Tuesday, 7 December 2021

एक रहस्य, गोंदिया अस्पताल का निर्माण सात साल से स्थगीत,  - संजय पाटील

एक रहस्य, गोंदिया अस्पताल का निर्माण सात साल से स्थगीत, - संजय पाटील


गोंदिया: संजय पाटिल: 7: 12: 2021: गोंदिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज को सात साल पहले 2015 में मंजूरी मिली थी. पाठ्यक्रम दूसरे वर्ष 2016 में शुरू हुआ। गोंदिया के साथ-साथ बारामती चंद्रपुर में सरकारी मेडिकल कॉलेज की शुरुआत की गई। उनकी अच्छी तरह से सुसज्जित इमारतों को पूरा किया जाने लगा। गोंदिया के लिए स्वीकृत 19 करोड़ रुपये में से केवल 4 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, इसलिए भवन का मुद्दा अभी भी एक रहस्य है।  गोंदिया के लिए स्वीकृत 19 करोड़ रुपये में से केवल 4 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं। राज्य सरकार की हिस्सेदारी 40 फीसदी और केंद्र सरकार की 60 फीसदी हिस्सेदारी होगी. राज्य सरकार ने 689 करोड़ 46 लाख 81 हजार रुपये सरकार की मंजूरी मिल गई की लागत से एक सुसज्जित मेडिकल कॉलेज, फैकल्टी, स्टाफ क्वार्टर और छात्रों (लड़कों और लड़कियों के लिए स्वतंत्र)  छात्रावास के साथ 25 एकड़ के अस्पताल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव प्रस्तुत किया। . इससे पहले कॉलेज को संचालन के लिए 19 करोड़ रुपये मिले थे। इसमें से 4 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं और फिलहाल यह राशि लोक निर्माण विभाग के पास है. सात साल बीत जाने के बाद भी एक भी ईंट नहीं रखी गई है। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी को विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

नागपुर  महानगर पालिके ने 50 हजार गड्ढों को भरने का किया दावा- संजय पाटिल

नागपुर महानगर पालिके ने 50 हजार गड्ढों को भरने का किया दावा- संजय पाटिल


 नागपुर - संजय पाटिल: 7: 12: 2021 : नागपूर महानगर पालिके के हॉट मिक्स विभाग व दो अन्य संगठनों के दावों के मुताबिक पिछले साढ़े चार साल में शहर में 50,000 गड्ढे भरे जा चुके हैं. हॉट मिक्स विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि एनएमसी की ओर से चार साल आठ महीने में हर दिन 27 गड्ढे भरे जा रहे हैं. नगर निगम के लोक निर्माण विभाग के अनुसार लक्ष्मीनगर झोन में सड़कों की स्थिति सबसे खराब है. हॉटमिक्स विभाग ने 1 अप्रैल 2017 से 29 नवंबर 2021 की अवधि के दौरान 7 हजार 746 गड्ढों की मरम्मत की। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस अंचल की सड़कों की हालत कितनी खराब है. विभाग ने यह भी दावा किया कि मंगळवारी  झोन में करीब 5,700 गड्ढों की मरम्मत की गई. इसके अलावा, विभाग ने आसीनगर व धरमपेठ झोन क्षेत्रों में प्रत्येक में 5,000 गड्ढों की मरम्मत भी की है। नगर यातायात पुलिस ने नगर निगम को शहर की 75 सबसे खराब सड़कों की सूची भी सौंपी है. आंकड़ों के मुताबिक इस जोन में 13 और सीताबर्डी  झोन में 12 सड़कों की हालत बेहद खराब है. इसके अलावा इंदौरा झोन की नौ सड़कों का भी बुरा हाल है। कामठी और सोनेगांव झोन में सात-सात और  सक्करदरा, एमआईडीसी और लकड़ागंज झोन में छह-छह सड़कों की स्थिति बहुत खराब है. पुलिस ने कहा कि व्यस्त कॉटन मार्केट और अजनी  झोन में पांच सड़कों की हालत भी गंभीर है और तत्काल मरम्मत की जरूरत है।

उत्तर नागपूर : आसीनगर 
झोन :- कामगार नगर और कपिल नगर डब्ल्यूसीएल क्वार्टर कपिल नगर एनआई से क्वार्टर चौक से बुधवार बाजार रोड और मैत्री कॉलोनी रोड और गुरुनानक कॉलेज में सड़क पर गड्ढों की भरमार है.कामगार नगर और कपिल नगर डब्ल्यूसीएल क्वार्टर कपिल नगर एनआई से क्वार्टर चौक से बुधवार बाजार रोड और मैत्री कॉलोनी रोड और गुरुनानक कॉलेज में सड़क पर गधों की भरमार है, साथ ही कामगार नगर और कपिल नगर एनआईटी क्वार्टर चौक एलएंडटी गोदावुन वंदना डिस्टिलर जीएम से बन्यातवाला स्कूल से नारी मिनी इंडस्ट्रियल एरिया से रिंग रोड टी पॉइंट, कामगार नगर और कपिल नगर एनआईटी क्वार्टर चौक से मानस मंदिर म्हाडा लेआउट टू ग्लास कंपनी, नॉर्थ नागपुर, कामगार नगर और कपिल नगर एनआईटी क्वार्टर चौक से म्हाडा कॉलोनी से टायरवाला चौक तक, कामगार नगर चौक से दीपक चौक से टायरवाला चौक से मैत्री कॉलोनी, म्हाडा कॉलोनी  रोड बहुत खराब हैं।









Saturday, 27 November 2021

एक तरफ जाम है तो दूसरी तरफ सड़क निर्माण-संजय पाटील

एक तरफ जाम है तो दूसरी तरफ सड़क निर्माण-संजय पाटील


नागपूर : २८ - ११-२०२१ : संजय पाटील  :  दिघोरी और शीतला माता मंदिर के बीच सड़क का काम चल रहा है। काम में देरी हो रही है, दोनों तरफ के वाहन एक ही सड़क पर आ-जा रहे हैं, क्योंकि एक तरफ सड़क बंद है, जिससे जाम की स्थिति बनी हुई है. दिघोरी में उमरेड मार्ग पर सीमेंट सड़क का कार्य प्रगति पर है, दिघोरी से दूसरी ओर शकरधारा शीतला माता मंदिर चौक तक सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिससे चालकों को एक ओर सड़क निर्माण कार्य का सामना करना पड़ता है और सड़क पर जाम  का सामना करना पड़ता है.
दिघोरी से शीतलामाता मंदिर के रास्ते में नागरिक समय से अपने कार्यस्थल पर नहीं जा रहे हैं, एक तरफ सड़क का काम पूरा हो चुका है, और दूसरी तरफ सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है. लेकिन वाहनों की वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. यह सड़क वर्तमान में सड़क निर्माण के उद्देश्य से वन-वे लेन हो चूका है. दुकानों में भीड़भाड़ और बसों के आवागमन के कारण इस मार्ग पर कार चालकों के साथ-साथ दोपहिया वाहनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस सड़क पर पैदल चलने वालों को बेहद कठिन परिस्थितियों में सड़क पर चलने के लिए एक बड़ी कसरत से गुजरना पड़ रहा है. बाजार से निकलने वाले लोगों को अपना ख्याल रख कर सड़कों पर चलना पड़ रहा है.
नागरिकों ने संदेह जताया है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा विभिन्न  विभिन्न स्थानों पर सड़क का काम कराया   टुकड़ा टुकड़ा में दिया गया है. चिंता की बात यह है कि अधूरे काम के साथ-साथ वाहनों की लंबी कतारें हादसों का कारण बन रही हैं. इस सड़क का निर्माण कार्य लंबे  समय ले चल रहा है.  


Thursday, 19 August 2021

अधर में लटका भंडारा जिले का अस्पताल का निर्माण : संजय पाटील

अधर में लटका भंडारा जिले का अस्पताल का निर्माण : संजय पाटील

Construction Work

भंडारा. संजय पाटील : जिले में महिला अस्पताल का भूमिपूजन हुए कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अस्पताल का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. 7 वर्ष से इस अस्पताल के निर्माण को लेकर तरह-तरह के प्रयास किए गए. इसी दौरान कोरोना का संकट उत्पन्न होने से प्रस्तावित अस्पताल का निर्माण कार्य कब शुरू होगा, इस बात को लेकर चर्चाएं शुरू हैं.


