Monday, 18 May 2020

 ‘अम्फान’ तूफान 195 किमी की रफ्तार : संजय पाटील

‘अम्फान’ तूफान 195 किमी की रफ्तार : संजय पाटील


Cyclone Amphan, a Category 5 storm, poses a dire threat to India ...

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 19 मे 2020 : ‘अम्फान’ (super cyclone amphan live status) तूफान का नाम थाईलैंड ने दिया है। इस तरह का सुपर साइक्लोन अपने पीछे बर्बादी छोड़ जाता है। यह तूफान साल 2014 में आए 'हुदहुद' तूफान (Cyclone hudhud) से काफी भयावह और विध्वंसक हो सकता है। 2014 में 'हुदहुद' ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे तटीय राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश समेत कई मैदानी राज्यों में भी भयंकर तबाही मचाई थी।


सुपर साइक्लोन 'अम्फान' बंगाल से टकराएगा

अम्फान 19-20 मई को पश्चिम बंगाल के दीघा और बांग्लादेश के हटिया द्वीप के बीच तट से टकराएगा। इसका असर गुरुवार तक रहेगा। जानमाल के नुकसान रोकने के लिए NDRF की 53 टीमें तैनात की हैं। तटीय गांव खाली कराए जा रहे हैं। समुद्र के किनारे न जाने की सलाह है। रेल और बस सेवाओं के रूट बदले गए हैं। ओडिशा के तट के नजदीक पहुंचा तूफान 'अम्फान', अगले 6 घंटे में प्रचंड रूप लेने की आशंका




यहां से भी गुजरेगा 'अम्फान'

इस तूफान के सोमवार रात ही आंध्रप्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाकों से गुजरने के आसार हैं। इस दौरान ओडिशा, प. बंगाल, सिक्किम, असम और मेघालय में 21 मई तक भारी बारिश और आंधी-तूफान की चेतावनी जारी की गई है।

'अम्फान' मचा सकता है बड़ी तबाही

NDRF के महानिदेशक एस.एन. प्रधान ने सोमवार को बताया कि ‘अम्फान’ को हल्के में नहीं लिया जा रहा है क्योंकि ऐसा दूसरी बार हुआ है जब भारत बंगाल की खाड़ी में आये प्रचंड चक्रवातीय तूफान का सामना कर रहा है। कच्चे मकान, मकानों की कच्ची छतों , नारियल के पेड़ों, टेलीफोन और बिजली के खंभों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है। 1999 के सुपर साइक्लोन ने 9,000 से अधिक लोगों की जान ले ली थी।


195-200 किलोमीटर की रफ्तार से चलेंगी हवाएं

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक एम. महापात्र ने कहा कि 1999 में ओडिशा तट पर आए प्रचंड चक्रवातीय तूफान के बाद यह उस श्रेणी का दूसरा तूफान है। उन्होंने बताया कि ‘अम्फान’ के तट से टकराने के दौरान हवा की गति 195 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा रहने का अनुमान है और यह आबादी वाले इलाके को प्रभावित करेगा।



सेना, वायुसेना भी अलर्ट

एयरफोर्स के सी-131 विमानों को भी तैयार रहने को कहा गया है। जरूरत पड़ने पर सेना की भी मदद ली जाएगी। NDRF की टीमें राज्यों में अलर्ट मोड में है।




20 लाख लोगों को हटा रहा है बांग्लादेश.

‘अम्फान’ के बांग्लादेश के दक्षिणी तट की ओर बढ़ने के बीच यहां की सरकार ने सोमवार को करीब 20 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आदेश दिया है। आपदा प्रबंधन मंत्रालय के सचिव शाह कमाल ने कहा कि दक्षिण-पश्चिमी अति प्रभावित 19 जिलों के प्रशासन को लोगों की जान बचाने के लिए सभी तैयारियां करने को कहा गया है।




ओडिशा में भारी नुकसान की आशंका

IMD के महानिदेश मृत्युंजय महापात्रा ने ने कहा, अम्फान ओडिशा में 1999 में तूफान के बाद दूसरा सुपर साइक्लोन (चक्रवाती तूफान) है। वह ऐतिहासिक रूप से सबसे तीव्र चक्रवाती तूफान था। 1999 के सुपर साइक्लोन ने 9,000 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। मौसम विभाग ने तटीय पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जहां इससे व्यापक नुकसान होने की आशंका है।




तूफान के पहुंचने से पहले बंगाल में बारिश

IMD ने बताया है कि पश्चिम बंगाल के दक्षिण और उत्तर परगना, पश्चिम और पूर्व मेदिनीपुर, हुगली, हावड़ा और कोलकाता जैसे पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में बारिश 19 मई से शुरू होगी और 55 से 65 कि. मी. प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चलेगी। ज्वार की लहर खगोलीय ज्वार से चार से छह फीट ऊपर होने की उम्मीद है। सुपर साइक्लोन के आने के बाद भारी बारिश से लेकर बेहद भारी बारिश का कारण बनेगा और साथ ही 165 से 195 कि. मी. प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चलेगी। इस हवा की गति बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकती है।




'अम्फान' से यहां सबसे ज्यादा नुकसान

अम्फान तूफान पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर, दक्षिणी एवं 24 उत्तरी परगना, हावड़ा में भारी तबाही मचा सकता है। इसके अलावा ओडिशा के मयूरभंज, बालासोर, भद्रक जैसे जिले में तूफान कहर मचा सकता है।


चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ ने लिया विकराल रूप

नई दिल्ली : चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ सुपर साइक्लोन में बदल चुका है और यह 20 मई को गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तट को पार कर सकता है। इसके चलते ओडिशा के तटीय इलाकों और पश्चिम बंगाल की गंगा नदी के पास के इलाकों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अम्फान’ से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने के लिए आज एक उच्च स्तरीय बैठक की।

