Wednesday, 13 May 2020

Dr Raut Travel to  inspects COVID Care Centre off Kalmeshwar : Sanjay Patil

Dr Raut Travel to inspects COVID Care Centre off Kalmeshwar : Sanjay Patil




Sanjay Patil  : Nagpur :  13 may: Dr Nitin Raut, Guardian Minister, visited Radha Saomi Satsang Trust facility off Kalmeshwar Road and inspected the COVID Care Centre erected by Nagpur Municipal Corporation (NMC). Briefing the Minister, civic officials said that, the Satsang land can accommodate 5,000 patients and in first phase, 500 beds have been readied.
They further claimed that, this is the single biggest COVID care centre in the country. By taking over Satsang premises, NMC has kept itself in readiness to handle any major surge in new coronavirus positive patients in the city, Municipal Commissioner Tukaram Mundhe told Dr Raut during the inspection of the Centre. As new patients are being found in unsuspected corners of city, a need for putting people who were in close contact with the positive patient under quarantine would be required and hence, one major facility was created. At present, in city, 42 isolation centres are functioning, but each is having limited capacity. But given the predictions and assumptions, during next two months, a sudden surge in coronavirus patients is not ruled out and hence, in anticipation, NMC geared up its machinery and rolled out care facility outside the city limits.
Dr Sanjeev Kumar, Divisional Commissioner, Dr Bhushan Kumar Upadhyay, Commissioner of Police, Ravindra Thakre, District Collector, Rakesh Ola, Superintendent of Police, Nagpur Rural, Dr Ajay Keolia, Dean, Mayo Hospital, were also present during the visit of Guardian Minister. Manish Kothe, Deputy Mayor, Virendra Kukreja, Chairperson, Health Committee, Vijay alias Pintu Zalke, Chairperson, Standing Committee, NMC, visited the COVID Care Centre off Kalmeshwar Road and took round of the arrangements put in place. Deputy Mayor expressed happiness at the good work carried out by NMC and she was impressed by the arrangements.
She made certain suggestions to civic officials overlooking the arrangements. Kukreja said the medical staff attending to quarantine and COVID-19 patients should be regularly monitored. Dr Yogendra Sawai, Health Officer, Shweta Banerjee, Incident Commander, Manoj Ganvir, Executive Engineer and Rajesh Dufare, EE, were also present. Mundhe Scotches Rumours: Municipal Commissioner Tukaram Mundhe has scotched rumours about NMC bundling up the COVID Care Centre off Kalmeshwar Road. Debunking the reports in a local daily, Mundhe said, NMC is fully prepared to meet the future challenge on tacking surge in patients. He further said,. the attempt on part of the newspaper was nothing, but a cheap tactic to defame the NMC, which is patted throughout the country for its pro-active approach in limiting spread of coronavirus in city.

Tuesday, 12 May 2020

'लॉकडाउन': "50 फीसदी ग्रामीण भारत नहीं खा रहा भरपेट खाना" : संजय पाटिल

'लॉकडाउन': "50 फीसदी ग्रामीण भारत नहीं खा रहा भरपेट खाना" : संजय पाटिल

लॉकडाउन की वजह से भरपेट खाना भी नहीं खा रहे हैं लोग


संजय पाटिल : नई दिल्ली : NBT: 13 May :  लॉकडाउन (Lockdown India) के बीच देश के ग्रामीण इलाकों में लोग भरपेट भोजन नहीं कर रहे हैं। कोरोना वायरस (Coronavirus) और लॉकडाउन के प्रभाव के एक अध्ययन में यब बात सामने आई है। सिविल सोसायटी संगठनों ने 12 राज्यों के ग्रामीण इलाकों के 5 हजार से ज्यादा घरों में यह सर्वे किया है। इससे पता चला है कि इनमें से आधे लोग भोजन में कम चीजें खा रहे हैं। साथ ही उनके खाने की संख्या में भी कमी आई है।