विभाजन के बाद से शुरू हुई थी मांग
भंडारा जिले का विभाजन होने के बाद भंडारा तथा गोंदिया  2 जिले बने. जिले के विभाजन के बाद से ही भंडारा जिले में महिला अस्पताल का निर्माण करने की मांग शुरू हो गई थी और इस अस्पताल के निर्माण के लिए जगह देख कर भूमिपूजन भी किया गया. विधायक नरेंद्र भोंडेकर की ओर से लगातार की जा रही मांग के बाद आघाड़ी के शासन काल में भंडारा जिले में स्वतंत्र महिला अस्पताल को मंजूरी मिली. इसके लिए निधि भी मंजूर की गई, लेकिन अस्पताल के लिए उचित स्थान नहीं मिल रहा था. 
जगह खोजने में लगा वक्त
अस्पताल के लिए जगह खोजने में काफी वक्त लग गया. सरकारी जगह पर नजरें गड़ानेवालों की ओर से लगातार जगह को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रहा. अंतत: भारी खींचतान के बाद 2 वर्ष पूर्व नगर परिषद के जल शुद्धिकरण केंद्र के पास स्थित जगह पर महिला अस्पताल के लिए जगह को मंजूरी मिल गई. उसके बाद तत्कालीन पालक मंत्री डा. परिणय फुके के हाथों इस जगह का भूमि पूजन किया गया. उसके बाद निविदा प्रक्रिया को पूरा कर अस्पताल निर्माण कार्य के शुभारंभ की घोषणा भी की थी, लेकिन निर्माण कार्य के शुभारंभ की घोषणा सिर्फ घोषणा ही बनकर रह गई. बताया जा रहा है कि जिला महिला अस्पताल के निर्माण कार्य की प्रक्रिया अभी शुरू होने ही वाली थी कि कोरोना महामारी का संकट आ गया, जिस वजह से एक बार फिर जिला अस्पताल का निर्माण कार्य अधर में लटक गया है.

Saturday, 6 March 2021

आदिवासी  हिंदू  आहेत  की  नाहीत  ??

आदिवासी हिंदू आहेत की नाहीत ??

 आदिवासी  हिंदू  आहेत
        की  नाहीत  ??
संविधानाने आदिवासींना कोणत्याच धर्माचे मानलेले नाही. आदिवासींची म्हणजे अनुसूचित जनजातीची म्हणजेच शेड्युल्ड ट्राईब्सची वर्गवारी मान्य करतांना संविधानाने त्यांची जगण्याची स्थिती व सांस्कृतिक आधार ही मानदंडे व मापदंडे पाहिली. त्याचवेळी शेड्युल्ड कास्ट व ओबीसी यांची वर्गवारी मान्य करतांना सामाजिक विषमता व धार्मिक आधार हे स्वीकारले.



या देशातील कोट्यवधी आदिवासी अलिकडे अस्तित्वाच्या तिढ्यात गुंतलेय ! हा तिढा म्हणजे आदिवासी हिंदू आहेत की हिंदू नाहीत ? 

         खरेतर, संविधानाने आदिवासींना कोणत्याच धर्माचे मानलेले नाही. आदिवासींची म्हणजे अनुसूचित जनजातीची म्हणजेच शेड्युल्ड ट्राईब्सची वर्गवारी मान्य करतांना संविधानाने त्यांची जगण्याची स्थिती व सांस्कृतिक आधार ही मानदंडे व मापदंडे पाहिली. त्याचवेळी शेड्युल्ड कास्ट व ओबीसी यांची वर्गवारी मान्य करतांना सामाजिक विषमता व धार्मिक आधार हे स्वीकारले. अर्थात भारतातील आदिवासींचा भारतातील हिंदू धर्मासह कोणत्याच धर्माशी तसाही संबंध नव्हता. याशिवाय संविधानाने संविधानाच्या ५ व ६ अनुसूचीमध्ये आदिवासींना विशेष तरतुदी व संरक्षण दिल्याने आदिवासींची स्वतंत्र ओळख अधोरेखित झाली होती. परंतु आदीवासींच्या अलिकडील हिंदुकरणामुळे प्रश्न निर्माण झाला आहे.

         स्वातंत्र्यपूर्व व स्वातंत्र्योत्तर काही वर्षे या देशात आदिवासींचे ख्रिस्तीकरण होत होते. तेव्हा अशी बाब चर्चेला नव्हती. पण जेंव्हापासून संघाने आदिवासींचे हिंदूकरण अर्थात धर्मांतरण करण्यात योजनाबध्द लक्ष घातले तेव्हापासून ही बाब प्रकर्षाने उठली. आधी संघाने आदिवासींना आदिवासी म्हणणे नाकारले. त्याऐवजी वनवासी शब्द रुढ केला.त्यानंतर वनवासी कल्याण आश्रमाच्या माध्यमातून आदिवासीत शैक्षणिक व राजकीय लाभार्थी वाढविले.संघाचा जसजसा देशभर प्रभाव वाढत गेला तसे या कार्याचे ही प्रभावक्षेत्र वाढत गेले.शिवाय, वाढलेल्या लाभार्थ्यांनी हिंदू लिहावे ही मागणी उचलून धरली.

         संघवर्तुळाची या कार्यामागे वैचारिक भूमिकाही आहे. आदिवासी हे हिंदुच आहेत. ते वेगळे नाहीत. हिंदू एक रिलिजन नाही. ती जीवनदृष्टी आहे. हिंदुत्व एक रुपाची Form गोष्ट करीत नाही. एकतेची वा एकत्वाची दृष्टी म्हणजे हिंदुत्व. म्हणून आदिवासी हे हिंदुपासून अलग नाहीत. आदिवासी जर निसर्गपूजक असतील तर हिंदू ही पंचमहाभूते ( पृथ्वी, जल, वायू, तेज, आकाश ) मानतातच. यामुळे आदिवासींची वेगळी सांस्कृतिक व पुजेची ओळख हिंदुसोबत कायम व सुरक्षित राहू शकेल. त्यामुळेच त्यांनी येत्या २०२१ च्या जनगणनेत  हिंदू लिहावे.

एकूण लोकसंख्येच्या ९ टक्के आदिवासी आहेत. भारतात आदिवासींच्या एकूण ७०५ व महाराष्ट्रात ४५ जाती आहेत. सवलती व आरक्षणाचे प्रमाण ७.५ टक्के महाराष्ट्रात १३ टक्के आहे. प्रत्येक राज्यात राज्याचे प्रमाण वेगवेगळे आहे. मात्र, काही राज्ये आदिवासीबहुल आहेत. पण एक खरे की, एससी व ओबीसी यांच्या अस्पृश्यता, इतर मागास घटक व सामाजिक विषमता या बाबींचा संबंध हिंदू धर्माशी होता. आदिवासींचे तसे नाही. ती त्यांची स्वतंत्र ओळख आहे.

         संघाच्या , हिंदू लिहा या आवाहनावर देशभर तीव्र प्रतिक्रिया उमटल्या. झारखंड व आंध्र प्रदेश सरकारने तर विधेयक पारित करून आदिवासी हिंदू नाहीत हा निर्णय घेतला. शिवाय आम्ही हिंदू नाहीत हे सांगण्यासाठी देशभर मोर्चे निघत आहेत. या मोर्चातून, आम्हाला स्वतंत्र धर्म कोड द्या अशी मागणी होत आहे. प्रामुख्याने आदिवासीतील नवी शिकलेली पीढी यात पुढाकार घेत आहे. शिवाय, वेगवेगळ्या ठिकाणी आदिवासींच्या महाग्रामसभा होत आहेत. या सभेत, हिंदू लिहिणाऱ्या आदिवासींच्या सवलती व जातप्रमाणपत्र रद्द करावे अशीही मागणी होत आहे. 

         झारखंडचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यांनी नुकतेच हार्वर्ड इंडिया कान्फरंसला संबोधन करतांना यासंदर्भात आपली भूमिका स्पष्ट केली. ते म्हणाले, आदिवासी कधीच हिंदू नव्हते. आजही नाहीत. आदिवासींची संस्कृती, सभ्यता व व्यवस्था वेगळी आहे. हे वेगळेपण हीच खरी ओळख. आम्ही धर्म म्हणून हिंदू कशाला ? सरना धर्म लिहू असेही ते म्हणाले. 

         आदिवासीतील जाणकार ही लिहू लागले आहेत. ते लिहितात, आदिवासींचा हिंदुत दर्जा काय राहील ? शूद्र की अस्पृश्य ? हिंदुंच्या सर्व देवांनी ज्या राक्षस, दैत्य, दानव, असुर यांची हत्या केली हे कोण होते ? याची आधी उत्तरे द्यावीत. 

         असे हे आदिवासी जगतात सुरू आहे. अर्थात कळीचे मुद्दे बुचकळ्यात गेले आहेत. कुठे मुसलमान घाबरवून आहेत. कुठे ख्रिश्चन घाबरून गेले आहेत. आता आदिवासी संभ्रमात आहेत.


लेखक :  रणजित मेश्राम 
 

Wednesday, 9 September 2020

‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ - भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षक (कॅग)

‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ - भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षक (कॅग)

 

सिंचनात, बांधकाम विभागात ठेकेदारांवर मेहेरबानी आणि जलयुक्त शिवार योजनेत अपयश :संजय पाटील

संजय पाटील : नागपुर प्रेस मीडिया: मुंबई :    : देवेंद्र फडणवीस यांच्या नेतृत्वाखालील सरकारच्या काळातील शेवटच्या वर्षांतील कारभाराचा लेखाजोखा मांडणारा कॅगच्या अहवालात मागील वर्षी सार्वजनिक बांधकाम विभागाने मनमानीपणे एका कंत्राटदाराकडील काम काढून दुसऱ्याला वाढीव दराने दिल्याने पावणेतीन कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे आणि सदोष नियोजन-भूसंपादन न करताच काम सुरू करणे यासारख्या प्रकारांमुळे जलसंपदा विभागाच्या कामांमध्ये २११ कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाल्याचे ताशेरे कॅगने ओढले आहेत. पावसाळी अधिवेशनात मागील वर्षांतील आर्थिक क्षेत्रावरील अहवाल सादर झाला असून त्यात तत्कालीन सार्वजनिक बांधकाममंत्री चंद्रकांत पाटील व जलसंपदामंत्री गिरीश महाजन यांच्या खात्यांमधील गैरकारभारावर ताशेरे ओढण्यात आले आहेत.