PMO ने एक बयान में बताया कि अम्फान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की तरफ से की गयी तैयारियों, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की समीक्षा की। गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक शाम चार बजे से शुरू हो गई थी, जो एक घंटे से ज्यादा चली। इसमें गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। सरकार ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकारों को जारी परामर्श में कहा है कि ‘अम्फान’ सोमवार सुबह दक्षिणी बंगाल की खाड़ी के मध्य हिस्सों और बगल की मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर मौजूद है।

सुपर साइक्लोन में बदल चुका है
मौसम विभाग के मुताबिक ‘अम्फान’ सुपर साइक्लोन में बदल चुका है और यह 20 मई को गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तट को पार कर सकता है। भुवनेश्वर स्थित मौसम विभाग ने कहा है कि अम्फान अगले 6 घंटे में सुपर साइक्लोन तूफान में बदल सकता है। ओडिशा के गजपति, पुरी, गंजाम, जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। कल बालासोर, भद्रक, जाजपुर, मयूरभंज, खुर्जा और कटक में बारिश में तेजी आ सकती है।
मौसम विभाग ने कहा कि चक्रवात से तटीय ओडिशा और पश्चिम बंगाल में गंगा से लगने वाले क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होगी। ओडिशा सरकार जहां संवेदनशील इलाकों में रह रहे 11 लाख लोगों को निकालने की तैयारी कर रहा है, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने तटीय जिलों के लिए अलर्ट जारी किया और राहत टीमें भेजी हैं।
11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की तैयारी

अधिकारियों ने बताया कि त्वरित प्रतिक्रिया बल और जरूरी उपकरणों के साथ वाहन पहले ही जिलों में पहुंच चुके हैं। राज्य सचिवालय से काम कर रहे राज्य आपदा संचालन केंद्र जिले के आपदा संचालन केंद्रों के साथ लगातार संपर्क में हैं। ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त पी के जेना ने कहा कि गंजाम, गजपति, पुरी, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर, मयूरभंज, जाजपुर, कटक, खुर्दा और नयागढ़ के जिलाधिकारियों से जरूरत पड़ने पर संवेदनशील इलाकों से लोगों को निकालने के लिए तैयार रहने को कहा है।

उन्होंने कहा कि 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए तैयारियां कर ली गई हैं लेकिन लोगों को किन स्थानों से निकालना है यह फैसला सही समय पर किया जाएगा। जेना ने कहा कि 12 तटीय जिलों में 809 चक्रवात शिविरों में से 242 को फिलहाल कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच विभिन्न राज्यों से लौट रहे लोगों के लिए अस्थायी चिकित्सा शिविर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

एनडीआरएफ की इकाइयां भेजी गईं

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि 10 इकाइयों को ओडिशा के विभिन्न जिलों में भेजा गया है जबकि 10 अन्य इकाइयों को तैयार रखा गया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अधिकारियों को लोगों को संवेदनशील इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की योजना बनाने का निर्देश दिया है।

साथ ही सड़क मार्ग, पेयजल आपूर्ति, बिजली आपूर्ति और अस्पतालों के ढांचे एवं वहां बिजली-पानी की आपूर्ति को जल्द बहाल करने की भी तैयारी करने को कहा है। चक्रवात ‘अम्फान’ से एक साल पहले पिछले साल तीन मई को ओडिशा में तूफान फणी ने कहर बरपाया था और 64 लोगों की जान लेने के साथ ही बिजली,दूरसंचार, पानी एवं अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की अवसंरचना को तबाह कर दिया था।

चक्रवात एम्फैन के मद्देनजर ओडिशा में 1.37 लाख से अधिक लोगों को निकाला गया
पश्चिम बंगाल के दीघा और बांग्लादेश के हटिया के बीच चक्रवात अम्फान की लैंडफॉल प्रकिया शुरू हो चुकी है। खबर है कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तेज हवाओं की वजह से काी नुकसाना हुआ है

हाइलाइट्स


  • पश्चिम बंगाल के नॉर्थ परगना जिले में अम्फान की वजह से 52,00 घरों के क्षतिग्रस्त होने की खबरः अधिकारी
  • 20 मई को बंगाल की खाड़ी में दबाव बनने से लेकर चक्रवात के लैंडफॉल, समय और रास्ते को लेकर मौसम विभाग के अनुमान सही साबित हुए हैंः मत्युंजय महापात्र, डायरेक्टर जनरल, भारतीय मौसम विभाग
  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बुधवार को कहा कि चक्रवाती तूफान अम्फान इस समय सुंदरबन के पास पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र से गुजर रहा है और शाम तक कोलकाता के पास पहुंच जाएगा।
  • बांग्लादेश ने अम्फान तूफान के खतरे को देखते हुए अपने 20 लाख लोगों को सुरक्षित आश्रयस्थलों तक पहुंचाया है। सेना को राहत एवं बचाव कार्य की जिम्मेदारी दी गई है।
  • ओडिशा में अम्फान चक्रवात ने मचाई तबाही, 2 की मौत। (IANS)
  • चक्रवात अम्फान आज शाम तक कोलकाता पहुंच जाएगा। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में असर दिख सकता है। साउथ और नॉर्थ सेंट्रल परगना से रिपोर्ट मिल रही है कि 160 तक रफ्तार हो सकती है। अनुमान है कि कोलकाता, हुगली और हावड़ा आदि जिलों में भी हवा की रफ्तार 110 से 135 किलोमीटर तक रह सकती है। ओडिशा में 106 से 107 की रफ्तार से भारी नुकसान हुआ है।
  • पश्चिम बंगाल में अबतक करीब 5 लाख लोगों को और ओडिशा में 1.5 लाख लोगों को बाहर निकाल लिया गया हैः डीजी एनडीआरएफ
  • सुपर साइक्लोन अम्फान का असर दिखना शुरू हो गया है। भुवनेश्वर में तेज हवाएं चल रही हैं और बारिश हो रही है।


