Thursday, 25 June 2020

बाबा रामदेव ने  सर्दी-खांसी की दवा के लाइसेंस पर बनाई कोरोना की दवाई : संजय पाटील

बाबा रामदेव ने सर्दी-खांसी की दवा के लाइसेंस पर बनाई कोरोना की दवाई : संजय पाटील

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 25 जून 2020 : हरिद्वार : कोरोना वायरस के लिए पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल दवाई लॉन्च होते ही विवादों में घिर गई है। मंगलवार शाम स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा दवाई लॉन्च किए जाने के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने दवाई के प्रचार प्रसार पर रोक लगा दी थी। इसके बाद बुधवार को बाबा रामदेव की दवा को एक और झटका लगा है। इस बार उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबा की दवा पर सवाल उठाया है।
अथॉरिटी के उपनिदेशक यतेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को कोरोना की दवा के लिए नहीं बल्कि इम्युनिटी बूस्टर और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था। रावत ने बताया कि उन्हें मीडिया के माध्यम से ही पता चला कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा कोरोना की किसी दवा का दावा किया जा रहा है जबकि उन्हें इम्युनिटी बढ़ाने वाली और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था।

पतंजलि को नोटिस जारी

रावत ने कहा कि भारत सरकार का निर्देश है कि कोई भी कोरोना के नाम पर दवा बनाकर उसका प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता। आयुष मंत्रालय से वैधता मिलने के बाद ही ऐसा करने की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल, विभाग की ओर से पतंजलि को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। बता दें कि मंगलवार शाम बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने देश के तमाम मीडिया संस्थानों के सामने एक बड़े कार्यक्रम में कोरोना की दवाई बनाने का दावा किया था, जिसमें रामदेव ने बताया कि उनकी दवाई की क्लीनिकल जांच की गई है।

बाबा ने दावा किया था कि क्लिनिकल टेस्ट में दवा से 100 फीसदी सफल परिणाम सामने आया है। हालांकि, लॉन्च होने के बाद से ही पतंजलि की यह दवा कोरोनिल विवादों में है। यह भी हैरान करने वाली बात है कि कंपनी को सर्दी-जुकाम और खांसी की दवा बनाने का लाइसेंस मिला है और उसने इस लाइसेंस के जरिए बनी दवा को कोरोना के नाम पर लॉन्च कर दिया।


बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को सर्दी-खांसी की दवा और इम्युनिटी बूस्टर बनाने के लिए लाइसेंस जारी किया गया था लेकिन उन्होंने कोरोना के नाम पर दवा लॉन्च कर दी। उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने अब बाबा को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।

निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक पलटे- हमारे अस्पताल में कोई ट्रायल नहीं हुआ

कोरोनिल पर बीएस तोमर ने बयान दिया है।

जयपुर :कोरोना वायरस की दवा का ऐलान कर दुनियाभर में हलचल मचाने वाले योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राजस्थान में ऐसी किसी दवा के क्लिनिकल ट्रायल को सिरे से खारिज करने वाले चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा के बाद अब निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक और चेयरमैन बीएस तोमर भी पलट गए हैं।उन्होंने गुरुवार को दिए अपने बयान में साफ कहा कि उनके अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई क्लिनिकल ट्रायल नहीं हुआ है।
तोमर का यह बयान गुरुवार को उनके खिलाफ जयपुर के गांधीनगर थाने में दर्ज केस के बाद आया है। कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज की दवा के दावे को लेकर पंतजलि आयुर्वेद हरिद्वार और निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक तोमर के खिलाफ यहां दर्ज केस में कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर जनता को गुमराह करने के आरोप लगाए गए थे। इससे पहले राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. शर्मा कोरोना की दवा के नाम पर लोगों गुमराह करने की बात कहते हुए बाबा रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात भी कह चुके हैं।
इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का प्रयोग

उधर, बीएस तोमर ने अपने बयान में कहा है कि, 'हमने अपने अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई भी क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया'। उन्होंने बताया कि हमने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का प्रयोग मरीजों पर किया था। उन्होंने यह भी कहा कि, 'मैं नहीं जानता कि योग गुरु रामदेव ने इसे कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाला कैसे बताया?'।


2 दिन में उन्होंने दवा कैसे बनाई?
तोमर की निम्स यूनिवर्सिटी की ओर से सीटीआरआई से औषधियों के ईम्यूनिटी टेस्टिंग के लिए 20 मई को परमिशन ली गई थी। दो दिन बाद ही यानी 23 मई से ही ट्रायल शुरू कर दिया गया। एक महीने तक चले इस ट्रायल के बाद ही 23 जून को योग गुरु रामदेव के साथ मिलकर कोरोना की दवा का ऐलान कर दिया गया। तोमर का अब कहना है कि हमारे ट्रायल की फाइंडिंग को आए अभी 2 ही दिन हुए थे कि योग गुरु रामदेव ने दवा बनाने का दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि यह तो वो ही बता सकते हैं कि दो दिन में उन्होंने दवा कैसे बनाई है। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।
'क्लिनिकल ट्रायल' करके आम जन को गुमराह

जयपुर में गुरुवार को चिकितसा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने फिर कहा है कि भारत सरकार द्वारा ‘ड्रग्स एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट’ के तहत 21 अप्रैल, 2020 को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना किसी दवा का ट्रायल नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार की अनुमति के बिना किसी दवा का मानवीय परीक्षण भी नहीं किया जा सकता। बिना अनुमति के 'क्लिनिकल ट्रायल' करके आमजन को गुमराह करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी।