सार्वजनिक बांधकाम विभागाने शीव-पनवेल महामार्गाच्या कामाचे काही टप्प्यांतील काम एका कंत्राटदाराकडून काढून घेतले व निविदा न काढताच दुसऱ्या कं त्राटदाराला वाढीव दराने दिले. यामुळे २ कोटी ८६ लाखांचा विनाकारण खर्च झाला. तो टाळता आला असता, असे कॅगच्या अहवालात नोंदवण्यात आले आहे. तसेच पहिल्या कंत्राटदाराकडून काम काढून घेण्याची प्रक्रिया सुरू होण्याआधीच दुसऱ्याला काम सुरू करण्यास सांगण्यात आल्याचे दिसते, असेही म्हटले आहे.

सिंचन प्रकल्पांच्या कामातही  उधळपट्टी झाल्याचे कॅगचा अहवाल सांगतो. अंजनी मध्यम प्रकल्पाची उंची वाढवण्याचे काम भूसंपादन न करताच सुरू केल्याने ३२.३८ कोटी रुपयांचा वायफळ खर्च झाला. वाघूर प्रकल्पातही याच रीतीने ४.३८ कोटी रुपयांची उधळपट्टी झाली. माजलगाव उपसा सिंचन योजनेतही ऑक्टोबर २०१५ मध्ये कंत्राटदाराला ११७ कोटी रुपये देण्यात आले; पण सदोष नियोजनामुळे २०१९ मध्येही काम सुरू झाले नव्हते, याकडे कॅगने लक्ष वेधले आहे. अव्यवहार्य असतानाही मराठवाडय़ातील उणके श्वर प्रकल्पाच्या कामात ५५ कोटी २२ लाखांची उधळपट्टी झाल्याचे ताशेरेही कॅ गने ओढले आहेत. याबरोबरच इतरही प्रकल्पांतही अशा प्रकारे वायफळ पैसे खर्च झाल्याचे कॅगने म्हटले आहे.

जलयुक्त शिवार योजनेत अपयश

मुंबई : तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांची अतिशय महत्वाची जलयुक्त शिवार योजना असफहल झाल्याचा ठपका नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ” कैग ” ने ठेवला आहे. ही बाब भाजप – शिवसेना सरकारच्या कार्यकाळात सर्वाधिक चर्चेत राहिलेली आहे. राज्यातील गावे दुशकाळमुक्त करण्याचे ‘जलयुक्त शिवाराची ‘ उद्दीष्ट्ये सफल झाले नाहीच शिवाय अनेक गावामध्ये भूजल पातळी वाढण्याऐवजी घटली, असे कैग ने म्हटले असून, तत्कालीन सरकार साठी हा मोठा धक्का
मानला जात आहे.

जलयुक्त शिवार योजेनेवर ९ हजार ६३४ कोटी रुपये खर्च करूनही राज्यातील पाण्याची गरज भागवण्यात, तसेच भूजल पातळी वाढवण्यात अपयश आल्याचा गंभीर ठपकाठेवून कैग ने अहवालात ठेवून मंगळवारी विधिमंडळात मांडण्यात आला.जलयुक्त शिवाराच्या कामाची कोणतीही गुनवता तपासण्याची कार्यपद्धती अवलंबिली नाही. जलयुक्त शिवार योजनेसंदर्भात कैग ने पाहणी केलेल्या १२० गावापैकी एकही गावात दुरुस्ती व देखभालीसाठी राज्य सरकारने अनुदान दिले नाही. पाच जिल्ह्यांमध्ये अहमदनगर, बीड , बुलढाणा , सोलापूर आणि नागपूरयेथे जलयुक्त शिवाराची कामे योग्य रित्या झाली नाहीत. या जिल्ह्यात जलयुक्त शिवारात झालेल्या भ्रस्टाचाराची साक्ष तिथले साप्ताहिक पेपर आणि दैनिक वर्तमान पत्रात देखील प्रकाशित झालेली आहेत. या कामासाठी २६१७ कोटी रुपयांचा खर्च झाला होता. याकडे कैग ने लक्ष वेधले होते. पाण्याची साठवण निर्मिती कमी असतानाही काही गावे जलपरिपूर्ण म्हणून घोषित केले होते कैग ने म्हटले आहे. या कामाची छायाचित्रे वेबसाईटवर टाकण्यात आली नाहीत. अनेक कामांचे त्रयस्त संस्थेकडून मूल्यमापन झाले नाही, अशी पुष्टीही कैग ने जोडली आहे.

माजी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी प्रतिष्ठेच्या केलेल्या जलयुक्त शिवार योजनेत अनेक त्रुटी होत्या, त्रयस्थ संस्थेकडून त्याचे मूल्यमापन झाले नाही आणि नियोजनाअभावी गावांचा तेवढा फायदाही झाला नाही, असा ठपका ठेवतानाच ९,६३३ कोटी रुपये खर्चूनही भूजलातील पाण्याची पातळी वाढविण्यात अपयश आले, असे ताशेरे भारताचे नियंत्रक आणि महालेखापरीक्षकांनी (कॅग) अहवालात ओढले आहेत. यावरून आता शिवसेनेनं निशाणा साधला आहे. शेवटी ‘नाव मोठे लक्षण खोटे’ अशी जलयुक्तची अवस्था असल्याचं म्हणत शिवसेनेनं यावर टीका केली.

कुठलीही योजना कागदावर चांगलीच असते. तिचा उद्देशही चांगलाच असतो. प्रश्न असतो तो पारदर्शक आणि प्रभावी अंमलबजावणीचा. त्यात जेव्हा गडबड होते तेव्हा त्यावरून केलेली बडबड ‘पोकळ’ आणि खर्च ‘वायफळ’ ठरतो. जलयुक्त शिवार योजनेचे तेच झाले. ‘कॅग’ने मारलेल्या ताशेऱ्यांचा तोच अर्थ आहे, असं शिवसेनेनं म्हटलं आहे.

काय म्हटलंय अग्रलेखात?

आधीच्या फडणवीस सरकारने ज्या अनेक योजनांचा गाजावाजा केला त्यापैकी जलयुक्त शिवार ही एक योजना होती. मात्र इतर योजनांबद्दल जे आक्षेप नोंदवले गेले तेच जलयुक्त शिवार योजनेबाबतही घेतले गेले. फडणवीस सरकार असतानाही तज्ञांनी या योजनेवर टीका केली होती. मात्र फडणवीस आणि मंडळींनी ही टीका चुकीची तसेच राजकीय असल्याचे सांगत जलयुक्त शिवार योजनेचे जोरदार समर्थन केले होते. आता प्रत्यक्ष ‘कॅग’नेच या योजनेच्या यशावर प्रश्नचिन्ह उभे केले आहे. त्यावर जलयुक्त शिवार योजनेचा डिंडोरा पिटणाऱ्यांचे काय म्हणणे आहे? या योजनेचा हेतू तर साध्य झाला नाहीच, शिवाय गावे दुष्काळमुक्त करण्याचा दावाही फोल ठरला.

विरोधी पक्षांचे आरोप ‘राजकीय हेतूने प्रेरित’ होते असे वादासाठी गृहीत धरले तरी ‘कॅग’ने मागील सरकारच्या दाव्याचा फोलपणा उघड केला आहे. फडणवीस सरकारने वर्षानुवर्षे सुरू असलेला ‘पाणलोट क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ बंद केला. त्यातील १२ योजनांचे एकत्रीकरण केले आणि त्याचे ‘जलयुक्त शिवार योजना’ असे बारसे केले. ही योजना म्हणजे जणू ‘महाराष्ट्र दुष्काळमुक्त झाला हो’ असे वातावरण निर्माण केले गेले. वास्तविक, या योजनेच्या मर्यादा, तांत्रिक उणिवा, अंमलबजावणीतील दोष यावर तज्ञ आणि विरोधकांनीही वेळोवेळी बोट ठेवले होते; पण त्या सर्वांची हेटाळणी केली गेली. आता ‘कॅग’नेच ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ केले.

मागील सरकारने योजनेच्या यशाचा भुलभुलैया कायमच ठेवला. अर्थात त्याचे वास्तव आधी महाविकास आघाडी सरकारच्या लक्षात आले आणि आता ‘कॅग’ने उरलासुरला पडदादेखील दूर केला. २०१२ ते २०१५ या काळात महाराष्ट्रावर कायम दुष्काळाचे सावट राहिले. त्याशिवाय ‘सिंचन म्हणजे भ्रष्टाचार’ असे एक वातावरण ‘कॅग’च्याच अहवालांचे दाखले देत तयार करण्यात आले होते. ज्यांनी हे केले त्यांच्याच हातात राज्याची सूत्रे आली होती. त्यामुळे ‘जलयुक्त’च्या माध्यमातून महाराष्ट्र ‘दुष्काळमुक्त’ करण्याची संधी या मंडळींना होती, पण ती त्यांनी गमावली असे आता आम्ही नाही, तर ‘कॅग’नेच म्हटले आहे.





