्ट नहीं किया जा सकता। सरकार अभी इस बात का पता लगा रही है कि COVID-19 से निपटने में कितनी दवा भारत में लेगी। हालांकि, अमेरिका की गुजारिश पर निर्यात पर लगा बैन हटा दिया गया है। भारत ने अप्रैल-जनवरी 2019-20 के दौरान 1.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्‍य की hydroxychloroquine API एक्‍सपोर्ट की। इसी समय में hydroxychloroquine से बने फॉर्म्‍युलेशंस का एक्‍सपोर्ट 5.50 बिलियन डॉलर का रहा।

प्रोडक्‍शन में अड़ंगा डाल सकता है चीन
HCQ बनाने के लिए जिन एक्टिव फार्मास्‍यूटिकल्‍स इंग्रीडिएंट्स (API) की जरूरत पड़ती है। भारत को HCQ का 70 प्रतिशत API चीन सप्‍लाई करता है। अभी तक तो उसकी तरफ से सप्‍लाई ठीक रही है मगर अमेरिका के तेवर देख कर वह इसके प्रोडक्‍शन में अड़ंगा भी लगा सकता है।
कम हैं साइट इफेक्‍ट्स
hydroxychloroquine अमेरिका जैसे विकसित देशों में इसलिए नहीं बनती क्‍योंकि वहां मलेरिया का नामोनिशान नहीं है। इसका कम्‍पोजिशन chloroquine से मिलता-जुलता है जो मलेरिया के लिए इस्‍तेमाल होने वाली सबसे पुरानी और अच्‍छी दवाओं में से एक हैं। इसके साइड इफेक्‍ट्स भी कम होते हैं। दवा भी बेहद सस्‍ती है। मगर कोरोना वायरस के चलते कई देशों ने इसकी खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी है।

गडकरींच्या बैठकीकडे महाआघाडीची पाठ :  गडकरींचा नागपूरकरांना इशारा : "नियम पाळा": - संजय पाटील

गडकरींच्या बैठकीकडे महाआघाडीची पाठ : गडकरींचा नागपूरकरांना इशारा : "नियम पाळा": - संजय पाटील

पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी नितीन गडकरी यांची नागपूर प्रभारी म्हणून नियुक्ती केली आहे
संजय पाटील : नागपूर :  करोनाचा संसर्ग नागपुरात सध्या नियंत्रणात आहे. पुढील आठ दिवस महत्त्वाचे आहेत. शासनाने दिलेल्या निर्देशाचे पालन करा, अन्यथा  टाळेबंदी वाढवावी लागेल, असा इशारा केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी यांनी नागपूरकरांना दिला.
करोना विषाणू  संसर्ग प्रतिबंधासाठी केंद्राने केलेल्या उपाययोजनांचा आढावा मंगळवारी गडकरी यांनी महालातील टाऊन हॉल येथे घेतला. त्यांच्याकडे महाराष्ट्राची जबाबदारी आहे. या बैठकीला महापौर संदीप जोशी, जिल्हाधिकारी रवींद्र ठाकरे, महापालिका आयुक्त तुकाराम मुंढे, अतिरिक्त आयुक्त अभिजीत बांगर, पोलीस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय यांच्यासह लोकप्रतिनिधी व प्रशासनातील अधिकारी उपस्थित होते.
नागपुरात सुदैवाने परिस्थिती सध्यातरी आटोक्यात आहे. परंतु भविष्यात जर अधिक रुग्ण आढळले तर त्या परिस्थितीशी लढण्यासाठी संपूर्ण वैद्यकीय यंत्रणा सज्ज ठेवण्याची गरज आहे. मेयो, मेडिकल आणि एम्स यांनी समन्वय ठेवून पुढील एक महिन्यासाठी संच, औषध, मास्क आदींचा साठा करून ठेवावा. मेयो, एम्समध्ये चाचण्या केल्या जात आहेत. मेडिकलमधील प्रयोगशाळा एक-दोन दिवसात सुरू होईल. त्यामुळे नमुन्यांची तातडीने चाचणी करा.
मरकजहून परतलेल्या लोकांचा शोध घेण्यासाठी पोलिसांनी  गुप्तचर विभागाची मदत घ्यावी व त्यांना  विलगीकरणात ठेवावे, असे निर्देशही त्यांनी दिले. स्वस्त धान्य दुकानातून धान्य वाटप करताना येणाऱ्या तांत्रिक अडचणींकडे आमदारांनी गडकरींचे लक्ष वेधले. कॉटन मार्केट सुरू करण्याचा मुद्दाही त्यांनी उपस्थित केला. पण मुंढे यांनी  गर्दी टाळण्यासाठी हा निर्णय घेतल्याचे सांगितल्यावर पुढे या विषयावर चर्चा झाली नाही.
रुग्णवाहिका सज्ज ठेवा!
टाळेबंदीच्या पार्श्वभूमीवर रुग्णवाहिका सेवा कोलमडली असल्याची तक्रार यावेळी आमदारांनी केली. खासदार निधीतून महापालिकेला दिलेल्या सहा रुग्णवाहिकांपैकी तीन मेडिकल आणि तीन मेयोकडे सोपवा, असे निर्देशही गडकरी यांनी दिले. सुपर स्पेशालिटीमधील अव्यवस्थेवर नाराजी व्यक्त करीत शस्त्रक्रियेची प्रतीक्षा यादी संपवा, असे निर्देशही मेडिकलचे अधिष्ठाता डॉ. सुजल मित्रा यांना दिले.
काळाबाजार करणाऱ्यांवर कारवाई करा
टाळेबंदीचा फायदा घेत व्यापारी जीवनावश्यक वस्तूंचा काळाबाजार करीत असेल तर त्यांच्यावर कठोर कारवाई करा, असे निर्देश गडकरी यांनी अधिकाऱ्यांना दिले.