भारत में 1 लाख केसः देखें कोरोना ने कैसे पकड़ी रफ्तार ;संजय पाटील

भारत में 1 लाख केसः देखें कोरोना ने कैसे पकड़ी रफ्तार ;संजय पाटील

प्रवासी मजदूरों के पलायन से केसेज बढ़ने की आशंका। (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : नागपुर प्रेस मीडिया  : 19 मे 2020 : देश में पहला कोरोना मरीज मिलने के 109 दिन बाद, मामलों की संख्‍या एक लाख को पार कर गई है। पिछले करीब 12 दिनों में मामले दोगुने हो गए हैं। सोमवार को देशभर से 4,713 नए मामले सामने आए। भारत में लॉकडाउन के साथ-साथ डेली केसेज की संख्‍या बढ़ रही है, यह इस बात का संकेत है कि भारत में अभी कोरोना पीक पर नहीं पहुंचा है। 14 मई से 17 मई के बीच एवरेज केसेज की बात करें तो भारत की तस्‍वीर चिंताजनक हैं। इस दौरान रोज करीब 4,418 मामले सामने आए हैं। ताजा मामलों के हिसाब से भारत दुनिया में चौथे नंबर पर है।

62 दिन में 100 से एक लाख केस
भारत में कोरोना वायरस के शुरुआती 25 हजार मामले सामने आने में 86 दिन लगे। अगले 11 दिन में केसेज डबल होकर 50 हजार तक पहुंचे गए। फिर एक हफ्ते में ही केसेज की संख्‍या 75 हजार पार हो गई। 75 हजार से एक लाख तक पहुंचने में भारत को सिर्फ 5 दिन लगे। 100 से एक लाख केसेज तक पहुंचने में 62 दिन का वक्‍त लगा। कोरोना केसेज के ग्रोथ रेट की बात करें तो भारत दुनिया में चौथा सबसे धीमा देश है। एक लाख केसेज पर भारत का ग्रोथ रेट 5.1 है जो कि दुनिया में नीचे से चौथे पायदान पर है। हमसे कम ग्रोथ रेट तुर्की, फ्रांस और ईरान में है।


महाराष्‍ट्र, गुजरात के हालात बेहद परेशान करने वाले
महाराष्‍ट्र में रोज कोरोना के 2,000 से ज्‍यादा केसेज आ रहे हैं। एनालिस्‍ट्स के मुताबिक, गुजरात और महाराष्‍ट्र में मामले सामने आने की दर नेशनल एवरेज से कहीं ज्‍यादा है। प्रधानमंत्री की इकनॉमिक एडवायजरी काउंसिल की सदस्‍य रहीं इकनॉमिस्‍ट शमिका रवि के मुताबिक, महाराष्‍ट्र और गुजरात में प्रति 10 लाख आबादी पर मृत्‍यु-दर नेशनल एवरेज के चार गुने से भी ज्यादा है। गुजरात का फैटलिटी रेट 10.33% हैं, वहीं महाराष्‍ट्र का 9.81% प्रति 10 लाख।


राहत दे रहा है ये आंकड़ा
कोरोनो केसेज के आंकड़े जहां डरा रहे हैं, वहीं रिकवरी रेट में लगातार सुधार हो रहा है। भारत का रिकवरी रेट 38.8% है। अब तक 39 हजार से ज्‍यादा मरीज रिकवर होकर डिस्‍चार्ज किए जा चुके हैं। सोमवार रात तक 3,103 मौतों के साथ भारत का डेथ रेट भी बाकी दुनिया से बेहतर है। यहां का फैटलिटी रेट 3.1% है। भारत में हर 1 लाख आबादी पर कोरोना के 7.1 मरीज हैं जबकि दुनिया में यह आंकड़ा 60 पेशेंट्स का है। स्‍पेन में प्रति एक लाख आबादी पर 494 केस सामने आए जो कि सबसे ज्‍यादा है। अमेरिका में यह आंकड़ा 431 केस, इटली में 372 केस और यूनाइटेड किंगडम में 361 केस प्रति लाख आबादी है।


कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा, लॉकडाउन में ढील पड़ सकती है महंगीः विशेषज्ञ

बेंगलुरू : देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन इसके कम्युनिटी ट्रांसमिशन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन एक प्रख्यात स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने आज कहा कि भारत को कोविड-19 के सामुदायिक स्तर पर फैलने के जोखिम का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि लॉकडाउन में राहत देने के कारण कोरोना वायरस बड़े पैमाने पर फैल सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि देश में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन (तीसरा चरण) पहले ही शुरू हो चुका है। मगर पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि यह परिभाषा पर निर्भर करता है।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन शब्द से बच रहे हैं विशेषज्ञ
उन्होंने कहा कि अगर हम उन लोगों में प्रसार को देखते हैं जिन्होंने कहीं की यात्रा नहीं की या किसी संक्रमित के संपर्क में नहीं आाए, तो निश्चित तौर पर ऐसे कई मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन ज्यादातर मामले विदेशी यात्रियों के प्रवेश के मूल कारण के इर्द-गिर्द या उनके जानकारों की यात्रा करने से संबंधित हैं। इसलिए जो लोग इसे अब भी दूसरा चरण बता रहे हैं, उनका कहना है कि यह पता लग सकने वाला स्थानीय प्रसार है और ऐसा सामुदायिक प्रसार नहीं है जिसका अनुमान न लगाया जा सके।’ उन्होंने कहा कि इसलिए हम सामुदायिक प्रसार जैसे शब्द के इस्तेमाल से बच रहे हैं।यह परिभाषाओं एवं भाषा का विषय है।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन के लिए तैयार रहे देश
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 81970 पहुंच चुकी है। इनमें से 27920 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं जबकि 2649 की मौत हो चुकी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हृदय रोग विभाग के पूर्व में प्रमुख रहे रेड्डी ने कहा कि यह भी मानना होगा कि सामुदायिक प्रसार हर उस देश में वास्तव में नजर आया है जहां इस वैश्विक महामारी ने भयावह रूप लिया है और भारत को भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए। और उसे इस तरह से काम करना चाहिए जैसा कि यह हो रहा है और रोकथाम के सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए। रेड्डी ने कहा कि सामुदायिक प्रसार का न सिर्फ जोखिम है बल्कि असल में यह एक खतरा है।

