संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया: 3 जून 2020 : नागपुर : पत्रकारों के दो संघों द्वारा बंबई उच्च न्यायालय में दायर की गई, “वेतन में कटौती और नौकरी समाप्त” करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यहां मंगलवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र, महाराष्ट्र सरकार और कुछ मीडिया संस्थानों से जवाब देने को कहा है। महाराष्ट्र श्रमजीवी पत्रकार संघ (एमयूडब्ल्यूजे) और नागपुर श्रमजीवी पत्रकार संघ (एनडब्ल्यूयूजे) ने अनुरोध किया है कि छह अग्रणी मराठी अखबारों द्वारा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने और उनके वेतन में कटौती करने को अवैध घोषित किया जाए। याचिकाकर्ताओं द्वारा अखबारों को प्रतिवादी बताया गया है। याचिका में कहा गया कि मीडिया के कर्मचारी कोविड-19 के माहौल और लॉकडाउन में भी काम कर रहे हैं और मीडिया संस्थानों द्वारा उनके अनुबंध का नवीकरण करने के बजाय सेवा समाप्त करना अमानवीय और अवैध है। न्यायमूर्ति एस बी शुक्रे और न्यायमूर्ति ए एस किलोर ने कहा कि याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
Tuesday, 2 June 2020
हाईकोर्ट, "पीएम केयर फंड कैसे खर्च किया जाएगा " ? : संजय पाटिल
संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 3 जून 2020 : नागपूर : सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर फंड की स्थापना पर सवाल उठाने वाली दो याचिकाओं को खारिज करने के बावजूद, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने ट्रस्ट के अध्यक्ष, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को नोटिस जारी किया, केंद्र सरकार और अन्य से पूछा कि पीएम केयर फंड से पैसे कैसे खर्च होंगे।
नागपुर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता अरविंद वाघमारे द्वारा दायर जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति सुनील शुक्रा और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने पीएम केयर फंड ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में अपनी क्षमता के साथ, प्रधानमंत्री, ट्रस्ट के सचिव, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, मंडल आयुक्त, जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को भी नोटिस जारी किए हैं। इसने अन्य प्रतिवादियों को भी दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
अरविंद वाघमारे ने याचिका में पीएम केयर फंड ट्रस्ट की स्थापना पर कोई आपत्ति नहीं जताई और स्पष्ट किया कि वह स्वयं कुछ राशि दान करके अधिनियम के विरोध में नहीं थे। हालांकि, पीएम केयर फंड ट्रस्ट की समग्र संरचना में कहा गया है कि तीन सदस्यों को समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति या देश में प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिए। इस ट्रस्ट की स्थापना के बाद, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और अन्य पदाधिकारियों को इसमें नियुक्त किया गया था। याचिका में कहा गया है कि सामाजिक और अन्य क्षेत्रों में तीन रिक्तियां हैं।.
इसके अलावा, पीएम केयर फंड ने देश भर से फंड जुटाए हैं। वास्तव में इस फंड को कैसे खर्च किया जाएगा, राज्यों को इससे कितना फायदा होगा, इस फंड से होने वाले खर्च का लेखा-जोखा CAG द्वारा सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
इस बीच, केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने वाघमारे की याचिका का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में उल्लिखित सभी बिंदुओं को पहले ही खारिज कर दिया है। एक याचिका को बिना नोटिस के खारिज कर दिया गया, जबकि दूसरे को वापस ले लिया गया। सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा समान मुद्दों को सुनने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने सिंह के तर्क को खारिज कर दिया। हम यहां सुप्रीम कोर्ट में उठाए गए मुद्दों की अनदेखी करेंगे। लेकिन, जनता को यह जानने का अधिकार है कि तीन लोगों को अभी तक इस फंड ट्रस्ट में क्यों नियुक्त नहीं किया गया है और पीएम केयर में जमा धन कैसे खर्च किया जाएगा। इसलिए, इन दो मुद्दों पर दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया गया था।
PMO ने पीएम केयर्स फंड को ‘लोक प्राधिकार’ घोषित करने संबंधी याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाये
संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 11 जून 2020 : नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ‘पीएम केयर्स फंड’ को आरटीआई कानून के तहत ‘लोक प्राधिकार’ घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका की विचारणीयता पर बुधवार दिल्ली उच्च न्यायालय में सवाल उठाये। वीडियो कांफ्रेंस के जरिये की गई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नवीन चावला को पीएमओ की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि वह एक जवाब दाखिल करेंगे जिसमें बताया जायेगा कि इस याचिका पर विचार क्यों नहीं किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने मामले को सुनवाई के लिए 28 अगस्त तक सूचीबद्ध कर दिया। उच्च न्यायालय सम्यक गंगवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ), पीएमओ के दो जून के एक आदेश को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन्हें इस आधार पर दस्तावेज उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया गया कि पीएम केयर्स फंड सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत एक लोक प्राधिकार नहीं है। याचिका में सीपीआईओ के आदेश को खारिज करने और आरटीआई आवेदन में उनके द्वारा मांगे गये दस्तावेज उपलब्ध कराये जाने के निर्देश देने का अनुरोध किया है। अधिवक्ताओं देबप्रियो मौलिक और आयुष श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के निपटने के लिए उठाये गये एक कदम के तहत पीएमओ ने 28 मार्च को एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) का गठन किये जाने की घोषणा की थी। पीएमओ ने प्रेस विज्ञप्ति में कोविड-19 महामारी के गंभीर स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों के मद्देनजर नागरिकों से पीएम केयर्स फंड में दान करने की अपील की थी।
याचिका में कहा गया है कि एक मई को याचिकाकर्ता ने एक आरटीआई आवेदन दायर किया था और पीएम केयर्स फंड की ‘ट्रस्ट दस्तावेज’ की एक प्रति, फंड से संबंधित दस्तावेज या पत्र और पूरी फाइल की एक प्रति मांगी थी जिसमें फंड का गठन करने का फैसला लिया गया। इसमें कहा गया है कि हालांकि पीएमओ के सीपीआईओ ने इस आधार पर दो जून को सूचना देने से इनकार कर दिया कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई अधिनियम के तहत कोई लोक प्राधिकार नहीं है।
इस निर्णय को याचिका में चुनौती दी गई है। प्रधानमंत्री, रक्षा, गृह और वित्त मंत्री पीएम केयर्स फंड के पदेन ट्रस्टी हैं। इस बीच पीएम केयर्स फंड को लेकर दायर एक अन्य याचिका वापस लिये जाने पर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता ने आरटीआई कानून के तहत आवेदन किये बगैर ही अदालत में यह याचिका दायर की थी। वकील सुरेंद्र सिंह हुड्डा ने याचिका दायर कर आरटीआई अधिनियम के तहत पीएम केयर्स फंड के बारे में सूचना दिये जाने का आग्रह किया था क्योंकि यह एक लोक प्राधिकार है। याचिकाकर्ता ने इस फंड में मिले धन का ब्योरा देने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
Monday, 1 June 2020
"फक्त ५ किलो तांदूळ" :संजय पाटील
राज्य सरकारची उच्च न्यायालयाच्या आदेशाला बगल
संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 2 जून 2020 : नागपूर : टाळेबंदीच्या काळात स्थलांतरित कामगार तसेच भूमिहीन मजूरांना जगणे कठीण झाले. राज्य सरकारने केवळ शिधापत्रिका असलेल्यांना धान्यवाटप केले. पण, शिधापत्रिका नसलेले आणि स्थलांतरित मजुरांवर उपाशी राहण्याची वेळ आली. याकडे न्यायालयाचे लक्ष वेधण्यााठी अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत या सामाजिक संस्थेने मुंबई उच्च न्यायालयाच्या नागपूर खंडपीठात याचिका दाखल केली. त्यावरील सुनावणी पश्चात उच्च न्यायालयाने राज्य सरकारला तातडीने शिधापत्रिका नसलेले आणि गरजू लोकांना शोधून काढण्यासाठी सव्र्हे करण्याचा १२ मे २०२० रोजी अंतरिम आदेश दिला. तसेच त्यांना १० किलो गहू, १० किलो तांदूळ, १ किलो तूर डाळ, १ किलो चना डाळ, १ किलो साखर, २५० ग्रॅम चहा पत्ती आणि १ किलो गोडे तेल मोफत देण्याचे स्पष्ट आदेश दिले आहे. राज्य सरकारने मात्र या आदेशाकडे दुर्लक्ष केले. राज्य शासनाने १९ मे २०२० रोजी निर्णय घेत शिधापत्रिका नसलेल्या आणि गरजवंतांना मे आणि जून महिन्यात प्रतिव्यक्ती केवळ ५ किलो तांदूळ वितरित करण्याचा निर्णय घेतला.