गडकरींच्या बैठकीकडे महाआघाडीची पाठ

करोनाच्या विरोधात सर्वांनी एकजुटीने लढा उभारल्यानंतरही या संकटसमयी उपराजधानीत मंगळवारी राजकारण तापले. केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी यांच्या उपस्थितीत बोलावण्यात आलेल्या बैठकीस राज्यातील सत्तारुढ शिवसेना, काँग्रेस आणि राष्ट्रवादी काँग्रेस महाआघाडीच्या एकजात सर्व नेत्यांनी बहिष्कार टाकला. राज्यातील सत्तारुढ नेत्यांनी पाठ फिरवल्याने कुणाचे ऐकावे, असा प्रश्न प्रशासनाला पडला आहे.
करोना संकटाच्या पार्श्वभूमीवर पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी महाराष्ट्राचे प्रभारी म्हणून नितीन गडकरी यांची नियुक्ती केली आहे. गडकरी यांनी फोनवरून राज्यातील स्थिती जाणून घेतल्यावर केंद्राकडे अहवाल पाठवला. मंगळवारी बैठक घेत शहर व ग्रामीण भागातील उपाययोजनांची माहिती घेतली. आवश्यक सूचना केल्या. महालातील नगरभवनात ही बैठक झाली. यास पालकमंत्री नितीन राऊत, गृहमंत्री अनिल देशमुख, पशुसंवर्धन, दुग्ध विकास मंत्री सुनील केदार आणि पश्चिम नागपूरचे काँग्रेसचे आमदार विकास ठाकरे, विधान परिषद सदस्य प्रा. जोगेंद्र कवाडे, प्रकाश गजभिये हे सर्वच्या सर्व नेते अनुपस्थित होते. महापालिकेतील विरोधी पक्षनेते तानाजी वनवे हेच तेवढे उपस्थित होते.
पालकमंत्री नितीन राऊत यांनी शहर व ग्रामीण भागातील स्थितीवर बारीक लक्ष ठेवले आहे. सर्व संबंधित विभागाच्या त्यांनी वारंवार बैठका घेतल्या आहेत. शहराच्या विविध भागांचा दौरा केला आहे. सुनील केदार यांनी अलीकडेच मदत कार्य व दुध उत्पादनाची स्थिती जाणून घेतली. गृहमंत्री अनिल देशमुख लॉकडाउनपूर्वीच मुंबईला गेले. राज्यातील कायदा व सुव्यवस्था आणि बंदोबस्ताची सूत्रे राजधानीतून सांभाळत आहेत. बाकी नेते का अनुपस्थित होते, हा प्रश्न आहे. केंद्र आणि राज्याने या संकटाचा हातात हात घालून सामना करावा या उद्देशालाच या गैरहजेरीने हरताळ फासला गेल्याची प्रतिक्रिया यानिमित्ताने उमटली आहे.
पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यांच्याशी सोमवारी चर्चा केली. गांधी यांनी मंगळवारी पंतप्रधानांना पत्र लिहून खासदारांच्या वेतनातील कपातीचे स्वागत केले व निधीबाबत सूचना केल्या. असाच समन्वय नागपुरात दाखवता आला असता, अशीही चर्चा आहे. महाराष्ट्रावरील संकट अधिक गडद होत असताना आणि नागपुरातील रुग्णसंख्या वाढत असतानाच केंद्राकडून काय अपेक्षा आहेत, हे या बैठकीत राज्यातील मंत्र्यांना, सत्तापक्षातील आमदारांना मांडता आले असते, अशी भावना अन्य नेत्यांनी व्यक्त केली.
महापालिका आयुक्तपदाची तुकाराम मुंढे यांनी सूत्रे स्वीकारल्यापासून भाजपचा प्रभाव अचानक कमी झाला. महापौर संदीप जोशी यांच्यासह बहुतांश नगरसेवकांनी आयुक्तांच्या कार्यपद्धतीवर नाराजी व्यक्त केली. सत्तारुढ भाजप व आयुक्तांमध्ये कुरघोडी सुरू असल्याची चर्चा आहे. सनदी अधिकाऱ्यांमध्येही समन्वयाच्या अभावाची दबक्या आवाजात चर्चा आहे. अशा परिस्थितीत नागरिकांची गैरसोय होऊ नये, अशी अपेक्षा व्यक्त होत आहे. केंद्रात तसेच उपराजधानी नागपुरात भाजप तर, राज्यात महाविकास आघाडीची सत्ता आहे. राष्ट्रीय संकटाशी लढताना सत्तेच्या या त्रिकोणाचा फटका नागपूकरांना बसू नये, यासाठी सर्व नेत्यांना परिपक्वता दाखविता येऊ नये हे समस्त नागपूरकरांचेच दुर्दैव असल्याची खंत नागरिकांनी, उद्योजकांनी व्यक्त केली आहे.