                                             लॉकडाउन खुलने से बढ़ेगी आशंका
रेड्डी ने कहा कि मलेशिया समेत दक्षिण पूर्वी एशिया के राष्ट्र, खासकर भारत में प्रति लाख लोगों पर उन देशों के मुकाबले मृत्यु दर कम रही जहां वैश्विक महामारी का प्रकोप उसी वक्त नजर आया था। भारत में मृत्यु दर कम होने के कई कारक हो सकते हैं जैसे कम आयु वर्ग की आबादी ज्यादा होना, ग्रामीण जनसंख्या अधिक होना और लॉकडाउन जैसे एहतियाती कदम उठाया जाना। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खुलने पर कुछ जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं क्योंकि लोगों की आवाजाही बढ़ जाएगी और वायरस के बड़े पैमाने पर फैलने की आशंका भी बढ़ जाएगी। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा शारीरिक दूरी बनानी होगी और मास्क पहनना एवं हाथ धोने जैसी आदतों का लगातार पालन करना होगा।




बिहार, पश्चिम बंगाल गाड्या चालविण्यास आवश्यक परवानगी देत ​​नाही: गृहमंत्री अनिल देशमुख

बिहार, पश्चिम बंगाल गाड्या चालविण्यास आवश्यक परवानगी देत ​​नाही: गृहमंत्री अनिल देशमुख

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संजय पाटील : नागपुर प्रेस मीडिया : 19 मे 2020 : MAHARASHTRA Home Minister Anil Deshmukh on Sunday alleged that West Bengal and Bihar are not issuing required clearances to run trains at a number desired by the State Government, saying they are “very slow” in responding. He also said a total of 20 lakh migrants, most of them from Bihar and West Bengal, have registered themselves with the Maharashtra Government so far for travelling back to their native States in special trains. Deshmukh’s statement came close on the heels of Railway Minister Piyush Goyal accusing some Opposition-ruled States, including West Bengal, of reluctance to requisition trains for migrants settled in other States.
 
“The State Home Department has received an enrolment of some 20 lakh people, most of them to Bihar and West Bengal, who have expressed their wish to return to their home states,” Deshmukh told reporters. “However, the problem is that States like West Bengal and Bihar are not issuing required clearance for running the trains,” he said. Deshmukh further said that Chief Minister Uddhav Thackeray and NCP president Sharad Pawar had already spoken to CMs of Bihar and West Bengal, “but they are very slow in responding”. The senior NCP leader said the minimum requirement of trains for Maharashtra alone is around 800.
 
“If all the migrant labourers to be sent back, we would need more than 1,000 trains,” the Home Minister said. “Going by the current speed at which migrants are enrolling themselves (to travel back), daily 50 trains will have to be run from all the major stations. At least ten trains have to be run daily to Bihar and West Bengal,” he said. However, the Governments of West Bengal and Bihar are not giving permissions to run trains at a number desired by the Maharashra Government. “When we informed the Governments of West Bengal and Bihar that the registered number of migrant labourers in Maharashtra can fill up to 25 trains each, we got the permission to run one or two trains only.
 
It is sad to see the plight of the migrant labourers,” he said. Deshmukh said the State Home Department has been in touch with various Governments seeking their approvals for repatriation of migrants in special trains. He said the State Government has been footing the train fare of migrants and also providing them food and water for journey.
 नितीन राऊत :  "२० लाख कोटी रुपयांचे पॅकेज म्हणजे खासगीकरणाचा डाव: : संजय पाटील

नितीन राऊत : "२० लाख कोटी रुपयांचे पॅकेज म्हणजे खासगीकरणाचा डाव: : संजय पाटील

Maharashtra minister targets Brahmins over CAA and NRC and NPR

संजय पाटील : नागपूर : नागपुर प्रेस मीडिया : 19 मे 2020 : कोव्हिड-१९च्या पार्श्वभूमीवर 'आत्मनिर्भर भारत'साठी २० लाख कोटी रुपयांचे पॅकेज म्हणजे खासगीकरणाचा डाव असून, जनतेची घोर निराश केली असल्याची टीका राज्याचे ऊर्जा व नागपूरचे पालकमंत्री नितीन राऊत यांनी केली आहे. सर्वांत मोठे राज्य, देशाची आर्थिक राजधानी आणि बाजारपेठेचा विचार करून महाराष्ट्राला अधिकाधिक निधी द्यावा, अशी मागणीही त्यांनी केली.