सर्वे में शामिल हुए 68 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने भोजन में शामिल चीजों की संख्या घटा दी है। वहीं, 50 फीसदी ने माना कि दिन में पहले के मुकाबले अब वे कम बार भोजन कर रहे हैं। 24 फीसदी लोगों का मानना है कि उन्हें अनाज दूसरों से मांगना पड़ा।


इन लोगों को नहीं मिल रहा है राशन



84 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के जरिए राशन मिल रहा है। सर्वे में शामिल 16 फीसदी लोगों को अब भी पीडीएस से राशन नहीं मिल रहा है। अध्ययन में पीडीएस के साथ-साथ आने वाले खरीफ सीजन के लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से किए गए निवेश को भी पैमाना बनाया गया। 28 अप्रैल से 2 मई तक 12 राज्यों के 47 जिलों के 5162 घरों में यह सर्वे कराया गया। इनमें मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, असम और कर्नाटक को शामिल किया गया।


'अतिरिक्त अनाज नहीं मिला था'



सर्वे का नाम 'कोविड-19 से लॉकडाउन- देश के इलाके कैसे लड़ रहे हैं' रखा गया। इस अध्ययन को PRADAN, ऐक्शन फॉर सोशल अडवांसमेंट, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन, ग्रामीण सहारा, साथी-यूपी और आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम (इंडिया) के साथ ही विकास अन्वेश फाउंडेशन और संबोधि की मदद से पूरा किया गया। इस सर्वे में लोगों के घरों में खाद्यान्न के स्टॉक (संरक्षित अनाज) को लेकर भी गंभीर इशारा किया गया है। सर्वे में शामिल एक तिहाई से ज्यादा घरों ने माना कि उनका अनाज का स्टॉक तेजी से कम हो रहा है। उन्होंने ये भी माना कि पिछली बार खरीफ की फसल से उन्हें अतिरिक्त अनाज नहीं मिला था। वहीं एक तिहाई ने माना कि उनके पास मई आखिर तक का ही खरीफ का स्टॉक बचा हुआ है।



17 मई को पूरा हो जाएगा 56 दिनों का लॉकडाउन



अब बात की जाए भारत में लॉकडाउन की तो 17 मई को 56 दिनों की लॉकडाउन की अवधि पूरी हो जाएगी। हालांकि, यह लॉकडाउन अभी खत्म होने वाला नहीं है। लॉकडाउन 4.0 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिए अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया है। हां, यह जरूर है कि लॉकडाउन के बढ़ते चरणों के साथ सहूलियतों की, दिशा-निर्देशों की फेहरिस्त में इजाफा किया जा रहा है।


“मोदीजी तुम्ही देशातल्या मीडियाला ‘हेडलाइन’ तरदिली, पण देशाला…”