Sunday, 5 April 2020

जीवनावश्यक वस्तुंचा काळाबाजार, साठेबाजी करणाऱ्यांवर कठोर कारवाई: छगन भुजबळ यांची माहिती : संजय पाटील

जीवनावश्यक वस्तुंचा काळाबाजार, साठेबाजी करणाऱ्यांवर कठोर कारवाई: छगन भुजबळ यांची माहिती : संजय पाटील

Chhagan Bhujbal supporters will protest across India on January 2

राज्यात धान्याचा 6 महिन्यांचा साठा उपलब्ध आहे


संजय पाटील : 
मुंबई : जीवनावश्यक वस्तुंचा काळाबाजार प्रतिबंध आणि सुरळीत पुरवठा अधिनियम 1980 मधील तरतुदीनुसार साठेबाजी व काळाबाजार करणाऱ्या तसेच जीवनावश्यक वस्तुंच्या पुरवठ्यात अडथळा आणणाऱ्या संबंधित रास्तभाव दुकानदारइतर दुकानदार तसेच संबंधित व्यक्तीसंस्था यांच्यावर कठोर कारवाई करण्यात येणार असल्याची माहिती अन्ननागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिली. श्री.भुजबळ म्हणालेसध्यस्थितीत राज्यात करोना व्हायरसचा सर्वत्र उद्रेक झाल्यामुळे जीवनावश्यक वस्तुंचा तुटवडा व जीवनावश्यक वस्तू जादा दराने विक्री होण्याची शक्यता नाकारता येत नाही. ही बाब विचारात घेता जनतेचे दैनंदिन जनजीवन सुरळीत सुरु राहण्याच्या दृष्टीने जनतेस जीवनावश्यक वस्तू सहजासहजी व रास्तभावात उपलब्ध होणे सध्याच्या परिस्थितीत गरजेचे आहे. दैनंदिन जीवनावश्यक वस्तुंचा तुटवडा असल्याचे भासवून त्याचा साठा करणे व तो चढ्या भावाने विक्री करणे अशी परिस्थिती उद्‌भवल्याचे निदर्शनास येत असल्यास जीवनावश्यक वस्तू अधिनियम, 1955 व त्यानुसार निर्गमित इतर नियंत्रण आदेश तसेच जीवनावश्यक वस्तुंचा काळाबाजार प्रतिबंध आणि सुरळीत पुरवठा अधिनियम 1980 मधील तरतुदीनुसार साठेबाजी व काळाबाजार करणाऱ्या तसेच जीवनावश्यक वस्तुंच्या पुरवठ्यात अडथळा आणणाऱ्या संबंधित रास्तभाव दुकानदारइतर दुकानदार तसेच संबंधित व्यक्तीसंस्था यांच्यावर कठोर कारवाई करण्यात येणार आहे. केंद्र शासनाच्या दि. 13 मार्च, 2020 च्या अधिसूचनेन्वये जीवनावश्यक वस्तू अधिनियम, 1955 च्या परिशिष्टामध्ये कलम 2 ए अंतर्गत मास्क (2 प्लाई व 3 प्लाई सर्जिकल मास्कएन-95 मास्क) व हॅन्ड सॅनेटाइझर’ यांचा समावेश जीवनावश्यक वस्तू म्हणून करण्यात आला आहे. याचा काळाबाजार व साठेबाजी करणाऱ्यावरही कठोर कारवाई करणार असल्याचेही श्री.भुजबळ यांनी सांगितले.
राज्यात तीन दिवसात ६ लक्ष ९४ हजार क्विंटल अन्नधान्याचे वाटप - अन्न नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांची माहिती
रेशन वाटपात राज्याच्या अन्न नागरी पुरवठा विभागाने गाठला उच्चांक
 कोरोनाच्या पार्श्वभूमीवर सुरु असलेल्या लॉकडाऊन काळात राज्यातील कुठलाही नागरिक उपाशी राहता कामा नये यासाठी राज्याच्या अन्न नागरी पुरवठा विभागाकडून उपाययोजना केल्या आहे. त्यानुसार दि. १ ते ३ एप्रिल २०२० या तीन दिवसात राज्यातील २८ लक्ष ६१ हजार ०८५ शिधापत्रिका धारकांना तब्बल ६ लक्ष ९४ हजार क्विंटल अन्नधान्याचे वाटप करण्याचा उच्चांक गाठला असल्याची माहिती अन्न नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिली आहे. कोरोना विषाणूचा प्रादुर्भाव रोखण्यासाठी देशभरात लॉकडाऊन सुरु असून राज्यातील या कालावधीत नागरिकांना अत्यावश्यक सोयी सुविधा व अन्नधान्य पुरेशा प्रमाणात मिळावे यासाठी राज्याच्या अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण विभागाकडून विविध उपाययोजना करण्यात येत आहे. राज्याच्या अन्न, नागरी पुरवठा विभागाची यंत्रणा लॉकडाऊन काळात रात्रंदिवस कार्यरत असून दि.१ ते ३ एप्रिल २०२० या तीन दिवसात राज्यातील २८ लाख ६१ हजार ०८५ शिधापत्रिका धारकांना तब्बल ६ लक्ष ९४ हजार  क्विंटल अन्नधान्याचे वाटप करण्याचा उच्चांक गाठला आहे. त्यामध्ये सुमारे ३ लक्ष ८३ हजार क्विंटल गहू, ३ लाख ०१ हजार क्विंटल तांदूळ, तर ३ हजार ५६४ क्विंटल साखरेचे वाटप करण्यात आले आहे. त्याचबरोबर स्थलांतरीत झालेले परंतू लॉकडाऊनमुळे अडकलेल्या सुमारे १ लक्ष ६७ हजार शिधापत्रिका धारकांनी राज्यात ते जेथे राहत आहे त्याठिकाणी शासनाच्या पोर्टबिलीटी यंत्रणेअंतर्गत ऑनलाईन पद्धतीने अन्नधान्य घेतले असल्याची माहिती छगन भुजबळ यांनी दिली आहे.
कोरोनाच्या पार्श्वभूमीवर केवळ पाच रुपयांत शिवभोजन - अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांची माहिती
राज्यातील कामगार, मजूर वर्गाला मोठा दिलासा
  ·    शहरांसोबतच तालुकास्तरापर्यंत योजनेचा विस्तार
  ·    सकाळी ११ ते ३ या वेळेत १ लाख शिवभोजन थाळीचे होणार वितरण
  ·    सवलतीचा पाच रुपये दर जूनपर्यंत लागू राहणार
कोरोना विषाणूच्या आपत्तीमुळे निर्माण झालेल्या परिस्थितीत राज्यातील गोरगरीबकामगार, शेतकरीमजूर व विद्यार्थी वर्गाच्या जेवनाची सोय व्हावी यासाठी शिवभोजन थाळी प्रकल्पाचा तालुकास्तरावर विस्तार करण्यात येत आहे. दररोज सकाळी ११ ते ३ या वेळेत १ लाख शिवभोजन थाळीचे वितरण करण्याच्या निर्णयामुळे गरजू नागरिकांना मोठा दिलासा मिळणार असल्याची माहिती अन्ननागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिली आहे.   या महत्त्वपूर्ण निर्णयाच्या अंमलबजावणीसाठी प्रत्येक जिल्ह्यात देण्यात 
