Sunday, 31 May 2020

नितीन राऊत, "कोविड -19 वर नागपूर पॅटर्न उत्तम " : संजय पाटील

नितीन राऊत, "कोविड -19 वर नागपूर पॅटर्न उत्तम " : संजय पाटील

Maharashtra minister targets Brahmins over CAA and NRC and NPR

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया :  1 जून 2020 : कोरोना रूग्णांची संख्या नियंत्रित करण्यासाठी जिल्हा प्रशासन आणि आरोग्य सेवा यंत्रणा यांच्यात परस्पर समन्वयाचे उत्तम उदाहरण नागपूर जिल्ह्यात आहे. भविष्यातही, विशेषत: पावसाळ्याच्या काळात कोरोना साथीच्या आजारावर नियंत्रण ठेवण्यासाठी आरोग्य यंत्रणेने कठोर परिश्रम करणे आवश्यक आहे, असे नागपूर जिल्हा पालकमंत्री डॉ. नितीन राऊत यांनी सांगितले. दुसर्‍या दिवशी विभागीय आयुक्त कार्यालयात झालेल्या जिल्हास्तरीय आढावा बैठकीला डॉ राऊत बोलत होते.

संजीव कुमार  विभागीय आयुक्त डॉ. मनपा आयुक्त, तुकाराम मुंढे; भूषणकुमार उपाध्याय, पोलिस आयुक्त डॉ. जिल्हाधिकारी रवींद्र ठाकरे; पोलिस अधीक्षक, राकेश ओला; अतिरिक्त जिल्हाधिकारी प्रकाश पाटील; जीएमसीएच डीन, डॉ सजल मित्र; आढावा बैठकीस आयजीजीएमसीचे डीन, डॉ अजय केवलिया व अन्य अधिकारी उपस्थित होते. कोरोनाशी संबंधित आजारांवर उपाय योजना राबवताना आरोग्यसेवा प्रशासनाने कोरोना बाधित रूग्णांच्या उपचारांच्या मानक मार्गदर्शक सूचना पाळल्या पाहिजेत.

आरोग्य सेवेच्या अधिका्यांनी आणि कामगारांनी मानक उपचार मार्गदर्शक तत्त्वांच्या अंमलबजावणीवर लक्ष ठेवले पाहिजे आणि आवश्यक असल्यास, देखरेख करण्यासाठी जबाबदार अधिकारी नियुक्त केले पाहिजे. पावसाळ्यात मनपा तसेच जिल्हा प्रशासनाला लोकांच्या आरोग्यासाठी कठोर परिश्रम करावे लागतात. प्रशासनाने योग्य नियोजन करून काम केले पाहिजे आणि त्यानुसार व्यवस्था करावी, असे  डॉ. राऊत यांनी पालकमंत्र्यांनी निर्देश दिले.बाहेरून किंवा शहरातून ग्रामीण भागात जिल्ह्यात येणा e्या कामगार-कामगारांची विशेष काळजी घ्यावी, अशी सूचनाही दिले .  ग्रामीण भागातील शाळा आणि संस्थांमध्ये केले जावे आणि मानक मार्गदर्शक तत्त्वांचे निरीक्षण करणे आवश्यक आहे. पुरेशा अन्न पुरवठ्याची काळजी घ्यावी आणि रेशनकार्ड असलेल्या लोकांची संपूर्ण यादी तयार करावी, असा सल्लाही त्यांनी प्रशासनाला दिला. शिधापत्रिका नसलेल्यांना ऑनलाईन अर्ज करुन ते देण्यात यावेत, असेही ते म्हणाले.
महाराष्‍ट्र में 30 जून तक बढ़ा लॉकडाउन :संजय पाटिल

महाराष्‍ट्र में 30 जून तक बढ़ा लॉकडाउन :संजय पाटिल


ट्रंप के भारत दौरे के कारण देश में फैला कोरोना वायरस: शिवसेना
ट्रम्प के कार्यक्रम के कारण कोरोना भारत में फैल गया: शिवसेना

संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 31 मई 2020 : मुंबई : महाराष्‍ट्र सरकार ने राज्‍य में 30 जून तक लॉकडाउन बढ़ाते हुए इसे 'मिशन बिगिन अगेन' नाम दिया है। महाराष्‍ट्र में जरूरी कामों को छोड़कर पूरे राज्य में रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू जारी रहेगा। राज्‍य के सीएम उद्धव ठाकरे ने अधिकारियों से कहा है कि कोरोना का एक केस भी नहीं छिपना चाहिए। केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण से निबटने के अगले चरण में देश भर में कई रियायतें देते हुए अनलॉक 1 का ऐलान किया है।

कुछ जगहों पर छूट 1 जून से

महाराष्ट्र सरकार ने लॉक डाउन को 30 जून तक बढ़ाया। पर इस बार अनलॉक 1.0 के कारण कई जगहों पर छूट दी जा रही है। पहले फेज की शुरुआत 3 जून से की जाएगी। इसमें लोग जॉगिंग, साइकिलिंग, रनिंग कर सकेंगे। इसके लिए खुली जगह जैसे ग्राउंड, गार्डन, बीच पर जाने की अनुमति होगी। प्लम्बर, इले‍क्ट्रिशन, पेस्ट कंट्रोल को अनुमति दी गई है, इसके अलावा गैरेज खोलने की भी अनुमति है। सरकारी संस्थाएं 15 फीसदी कर्मचारियों के साथ काम कर सकेंगी।

दूसरा फेज 5 जून से शुरू होगा

दूसरे फेज की शुरुआत 5 जून से की जाएगी। मार्केट एरिया, दुकानों को ऑड इवन डे में खोलने की अनुमति है। मॉल को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है। मार्केट में सोशल डिस्‍टेंसिंग का ख्याल रखना होगा, अगर इसका पालन नहीं हुआ तो मार्केट को बंद किया जा सकता है। टैक्सी, रिक्शा, कैब को सीमित यात्रियों के साथ जाने की अनुमति दी जाएगी।

तीसरा फेज 8 जून से

तीसरे फेज की शुरुआत 8 जून से की जाएगी। निजी आफिस 10 फीसदी कर्मचारियों के साथ चल सकते हैं। जिले के भीतर ही 50 फीसदी प्रवासियों के साथ बस चलाने की अनुमति होगी। एक जिले से दूसरे जिले में बस नहीं चलेंगी। लेकिन स्कूल और शैक्षणिक संस्थाएं, मेट्रो रेल, अंतराष्ट्रीय उड़ान, पैसेंजर ट्रेन, सिनेमा हॉल, जिम, स्विमिंग पूल धार्मिक संस्थाओं को अनुमति नहीं दी गई है।