करोना संकटाविरोधातील लढ्यादरम्यान पंतप्रधान नरेंद्र मोदींनी देशाची अर्थव्यवस्था रुळावर आणण्यासाठी २० लाख कोटींची आर्थिक मदतीची घोषणा मंगळवारी केली. 20 लाख कोटी रुपयांच्या पॅकेजमुळे ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानाला गती येईल असे मोदी म्हणाले. आर्थिक सुधारणा वेगाने लागू करण्यात येतील आणि आधीच्या तीन टप्प्यांपेक्षा लॉकडाउनच्या चौथ्या टप्प्याचे स्वरूप नवे असेल, असेही पंतप्रधानांनी देशाला उद्देशून केलेल्या भाषणात स्पष्ट केले. मोदींच्या भाषणानंतर आता विरोधकांच्या प्रतिक्रिया यायला सुरूवात झाली आहे.
मोदींनी २० लाख कोटींच्या पॅकेजची घोषणा केली. मात्र, आपल्या भाषणादरम्यान गावाकडे, घराकडे परतणाऱ्या मजुरांच्या सद्य परिस्थितीबाबत ते बोलले नाहीत. यावरुन काँग्रेसने मोदींना लक्ष्य केले आहे. “पंतप्रधान मोदीजी, तुम्ही तुमच्या भाषणातून देशातील मीडियाला वृत्त छापण्यासाठी ‘हेडलाइन’ तर दिली, पण देशाला अद्यापही मदतीच्या ‘हेल्पलाइन’ची गरज आहे….घरी परतणाऱ्या मजूर, कामगार, गरिब वर्गातील नागरिकांना सर्वात प्रथम मदत मिळणे गरजेचं आहे… तुम्ही त्याबाबत काही घोषणा कराल अशी अपेक्षा होती… पण, देश आणि राष्ट्रनिर्मित्तीसाठी कार्यरत असलेल्या मजूर व श्रमिकांप्रति आपल्या निष्ठुरता आणि असंवेदनशीलतेमुळे निराश आहोत…”अशी टीका काँग्रेसचे प्रवक्ते रणदीपसिंग सुरजेवाला यांनी केली आहे. याशिवाय, जाहीर केलेलं पॅकेज सत्यात उतरण्याची वाट पाहात आहोत, असेही सुरजेवाला म्हणाले. ट्विटरद्वारे सुरजेवाला यांनी ही टीका केली.
 Hindi : कोरोना संकट के खिलाफ लड़ाई के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्तीय सहायता में 20 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की। मोदी ने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से 'आत्मानबीर भारत' अभियान को गति मिलेगी। प्रधान मंत्री ने राष्ट्र को अपने संबोधन में यह भी कहा कि आर्थिक सुधारों को तेजी से लागू किया जाएगा और लॉकडाउन के चौथे चरण का प्रारूप पिछले तीन चरणों की तुलना में नया होगा। मोदी के भाषण के बाद विपक्ष की प्रतिक्रिया शुरू हो गई है।
मोदी ने घोषित किया 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज हालाँकि, अपने भाषण के दौरान, उन्होंने गाँव लौटने वाले मजदूरों की वर्तमान स्थिति के बारे में बात नहीं की। इसके साथ ही कांग्रेस ने मोदी पर निशाना साधा है। "प्रधान मंत्री मोदीजी, आपने अपने भाषण से समाचार को कवर करने के लिए देश के मीडिया को एक शीर्षक दिया, लेकिन देश को अभी भी एक हेल्पलाइन की आवश्यकता है," उन्होंने कहा। यह उम्मीद थी ... लेकिन, देश और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने वाले श्रमिकों और मजदूरों के प्रति हमारी निष्ठा कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि हम असंवेदनशीलता और असंवेदनशीलता से निराश हैं। सुरजेवाला ने कहा कि इसके अलावा, हम घोषित पैकेज के सही होने का इंतजार कर रहे हैं। सुरजेवाला ने यह टिप्पणी ट्विटर के जरिए की।
अवैध रस्त्यातून ट्रक ची ने आन, पाईपलाईन फुटून सांडपाणी  वाहाते :संजय पाटील