Saturday, 18 July 2020

नितीन राऊत,"बौद्ध थीम पार्क जागतिक पर्यटकांना शहरात आकर्षित करण्यासाठी": संजय पाटील

नितीन राऊत,"बौद्ध थीम पार्क जागतिक पर्यटकांना शहरात आकर्षित करण्यासाठी": संजय पाटील

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मिडिया : १ ९ जुलै २०२० : नागपूर:  पालकमंत्री झाल्यानंतर डॉ नितीन राऊत यांनी शहरात एक भव्य बौद्ध थीम पार्क विकसित करण्याचे वचन दिले होते. शनिवारी उच्चस्तरीय बैठक घेण्यात आली तेव्हा तेथे त्यांनी बौद्ध थीम पार्कला जागतिक पर्यटकांचे आकर्षण ठरविण्यासाठी दृष्टीकोन योजना तयार करण्याच्या सूचना अधिकाs्यांना दिल्या. या आश्वासनाचे ते पालन करीत आहेत.

या बैठकीत नागपूरचा चेहरामोहरा बदलणा l्या अनेक योजनांचे अनावरण केले. या बैठकीला केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, गृहमंत्री अनिल देशमुख, रामटेक खासदार कृपाल तुमाने, आमदार विकास ठाकरे, विभागीय आयुक्त डॉ संजीव कुमार, मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे, जिल्हाधिकारी रवींद्र ठाकरे, नागपूर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण आयुक्त शीतल उगले, प्रमुख उपस्थित होते. कार्यकारी अधिकारी योगेश कुंभेजकर. डॉ नितीन राऊत म्हणाले, “बौद्ध थीम पार्क हे इतर प्रकल्पांव्यतिरिक्त माझे मोठे स्वप्न आहे आणि मी त्या पूर्ण होण्याच्या प्रयत्नात आहे. उद्यान फुटाळा तलावाच्या आवारात येईल. हे जगातील सर्वोत्तम असेल. ” बौद्ध थीम पार्कबरोबरच बैठकीत चर्चा झालेल्या इतर प्रकल्पांमध्ये जागतिक स्तरावरील यशवंत स्टेडियम परिसरातील एनर्जी एज्युकेशनल पार्क, भव्य हनुमान मूर्ती स्मारक, सेल्फी पॉईंट, व्यवसाय केंद्र यांचा समावेश आहे.

नागपूरच्या चौफेर विकासाबाबत बैठकीत चर्चा झाली. डॉ. राऊत म्हणाले, “एनर्जी पार्कच्या माध्यमातून उर्जा संसाधनांना हरित उर्जा व इतर आधुनिक घटकांचा आधार दिला जाईल. या प्रकल्पात बाग, सौर ऊर्जा प्रणाली, सौर, बायोमास लाइव्ह मॉडेल्स, सौर चार्जिंग स्टेशन असतील. कोराडी मंदिराजवळ हनुमानाची भव्य मूर्ती उभारली जाईल. ”

“ही योजना दहा वर्षांची असेल आणि काम तीन टप्प्यात पूर्ण होईल. या कामांमध्ये मेट्रो व इतर वाहतूक व्यवस्था पूर्ण करणे, नद्यांना प्रदूषणमुक्त करणे, शहराला अत्याधुनिक देखावा देण्यात यावा. केंद्र सरकारच्या अनेक कार्यालयांमध्ये मोकळ्या जागा आहेत ज्या वृक्षारोपण करण्यासाठी वापरल्या जातील. आर्किटेक्ट, नियोजक, वाहतूक एजन्सी, पुरवठादार यांच्या सूचना मान्य केल्या जातील व त्याबाबत विचार केला जाईल, असे डॉ. राऊत यांनी स्पष्ट केले.
प्रकाश आम्बेडकर,"आरक्षण विरोधी’मोदी सरकार": संजय पाटिल

प्रकाश आम्बेडकर,"आरक्षण विरोधी’मोदी सरकार": संजय पाटिल

Prakash Ambedkar accuses Modi government, says- 'anti-reservation'

संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 19 जुलाई 2020 : अकोला. वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता एड.प्रकाश आम्बेडकर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आरक्षण विरोधी है, यह एक बार फिर साबित हो गया है. नरेंद्र मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण 11 हजार ओबीसी विद्यार्थी मेडिकल प्रवेश से वंचित रह गए हैं. सरकार ने इस संदर्भ में निर्णय वापस नहीं लिया तो सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा, यह चेतावनी पत्र परिषद में दी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार आरक्षण समाप्त करने की मानसिकता में है. इसके पीछे आरएसएस की विचारधारा कार्य कर रही है.
उन्होंने कहा कि कोरोना का विचार न करते हुए आंदोलन किया जाएगा जिसकी तिथि शीघ्र ही घोषित की जाएगी. उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस ने आंकड़े घोषित किए हैं. नीट प्रवेश में ओबीसी को  2017 से लागू कानून के अनुसार 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिला है. जिसके कारण केंद्र सरकार का चेहरा अब सामने आया है. इसे कदापि सहन नहीं किया जाएगा. इसलिए सत्ताधारियों को चाहिए कि वे जीआर वापस लें.
ओबीसी को आरक्षण मिलने तक वंचित बहुजन आघाड़ी आंदोलन करेगी, यह चेतावनी भी एड. आम्बेडकर ने दी है. पत्र परिषद में वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रदेश प्रवक्ता डा. धैर्यवर्धन पुंडकर भारिप के जिलाध्यक्ष प्रदीप वानखडे, डा. प्रसन्नजीत गवई, एड. संतोष रहाटे, दिनकरराव खंडारे, मनोहर पंजवानी, गजानन गवई आदि उपस्थित थे.
विधायक रवि राणा,"5 माह का बिजली बिल माफ करें"- अलग अलग डिस्ट्रिक्स से मांग : संजय पाटील

विधायक रवि राणा,"5 माह का बिजली बिल माफ करें"- अलग अलग डिस्ट्रिक्स से मांग : संजय पाटील

Excuse 5-month electricity bill, Rana's meeting with energy minister Raut

संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 19 जुलाई 2020 : अमरावती / नागपुर:  कोरोना कर्फ्यू में संपूर्ण महाराष्ट्र में 5 माह का बिजली बिल माफ किया जाए. उर्जा मंत्री नितिन राउत से सोमवार को भेंट कर विधायक रवि राणा ने यह मांग की.इस संदर्भ में उर्जा मंत्री को विधायक रवि व सांसद नवनीत राणा के हस्ताक्षर का निवेदन सौंपा. जिसके अनुसार कोरोना कर्फ्यू में मजदूरों के हाथों को काम नहीं मिला. रोज कमाना और रोज पेट भरना वाले कामगार, रिक्शा, आटो, टैक्सी व ट्रैवल्स के ड्राइवर, क्लीनर, बांधकाम मजदूर, पेंटर, किसान, खेतीहर मजदूर, आदिवासी, अंत्योदय, बीपीएल, केशरी कार्ड व पीएम आवास योजना के लाभार्थी समेत सामान्य नागरिकों पर 5 महिनों में पहले ही आर्थिक संकट टूट पडा है. उसमें बेतहाशा बिजली बिल थमाए जा रहे है. स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र के सभी ग्राहकों के 5 माह के बिजली बिल माफ करने की मांग विधायक राणा ने की. स्कूल, कालेज, एपीएससी, यूपीएससी के विद्यार्थी घर में बैठकर पढ़ाई कर रहे है.

विद्युत बिल माफ करने की मांग

Bharip

गोंदिया / सालेकसा. विदर्भ बहुजन क्रांतिकारी विद्यार्थी महिला किसान संगठन शाखा सालेकसा की ओर से विद्युत विभाग के अभियंता को ज्ञापन सौंपकर लॉकडाउन के दौरान का विद्युत बिल एकमुश्त माफ करने की मांग की गई है. जिसमें कहा गया है कि सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 100 यूनिट का बिल माफ करने की घोषणा की थी. अब ऐसी परिस्थिति निर्माण हो गई है कि मुख्यमंत्री को अपना वादा याद कर मार्च से जून तक का बिल माफ करना चाहिए.
कोरोना संक्रमण की वजह से सभी ओर गरीबों का रोजगार छिन गया है. ऐसे में बढ़ा हुआ विद्युत बिल इन लोगों के लिए भर पाना मुश्किल हो गया है. प्रतिनिधि मंडल में संस्थापक अध्यक्ष कैलाश बुधराम गजभिये, अमित वैद्य, राहुल सहारे, धम्मदीप गजभिये, अलताफ भाई, किंदर शाह आदि का समावेश है.