कोरोना केस पर अधिकारियों को सख्त निर्देश

रविवार को राज्‍य के सीएम उद्धव ठाकरे ने फेसबुक पर एक व‍ीडियो जारी करके अफसरों को निर्देश दिया कि महाराष्‍ट्र में कोरोना का एक भी मामला जनता से छिपाया न जाए। उद्धव ने कहा, 'यह सच है कि कुछ मामले सामने आएंगे लेकिन हम समय रहते उन पर ऐक्‍शन लेंगे। मैंने पहले दिन से ही अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कोरोना के एक भी मामले को न छिपाया जाए।'

सच सामने आना चाहिए: सीएम

ठाकरे ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा, 'अगर कोरोना के मामलों छिपाए गए तो इससे गंभीर खतरा पैदा हो सकता है और यह वायरस राज्‍य में और आगे फैल सकता है। अगर मृत्‍यु दर अचानक से बढ़ गई तब क्‍या होगा? तब सभी पर जोखिम आएगा। इसलिए हम इस अशुभ दिशा में बढ़ना ही नहीं चाहते।' सीएम ने आगे कहा है, 'सच सामने आना चाहिए और हम सभी मिलकर इसका सामना करेंगे। हमें जो कुछ पता है हम लोगों को उसकी जानकारी देंगे। हम जनता से सहयोग की अपील करेंगे क्‍योंक यह उन्‍हीं के लिए है।

कर्फ्यू में इन लोगों को छूट

महाराष्‍ट्र ने 19 मई के दिशा-निर्देशों में अब तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके अनुसार पूरे राज्य में रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू जारी रहेगा। हालांकि सैर पर निकलने वालों, घूमने वालों और कसरत करने वालों को समुद्र किनारे, खुले मैदानों में सुबह 5 से शाम 7 बजे तक जाने की मंजूरी दी है।

महाराष्‍ट्र की हालत सबसे खराब

देशभर में कोरोना के मामले महाराष्‍ट्र में सबसे ज्‍यादा पाए गए हैं। इस समय राज्‍य में करीब 64,168 कोरोना पॉजिटिव हैं। राज्य में 2,197 मरीजों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो चुकी है जबकि 28,081 मरीज इलाज के बाद महामारी से उबर चुके हैं। फिलहाल राज्‍य में 3,169 कंटेनमेंट जोन हैं जबकि 5 लाख, 51 हजार, 660 लोग होम क्‍वारंटीन हैं, वहीं 72,681 संस्‍थागत क्‍वारंटीन में हैं। अकेले मुंबई में ही 38,442 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। महानगर में कोरोना से 1,227 लोगों की मौत हो चुकी है।

Saturday, 30 May 2020

India to Loosen Lockdown Despite Record Cases : Sanjay Patil

India to Loosen Lockdown Despite Record Cases : Sanjay Patil

Coronavirus in India
Sanjay Patil : Nagpur Press Media :  31 May 2020 : From 8 June, restaurants, hotels, shopping centres and places of worship will be allowed to re-open in many areas in the first stage of a three-phase plan. Weeks later, probably in July, schools and colleges will resume teaching.
But areas with high numbers of Covid-19 cases will remain under tight lockdown. The plan comes after India registered a new record single-day rise in confirmed infections, with nearly 8,000 cases reported on Saturday.
In total India has recorded some 174,500 cases and nearly 5,000 deaths. The nation of 1.3 billion has been hit less hard by the coronavirus than many other countries. It went into a strict lockdown more than two months ago when the confirmed caseload was in the hundreds. Official data suggests the decision prevented the loss of between 37,000 and 78,000 lives.
However the cost to the economy has been high and pictures of millions of informal workers leaving cities for their rural villages after losing their jobs - some of them on foot - shocked the country.
Health officials say that they are able to further lift the lockdown in many places because most cases have been restricted to urban areas in a handful of states.
More than 80% of the active cases are in five states - Maharashtra, Tamil Nadu, Delhi, Gujarat and Madhya Pradesh - and more than 60% of the cases are in five cities, including Mumbai, Delhi and Ahmedabad, according to official data.
As part of the three-phase plan:
  • Shopping centres, places of worship, hotels, restaurants and other hospitality services will open from 8 June (guidelines will be released to ensure social distancing)
  • School and colleges may open later - possibly in July - after consultations with states
  • International travel, metro services, cinemas, sporting events and gyms will be allowed to restart in an undated third phase but this will depend on "the situation"
  • A night curfew will remain in place but shorten by two hours - from 21:00-05:00 instead of 19:00-07:00
These measures will not apply to designated "containment zones" where the virus is believed to be transmitting at a higher rate. Such zones are at the district or neighbourhood level.
The city of Mumbai, India's financial capital. in Maharashtra state, has one of the highest numbers of containment zones, reports suggest. Hospitals there are struggling to cope with an influx of virus patients.
The reported infection rate - the number of infections for every 100 tests - in Maharashtra is three times the national average. People will be restricted from moving between containment zones and non-containment zones but there will be no restriction on general inter-state travel, the government says.
Since the first case of coronavirus at the end of January, India has reported more than 150,000 Covid-19 infections. More than 4,000 people have died of the infection.
To put this in some context, as of 22 May, India's testing positivity rate was around 4%, the death rate from the infection around 3% and the doubling rate of infection - or the amount of time it takes for the number of coronavirus cases to double - was 13 days. The recovery rate of infected patients was around 40%.
All this is markedly lower than in the countries badly hit by the pandemic. Like elsewhere in the world, there are hotspots and clusters of infection. More than 80% of the active cases are in five states - Maharashtra, Tamil Nadu, Delhi, Gujarat and Madhya Pradesh - and more than 60% of the cases in five cities, including Mumbai, Delhi and Ahmedabad, according to official data.
More than half of people who have died of the disease have been aged 60 and older and many have underlying conditions, hewing to the international data about elderly people being more vulnerable to the disease.
The more than two-month-long grinding lockdown, official data suggests, has prevented the loss of between 37,000 and 78,000 lives. A paper published in Harvard Data Science Review appears to support that - it shows an eight-week lockdown can prevent about two million cases and, at a 3% fatality rate, prevent some 60,000 deaths.
"Infection has remained limited to certain areas. This also gives us confidence to open up other areas. It is so far an urban disease," says VK Paul, who heads the medical emergency management plan on Covid-19.
This is where such claims enter uncertain territory.
India is now among the top 10 countries worldwide in terms of total reported infections, and among the top five in the number of new cases.
Infections are rising sharply, up from 536 cases on 25 March when the first phase of the world's harshest lockdown was imposed. The growth of infections is outpacing growth in testing - tests have doubled since April but cases have leapt fourfold.
Epidemiologists say the increase in reported infections is possibly because of increased testing. India has been testing up to 100,000 samples a day in the past week. Testing criteria has been expanded to include asymptomatic contacts of positive patients.
Yet, India's testing remains one of the lowest in the world per head of population - 2,198 tests per million people.
The bungled lockdown at the end of March triggered an exodus of millions of informal workers who lost their jobs in the cities and began returning home in droves, first on foot and then by train. Some four million workers have travelled by rail from cities to their villages in more than half a dozen states in the past three weeks.
There is mounting evidence that this has already led to the spread of infection from the cities to the villages. And with the messy easing of the lockdown earlier this month, there are growing fears of infections spreading further in the cities.
Rising infections and a still-low fatality rate possibly points to milder infection in a younger population and a large number of asymptomatic cases. The focus, says Amitabh Kant, CEO of the government think-tank NITI Aayog, should be "bringing down fatalities and improving the recovery rate".
But if the infection rate continues to grow, "things are going to get pretty grim in a few weeks time," a leading virologist told me.
Doctors in the capital, Delhi, and the western city of Mumbai tell me they are already seeing a steady surge in Covid-19 admissions and worry about a looming shortage of hospital beds, including in critical care.
When the infection peaks in July, as is expected, a spike in infections could easily lead to many avoidable deaths as hospitals run out of beds for, or delay treatment to, infected patients who need timely oxygen support and clinical care to recover.
"That is the real worry. A critical-care bed needs an oxygen line, a ventilator, doctors, nursing staff. Everything will be under pressure," Dr Ravi Dosi, who is heading a Covid-19 ward at a hospital in Indore, told me. His 50-bed ICU is already full of patients battling the infection.
With the lockdown easing, doctors are feeling jittery. "It's a tactical nightmare because some people have begun going to work but there is a lot of fear", says Dr Dosi.
"One co-worker sneezed in the office and 10-15 of his colleagues panicked and came to the hospital and demanded they get tested. These are the pressures that are building up."
One reason for the confusion is the lack of - or the opacity of - adequate data on the pandemic to help frame a strategic and granular response.
Most experts say a one-size-fits-all strategy to contain the pandemic and impose and lift lockdowns will not work in India where different states will see infection peaks at different times. The reported infection rate - the number of infections for every 100 tests - in Maharashtra state, for example, is three times the national average.
"The infection is not spreading uniformly. India will see staggered waves," a leading virologist, who insisted on anonymity, told me.
The lack of data means questions abound.
What about some 3,000 cases, which are not being assigned to any state because these people were found infected in places where they don't live? (To put this into context, nine states in India have more than 3,000 cases.) How many of these cases have died or recovered?
Also, it is not clear whether the current data - sparse, and sporadic - is sufficient to map the future trajectory of the disease. There is, for example, no robust estimate of carriers of the virus who have no symptoms - last month a senior government scientist said at least "80 out of every 100 Covid-19 patients may be asymptomatic or could be showing mild symptoms".
If that is indeed true, then India's fatality rate is bound to be lower. Atanu Biswas, a professor of statistics, says the predicted trajectory could change "with the huge inclusion of asymptomatic cases". But, in the absence of data, India cannot be sure.
Also, epidemiologists say, measures like the doubling time of the infections and the reproduction number or R0 have their limitations. R0, or simply the R value, is a way of rating a disease's ability to spread. The new coronavirus, Sars-CoV-2, has a reproduction number of about three, but estimates vary.
"These measures are good when we are in the middle of a pandemic, less robust with fewer cases. You do need forecasting models for at least a month's projection to anticipate healthcare needs. We should always evaluate an aggregate of evidence, not just one measure, but a cascade of measures," Bhramar Mukherjee, a professor of biostatistics and epidemiology at the University of Michigan, told me.
Others say even calculating the number of recorded infections every day is "not always a good indicator of how an infection is spreading". A better option would be to look at the number of new tests and new cases every day that would provide a "degree of standardisation", K Srinath Reddy, president of the Public Health Foundation of India, told me.
Likewise, he believes, a measure of how many Covid-19 deaths have occurred compared with the size of a country's population - the numbers of deaths per million people - is a better indicator of the fatality rate. Reason: the denominator - the country's population - remains stable. In the absence of robust and expansive data, India appears to be struggling to predict the future trajectory of the infection.