पॅकेजमधून शेतकरी, गरीब, मजूर दुर्लक्षित ठेवण्यात आले. प्रत्यक्ष लाभापासून जनता वंचित राहणार आहेत. कॉर्पोरेट, आयुध निर्माणी कारखान्यांचे खासगीकरण, संरक्षण विभागात विदेशी गुंतवणुकीवर भर देण्यात आला आहे. प्रत्यक्षात सर्व घटकांना संभ्रमावस्थेतून बाहेर काढून कालबद्ध कार्यक्रम देण्याची आहे. देशाच्या ढासळलेल्या आर्थिक स्थितीवर मात करून प्रचलित व्यवस्थेचे आधुनिकीकरण गरजेचे असताना विशिष्ट गट व संस्थांना नजरेसमोर ठेवून खासगीकरणातून त्यांना लाभ मिळवून देण्याचा घाट तर नाही ना, अशी शंका येते. खासगीकरणाचा हा डाव असल्याने यास तीव्र विरोध करण्यात येईल, असा इशाराही त्यांनी दिला.



वीज वितरणाबाबतही ग्राहकहित दिसत असले तरी, खासगीकरण व मुठभर लोकांना लाभ होईल, असे दिसते. कोळसा खाण, आयात धोरणावरून खासगीकरण होणार असून, त्याचाही परिणाम वीज ग्राहकांवर होईल. वाहतूक व्यवस्था, रेल्वे, रस्ते व तत्सम सोयी उपलब्ध करून देण्यासाठी विशेष कार्यक्रम आखावा. सर्वांना थेट लाभ द्यावा, बिनव्याजी व थेट बँकेत पैसे वळते करून नागरिकांना दिलासा देण्याची गरज आहे. पॅकेजचा इव्हेंट करू नये, तर प्रत्यक्ष काम करावे, असा खोचक सल्लाही नितीन राऊत यांनी दिला आहे.
रेशनला निकृष्ट तांदूळ पुरवठा उघड : संजय पाटील

रेशनला निकृष्ट तांदूळ पुरवठा उघड : संजय पाटील

Parboiled (Converted) Rice: Nutrition, Benefits, and Downsides

गोंदिया : नागपूर 19 मे 2020 : अर्जुनी-मोरगाव तालुक्यातील नवेगावबांधमधील एका स्वस्त धान्य दुकानदाराला खमारीच्या माया राईस मिलर्सकडून तांदळाचा पुरवठा करण्यात आला. हे तांदूळ निकृष्ट असल्याची तक्रार करण्यात आली. पुरवठा विभागाच्या अधिकाऱ्यांनी केलेल्या तपासणीत साडेसात क्विंटल तांदूळ निकृष्ट आढळला. ट्रकभर तांदळात मोजकाच तांदूळ निकृष्ट कसा निघाला यावरून संशय व्यक्त केला जात आहे.

करोनाच्या संकटात गरजूंना दिलासा देण्यासाठी पंतप्रधान गरीब कल्याण योजनेंतर्गत मोफत धान्य वितरणाची घोषणा करण्यात आली. त्याचे वाटपही सुरू करण्यात आले. १६ मे रोजी नवेगावबांध येथील काही लाभार्थी रेशन दुकानात धान्य घेण्यासाठी गेले असता त्यांना खंडामिश्रित निकृष्ट तांदूळ देण्यात आले. या तांदळाचा पुरवठा खमारी येथील माया राईस मिलर्सकडून करण्यात आला होता. सरपंचांनी उपविभागीय अधिकारी शिल्पा सोनाले, तहसीलदार विनोद मेश्राम यांना माहिती दिली. त्यानंतर गोदाम किपर मोहर्ले यांना चौकशीकरिता पाठविण्यात आले. चौकशीत केवळ साडेसात क्विंटल तांदूळ निकृष्ट आढळला. स्वस्त धान्य दुकानांना निकृष्ट दर्जाचा तांदूळ पुरवठा करणाऱ्या संबंधित माया राईस मिलच्या मालकावर त्वरित गुन्हा दाखल करून अटक करावी, अशी मागणी नवेगावबांधवासियांनी केली आहे. अन्न सुरक्षा कायद्यानुसार अशा प्रकारात गुणवत्ता नियंत्रक आणि पुरवठादार दोषी आढळल्यास त्यांच्यावर कलम ३४० अंतर्गत कारवाईची तरतूद आहे.
'निकृष्ट दर्जाचे आढळलेले साडेसात क्विंटल तांदूळ गोदामात परत जमा करण्यात आले. त्याऐवजी रेशन दुकानदाराला तेवढेच धान्य पुरवठा करण्यात आले. सोमवारपासून नियमित धान्य वितरण करण्याची सूचना दुकानदाराला दिली आहे. चौकशी अहवाल जिल्हा पुरवठा अधिकारी गोंदिया यांना सादर करण्यात येणार आहे,' अशी माहिती पुरवठा निरीक्षक अधिकारी विनोद काळे यांनी दिली. दरम्यान, जिल्हा पुरवठा अधिकारी देवराव वानखेडे यांच्याशी संपर्क साधला असता त्यांनी प्रतिसाद दिला नाही.

बोरगावचे दुकान रद्द, गोंदेखारीचे अधिकार काढले


गोरेगाव तालुक्यातील बोरगाव येथील स्वस्त धान्य दुकानदार अशोक मेश्राम यांनी लाभार्थ्यांना पावती न देता कमी धान्य दिल्याची तक्रार करण्यात आली होती. तक्रारीत तथ्य आढळल्याने जिल्हा पुरवठा अधिकारी यांनी दुकानदाराचा परवाना रद्द केला. त्याचप्रमाणे गोंदेखारी येथील दुकानदार श्रीराम ठाकरे यांच्यावरदेखील आरोप झाले होते. तालुका पुरवठा निरीक्षक मिर्जा यांनी चौकशी केली असता आरोपात तथ्य आढळल्याने गोंदेखारी येथील दुकानाचे अधिकार काढण्यात आले.
                          कुही गाव :  धन्याचे वाटपावरुन मोठा घोटाळा

कुहि गावतून मोठ्या प्रमाणात  रशिनिंगच्या वाटपावरुन तिथल्या लोकांचं आक्रोश वाढत आहे .आमच्या निर्देशनास आले  आहे . तिथिल्या नगरीकाना सांगिताले शाशन याची  दखल घेतील काय आसा प्रार्थना.  तिथिल्या नगरीक करीतआहे. 