 पतंजलि ने दिए सरकारी आपत्तियों के जवाब, गेंद आयुष मंत्रालय के पाले में

नयी दिल्ली. एक तरफ देश में जहां कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। वहीँ अब बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल ने एक नयी बहस को जन्म दे दिया हैं। एक तरफ जहां बाबा रामदेव ने अपनी दवाई को लेकर यह दावा किया कि यह कोरोना संक्रमण को ठीक कर देगी वहीं इस मामले पर आयुष मंत्रालय ने काकल शाम को ही बयान दे दिया है कि वह इस कोरोनिल दवाई के प्रचार पर रोक लगा रहा है और इस बाबत पतंजलि से सम्पूर्ण जानकारी भी मांगी है। आयुष मंत्रालय ने यह भी कहा कि उन्होंने ऐसे किसी भी दवाई को मंजूरी नहीं दी है।
 वहीं आयुष मंत्रालय ने अब पतंजलि से यह भी पूछा कि पहले वो इस कोरोनिल दवा में इस्तेमाल किए गए तत्वों का विवरण दें साझा करे और साथ ही में जिस जगह या अस्पताल में में इसकी जांच हुई उसका नाम दें। दवाई के प्रोटोकॉल और सैंपल साइज की भी डिटेल भी अब आयुष मंत्रालय ने मांगी है। अब इस पूछ परख से परेशान होकर बाबा रामदेव और पतंजलि ने अपनी सफाई में आयुष मंत्रालय को साबुत पेश किए और यह भी कहा कि मंत्रालय और उनके मध्य एक प्रकार से सिर्फ़ यही एक कम्युनिकेशन गैप या गैर संवाद रह गया था। वहीं इस पर पर पतंजलि के बालकृष्ण ने भी ट्वीट करके अपनी तरफ से जानकारी दी है कि Randomised Placebo Controlled Clinical Trials के जितने भी Standard Parameters हैं उन सबका पालन किया गया है एवं वे इस बात के लिए भी भारत सरकार का आभार मानती है कि सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन दे रही है।
इस पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि दवा के अनुसंधान में  में समस्त गाइडलाइन का पालन किया गया है। जिसके बाद ही यह  दवा  बाजार में उतारी गयी है। साथ ही बाबा रामदेव का यह भी दावा है कि दवा का ट्रायलMIMS में किया गया, जहां के डायरेक्टर ने भी Coronil दवा की टेस्टिंग में प्रभावी होने की बात मानी है। 
आपको बता दें की कल पतंजलि योगपीठ और बाबा रामदेव ने कोरोना की आयुर्वेदिक दवा बना ली है और ऐसा दावा करते हुए उन्होंने आज बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस में Coronil नाम की दवाई पेश की। उनका यह भी कहना था की उक्त दवा से कोरोना संक्रमण 100 प्रतिशत ठीक हो सकता है। यही नहीं पतंजलि योगपीठ और बाबा रामदेव ने आज मंगलवार से ही इसे बाजार में उतार दी है। बाब ने यह भी स्पष्ट किया कि दवा के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान पहले 3 दिन में 69% रोगी कोरोना संक्रमण से नेगेटिव हो गए और अगले 7 दिनों में 100 फीसदी मरीज ठीक हो गए हैं।   
वहीं उक्त दवाई पर आचार्य बालकृष्‍ण का कहना था कि कोरोनिल कोविड-19 मरीजों को 5 से 14 दिन में ठीक कर सकती है। इसके निर्माण के बारे में उन्होंने बताया था कि कोरोनिल में गिलोय, अश्‍वगंधा, तुलसी, श्‍वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण है। इसमें मौजूद अश्‍वगंधा से कोविड-19 के रिसेप्‍टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) को शरीर के ऐंजियोटेंसिन-कन्‍वर्टिंग एंजाइम (ACE) से नहीं मिलने देता है और साथ ही इसमें मौजूद है गिलोय और तुलसी जो कोविड-19 के RNA पर अटैक करती है और उसे मल्‍टीप्‍लाई होने से रोकती है जिससे संक्रमण फैलता नहीं।
अब इस पर आयुष मंत्री श्रीपद नाइक का कहना है कि ” यह अच्छी बात है कि बाबा रामदेव ने देश को एक नई दवा दी है, लेकिन नियम के अनुसार, इस मामले को पहले आयुष मंत्रालय में आना होगा। उन्होंने  कहा कि उन्होंने एक रिपोर्ट भेजी है। हम इसे देखेंगे और रिपोर्ट देखने के बाद ही उक्त मामले में कोई अनुमति दी जाएगी।”
इस दवा का मूल्य 545 रूपये रखी गयी है और यह कोरोना किट में तीन दवाइयाँ हैं जिसमे पहली है कोरोनिल, दूसरी श्वासारी और तीसरी दवा है अणु तेल। अब देखना यह है कि आयुष मंत्रालय इस पर क्या फैसला लेता है और बाबा के दावों को कितना अच्छे से परख पता है।    

महाराष्ट्र ने भी 'कोरोनिल' पर लगाया बैन, अनिल देशमुख की बाबा रामदेव को चेतावनी

महाराष्ट्र में लगा प्रतिबंध

मुंबई : योग गुरु बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल (Coronil) पर छिड़े विवाद के बीच राजस्थान सरकार के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने भी रोक लगा दी है। महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रामदेव को चेतावनी देते हुए कहा है कि महाराष्ट्र में नकली दवाएं नहीं बिकने देंगे। उन्होंने कहा कि कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट किया, 'नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर यह पता लगाएगा कि क्या पतंजलि के कोरोनिल का क्लीनिकल ट्रायल किया गया था। हम बाबा रामदेव को चेतावनी देते हैं कि हमारी सरकार महाराष्ट्र में नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देगी।'
बचाव में उतरी बीजेपी
एक ओर दवाई को लेकर विवाद बना हुआ है तो दूसरी ओर बीजेपी इसके बचाव में उतर आई है। बीजेपी नेता राम कदम ने दावा किया है कि नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ने कोरोनिल को प्रमाणित किया है।

आयुष मंत्रालय ने लगाई थी विज्ञापन पर रोक
बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद की 'दिव्‍य कोरोना किट' के विज्ञापन पर आयुष मंत्रालय ने रोक लगा दी है। साथ ही पंतजलि को नोटिस भी जारी किया था हालांकि पतंजलि का दावा है कि उसने आयुष मंत्रालय को मांगी गई सारी जानकारी भेज दी है। बाबा रामदेव का दावा है कि कोरोना के खिलाफ पतंजलि की दवा बिल्कुल सही है।

दवा पर बैन लगाने वाला राजस्थान पहला राज्य
आयुष मंत्रालय की आपत्ति के बाद राजस्थान रामदेव की दवा कोरोनिल की बिक्री पर रोक लगाने वाला पहला राज्य था। राजस्थान सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना कोरोना महामारी की दवा के रूप में किसी भी आयुर्वेदिक औषधि की बिक्री नहीं की जा सकती है।