It is not clear yet how many deaths are not being reported, although there is no evidence of large scale "hidden deaths". Epidemiologists say they would like to see clearer data on deaths due to pneumonia and influenza-like illnesses at this time over the past few years to quantify excess deaths and help with accurate reporting of Covid-19 deaths.
They would also like to see what racial disparities in infections and deaths there are to help improve containment in specific community areas. (In Louisiana, for example, African Americans accounted for 70% of Covid-19 deaths, while comprising 33% of the population.)
What is clear, say epidemiologists, is that India is as yet unable to get a grip on the extent of the spread of infection because of the still limited testing.
"We need reliable forecasting models with projection for the next few weeks for the country and the states," says Dr Mukherjee. Epidemiologists say India needs more testing and contact-tracing for both asymptomatic and symptomatic infections, as well as isolation and quarantine.
There's also the need to test based on the "contact network" to stop super-spreader events - frontline workers, delivery workers, essential workers, practically anybody who interacts with a large group of people. "We have to learn how to manage and minimise risk in our daily lives as the virus is going to be with us," says Dr Mukherjee.
Without knowing the true number of infected cases India is, in the words of an epidemiologist, "flying blindfolded". That can seriously jeopardise India's fight against the virus and hobble its response in reviving the broken economy.
आयुक्त मुंढे : ‘लॉकडाऊन नंतर काय?’' : संजय पाटील

आयुक्त मुंढे : ‘लॉकडाऊन नंतर काय?’' : संजय पाटील

Tukaram Mundhe_1 &nb

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया:  31 मे 2020: नागपूर : 'कुणाला खूश करण्यासाठी नव्हे, तर सरकारचे कायदे व नियम बघूनच काम करतो. यामुळे कुणी दुखावला जात असेल. परंतु, जनतेचे हित ठेवून निर्णय घेतो. स्टंटबाजी माझा स्वभाव नाही. तशी हौसही नाही. लोकांसाठी चांगले निर्णय घेणे म्हणजे हुकूमशाही नव्हे. मी इतरांसारखा अॅक्टिंग करीत नाही तर अॅक्शन घेतो', अशा भाषेत मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे यांनी शनिवारी फेसबुक लाइव्हवर त्यांच्याविरोधात बोलणाऱ्यांना उत्तर दिले. शहरातील करोना नियंत्रणाचे श्रेय आपले एकट्याचे नाही, ते टीमवर्क आहे, असे मतही त्यांनी नोंदविले.