Sunday, 17 May 2020

चीन विरोधात ६२ देशाचा ठराव WHO मध्ये, भारताचा  विरोध : संजय पाटील

चीन विरोधात ६२ देशाचा ठराव WHO मध्ये, भारताचा विरोध : संजय पाटील

फाइल फोटो

संजय पाटील: नागपूर प्रेस मीडिया: 18 मे 2020 : प्राण्यांमधून सार्क कोवी-२ या करोनाचा प्रसार करणाऱ्या विषाणुचा संसर्ग माणसामध्ये कसा झाला याची निःपक्षपाती तपासणी जागतिक आरोग्य संघटनेने (डब्ल्यूएचओ) करावी असा ठराव डब्लूएचओमधील सदस्य सभासदांनी मंजूर केला आहे. हा ठराव डब्लूएचओच्या वार्षिक सभेमध्ये सादर केला जाणार आहे. भारताने या ठरावाच्या बाजूने मत नोंदवले असून या ठरावाला पाठिंबा दर्शवला आहे. युरोपीयन महासंघ आणि ऑस्ट्रेलियाच्या नेतृत्वाखाली मांडण्यात आलेल्या या ठरावाला भारताने पाहिल्यांदाच उघडपणे पाठिंबा दिला आहे. चीनमधील वुहान येथून जगभरामध्ये प्रादुर्भाव झालेल्या या विषाणूच्या संसर्गामुळे आतापर्यंत तीन लाखांहून अधिक जणांचा मृत्यू झाला आहे.

पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी मार्चमध्ये झालेल्या जी-२० परिषदेमध्येच डब्ल्यूएचओमधील बदल आणि अधिक पारदर्शकता आणण्याची गरज असल्याचे मत व्यक्त केले होते. यासंदर्भातील वृत्त हिंदुस्तान टाइम्सने दिले आहे. करोनाच्या संसर्गाबद्दल सुरुवातील माहिती लपवणाऱ्या चीनने नंतर हा विषाणू चीनमध्ये इतर प्रदेशातून आला असलण्याची शक्यताही बोलून दाखवली होती. चीनच्या परदेश मंत्रालयाने तर अमेरिकन सैन्यामुळे चीनमधून करोनाच्या प्रादुर्भावाला सुरुवात झाल्याचे तर्क मांडले होते.
जागतिक आरोग्य संघटना आणि महासंचालक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस यांनी चीनबद्दल घेतलेल्या मवाळ भूमिकेमुळे या विषाणूचा प्रादुर्भाव वेगाने झाल्याच्या आरोप केला जात आहे. घेब्रेयेसुस हे इथोपियामधील माजी मंत्री आहेत. २०१७ साली चीनने पाठिंबा दिल्याने त्यांची डब्ल्यूएचओच्या महासंचालकपदी निवड झाली होती. घेब्रेयेसुस आणि डब्ल्यूएचओने त्याच्याविरोधातील आरोप फेटाळून लावले आहे. याच वादामधून अमेरिकेचे राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प यांनी डबल्यूएचओला देण्यात येणारा निधीही थांबवला आहे.
स्वित्झर्लंडमधील जिनिव्हात मुख्यालय असणाऱ्या डब्ल्यूएचओमधील अधिकाऱ्यांनी दिलेल्या माहितीनुसार ६२ देशांनी या चौकशी करण्याच्या ठरावाला पाठिंबा दर्शवला आहे. यामध्ये बांगलादेश, कॅनडा, रशिया, इंडोनेशिया, दक्षिण आफ्रीका, तुर्की, युनायटेड किंग्डम, जपान या देशांचा समावेश असल्याचे ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ने म्हटले आहे. दुसऱ्या महायुद्धानंतर जगावर आलेले सर्वात मोठे संकट असणाऱ्या करोना विषाणू संसर्गाकडे अधिक पारदर्शकपणे आणि जबाबदापणे पाहण्याची गरज असल्याचे या ठरावामध्ये नमूद करण्यात आलं आहे. या ठरावाच्या मसुद्यामध्ये चीनचा तसेच वुहान शहराचा थेट उल्लेख नाही. मात्र या विषाणूची उत्पत्ती कुठे झाली आणि त्याचा प्रादुर्भाव मानवामध्ये कसा झाला याची चौकशी करण्याची मागणी करणारा हा ठराव अप्रत्यक्षपणे चीनविरोधातच असल्याचे सांगण्यात येत आहे. चीनमध्ये करोनाचा प्रादुर्भाव झाल्यानंतर त्यासंदर्भात बरीच माहिती लपवून ठेवल्याचा आरोप अनेक बड्या देशांनी केला होता.
या ठरवामध्ये डब्ल्यूएचओच्या महासंचालकांनी प्राण्यांच्या आरोग्यासंदर्भात काम करणाऱ्या जागतिक संघटना ओआयईबरोबर काम करावे असं म्हटलं आहे. करोनाचा मानवामध्ये संसर्ग कसा झाला यासंदर्भात वैज्ञानिक आणि एकत्रितरित्या काम करण्यात यावे अशी अपेक्षा या ठरावामध्ये व्यक्त करण्यात आली आहे. या विषाणुची झुनॉटीक सोर्स म्हणजेच प्राणीशास्त्रानुसार उत्पत्ती कुठे झाली, त्याचा कोणत्या मार्गाने मानवामध्ये प्रादुर्भाव झाला, पहिल्यांदा याचा संसर्ग झालेले संभाव्य कोण आहेत या सर्वांसंदर्भात निःपक्षपाती तपासणी करण्यात यावी असं या ठरावामध्ये म्हटलं आहे.
करोनाच्या साथीला डब्ल्यूएचओने दिलेल्या प्रतिसादातून काय धडा मिळाला, काय कमावले आणि काय गमावले यासंदर्भात विचार करण्यात यावा. त्यासाठी नि:पक्ष, स्वतंत्र आणि सर्वसामावेशक तपासाला सुरवात करण्यासंदर्भात डब्ल्यूएचओच्या अध्यक्षांनी लवकरात लवकर पावले उचलावीत अशी इच्छाही या ठरावाच्या बाजूने असणाऱ्या देशांनी व्यक्त केली आहे.
करोनासंदर्भातील माहिती मिळाल्यानंतर डब्ल्यूएचओने घेतलेले निर्णय, त्याची काम करणारी यंत्रणा किती प्रभावी होती याबद्दल तपास करावा. तसेच करोनासंदर्भातील निर्णय कशापद्धतीने घेण्यात आले याबद्दलही तपास व्हावा असं ठरावाच्या बाजूने असणाऱ्या देशांनी म्हटलं आहे. सर्व देशांनी डब्लूएचओला त्यांच्या देशातील करोनासंदर्भातील सर्व माहिती आणि आकडेवारी आंतरराष्ट्री नियमांनुसार पुरवावी. ही माहिती योग्य, सखोल आणि परिपूर्ण असे यावर सर्व देशांनी भर द्यावा असंही या ठरावामध्ये म्हटलं आहे.
डब्ल्यूएचओच्या या व्हर्चूअल बैठकीमध्ये या ठरावावर कशापद्धतीने चर्चा होणार आहे याबद्दल अद्याप कोणताही माहिती समोर आलेली नाही. करोनाच्या पार्श्वभूमीवर डब्ल्यूएचओने कोणत्याही विशेष उद्देश (अजेंडा) या बैठकीसाठी ठरवलेले नाही.  सोमवारी (१८ मे) होणाऱ्या या बैठकीमध्ये हा ठराव मांडला जाणार असून जागितक आर्थिक व्यवस्थेला ८.८ ट्रीलीयनचा फटका बसलेल्या कोरनाच्या प्रादुर्भावासाठी चीनविरोधात अनेक देशांनी आपली नाराजी याआधीच उघडपणे व्यक्त केली आहे.

