Wednesday 13 May 2020

सड़क पर मजदूर की मौत, पटरी पर दौड़ रही 'राजधानी' : यूपी, बिहार, एमपी में 16 मौतें: : संजय पाटिल

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संजय पाटिल  : नागपूर प्रेस मीडिया:  नई दिल्ली : एक तरफ श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। राजधानी की तर्ज पर पटरियों पर स्पेशल एसी ट्रेनें फर्राटे मार रही हैं। विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए 'वंदे भारत' अभियान चल रहा है, हवाई जहाज उड़ान भर रहे हैं। दूसरी तरफ जगह-जगह सड़कों पर सिर पर गृहस्थी लादे पैदल जा रहे मजदूरों के मंजर भी आम है और उनकी जान भी इतनी सस्ती कि कभी पटरियों पर मारे जा रहे हैं तो कभी सड़कों पर रौंदे जा रहे। पिछले कुछ घंटों में ही अलग-अलग सड़क हादसों में 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो चुकी है।
पंजाब से पैदल ही बिहार जा रहे 6 मजदूरों को यूपी के मुजफ्फरनगर में बस ने रौंद दिया। बीती रात मध्य प्रदेश के गुना में एक बस और ट्रक की टक्कर में करीब 8 मजदूरों की मौत हो गई जबकि 50 लोग घायल हो गए। सभी मृतक 8 मजदूर महाराष्ट्र से चले थे और यूपी में अपने-अपने गांव जा रहे थे। बिहार के समस्तीपुर में प्रवासी मजदूरों से भरी बस और ट्रक की टक्कर में 2 मजदूरों की मौत हो गई, 12 जख्मी हो गए।
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सब कुछ लुटाने को मजबूर कि घर पहुंचे, लेकिन मिल रही मौत


लॉकडाउन को 50 दिन हो चुके हैं। काम-धंधा बंद हैं। पैसे नहीं हैं या खत्म होने को हैं। शहरों में फंसे प्रवासी मजदूरों के सामने रहने और खाने-पीने का संकट है। कोरोना से बच भी जाएं तो कहीं भूख से न मर जाएं, यही सोचकर मजदूर पैदल ही सैकड़ों-हजारों किलोमीटर के सफर पर अपने घरों के लिए निकलते जा रहे हैं। जिनके पास थोड़े बहुत पैसे बचे हैं वे रास्ते में कभी किसी ट्रक पर सवार होते हैं तो कभी किसी ट्राले में। इसके लिए भी इन मजबूर मजदूरों से ट्रक वाले हजारों रुपये ऐंठ रहे हैं। मजदूर अपनी सारी कमाई इस आस पर लुटाने को मजबूर हो रहे हैं कि कम से कम घर तो पहुंच जाएंगे लेकिन उन्हें मिल क्या रही है? मौत।



अखिलेश का सवाल- गरीबों की जिंदगी इतनी सस्ती क्यों


विपक्ष सवाल उठा रहा है कि गरीबों के लिए पर्याप्त बसों, ट्रेनों का इंतजाम क्यों नहीं हो सकता? यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सड़कों पर मारे जा रहे मजदूरों का मुद्दा उठाते हुए सवाल कर रहे हैं कि गरीबों की जान इतनी सस्ती क्यों, 'वंदे भारत' मिशन के दायरे में ये मजलूम क्यों नहीं?



2 हफ्ते से चल रहीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनें तो सड़क पर मजदूर क्यों?


प्रवासी मजदूरों के लिए ही श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। जब इन ट्रेनों को चलाने का ऐलान हुआ तो प्रवासी मजदूरों को उम्मीद बंधी थी कि अब वे सुरक्षित अपने घर पहुंच जाएंगे। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलते हुए 2 हफ्ते होने को हैं लेकिन तस्वीर नहीं बदली। अब भी वही मंजर है। चिलचिलाती धूप में पैदल चल रहे मजदूरों का रेला सड़कों पर वैसे ही दिखाई दे रहा है। इनमें महिलाएं भी हैं तो बच्चे भी। चलते-चलते कई के चप्पल टूट चुके हैं तो तपती सड़क पर नंगे पांव ही चल रहे हैं। पैरों में छाले हैं।