गेल्या काही दिवसांपासून आयुक्त मुंढे यांच्याविरोधात मनपात सुरू असलेल्या विरोधावरून त्यांनी तिसऱ्या फेसबुक लाइव्हवर उत्तर दिले. ते म्हणाले, 'करोनामुळे जीवनपद्धती बदलण्याची गरज आहे. कंटेन्मेंट झोनमध्ये नियमानुसारच कारवाई केली जात आहे. एकही पैसा खर्च न करता ही कामे झालीत. नागपुरात करोनाची जी स्थिती आहे ते संपूर्ण टीमचे यश आहे. यात स्वच्छता कर्मचारी, आशा वर्कर, पोलिस प्रशासन ते शहरातील सर्व विभागांच्या लहानात लहान कर्मचाऱ्यांपासून मोठ्या अधिकाऱ्यांपर्यंत सर्वांचे मोठे योगदान आहे. अपयश असेल किंवा काही चूक झाली असेल तर ती आयुक्त म्हणून माझी आहे.'

दाढी-कटिंग कुठे केली?

लाइव्हवेळी मराठीसोबत हिंदीत बोलेन, असे जाहीर केल्यानंतर काही वेळात मुंढेंनी हिंदीत बोलण्यास सुरूवात केली. त्यानंतर त्यांच्यावर अनेकांनी कमेंटच्या माध्यमातून आक्षेप घेतले. यात दोन गटही पडले होते. काहीजण मिश्किल प्रश्नही विचारत होते. सलून बंद असल्याने 'मुंढे, आपण कटिंग व दाढी कुठे केली', अशी विचारणा काहींनी केली. नाशिकचे आयुक्त, सोलापूरचे जिल्हाधिकारी म्हणून मुंढे यांनी काम केले. त्यांना या दोन शहरांतील नागरिकांनी 'परत या' असे आवाहन केले. मुंबईकरांनीही त्यांना हाक दिली. नागपूरकरांनी तर 'बदली झाल्यास रस्त्यांवर उतरून आंदोलन करू', असा इशाराही दिला.

पाच रुग्णालये कायमस्वरूपी 'कोव्हिड'



मनपाची आरोग्ययंत्रणा पंधरवड्यात काहीअंशी बळकट होईल. जे सर्वात चांगले रुग्णालय होते, त्याला कॉर्पोरेट लूक मिळाला आहे. एकूण ४५० खाटांचे रुग्णालय केवळ कोव्हिड रुग्णांवर उपचार करण्यासाठी पंधरा दिवसांत सुरू होतील. यातील ४०० खाटांवर ऑक्सिजनची व्यवस्था असेल तर, ५० खाटांवर आयसीयू व्यवस्था असेल, असे मुंढे यांनी जाहीर केले.

Leaning a lesson from the COVID-19 outbreak and lockdown, people should change their lifestyle and follow social distancing norms, wear face-mask and ensure personal hygiene and sanitation, said Tukaram Mundhe, Municipal Commissioner.
Interacting with people through Facebook Live on Saturday, Mundhe spoke on ‘What after the lockdown?’ Replying to questions of people, he said that, people would have to change their habits. Whether the lockdown is relaxed or not, people will have to change themselves. If public transport, hotels, restaurants open in coming days, people will have to ensure that guidelines are followed properly. There should be no crowding. Everyone must wear face-mask during travel, use sanitiser, ask bus or auto-rickshaw driver whether the vehicle is sanitised, ask hotel/restaurant owners if sanitisation is done. Also, people will have to continue with the habit of washing hands frequently with soap and water, he said. Mundhe stated that, Nagpur could successfully battle COVID-19 so far due to team-work.
“If at all, there is any failure during this period, being Municipal Commissioner it is mine. But, I give credit for success to the entire team that includes sanitation workers, ASHA workers, Police administration and officers and employees of various departments,” he said. The Municipal Commissioner said that, it was not proper for the society to isolate the COVID-19 warriors, including doctors, nurses and paramedical staff when they went home. Also, it has come to light that people are resorting to kind of boycott of even the patients who got cured. “It is not proper to resort to social boycott,” he stressed.
Mundhe said that, private hospitals were asked to take swab samples of patients with fever, pneumonia or cough and inform Nagpur Municipal Corporation (NMC). Replying to a question regarding renting out house to person coming from out of Nagpur, he said that, person coming from outside should home-quarantine self for 14 days and also follow social distancing and other norms. He also spoke on the facilities of NMC in the city.


प्रशासन के सामने बौने पड़े नेता

मंत्री से लेकर पार्षद तक किसी की नहीं चलती

नागपुर. सिटी में कोरोना लॉकडाउन को लगभग सवा दो महीने हो रहे हैं. अब तो रोज ही कोरोना के मरीज अलग-अलग इलाकों में मिल रहे हैं और मनपा के अधिकारी उन इलाकों को पूरी तरह से सील कर जेल बनाने में जुटे हुए हैं. हालत यह हो गई है कि जिन इलाकों को डेढ़-दो महीनों से सील किया गया है, उन्हें भी ये अधिकारी सील कर भूल गए हैं.
कुछ बस्तियों को सील करने के बाद 14 दिनों तक वहां से कोई दूसरा मरीज नहीं मिला, इसके बावजूद परिसर के लोगों को कैद कर रखा गया है. जिसके चलते अब रोज ही किसी न किसी प्रतिबंधित इलाके में नागरिक सड़क पर उतरकर आक्रोश जता रहे हैं. मनपा के तानाशाह अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी तक कर रहे हैं. जनता का गुस्सा देखते हुए इलाके के पार्षद, विधायक भी स्थिति का जायजा लेने जा रहे हैं. अधिकारियों से बात भी कर रहे हैं लेकिन इस कोरोना के दौरान अधिकारी भी नेताओं की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा मानो प्रशासन के इन अधिकारियों के सामने नेता भी बौने पड़ गए हैं. मंत्री से लेकर मेयर व पार्षद तक की नहीं चल रही है.
एसी में बैठकर एकतरफा फैसला
प्रतिबंधित क्षेत्रों के संदर्भ में तो मनपा के अधिकारीगण एसी कमरों में बैठकर एकतरफा फैसला सुना रहे हैं. किसी बस्ती की एक गली में मरीज मिला तो दो-ढाई वर्ग किमी का एरिया सील करने का आर्डर दिया जा रहा है. कोई भी अधिकारी उन एरिया में खुद जाकर जायजा नहीं ले रहा कि उनके बंद कमरे में बैठकर लिया गया फैसला कितने हजार नागरिकों को बेवजह कैद कर रहा है. उनकी क्या तकलीफें हैं, यह जानने कोई अधिकारी नहीं निकल रहा.
एसी कमरे में बैठकर प्रतिबंधित जोन को सील करने का फरमान सुनाकर मामला पुलिस विभाग के पाले में डालने और अपना पल्ला झाड़ने का काम मनपा के अधिकारीगण कर रहे हैं. प्रतिबंधित क्षेत्र को सील करने का कोई निश्चित दिन तक नहीं बताया जा रहा ताकि नागरिक उतने दिन सहकार्य करें. बताया 14 दिन जाता है और उसके बाद क्षेत्र को खोलना ही भूल जाते हैं. यही कारण है कि नागरिकों का रोष बढ़ता जा रहा है. पांढराबोडी, पार्वतीनगर, जवाहरनगर, मोमिनपुरा इलाके में तो नागरिकों को खतरा मोल लेकर सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ा.
नेताओं की किरकिरी
हालत यह हो गई है कि शहर के सत्ताधारी व विपक्ष के जनप्रतिनिधियों तक की मनपा के अधिकारीगण किरकिरी करने में लगे हुए हैं. जनता अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को पकड़ रही है तथा तकलीफें सुना रही है और मनपा के आलाधिकारी हैं कि जनप्रतिनिधियों की भी नहीं सुन रहे हैं. सरकारी जीआर की आड़ में उनकी भी फजीहत करने में लगे हुए हैं. विधायकों ही नहीं, मंत्री तक की सुनवाई नहीं हो रही है. मेयर सहित सारे पार्षद भी परेशान हो गए हैं क्योंकि जनता उन्हें पकड़ती है और अधिकारियों द्वारा कोई सुनवाई नहीं होने से वे जनता के सामने जाने में हिचकिचाने लगे हैं. ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि प्रशासन जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना ही एकतरफा फैसले ले रहा है, जिससे ऐसा लग रहा है जैसे प्रशासन के सामने सारे नेता बौने पड़ गए हैं.