उत्तराखंड ने कहा-इम्युनिटी बूस्टरे के लिए दिया था लाइंसेस
उत्तराखंड सरकार ने भी कहा था कि उन्होंने दवा को इम्युनिटी बूस्टर के लिए लाइंसेस दिया था। राज्य सरकार के आयुर्वेद विभाग ने बुधवार को कहा कि उसने बाबा रामदेव को ‘इम्युनिटी बूस्टर’ के लिए लाइसेंस दिया था और इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध करा दी गई हैं।

उत्तराखंड आयुर्वेद और यूनानी सेवाएं के निदेशक आनंद स्वरूप ने यहां बताया कि उनके विभाग ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को ‘इम्यूनिटी बूस्टर’, बुखार और खांसी के लिए दवा बनाने का लाइसेंस जारी किया था।

मा. श्री डॉ. नितिन राउत साहेब : तीन महिन्याचा बिजली बिल माफ करने हेतु निवेदन : संजय पाटील

मा. श्री डॉ. नितिन राउत साहेब : तीन महिन्याचा बिजली बिल माफ करने हेतु निवेदन : संजय पाटील

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प्रति,
मा. श्री डॉ. नितिन राउत साहेब,
ऊर्जामंत्री(महारास्ट्र राज्य)
पालकमंत्री(नागपुर जिल्हा)
नागपुर.

       विषय-: तीन महिन्याचा बिजली बिल माफ करने हेतु निवेदन
 
माननीय महोदय,

कोविड-19 कोरोना प्रादुर्भाव मुळे संपूर्ण जग वैष्विक महामारिने त्रस्त आहे.त्यातच आपला नागपुर शहर सुद्धा कोरोना प्रादुर्भाव मुळे आम जनता त्रासलेले आहे.केंद्र सरकारचा आदेशाने 20 मार्च पासून लॉक डाउनला सुरुवात जनता कर्फ्यू पासून झाली. त्यातच सतत नागपुर शहर लॉक डाउन सातत्याने 3 महीने जवळपास बंद झाले. या कोरोना लॉक डाउन मुळे सम्पूर्ण नागपुर शहर एकाच जागेवर शांत झाले.
    कोरोना लॉक डाउन मुळे नागपुर शहरात व्यापार चौपट झाला. लोकांचा देवान-घेवान आर्थिक स्थिति नेस्तनाबूत झाली. सर्वांचे आर्थिक व्यवहार बंद पडले. नागपुर शहरातील गरीब जनतेचे हाल-बेहाल झाले. मिडल क्लास जनता त्रस्त झाली. दुकानात काम करणारे गरीब जनतेवर उपासमारिची पाड़ी आली. नागपुर शाहरामधे किमान 60% लोक झोटया. मोठ्या कंपन्या तसेच दुकानात काम करुण जीवन बसर करीत होते. केंद्र सरकारचा आदेशानुसार संपूर्ण नागपुर ची जनता सतत तीन महीने घरी बसून राहिले. त्यामुळे नागपुर शहराच्या जनतेवर उपासमारीची पाड़ी आली. या 3 महिन्यात आर्थिक व्यवहार नसल्यामुळे संपूर्ण व्यापार बंद झाला. त्यामुळे कंपन्या ते दुकानात काम करणाऱ्या मुलांना कामावरुन काढण्यात आले. त्यामुळे बेरोजगारिचे प्रमाण वाढले.
    अश्या परिश्थिति मधे महारास्ट्र इलेक्ट्रिक बोर्डची मनमानी वाढू लागली या लॉक डाउन मुळे एप्रिल, में, जून या तीन महिन्याचा रीडिंग न घेता मनमानी अंदाजे बिल उपभोक्ताना पाठविले आहे  ज्या लोकांना 1महिन्याचा बिल 500 रुपये यायचा त्या ठिकाणी त्यांना 2000 हजार रुपये बिल आला आहे.हा सरासर गरीब जनतेवर महारास्ट्र इलेक्ट्रिक बोर्ड अन्याय करीत आहे.एक्स्ट्रा चार्जेस म्हणून GST टैक्स, भर आकारणी ते विविध प्रकारचे चार्जेस लाउंन आम जनतेची फसवणूक केली जात आहे. याकडे राज्यसरकार ने लक्ष्य दिले पाहिजे.
        मा. नितिन राउत साहेब आपन ऊर्जामंत्री तसेच नागपुर जिल्ह्याचे पालकमंत्री आहात, नागपुर शाहरामधे मोठ्या प्रमाणात स्लम बस्ती आहेत. तसेच ज्या ठिकाणी कन्टेन्टमेंट रेड झोन आहेत त्या ठिकाणी उपासमारी जास्त प्रमाणात वाढली आहे. आपन बिजली बिल एप्रिल, में, जून या तीन महिन्याचा माफ न केल्यास कंटेन्मेंट रेड झोन मधल्या राहणाऱ्या लोकांवर मानसिक परिणाम व आर्थिक तनावामुळे आत्महतेचा प्रयत्नं करतील याचा जिम्मेदार कौन?
       या तीन महिन्यापासून लोकांकडे काम नसल्यामुळे समोर किती दिवस कोविड-19 चा प्रकोप चालणार याचा काहीही अंदाज़ नाही. मि मोतीराम मोहाडिकर मध्य नागपुर काँग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष तसेच काँग्रेस पक्ष्याचा जिम्मेदार पदाधिकारी या नात्याने गरीब जनतेवर या इलेक्ट्रिक बिजली बिल चा भार न  पड़ता आपणास नम्र विनंती आहे की आपन एप्रिल, में,जून या तीन महिन्याचा इलेक्ट्रिक बिजली बिल माफ करावे ही आग्रहाची विनंती. या निवेदन सोबत गीता जलगांवकर, रमेश वाघ, चेतन निखारे, धीरज निखारे सोबत होते.

        आपला सेवक
   मोतीराम मोहाडिकर
            अध्यक्ष
मध्य नागपुर काँग्रेस ब्लॉक-16

Wednesday, 24 June 2020

गडकरी यांनी एमएसएमईंना २०,००० कोटी रुपयांची गॅरंटी कव्हर देण्यासाठी योजना सुरू केली : संजय पाटील

गडकरी यांनी एमएसएमईंना २०,००० कोटी रुपयांची गॅरंटी कव्हर देण्यासाठी योजना सुरू केली : संजय पाटील

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संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 25 जून 2020 : एमएसएमई (मायक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) म्हणजे काय?