बिजली बिल माफ करे,सामान्य जनता भी सड़क पर उतरी
राज्य सरकार के खिलाफ भाजपा का 340 स्थानों पर प्रदर्शन
चंद्रपुर. लॉकडाऊन समय का बिजली बिल माफ करे, किसानों का कर्ज माफ करें, खाद आपूर्ति करें, रमाई आवास योजना का अनुदान दें, राजगृह के आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करें आदि मांगों की पूर्ति के लिए भाजपा जिला शाखा की ओर से जिले के 340 स्थानों पर पर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. गरीब जनता, किसानों के हित के लिए भाजपा सहित सामान्य जनता भी सड़क पर उतरी, राज्य सरकार के खिलाफ तीव्र रोष व्यक्त किया.
उक्त आंदोलन राज्य के पूर्व वित्तमंत्री,विधायक सुधीर मुनगंटीवार, पूर्व केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री हंसराज अहीर, विधा. कीर्तिकुमार भांगडिया, चंदनसिंह चंदेल, जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले, बल्लारपुर नगर परिषद के नगराध्यक्ष हरीश शर्मा, पूर्व विधायक संजय धोटे, अतुल देशकर, जिला परिषद सदस्य ब्रिजभूषण पाझारे, संजय गजपुरे के नेतृत्व् में किया गया.
इसमें घुग्घुस के गांधी चौक में देवराव भोंगले, पोंभूर्णा में भाजपा तालुका अध्यक्ष गजानन गोरंटीवार, पंचायत समिती सभापती अलका आत्राम, नगराध्यक्ष श्‍वेता वनकर, ज्योजी बुरांडे, जिवती तालुक्यात केशव गिरमाजी, महेश देवकते, दत्ता राठोड, चंद्रपूर तहसील में नामदेव डाहुले, विवेक बोंढे, संतोषकुमार द्विवेदी, ब्रिजभूषण पाझारे, अनिल डोंगरे, मूल तहसील में पंचायत समिती सभापती चंदू मारगोनवार, नगराध्यक्ष रत्नमाला भोयर, पूजा डोहणे, कोरपना तालुक्यात नारायण हिवरकर, सतिश उपलंचीवार, निलेश ताजणे, नुतन जिवणे, राजुरा में पूर्व विधायक संजय धोटे, सुदर्शन निमकर, सुनिल उरकुडे, वाघू गेडाम, गोंडपिपरी में बबन निकोडे, निलेश संगमवार, संजय झाडे, दिपक सातपुते, चिचपल्लीमध्ये रामपाल सिंग, हनुमान काकडे, गौतम निमगडे, मूल शहर में भाजपा शहर अध्यक्ष प्रभाकर भोयर, नंदू रणदिवे, बल्लारपूर ग्रामीण में  किशोर पंदिलवार, रमेश पिपरे, इंदिरा गेडाम, वैशाली बुद्धलवार, सावली मे अविनाश पाल, संतोष तंगडपल्लीवार, आशीष कार्लेकर, सिंदेवाही मे जिला परिषद के समाज कल्याण सभापती नागराज गेडाम, हितेश सुचक, रितेश अलमस्त, नागभीड में गणेश तर्वेकर, आवेश पठाण, संतोष रडके, चिमूर में डॉ. श्याम हटवादे, ब्रम्हपुरी में अतुल देशकर, रामलाल दोनाडकर, क्रिष्णा सहारे, वरोरा में अहेतेश्याम अली, बाब भागडे, भद्रावती में नरेंद्र जिवतोडे, तर बल्लारपूर शहर में चंदनसिंह चंदेल, हरीश शर्मा, काशी सिंग, रेणुका दुधे के नेतृत्व में आंदोलन हुआ.

3 महीनों का बिजली बिल माफ करें-मोहाड़ी नागरिकों ने की मांग

भंडारा. कोरोना संकट में लोगों का रोजगार छिनने से आम लोग हलाकान हो गये हैं. ऐसी स्थिति में मोहाड़ी तहसील के करडी पालोरा परिसर में बिजली बिल के लिए ग्राहकों को मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है. सरकार की ओर 3 महीनों का बिजली बिल माफ करने की मांग की जा रही है. मीटर की रीडिंग नहीं लेते लेकर 3  महीनों का ज्यादा बिल भेजने से कई बार बिजली बिल का भुगतान करना संभव नहीं होता है. जिन ग्राहकों ने बिजली बिल का नियमित भुगतान किया उनकों भी ज्यादा बिल दिए गए है.
परिसर में कुछ ग्राहकों द्वारा बिजली चोरी हो रही है. इसके बावजूद भी कर्मचारियों द्वारा कोई भी कार्रवाई होते हुए दिखाई नहीं दे रही है. करडी पालोरा परिसर के आम परिवार के नागरिकों की ओर कोई भी सुविधा नहीं है. ऐसे ग्राहकों को 2 से 5 हजार रुपये तक बिजली बिल आया है. इस कारण आम लोगों ने बिजली बिल का भुगतान कैसे करे ऐसा सवाल निर्माण हो गया है.

Friday, 17 July 2020

पुरवठा अधिकारी भास्कर तायडे  "जुलै ऑगस्टचे धान्य एकत्रित मिळणार" : संजय पाटील

पुरवठा अधिकारी भास्कर तायडे "जुलै ऑगस्टचे धान्य एकत्रित मिळणार" : संजय पाटील


भास्कर तायडे धान्य पुरवठा अधिकारी
संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १८ जुलै २०२० : दोन महिन्याचे धान्य एकत्रित मिळणार अशी घोषणा धान्य पुरवठा अधिकारी भास्कर तायडे यांनी प्रेस मीडिया ला दिली. पंतप्रधान गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत, येत्या तीन दिवसात रेशन दुकानदारांच्या दुकानात राशन उपलब्ध होणार आहे. आणि लवकरच धान्य वितरणाला सुरुवात होईल. या आदी मी मागील आठवड्यात  फोने द्वारे विचारपूस केली असता उपायुक्त श्री अनिल सवाई यांना विचारले असता त्यांनी सांगितले कि आमच्या कडे धान्य वितरणाचा कोणताही आदेश आलेला नसल्यामुळे  आम्हाला काही सांगता येत नाही. पंतप्रधान नरेंद्र मोदींनी पंतप्रधान गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत आणखी पाच महिन्यासाठी वाढवण्याचा निर्णय घेतला होता. त्याप्रमाणे गरीब कुटुंबाला प्रत्येक महिन्याला प्रत्येक सदस्याला नोव्हेंबर २०२० पर्यंत दरमहा पाच किलो तांदूळ मोफत मिळणार आहे. परंतु जूलै महिना अर्धा संपत आला आहे, लोकांना आजपर्यंत या योजनांचा फायदा झालेला नाही. यामुळे माझ्या कडे बरीच  तक्रारी आलेल्या आहेत. त्याच तक्रारीचे निवारणासाठी मी अनिल सवाई यांना फोन करून विचारले असता त्यांनी मला सांगितले कि आपल्या तक्रारी लिहून  पाठवा. 
लोकांना परत पाठवू नका
शिधापत्रिका धारकांना प्रतिसदस्य पाच किलो मोफत तांदूळ मिळणार आहे. मात्र जुलै चे धान्य रेशन दुकानात ना पोहोचल्या मुळे आम्ही धान्य कुठून देणार असे एका दुकानदाराने आम्हाला सांगितले आहे. यामुळे हे दुकानदार ग्राहकांना परत पाठवीत असल्याचे निदर्शनास आले आहे. जुलै ऑगस्ट चे धान्य एकत्रित देण्यात असले तरी ते घेण्यासाठी येणाऱ्या प्रत्येक ग्राहकांना परत पाठवू नका उपलब्ध असलेल्या नियमित धान्य कोठ्यातुन त्यांना धान्याचे वितरण करा, पंतप्रधान गरीब कल्याण योजनेतून धान्य प्राप्त झाल्यानंतर त्यातून समायोजित केल्या जाईल असे निर्देश जिल्हा पुरवठा अधिकाऱ्यांनी रेशन धान्य दुकानदारांना दिले आहे.    


  भंडारा-पवनी महामार्ग के उत्खनन कार्य मे नियमों का उल्लंघन : संजय पाटील

भंडारा-पवनी महामार्ग के उत्खनन कार्य मे नियमों का उल्लंघन : संजय पाटील

Excavation

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १८ जुलै २०२० : भंडारा. भंडारा-पवनी महामार्ग के विस्तारीकरण के काम पर दवडीपार बाजार खेल खलियान से मुरूम उत्खनन करके यातायात कार्य जारी है. जिस कंपनी की ओर से उत्खनन कार्य किया जा रहा है, उसमें नियमों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है. गवार कंस्ट्रैक्शन कंपनी ने आदेस का उल्लंघन करके मुरूम का उत्खनन किया. तारा मेश्राम की खेती को नष्ट कर उक्त कंपनी उत्खनन कार्य कर रही है.
सरकार के आदेश के अनुसार गवार कंस्ट्रैक्शन कंपनी को 1 हजार ब्रास उत्खन्न करके कृषि जमीन यथास्थिति करके देने के आदेश दिए गए थे. लेकिन इस कंपनी ने मंजूर की गई जगह से ज्यादा जगह पर उत्खनन किया. कहा जा रहा है कि 7 हजार ब्रांस मुरूम उत्खनन किया गया. सात माह बीत जाने के बाद कंपनी ने जमीन की मालिक को उसकी जमीन को मूलरूप में वापस नहीं की. कंपनी की ओर से उत्खन्न स्थल की महिला मालिक को नुकसान भरपाई के नाम पर अभी तक कुछ भी नहीं दिया गया है. बार-बार उसे कंपनी की ओर से धमकियां जरूर दी जाती हैं. तीन साल में तीन लाख रूपए का नुकसान होने के बावजूद महिला किसान को एक पाई भी नहीं दी गई है.
Roads of Badnera lying in pits, administration ignored
भंडारा राष्ट्रीय महामार्ग निर्माण मे करोडो का भ्रष्ट्राचार  : संजय पाटील