Friday, 29 May 2020

 नितीन राऊतचा ईशारा"अखंडित वीजपुरवठा न दिल्यास कारवाई" : संजय पाटील

नितीन राऊतचा ईशारा"अखंडित वीजपुरवठा न दिल्यास कारवाई" : संजय पाटील

Create a format for big business in the district - Rout | ngp news

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 30 मे 2020 : नागपूर : उष्णतेची लाट असून पारा ४७ अंशांवर पोहोचला आहे. लॉकडाउनमुळे मोठ्या प्रमाणात नागरिक घरातच आहेत. या पार्श्वभूमीवर वीजग्राहकांना जर अखंडित वीजपुरवठा देण्यास महावितरण अधिकारी व कर्मचारी कमी पडत असतील, तर त्यांच्यावर कठोर कारवाई होईल. याविषयीचा स्पष्ट इशारा राज्याचे ऊर्जामंत्री नितीन राऊत यांनी दिला आहे.

ऊर्जामंत्र्यांनी विदर्भ व मराठवाडा भागातील विविध कामांचा आढावा घेतला. यावेळी त्यांनी वीजग्राहकांना अखंडित वीजपुरवठ्यासाठी आवश्यक त्या सर्व उपाययोजना अत्यंत प्रभावीपणे करण्याच्या सूचना संबंधितांना दिल्या. वीज जाण्याची पूर्वसूचना ग्राहकांना मिळाली पाहिजे, यासाठी यंत्रणा अधिक कार्यक्षम बनवावी. अधिकाऱ्यांची-कर्मचाऱ्यांची अकार्यक्षमता दिसून येत आल्यास त्यांच्यावर कठोर कारवाई होईल, वसुलीचे प्रमाण कमी असलेल्या भागांमध्ये स्थानिक लोकप्रतिनिधींना विश्वासात घेऊन वसुलीवाढीसाठी प्रयत्न करावेत, असे ऊर्जामंत्री यावेळी म्हणाले.

वीजग्राहकांना सुरळीत वीजपुरवठा होत नसेल तर ही गंभीर बाब आहे. ग्राहकांना अखंडीत वीज देण्यासाठी अधिकारी व कर्मचाऱ्यांनी अधिक सक्रियपणे कामे करावी. ज्या संस्थांकडे ही कामे दिली आहेत, त्यांच्यावर जबाबदारी निश्चित करा, कामांची गुणवत्ता तपासा आणि कामे संथपणे होत असतील तर संबंधित संस्थेला काळ्या यादीत टाका, असे स्पष्ट आदेश ऊर्जामंत्री राऊत यांनी बैठकीत दिले. वीजपुरवठा खंडीत होण्याचे प्रमाण अत्यल्प ठेवण्यासाठी विशेष योजना आखण्याचे आदेशही ऊर्जामंत्र्यांनी दिले. यावेळी महावितरणच्या विविध योजनांच्या प्रगतीचा आढावा ऊर्जामंत्र्यांनी घेतला.

महावितरणमधील कर्मचारी संख्या, रिक्तपदे यांचाही आढावा ऊर्जामंत्र्यांनी घेतला. मागासवर्गीयांना पदोन्नती देण्याबाबत प्राधान्याने कार्यवाही करावी, असेही आदेश त्यांनी दिले. आर्थिक स्थिती लक्षात घेऊन भरती करण्याचे आदेश ऊर्जामंत्र्यानी दिले.

या आढावा बैठकीत महावितरणचे अध्यक्ष व व्यवस्थापकीय संचालक दिनेश वाघमारे, औरंगाबाद प्रादेशिक कार्यालयाचे प्रादेशिक संचालक सुनील चव्हाण, महावितरणचे संचालक दिनेशचंद्र साबू, भालचंद्र खंडाईत, कार्यकारी संचालक ब्रिगेडियर पी. के. गंजू, प्रसाद रेशमे, योगेश गडकरी, स्वाती व्यवहारे, नागपूर विभागाचे प्रादेशिक संचालक सुहास रंगारी, हाय पॉवर कमिटीचे अनिल खापर्डे, रमाकांत मेश्राम, अनिल नगरारे तसेच नागपूर, औरंगाबाद प्रादेशिक कार्यालयांतर्गत येणाऱ्या विविध परिमंडलाचे मुख्य अभियंते उपस्थित होते.

वीज बिल देयक केंद्रे सुरू

 नागपूर : करोनामुळे महावितरणने नागपूर शहरात मार्चपासून बंद असलेले वीज बिल भरणा केंद्रे पुन्हा सुरू करण्याचा निर्णय घेतला आहे. मात्र, शहरातील काहीच ठिकाणी ही केंद्रे सुरू करण्यात येतील. सुरुवातीच्या टप्प्यात महावितरणकडून काँग्रेसनगर विभागातील ३० वीजबिल भरणा केंद्र सुरू करण्यात आले आहे. शहरातील उर्वरित भागात टप्याटप्याने वीजबिल भरणा केंद्र सुरू होतील.

करोनामुळे महावितरणने राज्यातील सर्व वीज बिल भरणा केंद्रे महावितरणने मार्चपासून बंद केली होती. वीजग्राहकांना देयकाची रक्कम भरण्यास अडचण होत असल्याची बाब महावितरणने मनपाला अवगत करून दिली होती. मनपाने कंटेनमेंट झोन वगळता शहरात वीज देयक भरणा केंद्रे सुरू करण्याची परवानगी महावितरणला दिली आहे.