भारत सरकारने लागू केलेल्या सूक्ष्म, लघु आणि मध्यम उद्योग विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 206  नुसार, एमएसएमईच्या व्याख्यात सूक्ष्म, लघु आणि मध्यम उद्योगांचा समावेश आहे, ज्याला पुढील दोन विस्तृत श्रेणींमध्ये वर्गीकृत केले गेले आहे.

एमएसएमई अंतर्गत कोणत्या प्रकारचे व्यवसाय येतात?

उत्पादन क्षेत्रातील कंपन्या,  उद्योग (विकास आणि नियमन) अधिनियम, 1951 च्या पहिल्या अनुसूचीमध्ये सूचीबद्ध केलेल्या उद्योगाच्या वस्तूंच्या उत्पादनात किंवा उत्पादनात गुंतलेले उद्योग एमएसएमई अर्थाच्या व्याप्तीमध्ये समाविष्ट आहेत.

तसेच, तयार झालेले उत्पादन आणि मूल्य यासाठी एखादी विशिष्ट नावे, वापर किंवा चारित्र्य असे घटक तयार करणार्‍या उद्योगात रोपे व यंत्रसामग्री सूक्ष्म लघु आणि मध्यम उद्योगांच्या अर्थक्षेत्रात येतात. त्यांच्या वार्षिक उलाढालीच्या आधारावर, उपक्रमांना खालील उप-श्रेणींमध्ये वर्गीकृत केले जाते.

सूक्ष्म उपक्रम - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल 25 लाख रुपयांपेक्षा जास्त नाही.
लघु उद्योग - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल 25 लाख ते 5 कोटींच्या दरम्यान आहे.
मध्यम उद्योग - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल 5 कोटी ते 10 कोटी रुपयांच्या दरम्यान आहे.

सेवा क्षेत्रातील कंपन्या

एमएसएमई पूर्ण फॉर्म सेवा क्षेत्रातील उपक्रमांपर्यंत देखील विस्तारित आहे. सेवा क्षेत्रातील कंपन्यांच्या वार्षिक उलाढालीवर आधारित त्यांचे उप-वर्गीकरण खालीलप्रमाणे आहे.

मायक्रो एंटरप्रायजेस - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल दहा लाखांच्या आत असते.
लघु उद्योग - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल दहा लाख ते दोन कोटी रुपयांपर्यंत आहे.
मध्यम उद्योग - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल 2 कोटी ते 5 कोटी रुपयांपर्यंत आहे.
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प्रस्तावित दुरुस्तीनुसार एमएसएमई परिभाषेत बदल

एमएसएमईडी अ‍ॅक्ट 2006 मध्ये प्रस्तावित केलेली दुरुस्ती या वर्गीकरणाची पुनर्रचना करणे आणि उत्पादन व सेवा क्षेत्रातील फरक अधिलिखित करून अधिक कंपन्यांना एमएसएमई वर्गीकरणाच्या कक्षेत आणण्यासाठी आहे. एमएसएमई म्हणजे काय ते नवीन वर्गीकरणात उत्पादन किंवा सेवा क्षेत्राशी संबंधित असो, वार्षिक उलाढालीवर आधारित खालील वर्गवारी असतील.

सूक्ष्म उपक्रम - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल 5 कोटींपेक्षा जास्त नाही.
लघु उद्योग - ज्या कंपन्यांची वार्षिक उलाढाल 5 कोटी ते 75 कोटी रुपयांपर्यंत आहे.
मध्यम उद्योग - ज्या कंपन्यांचे वार्षिक उलाढाल रू ..75 कोटी ते २50 कोटी दरम्यान आहे.
एमएसएमईबद्दलच्या या माहितीसह पात्र कंपन्या व्यवसाय वाढीसाठी आणि विस्तारासाठी निधी शोधू शकतात. बजाज फिनसर्व्ह कडून एमएसएमई लोनसारख्या उच्च-मूल्याचे निधी पर्याय एमएसएमई कर्ज आणि किमान दस्तऐवजीकरणासाठी साध्या पात्रतेच्या निकषांसह उपलब्ध आहेत.

पायाभूत सुविधा सुधारणे, कार्यरत भांडवल ओतणे, वनस्पती व यंत्रणा बसविणे आणि 30 लाखांपर्यंतच्या एमएसएमई कर्जासह बरीच व्यवसाय आवश्यकता पूर्ण करा.

“It was being felt that the biggest challenge for stressed MSMEs was in getting capital either in the form of debt or equity. Therefore, as part of Atmanirbhar Bharat package, on May 13, 2020, Finance Minister (Nirmala Sitharaman) had announced this scheme of sub-ordinate debt to the promoters of operational but stressed MSMEs,” an official statement said. After completion of the necessary formalities including approval of the Cabinet Committee on Economic Affairs and consultation with the Finance Ministry, SIDBI and the Reserve Bank of India (RBI), the scheme was formally launched by Gadkari in Nagpur.

UNION Minister Nitin Gadkari on Wednesday launched the Credit Guarantee Scheme for Sub-ordinate Debt to provide Rs 20,000 crore of guarantee cover to two lakh micro, small and medium enterprises. The funding scheme to help the distressed MSME sector entails a sub-debt facility to the promoters of those operational MSMEs that are distressed or non-performing assets (NPAs). It is also called the ‘Distressed Assets Fund — Sub-ordinate Debt for MSMEs’. According to the scheme, the guarantee cover worth Rs 20,000 crore will be provided to the promoters who can take debt from the banks to further invest in their stressed MSME units as equity.
The scheme seeks to extend support to the promoters of the operational MSMEs that are stressed and have become NPAs as on April 30, 2020. Promoters of the MSMEs will be given credit equal to 15 per cent of their stake (equity plus debt) or Rs 75 lakh, whichever is lower. The promoters will in turn infuse this amount into the MSME unit as equity and thereby enhance the liquidity and maintain debt-equity ratio. Ninety per cent guarantee coverage for this sub-debt will be given under the scheme, whereas the remaining 10 per cent would come from the promoters concerned.
There will be a moratorium of seven years on payment of principal amount, whereas maximum tenor for repayment will be 10 years. Promoters of MSMEs meeting the eligibility criteria may approach any scheduled commercial banks to avail benefit under the scheme. The scheme will be operationalised through Credit Guarantee Fund Trust for MSEs (CGTMSE).

