संजय पाटील : नई दिल्ली : चीन छोड़कर भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकाई लगाने की इच्छुक लगभग 1000 कंपनियों के भारत सरकार के संपर्क में रहने की खबर आने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। गडकरी ने कहा कि भारत को कोरोना वायरस महामारी के बीच चीन के लिए विश्व की ‘घृणा’ को बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आकर्षित करके अपने लिए आर्थिक अवसर के रूप में देखना चाहिए। गडकरी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए प्रवासी भारतीय छात्रों से रूबरू होते हुए कहा, ‘सारी दुनिया में अब, उनमें चीन के लिए घृणा है। क्या हमारे लिए इसे भारत के लिए एक अवसर में बदलना संभव है।’
'विदेशी निवेश को आकर्षित करेंगे'
चीन से बाहर जाने वाले व्यवसायों के लिए जापान द्वारा आर्थिक पैकेज घोषण का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हमें इस पर सोचना चाहिए और हम इस पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हम उन्हें और हर उस चीज को मंजूरी देंगे और विदेशी निवेश आकर्षित करेंगे।’
'वायरस की सूचना संवेदनशील विषय'
जब उनसे पूछा गया कि यदि यह पाए जाने पर कि चीन ने कोरोना वायरस से जुड़ी सूचना को जानबूझकर छिपाया है तो क्या भारतकोई कार्रवाई करेगा, उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील विषय है, जो विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री से जुड़ा है और इसलिए इस पर उनका प्रतिक्रिया देना उचित नहीं होगा।
1000 कंपनियां सरकार के संपर्क में
बीते दिनों खबर आई थी कि कोरोना वायरस महामारी के कारण पैदा हुई दिक्कतों के बीच लगभग 1000 विदेशी कंपनियां सरकार के अधिकारियों से भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाने को लेकर बातचीत कर रही हैं। बिजनस टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कम से कम 300 कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स तथा सिंथेटिक फैब्रिक्स के क्षेत्र में भारत में फैक्ट्रियां लगाने के लिए सरकार से सक्रिय रूप से संपर्क में हैं। अगर बातचीत सफल होती है तो यह चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।
चीन से दुनिया का पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब होने का तमगा छिन सकता है। कोरोना वायरस महामारी के कारण पैदा हुई दिक्कतों के बीच लगभग 1000 विदेशी कंपनियां सरकार के अधिकारियों से भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाने को लेकर बातचीत कर रही हैं। बिजनस टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कम से कम 300 कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइसेज, टेक्सटाइल्स तथा सिंथेटिक फैब्रिक्स के क्षेत्र में भारत में फैक्ट्रियां लगाने के लिए सरकार से सक्रिय रूप से संपर्क में हैं। अगर बातचीत सफल होती है तो यह चीन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।
सरकार को मिला प्रस्ताव
ये कंपनियां भारत को वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देखती हैं और सरकार के विभिन्न स्तरों के समक्ष अपना प्रस्ताव पेश कर चुकी हैं, जिनमें विदेश में भारतीय दूतावास तथा राज्यों के उद्योग मंत्रालय शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'वर्तमान में लगभग 1000 कंपनियां विभिन्न स्तरों जैसे इन्वेस्टमेंट प्रमोशन सेल, सेंट्रल गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स और राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर रही हैं। इन कंपनियों में से हमने 300 कंपनियों को लक्षित किया है।'
महामारी खत्म होने के बाद बड़ा बदलाव
उन्होंने कहा, 'हम इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि एक बार जब कोरोना वायरस महामारी नियंत्रण में आ जाती है, हमारे लिए कई फलदायक चीजें सामने आएंगी और भारत वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग गंतव्य के रूप में उभरेगा। जापान, अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया जैसे कई देश चीन पर हद से ज्यादा निर्भर हैं और यह साफ दिख रहा रहा है।'
सरकार ने किए कई उपाय
देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में एक बड़े फैसले के तहत कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 25.17 फीसदी कर दिया था। नई फैक्ट्रियां लगाने वालों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 17 फीसदी पर ला दिया था, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे कम है। कॉर्पोरेट टैक्स रेट में कटौती के साथ-साथ देशभर में लागू जीएसटी से भारत को उम्मीद है कि वह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अच्छा-खासा निवेश आकर्षित करेगा।
नागपुर। लॉकडाउन के बीच केंद्रीय महामार्ग परिवहन, सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्योग मंत्री नितीन गडकरी लोगों से संवाद साध रहे हैं। वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से अधिकारियों व व्यापार उद्योग क्षेत्र के लोगों के साथ सतत विचार-विमर्श करते हुए दिशा-निर्देश दे रहे हैं। बताया गया है कि, लॉकडाउन घोषित होने से अब तक गडकरी ने डेढ़ करोड़ लोगों से विविध माध्यमों से संवाद साधकर चर्चा की है। उन्हें संंकट में संयम रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने केंद्र सरकार के वित्त, वाणिज्य व रेलवे विभाग आदि से संबंधित मंत्रियों के साथ चर्चा करके व पत्र व्यवहार करके आवश्यक उपाययोजना कराई है। देश में आर्थिक मामले में आत्मनिर्भरता के बारे में वे दिशा-निर्देश दे रहे हैं। निर्यात बढ़ाने की उपाययोजना भी सुझा रहे हैं।
पत्रकार व विद्यार्थियों से भी चर्चा
गडकरी ने कहा है कि, मुंबई, पुणे व गुडगांव जैसे विकसित शहरों के अलावा अन्य शहरों में भी औद्योगिक विकास होना चाहिए। कृषि आधारित उद्योगों से इन क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार दिलाया जा सकता है। 10 दिन में गडकरी ने व्यावसायिक प्रतिनिधि, पत्रकार, उद्योजक व महाविद्यालयीन विद्यार्थियों से वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से चर्चा की है। एफआईसीसीआई, एसएमई, पीएचडी, चेंबर ऑफ कॉमर्स, एआईपीएमए, भारतीय शिक्षण मंडल, यंग प्रेसिडेंट आर्गनाइजेशन, महाराष्ट्र इकोनॉमिकल डेवलपमेंट काउंसिल, एसोचेम, सीईओ क्लब ऑफ इंडिया, भारत चेंबर ऑफ कॉमर्स, क्रेडाई मुंबई आदि संगठनों के प्रतिनिधियों से ऑनलाइन संवाद साधा है।
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