मजदूरों तक जानकारी ही नहीं, जिम्मेदारी से भाग रहे जिम्मेदार


श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के चलने के बावजूद ये मजदूर पैदल चलने को क्यों मजबूर हैं? इन मजदूरों को भी पता है कि ट्रेनें चल रही हैं लेकिन ज्यादातर को नहीं पता कि उन्हें ये मिलेंगी कैसे। रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? तभी तो कुछ जगहों पर प्रवासी मजदूर स्टेशनों पर पहुंच जा रहे हैं कि वहां काउंटर से टिकट लेकर ट्रेन पकड़ लेंगे। अभी भी कई मजदूरों को नहीं पता कि काउंटर से कोई ट्रेन टिकट नहीं मिल रहे हैं। आखिर किसकी जिम्मेदारी है कि मजदूरों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की सुविधा सुनिश्चित हो।



आज दुत्कार रहे, कल इन्हीं मजदूरों के लिए गिड़गिड़ाएंगे राज्य


सड़कों पर मजदूर मर रहे हैं लेकिन न तो केंद्र सरकार को उसकी कोई चिंता दिख रही है और न ही राज्य सरकारों की। कई जगह तो कुछ राज्यों में मजदूरों को सीमा पर छोड़ दिया जा रहा कि जाओ, अब जैसे भी जाओ। अंदाज ऐसा जैसे कि बला टली। कुछ दिन बाद जब काम-धंधे शुरू होगें, फैक्ट्रियां पूरी तरह चालू होने लगेंगी तो यहीं राज्य इन्हीं प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए गिड़गिड़ाएंगे जिन्हें आज दुत्कारा जा रहा है।


हाथ पर खाना! मजदूरों की दर्दनाक दास्तां


मुजफ्फरनगर : हाईवे पर बिखरी पूड़ी-सब्जी मजदूरों की बदकिस्मती की गवाही दे रही है। पंजाब से पैदल बिहार जा रहे मजदूरों को इस बात का इल्म भी नहीं था कि उनके कदम मौत को करीब ला रहे हैं। सपने एक दर्दनाक हकीकत में तब्दील होने वाले हैं, जो घर छोड़ते वक्त देखे थे। अपनों से मिलने की जल्दी थी तो दो रोटी के लिए रास्ते में कहीं रुकना मंजूर नहीं था। हाथ पर ही खाना रखकर खाते चले जा रहे थे। फिर अचानक...बस के पहियों के बीच जिंदगी दबी और पल भर में सब कुछ बिखर गया। औरंगाबाद के बाद यूपी के मुजफ्फरनगर में एक बार फिर मजदूरों की वही दर्दनाक दास्तां सामने आई है।
इस बार हाईवे पर बिखरी थी पूड़ी सब्जी...
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेलवे ट्रैक पर रोटी बिखरी थी तो इस बार हाईवे पर पूड़ी-सब्जी। कुछ चश्मदीदों ने बताया कि हादसे के वक्त कई मजदूर हाथ पर खाना रखकर खाते चले जा रहे थे। इसी बीच तेज रफ्तार बस ने उन्हें रौंद दिया। दुर्घटनास्थल पर जगह-जगह पूड़ी सब्जी बिखरी थी। इससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि मजदूर खाना खा रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि इस रात की फिर सुबह नहीं होने वाली है। फिलहाल रोडवेज बस के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है। बस का नंबर यूपी 85 एटी-0911 है। ड्राइवर राजवीर फिरोजाबाद के सुहागनगर का रहने वाला है।
2-2 लाख के मुआवजे का ऐलान
इस बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर शोक जताते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख के मुआवजे का ऐलान किया है। सीएम योगी ने घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक मदद देने के भी निर्देश दिए हैं। मृतकों के शव बिहार भिजवाने का इंतजाम किया जा रहा है। वहीं, मंडलायुक्त सहारनपुर को घटना की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
हाईवे पर हादसे में 6 मजदूरों की मौत
बता दें कि यूपी में मुजफ्फरनगर-सहारनपुर हाईवे पर एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया है। पंजाब से पैदल बिहार के अपने गांव जा रहे 6 मजदूरों को एक तेज रफ्तार बस ने रौंद दिया। सभी मजदूरों की मौके पर मौत हो गई। घटना घलौली चेक पोस्ट और रोहाना टोल प्लाजा के पास की है।