टाळेबंदीमुळे गरीब वर्गाची उपासमार होत असल्याने त्यांना अन्नधान्याची किट (१० किलो गहू, १० तांदूळ, १ किलो तूर डाळ, १ किलो तेल) वाटप करण्याच्या आदेशाला बगल देत राज्य सरकारने केवळ ५ किलो तांदूळ दोन महिन्यांसाठी वितरित करण्याचा आदेश काढला आहे.
करोना प्रादुर्भावाच्या पार्श्वभूमीवर केंद्राच्या पंतप्रधान गरीब कल्याण योजनेअंर्तगत राष्ट्रीय अन्नसुरक्षा योजनेत शिधापत्रिका नसलेल्यांना अन्नधान्याचा लाभ देण्यात आला नाही. त्यांना आत्मनिर्भर भारत वित्तीय सहाय पॅकेजअंतर्गत विस्थापित मजुरांना मे व जून २०२० या दोन महिन्यांकरिता प्रतिव्यक्ती प्रतिमाह पाच किलो तांदूळ मोफत देण्यात येत आहे, असे राज्य सरकारने आपल्या आदेशात म्हटले आहे.
छगन भुजबळ, अन्न व नागरी पुरवठा मंत्री : "राष्ट्रीय अन्नसुरक्षा कायद्याखाली केंद्र सरकारकडून मिळालेले धान्य राज्य सरकार नागरिकांना पुरवठा करीत असते. काही कार्यक्रम राज्य सरकार स्वत: राबवत असते. जसे केसरी कार्डधारकांना आम्ही खरेदी करून धान्य वाटप केले. साखर अंत्योदय कार्डधारकांना देतो. तेल आणि साखरेचा पुरवठा याकडे लक्ष देतो. नागपुरात राबवण्यात आलेला कार्यक्रम राज्य आपत्ती व्यवस्थापन निधी (एसडीआरएफ) आधारित कार्यक्रम आहे. त्याच अनुषंगाने उच्च न्यायालयाचा आदेश आहे."
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रेशन दुकानदारांचे आंदोलन "धान्यपुरवठा ठेवणार बेमुदत बंद" : संजय पाटील
संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 2 जून 2020 : नागपूर: सरकारी कर्मचाऱ्याचा दर्जा मिळावा, यासह विविध मागण्यांसाठी रेशन दुकानदारांनी अनिश्चित काळासाठी धान्यपुरवठा बंद ठेवण्याचा निर्णय घेतला आहे. याची सुरुवात सोमवारपासून नागपूरसह संपूर्ण राज्यभरात झाली. करोनाच्या संसर्गाची भीती न बाळगता दररोज शेकडो नागरिकांना धान्य वितरणाचे कर्तव्य बजावत असतानाही उपेक्षा होत असल्याचे रेशन दुकानदारांचे म्हणणे आहे.