आलेल्या शिवभोजन थाळीच्या संख्येत पाचपट वाढ करण्यात आली आहे. शहरी भागासाठी प्रती थाळी ४५ रुपये आणि ग्रामीण भागासाठी प्रती थाळी ३० रुपये शासन देणार आहे. यासाठी शासनाने १६० कोटी रुपयांची तरतूद केली आहे. नागरिकांच्या हाताला काम नसल्याने कुणाचीही उपासमार होऊ नये या उद्देशाने हा सवलतीचा पाच रुपये दर जूनपर्यंत लागू राहणार आहे.   कोरोना विषाणूचा प्रादुर्भाव रोखण्यासाठी केंद्र सरकारमार्फत १४ एप्रिलपर्यंत लॉकडाऊन जाहीर करण्यात आला आहे. त्यामुळे कष्टकरी, असंघटित कामगार, स्थलांतरित, बाहेरगावचे विद्यार्थीरस्त्यावरील गरीब, बेघर इत्यादी नागरिकांच्या हाल-अपेष्टा होत असल्याने शिवभोजन थाळी योजनेचा विस्तार करण्याचा निर्णय घेण्यात आला. तालुकास्तरावर शिवभोजन केंद्र सुरू करण्यासाठी १ एप्रिलपर्यंत न थांबता जिल्हाधिकारी आणि नियंत्रक शिधावाटप यांनी आपल्या जिल्ह्यात तातडीने नव्याने शिव भोजनालय सुरू करावीत, असे आदेश देण्यात आले आहेया निर्णयानुसार कोरोना विषाणूच्या प्रादुर्भावामुळे जे लोक स्वतःच्या जेवणाची सोय करू शकत नाहीत, त्यांना शिवभोजनाचा लाभ घेता येण्यासाठी व्यापक प्रसिद्धी करण्यात येणार आहे. यासाठी जिल्ह्यातील प्रशासकीय आणि पोलीस यंत्रणेची मदत घेण्यात येणार आहे. ग्राहकांना हात धुण्यासाठी साबण उपलब्ध करून देणे, भोजनालय दररोज निर्जंतूक करणे, ग्राहकांना शक्यतो पॅकिंग स्वरूपात जेवण देणे, जेवण तयार करण्याआधी हात कमीत कमी वीस सेकंद साबणाने स्वच्छ करणेशिवभोजनाची सर्व भांडी निर्जंतूक करून घेणे, भोजन तयार करणाऱ्या तसेच वाटप करणाऱ्या कर्मचाऱ्यांनी वारंवार साबणाने हात धुणेभोजनालयातील सर्व कर्मचाऱ्यांनी मास्कचा वापर करणे, प्रत्येक ग्राहकांमध्ये कमीतकमी तीन फूट अंतर राहील याची दक्षता घेण्याच्या सूचना भोजनालय चालकांना देण्यात आल्या आहे.
जीवनावश्यक वस्तूंच्या पुरवठ्याबाबत तक्रारींसाठी
मंत्री कार्यालयाकडून संपर्क क्रमांक उपलब्ध
कोरोना आजारासंदर्भात सरकारने जाहीर केलेल्या देशव्यापी लॉकडाऊन दरम्यान नागरीकांना रेशन दुकानावर साहित्य न मिळणेबाजारात वाढीव दराने वस्तूंची विक्री होणे तसेच जीवनावश्यक वस्तूंच्या पुरवठ्याबाबत राज्यभरातून प्राप्त होणाऱ्या तक्रारींचे अन्ननागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री कार्यालयामार्फत तात्काळ निरसन केले जात आहे. तक्रारदारांनी खालील क्रमांकावर संपर्क साधण्याचे आवाहन करण्यात आले आहे.
श्री. संतोषसिंग परदेशी-खाजगी सचिव (९८७०३३६५६०), 
श्री.अनिल सोनवणे-विशेष कार्य अधिकारी (९७६६१५८१११), श्री.महेंद्र पवार- विशेष कार्य अधिकारी (७५८८०५२००३), 
श्री.महेश पैठणकर-स्वीय सहाय्यक (७८७५२८०९६५)
विदर्भातील धान खरेदीला 31 मे पर्यंत मुदतवाढ - अन्न,नागरी पुरवठा मंत्री छगन भुजबळ यांची माहिती
विदर्भातील धान उत्पादक शेतकऱ्यांना मोठा दिलासा..
 विदर्भातील धान खरेदी करण्यासाठी 31 मार्चपर्यंत असलेली मुदत वाढवून ही मुदत 31 मे पर्यंत वाढवून देण्यास केंद्रीय अन्न व नागरी पुरवठा मंत्री रामविलास पासवान यांच्याकडून मंजुरी मिळाली असल्याची माहिती राज्याचे अन्ननागरी पुरवठा मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिली आहे. या मुदतीमुळे विदर्भातील धान उत्पादक शेतकऱ्यांना मोठा दिलासा मिळाला आहे. विदर्भात यंदाच्या वर्षी धानाचे मोठ्या प्रमाणात उत्पन्न झाले. त्याचप्रमाणे राज्य शासनाने धानासाठी 1800 रुपये हमीभाव आणि त्यावर 700 रुपये बोनस दिला. शासकीय खरेदी केंद्रावर चांगला भाव मिळाल्याने शेतकऱ्यांनी खाजगी व्यापाऱ्यांकडे पाठ फिरवली होती. शेतकरी मोठ्या प्रमाणात धान शासनाच्या खरेदी केंद्रावर घेऊन येत होते. मात्र कोरोनामुळे त्यांची गैरसोय झाली होती. शासनाकडून सुरू असलेली धान खरेदी दि. 31 मार्च 2020 पर्यंत सुरू राहणार होती. मात्र अद्याप शेतकऱ्यांकडे मोठ्या प्रमाणात धान उपलब्ध असल्याने तसेच कोरोनाचा प्रादुर्भावामुळे निर्माण झालेल्या परिस्थितीत ही मुदत अधिक वाढवून मिळावी यासाठी राज्याचे अन्ननागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी केंद्राकडून धान खरेदीसाठी मुदतवाढ देण्यात यावी यासाठी माजी केंद्रीय कृषी मंत्री खासदार शरद पवार यांच्या मध्यस्थीने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान यांच्याकडे मागणी केली होती. त्यानुसार केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान यांनी राज्याचे अन्ननागरी पुरवठा मंत्री छगन भुजबळ यांच्याशी दूरध्वनीवरून संपर्क करत विदर्भातील धान खरेदीसाठी 31 मार्च पर्यंत असलेली मुदत दोन महिन्यांनी वाढवून देत ती 31 मे पर्यंत सुरू ठेवण्यास मुदतवाढ देण्यात येत असल्याची माहिती दिली आहे. त्यामुळे विदर्भातील धान उत्पादक शेतकऱ्यांना मोठा दिलासा मिळणार आहे. त्यामुळे श्री. भुजबळ यांनी खासदार शदर पवार व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान यांचे आभार मानले आहे.
स्वस्त धान्य दुकानात एप्रिल सोबतच मे, जुनचे धान्य उपलब्ध - अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ

राज्यात कोरोना विषाणूचा मुकाबला करण्यासाठी शासन सर्वस्तरावर प्रयत्न करत आहे. या पार्श्वभुमीवर नागरिकांची सोय व्हावी म्हणून स्वस्त धान्य दुकानात एप्रिल सोबतच मे व जून महिन्याचे धान्य उपलब्ध करुन देण्याचा निर्णय घेण्यात आला असल्याची माहिती अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिली.  श्री. भुजबळ म्हणाले, राज्यात राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा अधिनियम 2013 ची अंमलबजावणी करण्यात येते. अंत्योदय अन्न योजनेखालील राज्यात 24 लाख 7 हजार 462 कुटुंबांना प्रतिमाह प्रतीशिधापत्रिका 35 किलो धान्य आणि प्राधान्य कुटुंबातील 5 कोटी 48 लाख 60 हजार 331 व्यक्तींना प्रतीव्यक्ती प्रतिमाह 5 किलो याप्रमाणात धान्य देण्यात येते. हे धान्य रु. 3/- प्रतीकिलो तांदूळ, रु. 2/- प्रतिकिलो गहू या दराने उपलब्ध करुन देण्यात येते.स्वस्त धान्य दुकानात एप्रिल महिन्याच्या सोबतच मे व जून महिन्याचे धान्यही वाटप करण्यास सुरुवात केली जाणार आहे. कोरोना विषाणूचा प्रसार होऊ नये तसेच सार्वजनिक वितरण व्यवस्थेतील लाभार्थ्यांना संसर्ग होऊ नये, यासाठी प्रतिबंधात्मक उपाय म्हणून रास्तभाव दुकानातून शिधावस्तूचे वितरण करताना लाभार्थ्यांची बायोमेट्रीक पडताळणी न करता रास्तभाव दुकानदारांनी स्वत:चे आधार अधिप्रमाणीत करुन धान्यवाटपाची सुविधा ई-पॉस उपकरणावर उपलब्ध करण्यात येत आहे. यामुळे लाभार्थ्यांना ई-पॉस उपकरणावर बोट/अंगठा लावण्याची आवश्यकता राहणार नसल्याचेही श्री.छगन भुजबळ यांनी सांगितले.
रास्तभाव दुकानात लाभार्थ्यांना ई-पॉस उपकरणावर बोट, अंगठा लावण्याची आवश्यकता नाही - अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांची माहिती 