यानुसार, २८ मेपासून केंद्र शासन आणि राज्य शासनाकडून वेळोवेळी निर्देशित केलेल्या मानकांचे पालन करून वीज देयक भरणा केंद्र सुरू करण्याची रीतसर परवानगी दिली आहे. नागपूर शहरातील वीज ग्राहकांनी वीज बिल भरणा केंद्रावर जाऊन थकबाकी असलेल्या रकमेचा भरणा करावा, असे आवाहन महावितरणच्या नागपूर शहर मंडळ कार्यालयाचे अधीक्षक अभियंता दिलीप दोडके यांनी केले आहे.

रेशन दुकानांवर कारवाई : नागपूर, गडचिरोली डीएसओ चे निलंबन, चौकशीचे आदेश :संजय पाटील

रेशन दुकानांवर कारवाई : नागपूर, गडचिरोली डीएसओ चे निलंबन, चौकशीचे आदेश :संजय पाटील

Board of Trustees | Mumbai Educational trust (MET)

संजय पाटील: नागपूर प्रेस मीडिया : 30 मे 2020 : मुंबई: रेशन दुकानांवर वजनापेक्षा कमी धान्य देण्यासह अन्य उल्लघंनासाठी वैधमापन विभागाने कारवाई सुरू केली आहे. राज्यभरात सुरू केलेल्या तपासणीत विभागाने ८८६ दुकानांची तपासणी केली आहे. त्यात ग्राहकांची फसवणूक करणाऱ्या ८० दुकानदारांविरोधात कारवाई करण्यात आली आहे.
लॉकडाउनमध्ये गरिबांना अन्नधान्याचा पुरवठा सुरळीत व्हावा यासाठी रेशन दुकानांचा आधार आहे. तिथे अन्नधान्याचा पुरवठा योग्य प्रमाणात होणे अपेक्षित असते. मात्र, त्याबाबत वारंवार तक्रारी येत गेल्या आहेत. त्या पार्श्वभूमीवर वैधमापन विभागाने तपासणीची मोहीम हाती घेतली आहे. विभागाने रेशन दुकानांसंबंधात तक्रार नोंदविण्यासाठी dclmms_complains@yahoo.com हा ईमेल उपलब्ध केला आहे.

नाशिक : अन्न व नागरी पुरवठा व ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबळ यांनी नागरी व गडचिरोली येथील जिल्हा पुरवठा अधिकारी (डीएसओ) निलंबित करण्याचे आदेश दिले आहेत. कोव्हीड - 19 (साथीच्या रोग) दरम्यान सार्वजनिक वितरण प्रणालीद्वारे उप-भात तांदळाचा पुरवठा केल्याबद्दल. या दोन्ही अधिकाf्यांची विभागीय चौकशी करण्याचे आदेशही त्यांनी दिले आहेत. भुजबळ यांनी अन्न, नागरी पुरवठा विभाग आणि ग्राहक संरक्षण विभागाचे सचिव संजय खंदारे यांना हे आदेश दिले आहेत.

मंत्र्यांनी सचिवांना आवश्यक वस्तू कायद्याच्या तरतुदीनुसार पहिला माहिती अहवाल नोंदवावा आणि ज्या तांदूळ गिरणी वितरणाकरिता मिळविली तेथील तांदूळ गिरणी गिरणीची परवानगी मागे घ्यावी असे सांगितले. या प्रकरणांची दखल घेत भुजबळ यांनी राज्य पातळीवरील उप नियंत्रक (अंमलबजावणी) अंतर्गत भारतीय अन्न महामंडळ (एफसीआय) च्या प्रतिनिधींच्या संयुक्त तपासणी पथकांची स्थापना करण्यास सांगितले. तसेच कस्टम मिल्ड केलेल्या सर्व गोदामांची सखोल तपासणी करण्यास सांगितले. तांदूळ (सीएमआर) साठवला जातो. नाशिक येथील रहिवासी असलेल्या भुजबळ यांनी नुकतीच नाशिक जिल्ह्यातील रास्त भावात दुकानात तांदूळ आणि डाळ यांचे नमुने मागवले.

त्याला नमुने उप-मानक कमी गुणवत्तेचे असल्याचे आढळले. असे विचारल्यावर नाशिकच्या डीएसओ यांनी मंत्र्यांना सांगितले की हा भात साठा नागपूरहून मिळाला आहे. पुढील चौकशीसंदर्भात शुक्रवारी माहिती व जनसंपर्क संचालनालयाने प्रसिद्ध केलेल्या निवेदनात म्हटले आहे की, गडचिरोली जिल्ह्यातील भात गिरणी येथे तांदळाचा हा साठा गिरणीवर आला असल्याचे समोर आले.

त्यानंतर भुजबळ यांनी विभागाच्या सचिवांना नागपूर व गडचिरोली तसेच गोदामांमधील धान्य साठ्याची गुणवत्ता सुनिश्चित करण्यासाठी जबाबदार असलेल्या गुणवत्ता नियंत्रण कर्मचा .्यांना निलंबित करण्यास सांगितले. त्यांनी डीएसओची विभागीय चौकशी करण्याचे आदेश दिले व गडचिरोली येथील भात गिरणी गिरणीची गिरणी परवानगी मागे घेण्याचे आदेश दिले ज्या येथून भाताचा साठा पुरवठा केला जात असे. त्यांनी याबाबत लवकरात लवकर अहवाल मागविला आहे.

अखेर १ जूनपासून मिळणार धान्य

नागपूर रेशन कार्ड नसणाऱ्यांनाही धान्य देण्यासाठी सुरू झालेले सर्वेक्षण अद्याप अपूर्णच आहे. सर्वेक्षण पूर्ण झाले नसले तरी जी आकडेवारी सध्या हाती आली आहे, त्यानुसार त्यांना १ जूनपासून धान्याचे वितरण करण्याचा निर्णय जिल्हा प्रशासनाने घेतला. मे आणि जून महिन्यांचे धान्य आता एकाचवेळी देण्यात येणार असल्याचे प्रशासनाकडून सांगण्यात आले. संजय पाटील यांनी या विषयावर   प्रकाश टाकला होता.

रेशन कार्ड नसणाऱ्यांनाही धान्य मिळावे, यासाठी न्यायालयाच्या आदेशानंतर सर्वेक्षण हाती घेण्यात आले. शहर-ग्रामीणमध्ये सहा हजार कर्मचाऱ्यांच्या माध्यमातून सुरू असलेले सर्वेक्षण मुदत संपूनही आता पूर्णच झाले नाही. तीन दिवसांत हे सर्वेक्षण पूर्ण करण्याच्या सूचना होत्या. मात्र, आता १४ दिवस होऊनही सर्वेक्षण पूर्ण झाले नाही. रेशन कार्ड नसणाऱ्यांना वेळेत धान्य मिळावे, यासाठी दबाव वाढत असताना आता १ जूनपासून धान्य वितरणाला सुरुवात होणार असल्याचे प्रशासनाकडून सांगण्यात आले.