राज्यातील ५२,३७० तर शहरातील सुमारे दीड हजार रेशन दुकानदार धान्य वितरणाचे कार्य करत आहेत. मात्र, त्यांच्या कार्याकडे लक्ष न देता काहीजणांनी त्यांच्याविरुद्ध सातत्याने तक्रारीचा सूर लावला आहे. काही प्रमाणात रेशन दुकानदारांकडून फसवणूक वा गैरव्यवहार झाला असण्याची शक्यता नाकारण्याजोगी नाही. परंतु, त्यामुळे सरसकट सर्व दुकानदारांना आरोपीच्या पिंजऱ्यात उभे करण्यात येत आहे. तसेच त्यांच्या मागण्यांवर कुठलीही कार्यवाही होत नसल्याचे दिसून येत आहे. विदर्भ रास्त भाव दुकानदार केरोसिन विक्रेता संघटनेने केलेल्या मागण्यांमध्ये रेशन दुकानदारांना शासनाचा प्रत्यक्ष कर्मचारी दर्जा देऊन मासिक तीस ते चाळीस हजार रुपये वेतन द्यावे. ई-पॉस मशिनमये सुधारणा करण्यात यावी, रेशन दुकानदारांना पन्नास लाखांचा विमा काढून देण्यात यावा, आदींचा समावेश आहे. तामिळनाडू सरकारने रेशन दुकानदारांना मानधन तत्त्वावर न ठेवता 'सरकारी कर्मचारी' असा दर्जा दिला आहे. तसेच राज्य सरकारने करायला हवे. करोनाचा संसर्ग रोखण्यासाठी धान्य वितरण करताना ई-पॉस मशिनवर लाभार्थ्यांचे अंगठे घेण्यास मज्जाव करण्यात आला आहे. त्याऐवजी दुकानदारानेच बायोमेट्रिक पद्धतीने अंगठा लावून वितरण करायचे आहे. ही सुविधा येत्या ३१ मेपर्यंत आहे. त्याला मुदतवाढ देण्याबाबत संघटना आग्रही आहे.
शासन-प्रशासन, दखल घ्या!
यासंदर्भात वेळोवेळी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, अन्न व नागरी पुरवठामंत्री छगन भुजबळ, जिल्हाधिकारी यांना निवेदन देण्यात आले. परंतु, त्याचा काहीही उपयोग झाला नाही. त्यामुळे अनिश्चितकाळासाठी पुरवठा बंद करण्याचा निर्णय घेण्यात आला आहे. सोमवारीसुद्धा मागण्यांबाबतचे निवेदन उपजिल्हाधिकारी अनिल सवाई यांना देण्यात आले. तसेच त्यांच्या कार्यालयाबाहेर मागण्यांचे फलक धरून निदर्शने करण्यात आली.
रेशनदुकानदारांचा संप मागे
संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : नागपूर : 09 जून 2020 : लॉकडाउनच्या काळात गरजू लाभार्थ्यांपर्यंत धान्य पोहोचविण्यात महत्त्वाची भूमिका बजावणाऱ्या रेशन धान्य दुकानदारांनाही विम्याचे संरक्षण द्या, अशी मागणी करीत १ जूनपासून संप पुकारण्यात आला होता. तो सोमवारी मागे घेण्यात आला. कोव्हिड योद्धा म्हणून रेशन धान्य दुकानदारांनाही विम्याचे संरक्षण देण्याचे आश्वासन शासनाकडून देण्यात आल्याने हा निर्णय घेण्यात आला.
लॉकडाउनच्या काळातही गरजूंपर्यंत धान्य पोहोचविण्यासाठी जिल्ह्यातील १२०० रेशन धान्य दुकानदार अविरत काम करीत आहेत. करोनाचा धोका या सर्व दुकानदारांनाही आहे. इतर करोना योद्ध्यांना शासनाकडून ५० लाखांचे विमा संरक्षण दिले जात असताना आम्हाला का नाही, असा प्रश्न उपस्थित करीत रेशन धान्य दुकानदारांनी संप पुकारला होता. शासन सकारात्मक निर्णय घेत नाही तोपर्यंत रेशन धान्य दुकाने सुरू करणार नसल्याचा पवित्रा विदर्भ रास्तभाव केरोसिन विक्रेता संघाचे अध्यक्ष संजय पाटील यांनी घेतला होता. रविवारी आमदार विकास ठाकरे यांनी मध्यस्थी करून अर्थमंत्री अजित पवार यांच्याशी या विषयावर चर्चा केली. पुरवठा विभागाकडून रेशन दुकानदारांना विम्याचे संरक्षण देण्याचा सकारात्मक प्रस्ताव अर्थमंत्रालयाकडे पाठविण्यात आल्याची माहिती यावेळी देण्यात आली. यावर आता सकारात्मक निर्णय घेण्याचे आश्वासन मिळाल्याने संप मागे घेतला असल्याचे पाटील यांनी सांगितले.