कोरोना विषाणूचा प्रसार होऊ नये तसेच सार्वजनिक वितरण व्यवस्थेतील लाभार्थ्यांना संसर्ग होऊ नयेयासाठी प्रतिबंधात्मक उपाय म्हणून रास्तभाव दुकानातून शिधावस्तूंचे वितरण करताना लाभार्थ्यांची बायोमेट्रीक पडताळणी न करता रास्तभाव दुकानदारांनी स्वत:चे आधार अधिप्रमाणित करुन धान्य वाटपाची सुविधा ई-पॉस उपकरणावर उपलब्ध करण्यात येत आहे. यामुळे लाभार्थ्यांना ई-पॉस उपकरणावर बोट, अंगठा लावण्याची आवश्यकता राहणार नसल्याची माहिती अन्ननागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिली.
श्री.भुजबळ म्हणालेरास्तभाव दुकानात लाभार्थ्यांना ई-पॉस उपकरणावर बोट, अंगठा लावण्याची आवश्यकता नाही. यामुळे विषाणूचा संसर्ग टाळता येईल. तसेच रास्तभाव दुकानांवर गर्दी होणार नाही याची दक्षतादेखील घेण्यात यावी. याकरिता टोकन देऊन लाभार्थ्यांना नियोजित वेळी दुकानावर येण्याच्या सूचना देण्यात याव्यात. तसेच धान्य घेण्यास आलेले लाभार्थी उचित अंतर ठेऊन रांगेत उभे राहतीलयाचीही दक्षता रास्तभाव दुकानदारांनी घ्यावी. कल्याणकारी संस्थांची संख्या मर्यादित असल्याने या संस्थांना गोदामातून देण्यात येणारे धान्य वितरीत करताना संबंधितांनी साबणाने, सॅनिटाईझरने हात स्वच्छ करुन ई-पॉस उपकरणे हाताळण्याची काळजी घ्यावी. तसेच लाभार्थ्यांना धान्य वाटप करताना धान्याचा अपहार, अनियमितता होणार नाही याची दक्षता रास्तभाव दुकानदारांनी घ्यावी. तथापिवाटप केलेल्या धान्याची जबाबदारी रास्तभाव दुकानदार यांची राहील. ही सुविधा 31 मार्च2020 पर्यंतच लागू राहीलअसेही श्री.भुजबळ यांनी सांगितले.
विकेंद्रीत खरेदी योजनेंतर्गत धानाची आवक वाढल्याने जिल्ह्यातील साठवणूक क्षमता वाढविण्याचे अन्न व नागरी पुरवठा मंत्री छगन भुजबळ यांचे निर्देश