मसूद अझरवर चीनने भारतासाठी समस्या निर्माण केल्या होत्या

पाकिस्तानचा सदाहरित मित्र असलेल्या चीनने मसूद अझहरला संयुक्त राष्ट्रातून जागतिक दहशतवादी घोषित करण्यात मोठा अडथळा आणला होता. मसूद अझरच्या तुलनेत मित्र पाकिस्तानच्या बाजूने चीनने अनेकदा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदेवर व्हिटो वापरला होता. जैश-ए-मोहम्मदचे नेते मसूद यांच्यावर चीनने भारतावर जोरदार प्रभाव पाडला होता. प्रत्येक वेळी त्यांनी काही नवे निमित्त या प्रस्तावाला वीटो दिले. तांत्रिक अडथळ्यांचा संदर्भ देऊन चीन मसूदला जागतिक दहशतवादी घोषित करण्यापासून वाचवत असे.
2019 मध्ये जम्मू-काश्मीरच्या पुलवामा येथे सीआरपीएफच्या जवानांच्या ताफ्यावर झालेल्या दहशतवादी हल्ल्यात जैश गुंडाचा हातदेखील उघडकीस आला होता. या हल्ल्यात सीआरपीएफचे 40 जवान शहीद झाले. या हल्ल्याचा जगभरात निषेध करण्यात आला. या सर्वात भयंकर हल्ल्यानंतरही चीनने मसूद अझरला जागतिक दहशतवादी म्हणून घोषित करण्याचा संयुक्त राष्ट्रांचा प्रस्ताव टाळला होता. पण त्यानंतर भारताने आपल्या राजनैतिक प्रयत्नांना वेग दिला आणि अमेरिका, ब्रिटन आणि फ्रान्सने चीनवर दबाव आणला.
10 वर्षांत चार प्रयत्न अयशस्वी झाले


अझरला जागतिक दहशतवादी घोषित करण्यासाठी गेल्या दहा वर्षांत चार प्रयत्न झाले. 2009 मध्ये भारताने प्रथम प्रस्तावित केले. त्यानंतर 2016 मध्ये, युनायटेड स्टेट्स, ब्रिटन आणि फ्रान्ससमवेत भारताने संयुक्त राष्ट्रांच्या 1267 मंजूरी परिषदेसमोर  प्रस्ताव ठेवला. या देशांच्या पाठिंब्याने, भारताने 2017 मध्ये तीसरी बार हा प्रस्ताव ठेवला. या सर्व प्रसंगी चीनने व्हेटोचा वापर करून हे घडण्यापासून रोखले होते. मार्चमध्ये चीनने जैश गँगस्टर अझरवर बंदी घालण्याच्या अमेरिका, ब्रिटन आणि फ्रान्सच्या प्रस्तावाला वीटो केले होते


चीनने वाढत्या दबावापुढे गुडघे टेकले

सुरक्षा परिषद, अमेरिका, फ्रान्स आणि ब्रिटनच्या 3 कायम देशांव्यतिरिक्त आंतरराष्ट्रीय दबावाचा सामना करत चीनला गुडघे टेकण्यास भाग पाडले गेले आणि संयुक्त राष्ट्र संघाने मसूद अझरला आंतरराष्ट्रीय दहशतवादी घोषित केले. सुरक्षा मंडळाच्या मंजुरी समिती अंतर्गत मसूदला काळ्या यादीत टाकण्याचा प्रस्ताव चीनने लादला नाही.