लाभार्थ्यांना मिळणार धान्य
जिल्हा पुरवठा कार्यालयाकडून रेशनकार्ड असणाऱ्यांनाच धान्य देण्यात येत असल्याने इतर लाखोंचा प्रश्न अद्याप कायम आहे. न्यायालयाच्या निर्देशानुसार, रेशनकार्ड नसणाऱ्या गरजूंचे सर्वेक्षण करण्यात आले. यानुसार जिल्ह्यात ७१ हजार ५२२ कुटुंबांकडे हे कार्ड नसल्याचे पुढे आले. या कुटुंबांत राहणाऱ्या २ लाख ८६ हजार ८८ लाभार्थ्यांना आता मे आणि जून महिन्याचे मोफत धान्य देण्याची प्रक्रिया हाती घेण्यात आली होती. नुकतेच हे सर्वेक्षण पूर्ण झाले असून लाभार्थ्यांना १ जूनपासून धान्य वितरित करण्याचे शासनाचे नियोजन होते. मात्र, संपामुळे या लाभार्थ्यांना धान्य मिळू शकले नाही. सामाजिक कार्यकर्ते विजय तिवारी यांनीही जिल्हाधिकारी रवींद्र ठाकरे यांच्याकडे याबाबत तक्रार दाखल केली होती. आता धान्य मिळण्याचा मार्ग मोकळा झाला आहे.
नितिन राऊतने कहा, ‘एक राष्ट्र एक राशनकार्ड’ पर अध्ययन करें : संजय पाटिल
संजय पाटिल :नागपुर प्रेस मीडिया : २ जून २०२० : नागपुर. केन्द्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक राशनकार्ड’ की योजना 20 राज्यों में 1 जून से लागू करने की घोषणा की है. पालक मंत्री नितिन राऊत ने कहा कि इस योजना के संदर्भ में संभ्रम की स्थिति है इसलिए अमल में लाने में अड़चन आ सकती है. इसका विस्तारपूर्वक अध्ययन करने की जरूरत है. इस योजना को अमल में लाने के लिए राज्य के निवासी लाभार्थी के साथ ही लाभ लेने वाले प्रवासी मजदूरों की किसी राज्य से कितनी संख्या है इसकी निश्चित जानकारी होनी चाहिए.
केन्द्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक राशनकार्ड’ की योजना 20 राज्यों में 1 जून से लागू करने की घोषणा की है. पालक मंत्री नितिन राऊत ने कहा कि इस योजना के संदर्भ में संभ्रम की स्थिति है इसलिए अमल में लाने में अड़चन आ सकती है.
देश में लगभग 81 करोड़ राशन कार्डधारक हैं. सर्वर का अपग्रेडेशन व इंटरनेट कनेक्टिविटी गांव तक पहुंचने का मुद्दा महत्वपूर्ण है. इस योजना को राज्यों पर थोपने से उसका मजाक न बन जाए और लाभार्थियों को परेशानी न हो, यह संदेह राऊत ने व्यक्त किया. उन्होंने राज्यों का कोटा निर्धारण के संदर्भ में भी सवाल उठाए कि अगर बाहरी राज्यों के राशन कार्डधारकों को भी कहीं से भी राशन लेने की छूट होगी तो उस राज्य का अनाज कोटा कैसे निर्धारित होगा. उन्होंने योजना को लागू करने के पहले कुछ बिंदुओं पर गंभीरता से अध्ययन करने की जरूरत बताई.