SBI sanctions loans to over 4 lakh MSMEs
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NEW DELHI : 28-Jun-2020 : STATE Bank of India (SBI) has sanctioned loans to over 4 lakh accounts under the Rs 3-lakh crore Emergency Credit Line Guarantee Scheme (ECLGS) for MSME sector, hit by the lockdown. On the occasion of International MSME Day, SBI Managing Director C S Shetty on Friday addressed MSME customers and employees across the nation via video conference.
 
SME products were highlighted to the customers to increase awareness and enable them to choose the right product for their business, SBI said. At the national level, the bank has sanctioned loans to over 4 lakh customers under guaranteed emergency credit line facility so far, a bank official said. About Rs 20,000 crore has been sanctioned to eligible customers under the scheme which was launched on June 1. The scheme will be applicable to all loans sanctioned under GECL facility during the period from the date of announcement of the plan to October 31 or till an amount of Rs 3 lakh crore is sanctioned under the scheme, whichever is earlier.
 

The main objective of the scheme is to provide an incentive to member lending institutions to increase access and enable availability of additional funding facility to MSME borrowers, in view of the economic distress caused by the COVID-19 crisis, by giving them 100 per cent guarantee for any losses suffered by them due to non-repayment of the GECL funding by borrowers. The statement further said Chief General Manager, Delhi Circle, Vijuy Ronjan committed unhindered support to MSMEs by SBI in times to come. SBI Deputy MD and COO Saloni Narayan also participated in the video conference.

Tuesday, 23 June 2020

समृद्धी महामार्गासाठी माती चोरली; गायत्री कन्स्ट्रक्शन्स कंत्राटदारांवर गुन्हा : संजय पाटील

समृद्धी महामार्गासाठी माती चोरली; गायत्री कन्स्ट्रक्शन्स कंत्राटदारांवर गुन्हा : संजय पाटील


समृद्धी महामार्गाच्या कामासाठी मातीची चोरी (संग्रहित छायाचित्र)


Work on Nagpur-Mumbai expressway begins in full swing | Nagpur ...












संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 24 जून 2020 : नगर : मुंबई-नागपूर समृद्धी महामार्गाच्या कामासाठी परिसरातील शेतकऱ्याच्या शेतातून माती व मुरुमाची चोरी केल्याप्रकरणी कंत्राटदार कंपनी गायत्री कन्स्ट्रक्शन्स विरोधात कोपरगाव तालुका पोलीस ठाण्यात गुन्हा दाखल करण्यात आला आहे. शेतमालक बाहेरगावी राहत असल्याचा गैरफायदा घेऊन मातीची चोरी केली. हा प्रकार उघडकीस आल्यावर नुकसान भरपाई देण्याचे आश्वासन दिले. प्रत्यक्षात मात्र, फसवणूकच झाल्याचे तक्रारदारांनी म्हटले आहे.



नोकरीनिमित्त पुण्यात राहणारे दीपक मुनोत यांची देर्डे चांदवड (ता. कोपरगाव, जि. अहमदनगर) येथे शेतजमीन आहे. कंपनीने त्यांच्या शेतात विनापरवाना खोदकाम करून सुमारे ५४ लाख घनफूट माती आणि मुरूम चोरून नेल्याचा गुन्हा कोपरगाव तालुका पोलास ठाण्यात मंगळवारी दाखल झाला. मुनोत यांच्या मालकीची एकत्रित ३ एकर १५ गुंठे जमीन आहे. या परिसरात समृद्धी महामार्गाचे काम सुरू आहे. गायत्री कन्स्ट्रक्शन्स कंपनीचे चेअरमन, कार्यकारी संचालक, व्यवस्थापकीय संचालक, प्रकल्प प्रमुख ताता राव, पितांबर जेना यांच्यासह अन्य अधिकारी, कर्मचारी, जेसीबी चालक यांनी संगनमताने शेतामध्ये बेकायदा प्रवेश करून सुमारे ४० फूट खोल खोदकाम करून माती तसेच मुरूम चोरून नेली. शेतातील विहीर बुजविण्यात आली. पिकांची नासधूस झाली असून यापुढे शेती पिके घेण्यास उपयुक्त राहिली नसल्याचे फिर्यादीत म्हटले आहे. त्यानुसार त्यांच्याविरूद्ध गु्न्हा दाखल करण्यात आला आहे. हा प्रकार २०१९ मध्ये घडला. याची माहिती मिळाल्यावर मुनोत यांनी गायत्री कन्स्ट्रक्शन्स कंपनीच्या अधिकाऱ्यांना भेटून, फोनवरून वारंवार विचारणा केली. सुरुवातीला कर्मचाऱ्यांनी चूक मान्य करून नुकसान भरपाई देण्याची तयारी दर्शविली होती. नंतर मात्र, कंपनीने उडवाउडवीची उत्तरे दिली. नुकसान भरपाईबाबतही शब्द देऊन सातत्याने टाळाटाळ केली. त्यामुळे शेवटी मुनोत यांनी कोपरगाव पोलीस ठाण्यात फिर्याद दिली. त्यानुसार पोलिसांनी गुन्हा दाखल केला.