भंडारा राष्ट्रीय महामार्ग निर्माण मे करोडो का भ्रष्ट्राचार : संजय पाटील

File Photo

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : १८ जुलै २०२० : लाखांदूर. राष्ट्रीय महामार्ग का निर्माण 2 वर्ष पहले ठप हो गया था. पिछले वर्ष से गति पकड़ चुकी है. हालांकि महामार्ग का निर्माणकार्य होते समय कुछ जगह पर मुरूम की बजाए लाल मिट्टी व धुल मिट्टी मिश्रित गिट्टी का इस्तेमाल करने से साकोली-पालांदूर सीमावर्ती राष्ट्रीय महामार्ग निर्माणकार्य पर सवाल उठाया जा रहा है. इस निर्माणकार्य की जांच करने की मांग लोगों की ओर से की गई है.
मुरुम की जगह लाल मिट्टी का इस्तेमाल
2 वर्षों पूर्व सरकार ने साकोली लाखांदूर इस सीमावर्ती क्षेत्र के तहत करीब 55 किमी लंबा करीब 226 करोड़ निधि का राष्ट्रीय महामार्ग निर्माण मंजूरी किया. करीब 2 वर्षों से अटके हुए राष्ट्रीय महामार्ग निर्माणकार्य को पिछले वर्ष से शुरुआत होने से नागरिकों में समाधान व्यक्त किया जा रहा था. हालांकि इस महामार्ग का निर्माणकार्य करते समय ठेकेदार कंपनी द्वारा कुछ जगह मुरुम की बजाए लाल मिट्टी का इस्तेमाल करने का आरोप है. 
इस महामार्ग का खुदाई कार्य कर निर्माणकार्य करते समय अधिकतम क्षेत्र का सीमेंटीकरण रात्रि के दौरान भी करने की चर्चा है. लाखांदूर तहसील के चप्राड पहाड़ी समीप इस महामार्ग के सीमेंटीकरण के कार्य के लिए सड़क किनारे रखी काली गिट्टी धुल व मिट्टी मिश्रित होने का दिखाई दे रहा है. लगातार पिछले 2 वर्षों से विवाद में अटके इस महामार्ग के निर्माणकार्य निकृष्ट साहित्यों के इस्तेमाल से फिर से एक बार चर्चा में होने का दिखाई दे रहा है. इस मामले में सरकार प्रशासन ने शीघ्र दखल लेकर संबंधित महामार्ग निर्माणकार्य की जांच कर दोषी ठेकेदार व कंपनी पर कार्रवाई की मांग की गई है.

Thursday, 16 July 2020

नागपुरात खाद्यतेल भेसळ कांड: संजय पाटील

नागपुरात खाद्यतेल भेसळ कांड: संजय पाटील

Fortune Sunlite Sunflower Refined Oil (15 Ltr.) Shop Grocery Online

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 17 जुलै 2020 : नागपूर: ब्रॅन्डेड खाद्यतेलाच्या डब्यात निकृष्ट प्रतीचे खाद्यतेल भरून ग्राहकांची फसवणूक करणाऱ्या विक्रेत्यावर अन्न व औषध प्रशासनाच्या पथकाने कारवाई केली. इतवारी येथील या खाद्यविक्रेत्याकडून १ लाख ३९ हजार ६४७ रुपयांचा खाद्यतेलाचा साठा जप्त करण्यात आला. अन्न व औषध प्रशासनाने शंकर ट्रेडिंग कंपनीवर छापा टाकून १ लाख ३९ हजार ६४७ रुपये किंमतीचा रिफाइन्ड सोयाबिन तेलाचा साठा जप्त केला. १५ किलोच्या टिनाच्या डब्यात निकृष्ट प्रतीचे तेल भरून ग्राहकांची फसवणूक केली जात असल्याची माहिती अन्न व औषध प्रशासन विभागाला मिळाली होती. या माहितीच्या आधारावर इतवारी येथील शंकर ट्रेडींग कंपनीवर छापा टाकण्यात आला. त्यात फॉर्च्युन, किंग्ज इत्यादी कंपनीचे बनावट लेबल लावून खाद्यतेलाचे टिन सीलबंद करून त्याची विक्री केली जात असल्याची धक्कादायक बाब पुढे आली. शंकर दुरूगकर यांच्या मालकीचे हे दुकान आहे.
King's Soyabean Oil - Buy Soyabean Oil Product on Alibaba.com
रिफाइन्ड सोयाबिन तेल (फॉर्च्युन) : १९३.४ लिटर

रिफाइन्ड सोयाबिन तेल (किंग्ज) : ११५३.४ किलो

रिफाइन्ड सोयाबिन तेल (खुले) : ३५८.४ किलो

नमुने प्रयोगशाळेत


या साठ्यातून प्रत्येकी एक-एक नमुना विश्लेषणासाठी घेण्यात आला. हे नमुने प्रयोगशाळेत तपासणीसाठी पाठविण्यात आले असून नमुन्यांचा विश्लेषण अहवाल प्राप्त होताच अन्न सुरक्षा व मानदे कायद्यांतर्गत पुढील कारवाई करण्यात येईल, असे अन्न व औषध प्रशासन विभागाकडून सांगण्यात आले. अन्न व औषध प्रशासनाचे सह आयुक्त (अन्न) चंद्रकांत पवार यांच्या मार्गदर्शनाखाली व सहायक आयुक्त (अन्न) अभय देशपांडे यांच्या नेतृत्वाखाली अन्न सुरक्षा अधिकारी प्रफुल्ल टोपले व विनोद धवड यांनी ही कारवाई केली.



इथे करा तक्रार



सणासुदीचे दिवस सुरू झाले असून या दिवसांत खाद्य पदार्थांमध्ये भेसळीचे प्रमाण वाढते. या भेसळीला रोखण्यासाठी अन्न व औषध प्रशासन विभागाकडून मोहीम हाती घेण्यात आली आहे. ग्राहकांना अन्न पदार्थांच्या गुणवत्तेबाबत काही तक्रार असल्यास त्यांनी ०७१२-२५६२२०४ या क्रमांकावर संपर्क साधावा, असे आवाहन अन्न व औषध प्रशासनाचे सहआयुक्त (अन्न) चंद्रकांत पवार यांनी केले आहे.

Wednesday, 15 July 2020

Nitin Gadkari,"There will be performance audit of NHAI officials": Sanjay Patil

Nitin Gadkari,"There will be performance audit of NHAI officials": Sanjay Patil

Road transport and highways minister Nitin Gadkari (Photo: HT)

Sanjay Patil : Nagpur Press Media :16 July 2020: New Delhi: Road transport and highways minister Nitin Gadkari on Friday said that there will a performance audit of government officials in road ministry and National Highways Authority of India (NHAI) and any delay in decision making will not be tolerated.
“I have always been of the opinion that performance audit (of the officials) is more important than financial audit," said Gadkari, adding that based on the Prime Minister’s instructions,- officials who don’t work will be shown the door.
However, honest, good work will be rewarded, Gadkari said after reviewing 500 road projects during 23-24 January in Manesar, Haryana. Such projects are worth 3 lakh crore and the marathon meetings are intended to iron out issues and explore ways to fast track pending projects.
The audit will be done on the basis of a bunch of parameters— if they are able to complete the allocated work in time, their problem resolution skills and initiative towards taking responsibility at work.
“The audit (of road ministry and NHAI officials) will be dovetailed with annual appraisal review," road secretary Sanjeev Ranjan said.
Last week, the minister sent a strong message and warned ‘non-performing’ officials in his ministry who neither take decisions nor allow others to work of showing exit door and said that red-tapism will not be tolerated.
In a meeting in November, Prime Minister had also said directed bureaucrats that the long delayed projects should be expedited by the respective state governments and regular reports on the progress of such projects must be sent to his office.
The minister instructed all chief engineers in the highways ministry and all members of NHAI to organised ‘review Mondays’ on the first and third Monday of every month.
“On these days no meetings other than for the purpose of review will be held by officials. Technology and video conferencing will be the means for review and monitoring. These days will be dedicated only for reviews to impart more focus on completing highway projects," the ministry said.
All relevant stakeholders, including concessionaires, contractors, bankers and officials state, road ministry and national highways authority of India (NHAI) were present at the meeting.
“The meeting led to identification of issues and way forward with clear timelines for most of the delayed projects. The major reasons found were delay in land acquisition by state governments, delay in regulatory clearances such as for quarrying etc. In addition, lack of coordination and communication between and within government agencies continues to delay decision making," the ministry said in a statement
As many as 740 highway projects across 16 states were reviewed.