गृहमंत्री अनिल देशमुख यांनी टोळांचा झुंडका परिस्थितीचा आढावा घेत खेड्यांना भेट दिली : संजय पाटील
संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 1 जून 2020 : महाराष्ट्राचे गृहमंत्री अनिल देशमुख यांनी जिल्ह्यातील काटोल तहसीलमधील टोळहल्ला पिकांचे नुकसान झालेल्या गावांना भेट दिली. त्यांनी कृषी विभागाच्या अधिका d्ना शेतक f्याचे हित जपण्यासाठी आवश्यक ती पावले उचलण्यास सांगितले. अलीकडेच विदर्भाच्या विविध भागात टोळांनी पीक आणि वनस्पतींवर हल्ला केला
नागपूर जिल्ह्यात टोळ टोळ्यांनी काटोल तहसीलमधील अनेक गावात पिकांचे नुकसान केले. 30 मे रोजी (शनिवारी) रात्री कचोरी सवंगा, सोनपूर, गणेशपूर, शेकापूर व काटोल तहसीलमधील इतर खेड्यांमध्ये टोळक्यांनी पिकांचे नुकसान केले. यासंदर्भात माहिती मिळाल्यानंतर देशमुख यांनी रात्री उशिरा या गावांचा दौरा केला. देशमुख यांच्यासमवेत कृषी विभागाचे अधिकारी. शेतकर्यांनी त्याला शेताच्या हद्दीत खराब झालेले पिके आणि झाडाची अर्धा खाल्लेली पाने दाखवली. परिस्थितीचा आढावा घेतल्यानंतर देशमुख यांनी कृषी विभागाच्या अधिका d्यांना शेतक f्यांच्या हिताचे रक्षण करण्यासाठी आवश्यक ती पावले उचलण्यास सांगितले. ते म्हणाले, “फळ, भाजीपाला आणि इतर पिकांचे किमान नुकसान झाले आहे हे पाहण्यासाठी पावले उचला.”
गृहराज्यमंत्री यांनी फटाके इत्यादींचा मोठा आवाज आणि टोळ टोळांपासून पिके वाचवण्यासाठी धूर निर्माण करण्यास सांगितले. टोळांच्या झुंडीने जवळच्या जंगलात सागवानांच्या झाडावर हल्ला केला आणि या झाडांवर एकही पान सोडले नाही. टोळांनी 25 मे रोजी काटोल व नरखेड तहसीलमध्ये पिकांवर हल्ला केला होता. त्यानंतर कृषी विभागाने टोळांनी भरून असलेल्या झाडांवर कीटकनाशके फवारण्यासाठी चार फायर टेंडर व ट्रॅक्टरची सेवा बजावली होती . यामुळे टोळ दूर गेले. तथापि, 30 मे रोजी टोळ झुंडी भोरगड, केदारपूर, लाडगाव, सबकुंड, पंचधर, मेंधेपठार, गणेशपूर, मराकसुर इत्यादी ठिकाणी परत आल्या. टोळ झुंडीने ही गावे सोडली. रविवारी टोळ झुंडी बाजगावगाव जंगलाकडे पळून गेल्याचे सांगण्यात आले. श्रीकांत उंबरकर, उपविभागीय अधिकारी; अजय चरडे, तहसीलदार; सुनील साने, गट विकास अधिकारी; निलेश कदम, नायब तहसीलदार; सुरेश कन्नाके, तहसील कृषी अधिकारी; एफ आर आझमी, रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर; प्रतीक पवळे; चंद्रशेखर कोल्हे, जिल्हा परिषद सदस्य (जि.प.); चंद्रशेखर चिखले, जि.प.चे माजी उपाध्यक्ष; तारकेश्वर शेळके, कृषी उत्पन्न पणन समितीचे अध्यक्ष; गृहमंत्र्यांच्या भेटीदरम्यान संजय डांगोरे, राष्ट्रपाल पाटील, सतीश चव्हाण, स्वप्निल व्यास, संजय राऊत, आकाश गजबे, निलेश दुबे, नितेश ठावळे आदी उपस्थित होते.