.चीनविरूद्ध तपासासाठी मान्यता मिळण्यासाठी


नुकतेच केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी म्हणाले की कोरोना विषाणू नैसर्गिक नसून तो प्रयोगशाळेत बनविला गेला आहे. कोरोना विषाणूवर भारताचा हा पहिलाच अधिकृत प्रतिसाद होता. डब्ल्यूएचओमध्ये सुधारणा करण्याची मागणीही भारताने केली.


भारत डब्ल्यूएचओच्या 194 सदस्यांचा 'बॉस' बनला आहे


194 सदस्य देशांसह डब्ल्यूएचओचे अध्यक्ष झाल्यानंतर भारताला महत्त्वपूर्ण निर्णय घेण्याचे सामर्थ्य असेल. सूत्रांच्या माहितीनुसार, डब्ल्यूएचओच्या नियमांत, निर्णयांत निर्णय घेण्याचा अधिकार भारताला असेल. डब्ल्यूएचओच्या महासंचालकांना कोणत्याही निर्णयासाठी अध्यक्षांची संमती घ्यावी लागेल. कोविद 19 साथीच्या रोगाबाबत भारत जबाबदार व पारदर्शक चौकशीच्या बाजूने असल्याचे एका अधिका  म्हटले होते.
चीनचे काय होईल?
डब्ल्यूएचओ सदस्य देशांनी कोरोना साथीच्या तपासणीसाठी चीनविरूद्ध आवाहन केल्यास निर्णय घ्यावा लागेल. इतर देशांकडूनही या विषाणूच्या उत्पत्तीसंदर्भात चौकशी करण्याची मागणी केली जात आहे. जगातील देशांना हे जाणून घ्यायचे आहे की चीनने सुरुवातीला जगाला या आजाराचे सत्य सांगितले नाही का? त्याने हा रोग एका व्यक्तीपासून दुस  व्यक्तीपर्यंत पसरतो हे जगाला सांगण्यातही उशीर केला का?


संपूर्ण प्रकरणात डब्ल्यूएचओच्या भूमिकेवर प्रश्न

कोरोना साथीच्या विषयावर डब्ल्यूएचओचे महासंचालक टेड्रॉस एथेनॉम गेबेरियसस यांच्या भूमिकेबाबतही प्रश्नचिन्ह निर्माण झाले आहे. त्याच्यावर आरोप आहे की कोरोनाचा संसर्ग सर्व देशांमध्ये पसरत नाही तोपर्यंत त्याने केस हलकेच म्हटले.


 "कामगारविरोधी कायदे" आरोप 'आयटक'चे सरचिटणीस श्याम काळे: संजय पाटील

"कामगारविरोधी कायदे" आरोप 'आयटक'चे सरचिटणीस श्याम काळे: संजय पाटील

 राज्य सरकारांनी बदललेले कायदे कामगारविरोधी

संजय पाटील: नागपूर  अवघा देश करोनाशी झुंज देत असतानाच देशातील १२ राज्य सरकारांनी कामगार कायद्यांत कामगारविरोधी बदल अध्यादेशांमार्फत लागू केले आहेत. उत्तर प्रदेश, गुजरात व मध्य प्रदेश ही राज्य सरकारे यात आघाडीवर आहेत. त्यांनी कामगार कायदेच तीन वर्षांसाठी स्थगित करून टाकले आहेत. हे अध्यादेश बारकाईने वाचले तर मालकवर्गालाही अभिप्रेत नसतील, असे हे बदल आहेत. लवकरच त्यांत फेरबदल करणारे दुरुस्ती अध्यादेश येतील, असे सूतोवाच असले तरी हे कायदे कामगारविरोधी आहेत. गरीब-श्रीमंतीत दरी वाढविणारे आहेत. 


'हे बदल राज्य सरकारांमार्फत केंद्र सरकारच घडवत आहे,' असा थेट आरोपही कामगार संघटनांचा आहे. लॉकडाउनमुळे ठप्प झालेल्या अर्थव्यवस्थेला गती देण्यासाठी हे करणे अपरिहार्य आहे, असा सरकारचा दावा आहे. ही शुद्ध बनवाबनवी आहे,. भाजपने २०१४ पासून चालविलेल्या मालकधार्जिण्या आर्थिक धोरणांमुळे अर्थव्यवस्थेत भयानक मंदी आल्याचे करोनाची लागण झाल्याच्या आधीपासून अनुभवतो आहोत. बेरोजगारी शिगेला पोहोचली होती. गरीब-श्रीमंत दरी कधी नाही एवढी वाढली होती. लोकांच्या हातात पैसाच नाही. म्हणून बाजारात वस्तूंना मागणीच नाही. त्यातून बाहेर पडण्याचा मार्ग म्हणजे कामगारांना हवे तसे राबवून घेण्याचा अधिकार मालकांना देणे नव्हे. लोकांच्या/कामगारांच्या हातात पैसा पोहोचवणे हा अर्थव्यवस्थेला गती देण्याचा एकमेव मार्ग आहे, असे अर्थतज्ज्ञ व नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजित बॅनर्जी सांगतात. पण, कॉर्पोरेटभक्त मोदी सरकार व त्यांच्याच राज्य सरकारांनी कामगार कायद्यांत या दुरुस्त्या करून आपला खरा चेहरा दाखवला आहे,  तमाम कामगारांना यापूर्वी संघर्ष करून मिळविलेल्या हक्कांच्या रक्षणासाठी एकजुटीने लढा उभारण्याचे आवाहन केले आहे. करोनाबरोबरच या मालकधार्जिण्या सरकारांनाही हाकलून देण्याचा निर्धार