तांदूळ आणि चना मिळणार

महिन्याला प्रत्येक व्यक्तीला ५ किलो तांदूळ मिळणार असल्याने मे आणि जूनचे १० किलो तांदूळ प्रत्येक व्यक्तीनुसार वाटप करण्यात येणार आहे. ८०८ मेट्रिक टन तांदूळ प्राप्त झाला आहे. प्रतिकुटुंब १ किलो चनाही देण्यात येणार आहे. यासाठी ३७ मेट्रिक टन चना प्राप्त झाला आहे. महिना संपत असतानाही मे महिन्याचे धान्य मिळालेच नाही. त्यामुळे आता जून महिन्यात मे आणि जून महिन्याचे धान्य देण्यात येणार असल्याचे जिल्हा प्रशासनाकडून सांगण्यात आले.

सर्वेक्षणाला गती द्या

नागपुरातील अंत्योद्य रेशन कार्ड धारकांची संख्या ४४ हजार ८२ आहे. प्राधान्य कार्डधारक ३ लाख ११ हजार ४८२ असून केसरी कार्डधारकांची संख्या २ लाख ४२ हजार आहे. रेशन कार्ड असलेल्या लाभार्थ्यांना लॉकडाउनमध्ये रेशन दुकानातून धान्याचा पुरवठा करण्यात येत आहे. शासनाने वेळोवेळी घोषित केलेल्या योजनाही त्यांच्यापर्यंत पोहोचत आहेत, मात्र अनेक गरिबांकडे रेशन कार्डच नसल्याने ते या लाभापासून वंचित राहत असल्याचे वास्तव आहे. याची गंभीर दखल मुंबई उच्च न्यायालयाच्या नागपूर खंडपिठाने घेतली. जनहित याचिकेच्या माध्यमातून शासनाला सर्वेक्षण करून रेशन कार्ड नसणाऱ्यांपर्यंत धान्य पोहोचविण्याची व्यवस्था करण्याचे निर्देश देण्यात आले. या सर्वेक्षणानंतर वंचितांपर्यंत शासनाचे लाभ पोहोचणार असल्याची अपेक्षा व्यक्त करण्यात येत आहे. त्यामुळे हे सर्वेक्षण लवकर करण्यात यावे, अशी मागणी जय जवान जय किसान संघटनेचे अध्यक्ष प्रशांत पवार यांनी केली.

धान्य समस्याचे निदान झाले

नागपूर : 1 जून 2020 : रेशनकार्ड नसणाऱ्यांनाही शासकीय योजनेचा लाभ मिळावा, त्यांच्यावर उपासमारीची वेळ येऊ नये, यासाठी जिल्हा प्रशासनाने सर्वेक्षण हाती घेतले. त्यातून जिल्ह्यात ७१ हजार ५२२ कुटुंबांकडे रेशनकार्ड नसल्याचे पुढे आले. या कुटुंबात राहणाऱ्या २ लाख ८६ हजार ८८ लाभार्थ्यांना आता मे आणि जून महिन्याचे मोफत धान्य मिळणार असल्याचे जिल्हा प्रशासनाकडून सांगण्यात आले. आज, सोमवारपासून धान्यवाटपाला सुरुवात होईल.

नागपुरातील अंत्योदय रेशन कार्डधारकांची संख्या ४४ हजार ८२ आहे. प्राधान्य कार्डधारक ३ लाख ११ हजार ४८२ असून केसरी कार्डधारकांची संख्या २ लाख ४२ हजार आहे. रेशनकार्ड असलेल्या लाभार्थ्यांना लॉकडाउनमध्ये रेशन दुकानातून धान्याचा पुरवठा करण्यात येत आहे. शासनाने वेळोवेळी घोषित केलेल्या योजनाही त्यांच्यापर्यंत पोहोचत आहेत. मात्र, अनेक गरिबांकडे रेशनकार्डच नसल्याने ते या लाभापासून वंचित राहात असल्याचे वास्तव आहे. याची गंभीर दखल मुंबई उच्च न्यायालयाच्या नागपूर खंडपीठाने घेतली. जनहित याचिकेच्या माध्यमातून शासनाला सर्वेक्षण करून रेशनकार्ड नसणाऱ्यांपर्यंत धान्य पोहोचविण्याची व्यवस्था करण्याचे निर्देश देण्यात आले होते. नागपुरात अशी सहा हजार पात्र कुटुंबे आहेत. शहरातील सर्वेक्षण अंतिम टप्प्यात असल्याचे अन्नधान्य वितरण अधिकारी अनिल सवई यांनी सांगितले.

६५ हजार कुटुंबांची झाली नोंद

ग्रामीणमध्ये १ लाख २ हजार ६०१ कुटुंबांचे सर्वेक्षण करण्यात आले. यापैकी रेशन कार्ड नसणाऱ्या ८ हजार २०५ कुटुंबांना पात्र ठरविण्यात आले आहे. न्यायालयाच्या निर्देशापूर्वीच ग्रामीणमध्ये एक सर्वेक्षण करण्यात आले होते. रेशन दुकानावर करण्यात आलेल्या सर्वेक्षणानुसार ५७ हजार ४०४ कुटुंबांकडे रेशन कार्ड नसल्याची नोंद आधीच घेण्यात आली. यातील काही कुटुंबे आता स्वगृही परतले असतील. उर्वरित कुटुंबांना धान्य मिळणार असल्याचे प्रशासनाकडून सांगण्यात आले. एकूण ६५ हजार ६०९ कुटुंबांकडे रेशनकार्ड नसल्याची नोंद ग्रामीणमध्ये घेण्यात आली असल्याचे धान्य खरेदी निरीक्षक प्रशांत शेंडे यांनी सांगितले.

आजपासून वितरण

महिन्याला प्रत्येक व्यक्तीला पाच किलो तांदूळ मिळणार असल्याने मे आणि जून महिन्याचे १० किलो तांदूळ प्रत्येक व्यक्तीनुसार वाटप करण्यात येईल. ८०८ मेट्रिक टन तांदूळ प्राप्त झाला आहे. प्रतिकुटुंब १ किलो चणाही देण्यात येणार आहे. मे आणि जून महिन्याचा लाभ मिळणार असल्याने दोन किलो चणा देण्यात येणार आहे. यासाठी ३७ मेट्रिक टन चणा प्राप्त झाला आहे. मे संपला, मात्र या महिन्याचे धान्य मिळाले नाही. त्यामुळे १ जूनपासून मे आणि जून यो दोन महिन्यांचे धान्य वितरित करण्यात येणार आहे.