Cautioning that non-performers will be shunted out through "compulsory retirement", Union minister Nitin Gadkari on Friday said delays in highway projects will not be tolerated and officials will have to pass the litmus test as their performances will be audited.
The Road Transport and Highways Minister's remarks followed a two-day review of 740 highway projects totalling 28,304 km from 16 states in which every ongoing project was reviewed with a 360-degree view from all stakeholders.
Senior officials of the ministry, NHAI, state governments, contractors, concessionaires, and consultants attended the review meeting. A target of highways building at a pace of 40 km/day by March 31, 2022, was also proposed.
Speaking at the conclusion of the review meeting, Gadkari said, "Performance audit of each and every official will be done. Those found not performing up to the mark will be shown the exit through compulsory retirement as also said by the Prime Minister. However, good work will equally be rewarded."



He said the performance audit was more important than financial audit and there will be 15-20 parameters, including initiatives for resolving problems and fast-tracking projects, for such an audit.
The minister said that the flagship expressway project Delhi-Mumbai Express Highway will be completed in three years. The work has already started on 18 out of 51 packages of the project.
The project will usher in tribal and backward areas of Haryana, Rajasthan, Madhya Pradesh and Gujarat among other places with coming up of smart cities, education hubs and health clubs besides facilities for commuters and drivers.
"The project will see way side amenities on every 50 km besides petrol pumps, hotels and restaurants and 10 lakh trees will be planted besides water harvesting and installation of solar powers, he said.
He said the project on a new alignment has saved Rs 16,000 crore on land acquisition cost alone and will boost business and trade between Delhi and Mumbai.
He said 22 greenfield corridors of length 7,500 km is being developed with a total capital cost of Rs 3 lakh crore.
"Work has started on some while awarding all other projects are/ will be completed expeditiously. These projects are being pursued vigorously and are being implemented on priority," he said.
He also informed that the progress of FASTags was also reviewed. All 537 Toll Plazas are now ETC enabled and more than 1.37 crore FASTags have been issued. My FASTag App has crossed 10 lakh down loads.
The meeting led to identification of issues and way forward with clear timelines for most of the delayed projects, the minister said adding the major reasons found were delay in land acquisition by state governments, delay in regulatory clearances such as for quarrying etc.
The minister said in case of stalling of projects on account of court or tribunal orders, NHAI and the Highways Ministry will put hoardings and banners informing people behind the reasons for delays.
In addition, lack of coordination and communication between and within government agencies continues to delay the decision making.
The issue of timely approval of Extension of Time (EOT) and change of scope (COS) was particularly raised by the Contractors/ Concessionaire during the meeting saying timely approvals would help in facilitating lending by banks.
An on-line portal GATI was also launched and this will be closely monitored at the highest level.
"NHAI portal will fast-track decision making and make it transparent. Stakeholders can place their problems on the portal which will be addressed, he said.
A new internal initiative 'Review Mondays' was also announced under which meetings of officials on the first and the third Monday of every month will be held to focus on monitoring and review of projects.
अमरावती के सभी जलाशय में झमाझम जलभंडार : संजय पाटील

अमरावती के सभी जलाशय में झमाझम जलभंडार : संजय पाटील

The reservoirs wait for the flood, only 32.99 prasha in the division

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 16 जुलै 2020 : अमरावती. जून माह में भी संभाग के अनेक गांवों को जलसंकट से जुझना पड रहा है. 56 गांवों में टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है. गर्मी के दिनों में भूजलस्तर गिरने से कई कुएं भी सुख गए है. संभाग के पांचों जिलों के जलाशयों में भी केवल 32.99 प्रतिशत जलभंडार है. हालांकि राहत की बात है कि मानसून ने तय समय पर दस्तक दी है. लेकिन जलकल्लित से निजाद पाने तथा खरीफ बुआई के लिए प्रर्याप्त बारिश की आवश्यकता है.
अप्पर वर्धा प्रकल्प लबालब21 जून की सिंचाई रिपोर्ट के अनुसार संभाग के सबसे डैम अप्पर वर्धा प्रकल्प में 51.18 प्रतिशत जलभंडार है. 564.05 दशलक्ष घनमीटर (दलघमी) क्षमतावाले इस डैम में 288.68 दलघमी जलसंचय है. संभाग में कुल 9 बडे, 25 मध्यम तथा 477 लघु प्रकल्प है. 1319.91 दलघमी क्षमतावाले 9 बडे प्रकल्पों में 41.88 प्रतिशत याने 586.23  दलघमी जलभंडार है. जबकि 733.15 दलघमी क्षमतावाले मध्यम प्रकल्पों में 35.08 प्रतिशत याने 257.19 दलघमी जलसंचय है. लेकिन लघु प्रकल्पों में केवल 20.85 फिसदी ही पानी शेष है. 1150.54 दलघमी क्षमतावाले 477 लघु प्रकल्पों में 239.84 दलघमी जल है.
वाशिम में सबसे कमपांचों जिलों में सर्वाधिक जलसंचय 42.89 प्रतिशत संभागीय मुख्यालय अमरावती जिले में है. यवमताल जिले में 31.66 प्रतिशत, बुलढाणा जिले में 30.63 प्रतिशत तथा अकोला जिले में 28.71 प्रतिशत जलभंडार है. संभाग में सबसे कम जलसंचय वाशिम जिले में मात्र 19.86 प्रतिशत है.  
संभाग के सभी बड़े जलाशयों ने इस बार बड़ी राहत दी है, जिसके कारण मानसून से जलसंकट होने का दूर-दूर तक आसार नहीं है. पांचों जिलों में 509 जलाशयों में 34.74 फीसदी जलभंडार शेष है. ग्रीष्मकाल के दिनों में यह जलाशय प्यास बुझाने में तत्पर हैं. विशेष बात यह है, कि वर्ष 2020 में पहली बार संभाग का एक भी बडा व मध्यम डैम ड्राय नहीं हुआ. प्रकल्पों की ऐसी स्थिति 10 वर्ष पूर्व 2010 में थी. वर्ष 2010 में मई माह में भी डैम में 50 प्रतिशत तक जलभंडार था. जबकि इस वर्ष 2020 में भी ऐसी ही स्थिति है, केवल अरुणावती प्रकल्प का जलस्तर घटा है. वर्ष 2019 में हुई बारिश से अरुणावती डैम में मात्र 20 फीसदी जलभंडार जमा हो पाया था.
अप्पर वर्धा में 50 प्रतिशतजिले की बात करें तो इस वर्ष अमरावती जिले में सर्वाधिक जलभंडार है. अमरावती शहर की प्यास बुझा रहे सबसे बडे अप्पर वर्धा प्रकल्प में 50 प्रतिशत जलभंडार शेष है. प्रतिवर्ष अकोला व बुलड़ाना के बडे डैम भी सूख जाते हैं, लेकिन इस वर्ष अकोला के 2, बुलड़ाना के 3 और यवतमाल के 1 बडे प्रकल्प में 40 प्रतिशत से अधिक जलभंडार है. उसी तरह मध्यम प्रकल्प भी इस वर्ष सूखा नहीं है. अमरावती के 4 मध्यम प्रकल्पों में 50 प्रतिशत से अधिक, यवतमाल के 6 प्रकल्पों में 20 से 40 प्रतिशत तक, अकोला के 3 प्रकल्पों में 30 प्रतिशत से अधिक तथा बुलड़ाना के 7 प्रकल्पों में 30 से 50 प्रतिशत तक जलभंडार पर्याप्त है.
लघु प्रकल्पों में 22.38 प्रश21 मई तक 476 लघु प्रकल्पों में 22.38 फीसदी जलभंडार है, जिससे इस वर्ष आने वाली बारिश से निश्चित ही संभाग के सभी प्रकल्प लबालब होंगे. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है.
Water harvesting of Kaiturna dam increased