विकेंद्रीत खरेदी योजनेंतर्गत धानाची आवक जास्त झाल्याने गोदामाची कमतरता भासत आहे. पर्यायी व्यवस्था म्हणून बाजूच्या जिल्ह्यातील गोदामांचा वापर करण्यात यावा तसेचजिल्ह्याप्रमाणे साठवणुकीची क्षमता वाढविण्यासाठीच्या उपाययोजना आखण्याचे निर्देश अन्न व नागरी पुरवठा मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिले. आज मंत्रालयात विकेंद्रीत खरेदी योजनेंतर्गत धानापासून प्राप्त झालेल्या तांदळासंदर्भात आढावा बैठकीचे आयोजन करण्यात आले होते. या बैठकीस महाराष्ट्र राज्य कोऑपरेटीव्ह मार्केटींग फेडरेशनचे व्यवस्थापकीय संचालक योगेश म्हस्केट्रायबल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशनचे अतिरिक्त आयुक्त गिरीष सरोदे आदीसह अन्न व नागरी पुरवठा विभागाचे अधिकारी उपस्थित होते. श्री. भुजबळ म्हणालेशासन देत असलेल्या प्रोत्साहनपर किंमतीनुसार धानाची आवक मोठ्या प्रमाणात वाढली आहे. आजतागायत 66 लाख क्विंटल खरेदी झाली असूनशेतकऱ्यांना शासनाकडून योग्य दर प्राप्त होत असल्याने खाजगी मिलींगही बंद झाले आहे. धान खरेदीचे आणि मिलींगचे प्रमाणासारखे असले तरीवितरणही त्याच प्रमाणात होणे गरजेचे असल्याचेही त्यांनी यावेळी सांगितले.
क्षमतेपेक्षा जास्त धान साठवणूक करण्यासाठी शासकीय यंत्रणांवर भार आल्याने पर्यायी उपाययोजना आखणे गरजेचे आहे. धानाची आवक वाढल्याने गोदामे कमी पडू लागली आहेतपावसाने धानखराब होऊ नये यासाठी जिल्ह्यातील साठवण क्षमता वाढवणे गरजेचे आहे. याचबरोबर भंडारा येथील धान बाजूच्या नागपूर व वर्धा येथील गोदामात साठवावा. तसेच प्रत्येक जिल्ह्यातील साठवणुकीची क्षमताही वाढवावी. जेणेकरून धान्याचे नुकसान होणार नाही. भविष्यातही आवक वाढल्यास धान वितरणाच्या क्षमतेत वाढ होणे गरजेचे असूनयासाठी पर्यायी उपाय उपलब्ध करून द्यावेत, असेही मंत्री भुजबळ यांनी संबंधित अधिकाऱ्यांना सांगितले. 
गरीब जनतेसाठी केरोसिनच्या अटी, नियम शिथिल करण्याचे - अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांचे निर्देश

सामान्य जनतेकडे गॅस कनेक्शन असते परंतु गॅस सिलेंडर विकत घेण्याचा खर्च परवडत नाही. त्यामुळे त्यांना केरोसिन आवश्यक असते. या गरीब जनतेसाठी केरोसिन वाटपाचे नियम व अटी शिथिल करण्याबाबत प्रयत्न केला जाणार असल्याची माहिती अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी दिली. सार्वजनिक वितरण व्यवस्थेअंतर्गत वितरित करण्यात येणाऱ्या केरोसिन तेलाचा पुरवठा गरजूंना करण्याबाबतची बैठक मंत्रालयात झाली त्यावेळी श्री. भुजबळ बोलत होते. श्री. भुजबळ म्हणाले, सार्वजनिक वितरण व्यवस्थेअंतर्गत प्राप्त होणारे अनुदानित दराचे केरोसिन केवळ बिगर गॅसजोडणी शिधापत्रिकाधारकांकरिता प्राप्त होते. राज्यास उपलब्ध होणाऱ्या केरोसिन कोट्याच्या प्रमाणानुसार शिधापत्रिकाधारकांकरिता केरोसिन वितरण परिमाण किमान 2 लिटर ते कमाल 4 लिटर असे निश्चित करण्यात आले आहे. त्यात वाढ करण्याबाबत तपासणी केली जाईल. अनुदानित दराचे केरोसिन केवळ बिगर गॅसजोडणी शिधापत्रिकाधारकांनाच प्राप्त व्हावे यास्तव शिधापत्रिकाधारकांकडून गॅसजोडणी नसल्याबाबतचे हमीपत्र घेऊनच केरोसिन वितरित करण्याच्या सूचना शासन परिपत्रक दि. 01 ऑगस्ट, 2018 अन्वये देण्यात आलेल्या आहेत.  हे हमीपत्र सोपे व सुटसुटीत करण्यात येईल.
तसेच सद्यस्थितीत क्षेत्रिय कार्यालयांकडून प्राप्त होणाऱ्या मागणीनुसार हमीपत्र सादर करणाऱ्या शिधापत्रिकाधारंकरिता 100 टक्के केरोसिन नियतन शासनाकडून जिल्ह्यांना मंजूर करण्यात येत असल्याने विभागाने सर्व जिल्हाधिकारी यांच्याकडून जिल्ह्यातील कोणीही पात्र लाभार्थी केरोसिनपासून वंचित राहणार नाही. यादृष्टीने नव्याने माहिती मागविण्याचे निर्देश श्री. भुजबळ यांनी दिले.
यावेळी अन्न,  नागरी पुरवठा व ग्राहस संरक्षण विभागाचे प्रधान सचिव महेश पाठक व केरोसिन हॉकर्स व रिटेलर्सचे प्रतिनिधी उपस्थित होते. 


Saturday, 4 April 2020

‘I just want to go home’: the desperate millions hit by Modi’s brutal  lockdown: Sanjay Patil

‘I just want to go home’: the desperate millions hit by Modi’s brutal lockdown: Sanjay Patil

A migrant textile worker Bhiwandi on the outskirts of Mumbai after the factory was shut in the 21-day lockdown.