मुनोत यांनी डिसेंबर २०१९ मध्येच पोलिसांकडे तक्रार केली होती. मात्र, पोलिसांनीही याकडे दुर्लक्ष केल्याचा त्यांचा आरोप आहे. पाठपुरावा केल्यानंतर अखेर सहा महिन्यांनी गुन्हा दाखल करण्यात आला आहे.
इंजीनियर निकला करोड़पति , मिली सोने की सिल्लियां : संजय पाटिल

इंजीनियर निकला करोड़पति , मिली सोने की सिल्लियां : संजय पाटिल

NBT


संजय पाटिल :  नागपुर प्रेस मीडिया : 24 जून 2020 : जबलपुर : जल संसाधन विभाग में पदस्थ रहे सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री (इंजीनियर) के घर पर EOW ने बड़ी कार्रवाई की है। छापेमारी के दौरान करोड़ों की रुपये की काली कमाई का खुलासा हुआ है। ईओडब्ल्यू ने अपनी कार्रवाई के दौरान रिटायर्ड कार्यपालन यंत्री कोदू प्रसाद तिवारी के जबलपुर और सतना के घरों पर एक साथ छापेमारी की है। बुधवार को इंजीनियर का बैंकों में स्थित लॉकर को खोला जाएगा।



छापेमारी के दौरान रिटायर्ड इंजीनियर कोदू प्रसाद तिवारी के पास से लाखों रुपए नगद सहित कई किलो सोने की सिल्लियां और जेवरात भी मिले हैं। कहा जा सकता है कि 2020 में ईओडब्ल्यू की ये सबसे बड़ी कार्रवाई है। मंगलवार को कार्रवाई के दौरान ईओडब्ल्यू ने इंजीनियर की 30 करोड़ की संपत्ति कुर्क की है।


EOW एसपी नीरज सोनी ने कहा कि कोदू प्रसाद तिवारी ने नौकरी के दौरान आय से अधिक की संपत्ति बनाई है। अभी तक की जांच में तिवारी और उनके परिजनों के खाते में लाखों रुपए मिले हैं। इसके अलावा कई मकान और पेट्रोल पंप भी तिवारी के नाम मिले हैं। कोदू प्रसाद तिवारी के पास पेट्रोल पंप और प्लॉट के अलावा कई चार पहिया वाहन, ट्रैक्टर, पेट्रोल टैंकर और दो पहिया वाहन भी मिले हैं।

उन्होंने बताया कि ईओडब्ल्यू आगे कार्यवाई में कोदू प्रसाद तिवारी और उनके परिजनों के बैंक खाते की भी जांच करेगी। अभी तक कि कार्रवाई में ईओडब्ल्यू ने कोदू प्रशाद के पेट्रोल पंप सील कर दिए है, इसके अलावा सोने की सिल्लियां सहित जेवरात भी बरामद किए हैं।

कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में ईओडब्ल्यू की यह एक बड़ी कार्यवाई है। इस कार्रवाई के बाद से अन्य विभागों में हड़कंप मच गया है। फिलहाल अब देखना होगा कि आगे की कार्यवाई में ईओडब्ल्यू के हाथ क्या लगता है।
नितीन गडकरी "NHAI को पुनर्व्यवस्थित किया जा रहा है" : संजय पाटिल

नितीन गडकरी "NHAI को पुनर्व्यवस्थित किया जा रहा है" : संजय पाटिल

Nitin Gadkari

संजय पाटिल : नागपुर प्रेस मीडिया : 24 जून 2020 : नयी दिल्ली. सरकार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पुनर्व्यवस्थित किया जा रहा है तथा इस दिशा में आगे और सुधारों की भी जरूरत है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को यह बात कही। एनएचएआई के पास राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन की जिम्मेदारी है। इनके जरिये राज्यों के बीच यात्रियों और सामान का परिवहन होता है। इस समय राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई डेढ़ लाख किलोमीटर है। यह देश में कुल सड़कों का दो प्रतिशत है। लेकिन देश के कुल यातायात का 40 प्रतिशत बोझ राष्ट्रीय राजमार्ग उठाते हैं।
उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, ‘‘हम एनएचएआई के पुनर्गठन के लिए कदम उठा रहे हैं। प्राधिकरण में बड़े सुधारों की जरूरत है।” मंत्री ने कहा कि आज समय की जरूरत ऐसी परियोजनाएं तैयार करने की हैं जिनके लिए बैंकों से आसानी से कर्ज सुलभ हो सके। उन्होंने कहा कि किस तरीके से एनएचएआई ने टोल-परिचालन-स्थानांतरण (टीओटी) आधार पर 5,000 करोड़ रुपये की राजमार्ग मौद्रिकरण परियोजना तैयार की जिसके लिए सिर्फ विदेशी कंपनियां बोली लगा सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘प्राधिकरण को छोटे 500 करोड़ रुपये के संपत्ति मौद्रिकरण पैकेज लाने के लिए विश्वास दिलाने में छह माह लगे। 5,000 करोड़ रुपये के पैकेज के लिए सिर्फ विदेशी कंपनियां बोली लगा सकती थीं, इसलिए उनसे छोटा पैकेज लाने को कहा गया। सड़क एवं राजमार्ग क्षेत्र में निवेश अवसरों पर कोविड-19 के प्रभाव विषय पर वेबिनार को संबोधित करते हुए गडकरी ने बताया कि इसी तरह प्राधिकरण 3,000 किलोमीटर राजमार्गों के निर्माण के लिए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) के बजाय निर्माण, परिचालन और स्थानांतरण (बीओटी) तरीका अपनाना चाहता है, लेकिन इसके लिए अभी निविदा नहीं निकाली गई है।
उन्होंने याद दिलाते हुए कहका कि कैसे एनएचएआई की बीओटी आधार पर 17 परियोजनाओं के लिए कोई निविदा नहीं मिली थी। गडकरी ने सड़क किनारे सुविधाएं स्थापित करने में देरी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार राजमार्गो। पर 2,000 पेट्रोल पंप स्थापित करने की तैयारी कर रही है। गडकरी ने एनएचएआई द्वारा कंपनियों के साथ विवादों के निपटान के लिए और समय मांगने पर भी नाराजगी जताई।
उन्होंने बताया कि एनएचएआई ने 22 ऐसे मामलों में और समय मांगा है। इसी के साथ मंत्री ने कहा कि अधिकारों के विकेंद्रीकरण और परियोजना निदेशकों तथा क्षेत्रीय अधिकारियों को 50 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं पर खुद निर्णय लेने का अधिकार दिए जाने के बावजूद एनएचएआई के अधिकारी बड़ी संख्या में मामले मुख्यालय के पास भेज देते हैं। उन्होंने कहा कि एनएचएआई में सभी स्थानांतरण डिजिटल कर दिए गए हैं। (एजेंसी) 

NHAI एक्‍सप्रेस-वे के साथ विकसित करेगी स्‍मार्ट सिटी और स्‍मार्ट गांव

building smart cities along Delhi-Mumbai Expressway, says Nitin Gadkari- India TV Paisa