मजीप्रा की मनमानी से आक्रोश

दर्यापुर. तहसील के शहानुर बांध में 45 प्रतिशत जलभंडार होने के बाद भी येवदा सर्कल के सैकड़ों लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. मजीप्रा के अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए नागरिकों ने तुरंत सुचारु जलापूर्ति की मांग की है. अन्यथा आंदोलन की चेतावनी दी है.
प्रहार के प्रदीप वडतकर ने बताया है कि शहानुर प्रकल्प में पर्याप्त जलभंडार होने पर भी येवदा के जलकुंभ में अत्यंत कम दाब वाली जलापूर्ति की जा रही है जिससे यह टैंक नहीं भरता.  गांववासियों को जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है. येवदा सर्कल के लोग पानी के लिए भटक रहे हैं. डेली जलापूर्ति न किए जाने पर वडतकर के नेतृत्व में 18 जून को शोले आंदोलन करने की चेतावनी दी है. इस संदर्भ में मजीप्रा को पत्र भी दिया गया है. महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण (मजीप्रा) अब इस दिशा में क्या कदम उठाती है. इस ओर सर्कल में आने वाल गांववासियों का ध्यान लगा है. 
नागरिकों से छल का आरोपएक वर्ष से प्राधिकरण की मनमानी जारी है. एक दिन के अंतराल पर जलापूर्ति की जा रही है. लेकिन बिल पूरे माह का भरना पड़ता है. पिछले कुछ दिनों से तो नलों में अत्यंत कम दाब से जलापूर्ति होने से नागरिक परेशान है. मजीप्रा नागिरकों से छल कर रही है.  
शहरवासी पेयजल की समस्या को लेकर त्रस्त हैं. इस बात को लेकर विधायक रवि राणा जब महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के कार्यालय में पहुंचे तो अधिकारियों की टालमटोल जबाव सुनकर दंग रहे गये. भीषण गर्मी में शहरवासियों को जलापूर्ति में लापरवाही बरतने पर संतप्त राणा ने शाखा अभियंता पुरोहित की जमकर परेड ली. साथ ही इस शाखा अभियंता से उठक-बैठक लगवाई. राउंड टेबल पर शुरू बैठक के दौरान जमीन पर बिठाया. उन्होंने कहा कि अधिकारी लाखों रुपयों का वेतन लेते हैं. केवल ठेकेदारों के बिल निकालने हुए दिनभर एसी में बैठते है, जिससे अब आगे से एयरकंडीशन (एसी) ही फोड़ डालेंगे, ऐसी चेतावनी भी विधायक ने दी.
म्हाड़ावासियों की समस्या का निपटारा
एमएलए राणा का रुद्रावतार देखकर अन्य अधिकारी भी तोते की तरह जबाव देने लगे, लेकिन राणा ने किसी की एक नहीं सुनी. साफ कहा कि कई वर्षों से म्हाड़ावासियों के 465 मकानों की जलापूर्ति का प्रश्न अभी तक अधिकारियों ने नहीं निपटाया. एकात्मिक जलापूर्ति योजना, विंधन कुआ दुरुस्ती कर ग्रामीण क्षेत्र की जल समस्या तत्काल छुडाने के निर्देश दिये. दबाव से जलापूर्ति नहीं करने पर कई क्षेत्रों में जलसंकट निर्माण हुआ है. अमरावती शहर ही नहीं बल्कि बडनेरा, तिवसा, अंजनगांव सुर्जी, अचलपुर, धारणी, चांदूर बाजार का भी समावेश है. बैठक में अधीक्षक अभियंता सुरेश चारथल, कार्यकारी अभियंता सुरेंद्र कोपुलवार, उपकार्यकारी अभियंता किशोर रघुवंशी, तहसीलदार काकडे समेत सभी अधिकारी उपस्थित थे.
दर्यापूर. महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के ठेकेदार द्वारा जगह-जगह पाइपलाइन खोदी जाने से पाइपलाइन लिकेज हो गई है. जिससे लाखों गैलन पानी बर्बाद हो रहा है. साथ ही इस फुटी पाइपलाइन में से गटर का पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है.
कोकाटे मार्केट में दूषित जलापूर्ति
पाइपलाइन से पानी बर्बाद होने से क्षेत्र में भीषण कृत्रिम जलसंकट फैला है. लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलने से लोग परेशान है. ग्रीष्मकाल के मई जैस महीने में भीषण जल संकट फैलने से लोगों में रोष है. ठेकेदार द्वारा कछुआ चाल से काम किया जा रहा है. कोकाटे मार्केट के पास की जगह पर खुदाई की गई है. इस फुटी पाइपलाइन में गटर का पानी जाने से कोरोना जैसे संकट काल में भी दूषित पेयजलापूर्ति हो रही है. कई बार नागरिकों द्वारा इस संदर्भ में शिकायत किए जाने के बावजूद मजीप्रा के अधिकारी अपने इस ठेकेदार की मनमानी पर नकेल नहीं कस रहे हैं. पाइपलाइन की मरम्मत हो या नई पाइपलाइन डालने का काम मजीप्रा युध्द स्तर पर इसे पूरा करे ऐसी मांग नागरिक कर रहे हैं. ऐसी मांग सामाजिक कार्यकर्ता अमोल पाटिल धर्माले, राजू पाटिल तराल, पूर्व पार्षद पप्पू पाटिल होले आदि ने की है.
आदिवासी बहुल क्षेत्र धारणी, चिखलदरा के साथ जिले के दर्जनों गांवों को जलंसकट का सामना करना पड़ रहा है. कई गांवों को अशुद्ध जलापूर्ति होने की शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं. जिसके चलते वाटर सैम्पल की जांच करने की सूचना सांसद नवनीत राणा ने जिलाधिकारी शैलेश नवाल को भेजे पत्र में दी है.
4-5 दिन बाद जलापूर्ति
ग्रीष्मकाल व लॉकडाउन के चलते दर्यापुर तहसील के सासन, रामापुर, सामदा, करतखेडा, सांगलूद के साथ अंजनगांव सुर्जी तहसील समेत भातकुली, आसरा, नांदेड, ऋणमोचन, भानखेडा, गोविंदपुर, मोगरा, मार्डी, कापूसतलणी, वडनेरगंगाई आदि गांवों में पेयजलसंकट मंडरा रहा है. 4-5 दिनों बाद नल से जलापूर्ति की जाती है. लॉकडाउन के कारण नागरिक भी अधिकारियों से संपर्क नहीं कर सकते और नहीं शिकायत कर पाते हैं, इसलिए सांसद होने के नाते शिकायतें प्राप्त हो रही है. आम नागरिकों को शुध्द जलापूर्ति करना प्रशासन का काम है इसलिए जल्द से जल्द नागरिकों को शुद्ध व नियमित जलापूर्ति उपलब्ध कराये ऐसी सूचना दी.
बिजली आपूर्ति सुचारु करें
उन्होंने पत्र में कहा है कि तूफानी बारिश के कारण पेड़ धराशाही होने के कारण बिजली आपूर्ति खंडीत हुई है. ग्रामीण क्षेत्र में भी बिजली पोल टूट चुके हैं. इसलिए बिजली आपूर्ति सुचारु कर लोगों भी जलापूर्ति उपलब्ध कराये. इतना ही नहीं तो जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा क्या एक्शन ली जाती है उसकी भी जानकारी उपलब्ध कराने की सूचना सांसद राणा ने दी है.

जलसंपदा के 15 साइट्स का काम शुरू

Water works started in 15 sites of water supply, 600 laborers getting work
अमरावती. जिले में लॉकडाउन के बाद से सभी काम काज बंद होने से मजदूरों के रोजगार छिन गए. जिससे 1 माह से उन पर गहरा आर्थिक संकट मंडरा रहा है. ऐसे में अब जलसंपदा विभाग ने कुल 15 साइट्स के कामों को मंजूरी हासिल कर इनमें से अधिकांश काम शुरू कर दिए है. जिससे लगभग 600 मजदूरों को रोजगार मिला है. आपत्ति व्यवस्थापन के अध्यक्ष व जिलाधिकारी शैलेश नवाल की अनुमति से यह काम शुरू हुई है.
कलेक्टर ने दी परमिशन
जलसंपदा विभाग की अधीक्षक अभियंता रश्मी देशमुख(ठाकरे) ने अपरवर्धा विभाग 15 साइट्स पर काम शुरू करने की अनुमति मांगी गई थी. जिसमें वरुड के पंढरी, मेलघाट में गडगा, वरुड के पाक प्रकल्प डैम अधूरे निर्माण कार्य को पुन: शुरू करने की अनुमति मिलने के बाद अब यह काम शुरू किए गए है. इनके साथ ही दर्यापुर के कामदा प्रकल्प, अचलपुर के वागाड़ी प्रकल्प, अचलपुर के ही चंद्रभागा बैरेज प्रकल्प, चांदूर बाजार के करजगांव प्रकल्प चांदूर रेलवे के रायगढ प्रकल्प, सोनगांव शिवनी प्रकल्प, नांदगांव खंडेश्वर के निम्न साखली प्रकल्प, तिवसा के गुरुकुंज उपसा सिंचन प्रकल्प, भातकुली के साखली कलान प्रकल्पों के काम भी शुरू करने की मंजूरी मिलने के बाद इन प्रकल्पों में पाइप लाईन व अन्य काम शुरू किए गए है.
नियमों का पालन जरूरी
इन कामों को शुरू करने के लिए सशर्त अनुमति दी गई है. जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखते हुए काम करने, मास्क लगाने व काम करने वाले मजदूरों को साइट्स के पास ही रहने की व्यवस्था का समावेश है. इन नियमों को ध्यान में रखते हुए संबंधित काम के ठेकेदारों को कड़े निर्देश अधीक्षक द्वारा देते हुए काम शुरू करने को कहा है. 15 में से अधिकांश काम ठेकेदार ने आरंभ किए है. इससे बंद पड़े कामों को रफ्तार मिलने के साथ ही रोजगार की समस्या भी कुछ कम हुई है.
अनुमति लेकर काम किया शुरू
हमने जिलाधिकारी से 15 साइट्स के काम शुरू करने की अनुमति मांगी थी. यह परमिशन मिलने के बाद संबंधित ठेकेदारों के माध्यम से यह काम शुरू करवाए गए है. जिन पर हमारे विभाग के संबंधित अभियंता पूरा ध्यान रखेंगे. कोविड 19 के सभी नियमों का पालन करते हुए यह काम करने के सख्त आदेश मैंने दिए है-रश्मी देशमुख (ठाकरे), अधीक्षक अभियंता
सशर्त दी अनुमति
जलसंपदा के 15 कामों को शुरू करने की हमने अनुतमति दी है. वर्क प्लेस पर कोविड-19 के सभी नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए यह काम करवाने होंगे. जिसकी जिम्मेदारी जलसंपदा के अधिकारियों की होगी.
शैलेश नवाल, जिलाधिकारी