2 हजार 710 दुकानों पर कारवाई, 29 दुकाने सील, 2.36 लाख का जूर्माना वसूला

Action on 2 thousand 710 shops, sealing 29 godowns, fine amounting to 2.36 lakhs

संजय पाटीलः नागपूर प्रेस मीडिया: 3 जुलै 2020 : वर्धा. सरकारी नियमों का उल्लंघन करनेवाले 2 हजार 710 दुकानों पर गुरुवार को प्रशासन ने कार्रवाई की़ इसमें 29 दुकाने सील कर दी गई़ जबकि 2 लाख 36 हजार 240 का जुर्माना वसूला गया़ गत दो दिनों में धडक मुहिम चलाकर 5339 दुकानों पर कार्रवाई कर 4 लाख 36 हजार रुपयो का अर्थदंड ठोका गया़
रोना विषाणू के संक्रमण पर प्रतिबंध लगाने प्रशासन व सरकार उपाययोजना कर रहा है़ ऐसी स्थिति में नागरिक, दूकानदारों को नियम लगाये गए़ मास्क का उपयोग करें, हैन्डवॉश, सैनिटाईजर, सोशल डिस्टनसिंग, भिड न करें आदि का पालन करने का आवाहन किया जा रहा है़ परंतु अनेक लोग इसका उल्लंघन कर रहे है़ परिणामवश जिलाधिकारी के निर्देश पर धडक मुहिम चलायी गई़. राजस्व, पुलिस, नगरपालिका तथा ग्रामविकास विभाग के दस्ते ने गुरुवार को 29 दुकाने सील कर दी़ 2 लाख 36 हजार 240 रुपए का जुर्माना वसूला गया़ उक्त कार्रवाई शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में की गई़ इसमें सभी विभागो के 432 अधिकारी व कर्मचारी शामील हूए थे़.
जिलाधिकारी विवेक भीमनवार के मार्गदर्शन में जिला पुलिस अधीक्षक डा़ बसवराज तेली, मुकाअ डा़ सचिन ओंबासे, सभी उपविभागीय राजस्व अधिकारी व पुलिस अधिकारी, तहसीलदार, गुटविकास अधिकारी, 10 नगर परिषद के मुख्याधिकारी, सभी थाणेदार, नायब तहसीलदार ने कार्रवाई को अंजाम दिया़.
विभाग       दस्ते     दुकाने   सील       जुर्माना
राजस्व       45     1472     13       2,31,400
पुलिस        18      204     107       33,400 
ग्राम वि.      53      1780     00      1,09,000 
नप           28      1833     09       62,640
————————————————– 
कुल :       144     5,339    129     4,36,440 

अमरावती, चंद्रपूर - राशन दूकानों से घटिया दाल की आपूर्ति

मुफ्त राशन योजना में बांटी घटीया दर्जे की तुअर दाल, जनता में रोष
संजय पाटील :  नागपूर प्रेस मीडिया : 4 जुलै 2020 : वरुड: कोरोना लॉकडाउन से सभी कामकाज ठप होने के कारण मजदूर परिवारों के दो वक्त के भोजन के भी लाले हैं.  सरकार द्वारा निशुल्क अनाज का वितरण सरकारी राशन दूकानों के माध्यम से किया जा रहा है. लेकिन वितरित की जा रही तुअर दाल अत्यंत घटिया दर्जे होने का आरोप है. यह दाल कीट युक्त होने से खाने लायक नहीं है. नि:शुल्क अनाज के नाम पर यह गरीब लाभार्थियों के साथ एक प्रकार मजाक होने का आरोप नागरिकों द्वारा लगाया जा रहा है.
घटिया दर्जे की तुअर दालराष्ट्रीय सुरक्षा योजनांतर्गत गरीबों को अनाज का वितरण किया जाता है, जिसमें गेहूं, चावल, तुअर दाल, चना दाल का समावेश है. इसमें तुअर दाल की तरह चना दाल भी घटिया दर्जें की है.  
नेताओं को खिलाओ दालमुफ्त अनाज दे रहे हैं, यह कोई उपकार नहीं है. ऐसी घटिया दाल, गेहूं नेताओं व अधिकारियों को खिलानी चाहिए. जानवरों का खाना बोलकर फेंक देंगे-सुचिता लटवे, गृहिणी
मजाक बनायायह दाल तुअर की है या और कोई, समझ नहीं आ रहा है. घटिया दर्जे की दाल नि:शुल्क देकर सरकार गरीबों का मजाक उड़ा रही है- कल्पना बोपची, गृहिणी
संजय पाटील :  नागपूर प्रेस मीडिया : 4 जुलै 2020 :  भिसी : प्रधानमंत्री मुफ्त राशन योजना के तहत घटीया दर्जे की तुअर दाल भिसी के सरकारी राशन दुकान से बांटी गई. सडी हुई तुअर दाल बांटे जाने से राशन कार्ड धारकों में नाराजी फैली हुई है.
केशरी राशन कार्ड धारकों कों सरकारी राशन दुकान से चावल तथा गेंहूं कम दाम में मिलता है. गेंहूं चावल के साथ ही पिछले एक वर्ष से तुअर दाल भी दी जा रही थी. मात्र पिछले दो माह से सरकारी राशन दुकान से तुअर दाल का वितरण बंद कर दिया गया है. पहले ही लॉक डाऊन के चलते दाल, तेल आदी के दाम आसमान छू रहे है. उपर से सरकारी दुकान से मिलाने वाली दाल भी नही मिलने राशन कार्ड धारको में रोष व्याप्त था.
लाकडाऊन के चलते केन्द्र सरकार ने गरीबों के लिए प्रधानमंत्री मुफ्त राशन योजना शुरु की. जिसके तहत राशन कार्ड धारकों कों प्रती व्यक्ती पांच किलो चावल मुफ्त मे दिया जा रहा है. परंतू पहले राशन कार्ड धारकों को हमेशा की तरह मिलने वाला गेंहूं, चावल तथा चीनी पैसे से नगद खरीदना पड रहा है. सरकारी अनाज दुकान में महीने के शुरूआत में नगद पैसे वाला राशन वितरीत किया जाता है. इसके बाद प्रधानमंत्री मुफ्त राशन योजना का प्रती व्यक्ती पांच किलो चावल दिया जाता है. मात्र पिछले दो माह से मुफ्त चावल देने के साथ  सरकारी दुकान से चना दाल का वितरण शुरू किया गया था. जून माह में भी मुफ्त चावल के साथ चना पहले वितरीत की गई. जून माह के अंत में तुअर दाल भी मुफ्त वितरन के लिए उपलब्ध कराई गई. इस माह में दो किलो दाल मुफ्त में मिलने से जनता मे हर्ष था. परंतु तुअर दाल लाते ही लोगों के चेहरे पर मायुसी छा गई. मुफ्त तुअर दाल का दर्जा इतना घटीया है की लोग वह दाल जानवरों को खिला रहे है.
सडी हुई घटीया दर्जे की तुअर दाल मुफ्त में बांटकर सरकार हम पर उपकार कर रही है या हमारा मजाक उडा रही है. ऐसी तीखी प्रतीक्रिया लोगो ने दी है.