नई दिल्‍ली। भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) दिल्‍ली-मुंबई एक्‍सप्रेस-वे परियोजना पर काम कर रही है। इस एक्सप्रेस का निर्माण होने के बाद दिल्ली-मुंबई की दूरी को 12 घंटे में तय किया जा सकेगा। पूरी तरह नए सिरे से विकसित की जा रही इस परियोजना से दोनों शहरों की मौजूदा दूरी 220 किलोमीटर कम हो जाएगी। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे परियोजना की अनुमानित लागत एक लाख करोड़ रुपए है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ स्मार्ट सिटी, स्मार्ट गांव और लॉजिस्टिक पार्क बनाने को लेकर कानूनी सलाह मांगी है। सरकार जानना चाहती है कि क्या एनएचएआई ये कर सकती है ताकि इस अवसर का लाभ देश के सबसे पिछड़े, आदिवासी और दूर-दराज के क्षेत्र का विकास करके उठाया जा सके।
यह नया एक्‍सप्रेस-वे दिल्ली-मुंबई के पुराने रास्ते से अलग रास्ते से निकलेगा। यह गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान के पिछड़े और दूर-दराज के कई आदिवासी इलाकों से गुजरेगा। इसे तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि हम एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ स्मार्ट सिटी, स्मार्ट गांव, लॉजिस्टिक पार्क, औद्योगिक संकुल और सड़क किनारे की सुविधाएं विकसित करने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने कानूनी सलाह मांगी है कि क्या एनएचएआई यह कर सकती है। यदि इसका जवाब सकारात्मक रहता है तो हम तत्काल इस दिशा में काम करना शुरू कर देंगे।
गडकरी ने कहा कि हालांकि एनएचएआई के पास इसका अधिकार इसकी स्थापना के वक्त से है और इसके लिए उसके संविधान में प्रावधान भी है। लेकिन वह फिर भी इस पर कानूनी सलाह लेना चाहते हैं ताकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा कि यदि जवाब नकारात्मक मिलता है तो फिर हम इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए रखेंगे।

सरकार वाहन कबाड़ नीति जल्द पेश करने की तैयारी में

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने की नीति लाने के लिये तैयार है। इसके तहत बंदरगाहों के पास रीसाइक्लिंग सेंटर बनाये जा सकते हैं। उन्होंने इस बात का भरोसा जताया कि इस कदम से भारत पांच साल में वाहनों के विनिर्माण में दुनिया भर में अग्रणी बन सकता है। एमएसएमई और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा, "अब, हम वाहन कबाड़ नीति लाने जा रहे हैं। जिसके तहत पुरानी कारों, ट्रकों और बसों को कबाड़ में तब्दील किया जायेगा।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के बंदरगाहों की गहराई को 18 मीटर बढ़ाने का फैसला किया है। इसके साथ ही वाहनों को कबाड़ बनाने वाले रीसाइक्लिंग सेंटर बंदरगाहों के पास लगाये जा सकते हैं। इससे प्राप्त सामग्री ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए उपयोगी होगी क्योंकि यह कारों, बसों और ट्रकों की विनिर्माण की लागत को कम करेगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ जायेगी। 
गडकरी ने कहा, "पांच साल के भीतर, भारत सभी कारों, बसों और ट्रकों का नंबर एक विनिर्माण केंद्र होगा, जिसमें सभी ईंधन, इथेनॉल, मिथेनॉल, बायो-सीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रिक के साथ-साथ हाइड्रोजन ईंधन सेल भी होंगे।" वह उच्च शिक्षा के भविष्य पर एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. नितीन राऊत "वीजबिलाची रक्कम भरण्यासाठी सुलभ हप्त्यांची सवलत उपलब्ध आहे" : संजय पाटील

डॉ. नितीन राऊत "वीजबिलाची रक्कम भरण्यासाठी सुलभ हप्त्यांची सवलत उपलब्ध आहे" : संजय पाटील

Nitin Raut to head Congress' SC department

संजय पाटील : नागपूर प्रेस मीडिया : 24 जून 2020 : मुंबई : जून महिन्यात वीजग्राहकांना आलेल्या भरमसाठ बिलानंतर राज्यभरातील वीजग्राहकांनी याबद्दल असंतोष व्यक्त केला आहे. एकीकडे वीजबिलात सुधारणा करण्यासाठी महावितरणच्या कार्यालयात रांगा लागत असल्या तरी पाठवण्यात आलेली बिल योग्य असल्याचा दावा महावितरणने केला आहे. मात्र, वीजग्राहकांचा रोष बघता आता महावितरणने ही बिल सुलभ हफ्त्यात भरण्याचा पर्याय उपलब्ध करून देत काहीप्रमाणात दिलासा देण्याचा प्रयत्न केला आहे. यासंदर्भात राज्याचे ऊर्जामंत्री डॉ. नितीन राऊत यांनी मुंबईत घोषणा केली.



लॉकडाऊनच्या कालावधीनंतर सध्या मीटर रिडींग घेऊन जून महिन्याचे वीजबिल देण्यात आले. मात्र, हे बिल मोठ्या रकमेचे असल्याने वीजग्राहकांना मोठा धक्का बसला. त्यामुळे महावितरणच्या घरगुती वीजग्राहकांना या वीजबिलाची रक्कम भरण्यासाठी सुलभ हप्त्यांची सवलत उपलब्ध आहे व स्थानिक कार्यालयांकडून वीजबिलांचे सुलभ हप्ते पाडून देण्यात यावे अशी मागणी होऊ लागली होती. वीजग्राहकांची मागणी ग्राह्य धरत ऊर्जामंत्र्यांनी मंगळवारी घेतलेल्या पत्रकार परिषदेत सुलभ हफ्त्यात ही रक्कम भरण्याची सोय उपलब्ध करून देण्यात येत असल्याचे जाहीर केले.