हजारों किमी के सफर पर चले लेकिन रास्ते में ही आ गई मौत

पुलिस के अनुसार, हादसा बुधवार रात 11:45 बजे हुआ। पंजाब में काम करने वाले मजदूर देर रात पैदल सहारनपुर से होते हुए मुजफ्फरनगर की ओर जा रहे थे। बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पैदल घर जा रहे 16 मजदूरों ने एक मालगाड़ी से कटकर जान गंवाई थी।

1 कप चाय ने बचा ली कई मजदूरों की जान, नहीं तो...

चूने की बोरियों से 'सफेद' हुई लाश

औरैया : लॉकडाउन के बीच मजदूरों पर एक और दुख का पहाड़ टूटा है। उत्तर प्रदेश के औरैया में हुए भीषण सड़क हादसे ने 24 मजदूरों की जिंदगी छीन ली। कहीं रेलवे ट्रैक पर मजदूर जान गंवा रहे हैं तो कहीं बस या ट्रक की टक्कर से एक पल में सब कुछ खत्म हो जा रहा है। मुजफ्फरनजर के बाद अब औरैया में हुआ हादसा इसी की गवाही दे रहा है। इस बीच पता चला है कि औरैया में 24 से ज्यादा मजदूरों की जान जा सकती थी अगर कुछ मजदूर एक कप चाय के लिए न रुके होते।

डीसीएम रोककर कई मजदूर चाय पी रहे थे

डीसीएम में सवार ज्यादातर मजदूर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के हैं। मजदूर एक लंबा सफर तय करते हुए राजस्थान से आ रहे थे। पूरी रात ट्रक में काटने के बाद सुबह होने वाली थी। लेकिन इसे मजदूरों की बदकिस्मती कहें या काल का कुचक्र, उन्हें सुबह का सूरज नहीं देखने को मिला। जिंदगी की अंगड़ाई, मौत की आहट को नहीं भांप सकी। काली रात ने चंद लमहों में सब कुछ तबाह कर दिया। चश्मदीदों के मुताबिक दिल दहला देने वाला हादसा उस वक्त हुआ जब कई मजदूर डीसीएम रोककर चाय पी रहे थे। बताया जा रहा है कि हादसे में मरने वाले मजदूरों की तादाद कहीं ज्यादा होती अगर वे चाय पीने के लिए उतरे न होते।

चाय ने किया जिंदगी-मौत का फैसला!

सुबह होने से पहले कुछ मजदूरों को चाय पीने की तलब लगी और शायद इस चाय ने ही उनकी जिंदगी-मौत के फासले का फैसला कर दिया। हादसा औरैया में दिल्ली-कानपुर हाईपे पर हुआ। सड़क किनारे खड़े डीसीएम को ट्रक ने उस वक्त टक्कर मारी, जब कुछ मजदूर पास ही के एक ढाबे में चाय पी रहे थे। मरने वालों में से ज्यादातर मजदूर टक्कर मारने वाले ट्रक में सवार थे। इस ट्रक में चूने की बोरियां लदी हुई थीं। बताया जा रहा है कि कई मजदूर नींद में ही मौत के आगोश में समा गए। इस घटना के बाद सामने आई एक तस्वीर में मजदूरों के सामान के ढेर को भी देखा जा सकता है।

सुबह 3 से 4 बजे के बीच हुआ हादसा

एनबीटी ऑनलाइन ने इस घटना के बारे में एसपी औरैया से बात की। उन्होंने बताया कि यह घटना तकरीबन सुबह 3 बजे से 4 बजे के बीच घटित हुई। कुछ घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि जिन लोगों की हालत गंभीर है उन्हें सैफई के लिए रिफर किया गया है।' इस घटना के बाद डीएम औरैया अभिषेक सिंह ने कहा है कि हादसे का शिकार हुए ज्यादातर मजदूर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के थे।