The Indian prime minister’s handling of the pandemic has heaped more misery on the country’s poorest citizens


Sanjay Patil : BY the  Sources :  For more than a decade, Begum Jan had managed to survive on the streets of Kolkata. A longtime wheelchair-user, she had a specific spot on a busy street. Rickshaw drivers and passers-by always made sure she had something to eat.
But last week, for the first time since she became homeless after falling ill with tuberculosis and losing her job as a housemaid, the 62-year-old was in danger of starving.
“For the past week, none of these people who usually help me have come in sight,” she said, her voice cracking with sadness. “They are all at home because of the lockdown; they don’t have any job and so they cannot help me any more.”



When prime minister Narendra Modi announced almost two weeks ago that India’s entire population of 1.3bn people would be under lockdown for at least three weeks to prevent the spread of coronavirus, it was the largest restriction of movement the world had ever seen.
The consequences for India, where tens of millions live in poverty, work thousands of miles from home, often living where they work, have been cataclysmic.
For those like Jan, who do not have a home, the edict to stay indoors and maintain social distance for 21 days has been particularly cruel. Her son, Raja Khan, also now lives on the streets with his three children after his work as a railway porter dried up.
Every day since the lockdown was declared, Khan has been pushing his mother as much as 25 miles a day in her wheelchair in an attempt to find food for her and his children. “No trains are running and so I am completely jobless,” he said. “I need to work daily to support my family of four people, so for the first time in my life I have taken to begging. It is humiliating.”
Manoranjan Ghosh, who worked – and slept – in a roadside tea shop in Kolkata, is another of the new homeless.
He made a temporary home in a small space on the floor of the railway station and still dresses as smartly as he can every morning, but said things were getting harder: “I bought food and used up all my savings in the first two or three days of the lockdown. Then I sold my mobile phone to a vegetable seller to be able to sustain myself for a few more days. But now I have no money.
“I worked well and lived with dignity. Suddenly I have turned homeless and been made a beggar.”
Most critics say Modi’s 21-day lockdown was too sudden – people were only given four hours’ notice and millions had no time to get back to their villages before transport and work shut down. This prompted a wave of mass migration across India unlike anything seen since partition, as people began walking for hundreds, sometimes thousands of miles. The authorities swiftly put a stop to that by closing all state borders, leaving thousands stranded.
Among them was Lal Sahab Kumar, 20, from a small village in Bihar, who had come to Delhi to earn 300 rupees (£3.20) a day as a mason. After Modi’s announcement, he was evicted and then attempted to walk the 600 miles back to Bihar – but the border was shut so he had to turn back. Now he is living in a shelter in West Delhi, which provides him with simple meals of dal, rice and tea. “Please, please, I just want to go home,” he said, looking downtrodden and dishevelled outside the shelter.
Indian economist Jayoti Ghosh described the lockdown as a disaster. “We have never had a situation where the government has simultaneously shut down both supply and demand, with no planning, no safety net and not even allowing the people to prepare,” she said. Ghosh warned that the food shortages recently reported across India would only become more severe and widespread over the next two weeks.
“They knew it would have this impact but obviously did not care,” she added. “Even if a lockdown this brutal is necessary, they could have arranged a week in advance for people to be able to safely travel back home. What kind of arrogance and insensitivity does a government have to have to give the country four hours’ notice, at night, for a lockdown that is this draconian and this brutal?”
According to experts, the lockdown will need to last for much longer than the proposed 21 days if it is to prove effective. While so far cases of coronavirus in India have been far lower than in Europe, the US and east Asia, with 2,902 cases and 68 deaths, there are signs of community transmission, and the spread is escalating quickly.
In one of the more worrying developments, police barricaded parts of one of Asia’s biggest slums on Friday. Dharavi in Mumbai, where almost a million people live in cramped, unsanitary conditions, had recorded just two Covid-19 related deaths.
Kolkata-based NGO Bangla Sanskriti Mancha , which works with migrant labourers, said it had received tens of thousands of calls for help since the lockdown and had identified at least 30,000 workers across the country who were stranded and facing imminent starvation. The Students Islamic Organisation of India said it was providing food to more than 25,000 people in acute crisis.
“We totally support the decision of the lockdown. It’s badly needed to stop the spread of the virus,” said Syed Azharuddin, national general secretary of the SIO. “But the lockdown should have been implemented after ensuring that the migrant labourers had reached their homes.”
Some government and state relief is being offered. Maharashtra has announced $5.9m (£4.8m) in aid, Kerala has announced a $2.7bn relief package to tackle the crisis and Uttar Pradesh will send financial aid of 1,000 rupees (£10.70) a month to 3.5 million day-wage labourers. But with little documentation of people’s movements and their makeshift living arrangements, there are fears that millions will fall through the cracks.
Shekh Sujauddin, 21, from West Bengal’s Birbhum district, is among 60 casual construction workers currently living on a building site 2,000km away in Mumbai, where they had travelled to work. Without any way to earn money or return home for over a week, he said their situation was becoming more desperate by the day.
“With the money we have with us we cannot sustain ourselves more than one or two days and there is no sign of relief from the government,” said Sujauddin.
Sitting by the side of the road in Kolkata next to bags of plastic waste he had collected but could no longer sell, Ram Singh, a ragpicker, said he had not eaten for days and was existing on water. “I left home when I was 13 after my mother ran away with a man and I have worked as a ragpicker for over 40 years,” said Singh, who is now walking 30km a day to try to sell his wares. “But this is the first time in my life I have faced a crisis over food.”