महावितरणच्या ग्राहकांवर वीजबिलांच्या माध्यमातून कोणत्याही प्रकारचा भुर्दंड लादलेला नाही. जूनमध्ये देण्यात येत असलेली वीजबिले ही लॉकडाऊनच्या कालावधीत ग्राहकांनी वापरलेल्या युनिटप्रमाणेच आहे. या वीजबिलाची घरबसल्या पडताळणी करण्यासाठी महावितरणने विशेष लिंक उपलब्ध करून दिलेली आहे. त्यानंतरही काही शंका असल्यास ग्राहकांनी आवश्यकतेनुसार ग्राहक लिंकवरून वाढीव वीजबिलांची पडताळणी करू शकतात. तसेच महावितरणच्या कार्यालयातही जाऊन वीजबिलांची आकारणी समजून घेता येईल. तसेच ग्राहकांना मीटर रिडींग चुकल्याने किंवा अन्य कारणाने चुकीचे वीजबिल गेले असल्यास ते दुरुस्त करण्यात येईल, अशी ग्वाही त्यांनी दिली. यावेळी ऊर्जा राज्यमंत्री श्री प्राजक्त तनपुरे, प्रधान सचिव (ऊर्जा) व महावितरणचे अध्यक्ष व व्यवस्थापकीये संचालक श्री. दिनेश वाघमारे,व महावितरणचे इतर वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित होते.

लॉकडाऊनच्या कालावधीत वीजग्राहकांकडील मीटर रिडींग घेता आले नाही. त्यामुळे एप्रिल व मे महिन्यात सरासरी वीजवापरानुसार वीजबिल देण्यात आले. मात्र या कालावधीत महावितरणच्या आवाहनानुसार स्वतःहून मीटर रिडींग पाठविणाऱ्या ग्राहकांना प्रत्यक्ष वीजवापरानुसार बिले देण्यात आली आहेत. आता जूनमध्ये राज्यात बहुतांश ठिकाणी मीटर रिडींग घेण्याची प्रक्रिया सुरु करण्यात आली आहे. मार्चनंतर प्रथमच थेट जूनमध्ये मीटर रिडींग घेण्यात येत आहे. त्यामुळे मार्चपासून ते जूनमध्ये रिडींग घेईपर्यंत एकूण वीजवापराचे एकत्रित व अचूक बिल ग्राहकांना देण्यात येत आहे. या बिलामध्ये ग्राहकांवर एका पैशाचाही भुर्दंड बसणार नाही याची काळजी घेण्यात आली आहे. एक महिन्यापेक्षा अधिक कालावधीचे वीजबिल असल्याने स्लॅब बेनिफिट देण्यात येत आहे. तसेच ग्राहकांनी एप्रिल व मेमध्ये सरासरी वीजबिलांची रक्कम भरली असल्यास त्या रकमेचे समायोजन करण्यात येत आहे, चुकीच्या बिलाची दुरुस्तीसाठी तत्परतेने कार्यवाही करण्यात यावी व ग्राहकांना चुकीच्या वीजबिलांचा कोणताही त्रास होऊ नये, अशा सूचना महावितरणला देण्यात आल्याचे डॉ. राऊत यांनी सांगितले.

महावितरण कर्मचाऱ्यांच्या वारसांना ३० लाख रूपयांचे सानुग्रह अनुदान

मुंबई : राज्यातील सुमारे २ कोटी ६० हजार ग्राहकांना अखंडित वीजपुरवठा व दर्जेदार सेवा देण्यासाठी कोरोनाच्या जीवघेण्या प्रादुर्भावात अविश्रांत कार्यरत असणाऱ्या महावितरणच्या कर्मचाऱ्यांना कोरोना विषाणूचा प्रादुर्भाव होऊन मृत्यू आल्यास त्यांच्या वारसांना ३० लाख रूपयांचे सानुग्रह अनुदान देण्याचा निर्णय महावितरणने घेतला आहे.


महावितरणमध्ये संचालन व दुरूस्तीच्या कामासाठी नियुक्त करण्यात आलेल्या कंत्राटी कर्मचाऱ्यांना (बाह्यस्त्रोत) तसेच महावितरणच्या विविध कार्यालयात कार्यरत असणाऱे सुरक्षा रक्षक यांना देखील ३० लाख रुपयांचे विमा संरक्षण देण्याचा निर्णय ऊर्जा विभागाने घेतला असल्याचे ऊर्जामंत्री ना. डॉ. नितीन राऊत यांनी सांगितले.

ऊर्जामंत्री डॉ. नितीन राऊत म्हणाले की, कोरोनाच्या सार्वत्रिक प्रादुर्भामध्ये महावितरणचे अभिंयते, कर्मचारी व बाह्यस्त्रोत कंत्राटी कर्मचारी वेळीअवेळी वीजपुरवठा खंडित झाल्यास आपल्या जीवाची पर्वा न करता आपले कर्तव्य बजावत आहेत. राज्य प्रशासन कोरोनाचा पराभव करण्यासाठी सर्वोतोपरी प्रयत्न करीत असतांना राज्यातील सामान्यांना घरातच थांबणे आवश्यक आहे. अशा घरात राहणाऱ्या व घरूनच कामे करणाऱ्यांना महावितरणने २४ तास अखंडित वीजपुरवठा देऊन मोठा दिलासा दिला आहे. याद्दष्टिने महावितरणचे कर्मचारी देखील हे कोरोनायोध्दे ठरलेत. कर्मचाऱ्यांची सुरक्षा, तसेच त्यांच्या कुटुंबीयांच्या भवितव्याबाबत ऊर्जा विभागाने गांभीर्य राखून हा महत्त्वपूर्ण निर्णय घेतला आहे.

महावितरणचे तांत्रिक तसेच अतांत्रिक प्रवर्गात कार्यरत असणारे सर्व अभियंते, अधिकारी व कर्मचाऱ्यांना हे सानुग्रह अनुदान लागू राहणार आहे. कर्मचाऱ्यांचा मृत्यू हा कोविड-१९ विषाणूने झाला असल्याचे वैद्यकीय प्रमाणपत्र हे शासकीय/पालिका/महानगरपालिका/आयसीएमआर नोंदणीकृत खासगी रुग्णालये/प्रयोगशाळा यांच्याकडून प्राप्त अहवालाच्या आधारे करण्यात आलेले असावे. हे सानुग्रह अनुदान अदा करण्यासाठी कामावरील उपस्थितीबाबत अटी व शर्ती या महाराष्ट्र शासन निर्णयानुसार राहतील, असेही महावितरणने स्पष्ट केले आहे.