योगी आदित्यनाथ ने जताई गहरी संवेदना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औरैया के दुर्भाग्यपूर्ण हादसे पर संज्ञान लिया है। उन्होंने इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले मजदूरों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना जताई है। इस बात की जानकारी अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने दी। मुख्यमंत्री योगी ने पीड़ितों को हर संभव राहत प्रदान करने के साथ-साथ सभी घायलों का उचित इलाज कराने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने मंडलायुक्त कानपुर और आईजी कानपुर को तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत कार्य अपनी देखरेख में संपन्न कराने और दुर्घटना के कारणों की जांच कराने के बाद रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।


तेलंगानाः 300 किमी पैदल चलने के बाद प्रवासी मजदूर की मौत, लू लगने की आशंका

हैदराबाद : कोरोना महामारी को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान हैदराबाद से ओडिशा पैदल जा रहे एक प्रवासी मजदूर की रास्ते में मौत हो गई। आशंका जताई जा रही है कि मजदूर की मौत लू लगने से हुई है। मृतक ओडिशा का ही रहने वाला था। अधिकारियों ने बताया कि प्रवासी मजदूरों का समूह ओडिशा के मलकानगिरी जाने के लिए रविवार को हैदराबाद से पैदल निकला था।

अधिकारी ने बताया कि जब समूह मंगलवार को भद्राचलम पहुंचा, तो एक प्रवासी मजदूर के सीने में दर्द हुआ और उसने उल्टी की। इसके बाद वह बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़ा। उसके मित्रों ने पुलिस को इस बारे में सूचित किया, जिसने उसे भद्राचलम के अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि व्यक्ति की मौत संभवत: लू लगने से हुई, क्योंकि उसकी त्वचा और मुंह सूखा हुआ था।

310 किमी चला था मजदूर
डॉक्टर ने व्यक्ति के मित्रों के हवाले से बताया कि उनमें से किसी भी व्यक्ति ने सोमवार दोपहर के बाद से कुछ भी नहीं खाया था। अधिकारियों ने व्यक्ति के परिजन को उसकी मौत की सूचना दी और शव को मलकानगिरी ले जाने के लिए एक वाहन का प्रबंध किया। हैदराबाद और भद्राचलम के बीच सड़क से दूरी 310 किलोमीटर है.


12 migrant labourers kill


BHAGALPUR : NINE migrant labourers were killed on Tuesday when the truck carrying them overturned in an attempt to avert a head-on collision with a bus in Bihar’s Bhagalpur district, police said. The incident happened around 6 am on National Highway-31 near Ambho chowk, Naugachhia Superintendent of Police Nidhi Rani said. The workers had started their journey on bicycles six days ago from Kolkata and they might have boarded the truck somewhere en route, the officer said.
The driver and cleaner of the truck, which was coming from West Bengal via Katihar district in Bihar, fled from the spot, she said. Identities of some of the labourers have been ascertained from official documents, the officer said, adding, they hailed from East and West Champaran districts. Some of the passengers of the bus, which was on its way to Banka from Darbhanga, received minor injuries and were administered first aid at a nearby hospital, the officer said.
Meanwhile, a truck carrying migrant labourers overturned on the Jhansi-Mirzapur highway, leaving three women dead and 17 others injured, police said on Tuesday. The accident took place late on Monday night at Mahuva crossing in Mahoba district, SP, Mahoba, Mani Lal Patidar, said on Tuesday. The labourers had come on foot from Delhi and had boarded the truck near Harpalpur along the UP-MP border, the SP said. The truck overturned into a roadside ditch after a tyre burst, killing three women on the spot, the SP said.




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Author: verified_user

I AM POST GRADUATED FROM THE NAGPUR UNIVERSITY IN JOURNALISM

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