टोळ झुंडीने रविवारी कळमेश्वर तहसीलमधील तिष्टी भागात पिकांवर हल्ला केला. भाजीपाला, केशरी, मोसंबी वगैरे या पिकांवर हल्ला करण्यात आला. टोळ टोळ्यांनी दुपारी 12 च्या सुमारास त्या भागात हल्ला केला. तिष्टी बुज्रुक भागातील शेतांवर हल्ला करण्यापूर्वी टिडंगी, दाधेरा इ. टोळ टोळीमुळे पिकांचे नुकसान झाले. आकाशात टोळांचा झुंडके पाहून त्यांना शेतकरी घाबरला. ते पाऊल उचलण्यापूर्वी टोळांनी संत्री, मोसंबी, वांगी व इतर भाजीपाला पिकांवर हल्ला केला. काही शेतकर्यांनी फटाके फोडून किंवा ड्रम मारहाण करून किंवा कोरडा कचरा जाळण्याच्या मार्गाने टोळांना तेथून दूर जाण्याचा प्रयत्न केला. तथापि, अनेक शेतकर्यांचे म्हणणे आहे की, त्यांचे नुकसान पिके खराब होण्यापूर्वी टोळांचा नाश करण्यास अपयशी ठरले.
Sunday, 31 May 2020
नितीन राऊत, "कोविड -19 वर नागपूर पॅटर्न उत्तम " : संजय पाटील
संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 1 जून 2020 : कोरोना रूग्णांची संख्या नियंत्रित करण्यासाठी जिल्हा प्रशासन आणि आरोग्य सेवा यंत्रणा यांच्यात परस्पर समन्वयाचे उत्तम उदाहरण नागपूर जिल्ह्यात आहे. भविष्यातही, विशेषत: पावसाळ्याच्या काळात कोरोना साथीच्या आजारावर नियंत्रण ठेवण्यासाठी आरोग्य यंत्रणेने कठोर परिश्रम करणे आवश्यक आहे, असे नागपूर जिल्हा पालकमंत्री डॉ. नितीन राऊत यांनी सांगितले. दुसर्या दिवशी विभागीय आयुक्त कार्यालयात झालेल्या जिल्हास्तरीय आढावा बैठकीला डॉ राऊत बोलत होते.
संजीव कुमार विभागीय आयुक्त डॉ. मनपा आयुक्त, तुकाराम मुंढे; भूषणकुमार उपाध्याय, पोलिस आयुक्त डॉ. जिल्हाधिकारी रवींद्र ठाकरे; पोलिस अधीक्षक, राकेश ओला; अतिरिक्त जिल्हाधिकारी प्रकाश पाटील; जीएमसीएच डीन, डॉ सजल मित्र; आढावा बैठकीस आयजीजीएमसीचे डीन, डॉ अजय केवलिया व अन्य अधिकारी उपस्थित होते. कोरोनाशी संबंधित आजारांवर उपाय योजना राबवताना आरोग्यसेवा प्रशासनाने कोरोना बाधित रूग्णांच्या उपचारांच्या मानक मार्गदर्शक सूचना पाळल्या पाहिजेत.
आरोग्य सेवेच्या अधिका्यांनी आणि कामगारांनी मानक उपचार मार्गदर्शक तत्त्वांच्या अंमलबजावणीवर लक्ष ठेवले पाहिजे आणि आवश्यक असल्यास, देखरेख करण्यासाठी जबाबदार अधिकारी नियुक्त केले पाहिजे. पावसाळ्यात मनपा तसेच जिल्हा प्रशासनाला लोकांच्या आरोग्यासाठी कठोर परिश्रम करावे लागतात. प्रशासनाने योग्य नियोजन करून काम केले पाहिजे आणि त्यानुसार व्यवस्था करावी, असे डॉ. राऊत यांनी पालकमंत्र्यांनी निर्देश दिले.बाहेरून किंवा शहरातून ग्रामीण भागात जिल्ह्यात येणा e्या कामगार-कामगारांची विशेष काळजी घ्यावी, अशी सूचनाही दिले . ग्रामीण भागातील शाळा आणि संस्थांमध्ये केले जावे आणि मानक मार्गदर्शक तत्त्वांचे निरीक्षण करणे आवश्यक आहे. पुरेशा अन्न पुरवठ्याची काळजी घ्यावी आणि रेशनकार्ड असलेल्या लोकांची संपूर्ण यादी तयार करावी, असा सल्लाही त्यांनी प्रशासनाला दिला. शिधापत्रिका नसलेल्यांना ऑनलाईन अर्ज करुन ते देण्यात यावेत, असेही ते म्हणाले.