अवैध रस्त्यातून ट्रक ची ने आन, पाईपलाईन फुटून सांडपाणी वाहाते :संजय पाटील


संजय पाटील : नागपूर : बुधवार बाजार रोड कपिल नगर नारी रोड नागपूर -26, येथिल बूधवार बाजार रोडवर मागिल 3 वर्षात शासनाला तक्रार करून साईड ड्रेन बनविण्यात आली आहे, परंतु जवळच असलेल्या दोन ट्रक रिपेयरिंग गॅरेज द्वारे या ड्रेन वरून ट्रकची ने आण करित आहेत त्यामूळे ती ड्रेन तु तटून घाण पाणी वाहत आहे, या घाण पाण्यामूळे येथिल नागरिकांचे स्वास्थ धोक्यात आहे . आधिच संपूर्ण भारतात कोरोणाचे संकट शूरू आहे, त्यातल्या त्यात महाराष्ट्रात तर जास्तच आहे, महत्वाची गोष्ट नागपूरात नागपुरात अगदी आटोक्याबाहेरच परिस्थिती समजावी . या ड्रेनवरून ट्रकची ने आण होत असल्याने खालीत पाईपलाईन फूटली आणि तेथून घाण पाणी सांडपाणी वाहत आहे तरी मा . एन एमसी कामिशनर साहेब या गॅरेजधारका विरूद्ध कार्यवाही करून त्यांच्या व ड्रेन दुरुस्तीचा खर्च वसूल करून , त्यांचे वर कार्यवाही करून त्यांना ताकिद देतील काय? की व्ययक्तिक स्वतःच्या काम करण्यासाठी येथिल लोकाना या त्रासापासून मूक्त करून त्यांच्यावर कार्यवाही करतिल हे गॅरेजस् संपूर्ण लॉक डाऊन असंताना सुधा शूरूच आहेत. घाण पाण्याचा प्रवाह मोठ्या प्रमाणात होत असल्यामुळे परिसरात दुर्गंधी पसरली आहे.या समस्येकडे महापालिका प्रशासनाचे दुर्लक्ष आहे. या भागातील नागरिक सातत्याने ही समस्या सुटावी यासाठी पाठपुरावा करीत आहे. मात्र मनपा नागरिकांच्या तक्रारीकडे लक्ष देईनासे झाले आहे. पाणी एकाच जागी साचल्यामुळे आरोग्य धोक्यात येऊ शकते. म्हणून प्रशासनाने यांची दक्षता घ्यावी .

Monday, 11 May 2020

रेशनकार्ड नसणाऱ्यांसाठी अतिरिक्त धान्य का नाही ? न्या. गुप्ते

रेशनकार्ड नसणाऱ्यांसाठी अतिरिक्त धान्य का नाही ? न्या. गुप्ते

S.C. GUPTE | ENTRANCEINDIA

संजय पाटील : मुंबई : सध्या अत्यंत कठीण काळ सुरू असताना ज्यांच्याकडे रेशनकार्ड नाही अशा गरजू लोकांकरिता केंद्र सरकारच्या मार्गदर्शक तत्त्वांप्रमाणे फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडियाकडून राज्य सरकार अतिरिक्त अन्नधान्य घेऊ शकते. मग राज्य सरकारने त्या पर्यायाचा वापर केला आहे का? करोनाचे संकट व लॉकडाउनमुळे याविषयी निर्णय घेणे राज्य सरकारला अपरिहार्य असताना राज्य सरकारने तो का घेतला नाही? अशी विचारणा मुंबई उच्च न्यायालयाने राज्य सरकारला केली आहे. तसेच याविषयी आज, मंगळवारी प्रतिज्ञापत्रावर उत्तरही मागितले आहे.

'अनेक गरजू आदिवासींकडे आवश्यक रेशनकार्डच नाही आणि त्यामुळे ते सरकारी योजनेतील मोफत व सवलतीच्या धान्य मिळण्याच्या योजनांपासून वंचित आहेत', असे निदर्शनास आणणारी याचिका पुण्यातील वनिता चव्हाण यांनी अॅड. हर्षद भडभडे यांच्यामार्फत केली आहे. त्यामुळे सध्याच्या कठीण परिस्थितीत वैध रेशनकार्ड नसलेल्या गरीब गरजूंना धान्यवाटप करता येणार नाही का?, अशी विचारणा करत न्या. सुरेश गुप्ते यांनी उत्तर मागितले होते. मात्र, राज्य सरकारने याविषयीचे प्रतिज्ञापत्र दाखल केल्यानंतर, 'सरकारचे उत्तर समाधानकारक नसून या समस्येवर सारासार विचार झाल्याचे दिसत नाही', असे निरीक्षण न्या. गुप्ते यांनी नोंदवले.

'राष्ट्रीय अन्नसुरक्षा कायद्यांतर्गत लाभ नसलेल्या गरजू व्यक्तींची गरज भागवण्यासाठी राज्य सरकारांना खुली बाजार विक्री योजनेंतर्गत (ओएमएससी) भारतीय अन्न महामंडळाकडून (फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) अतिरिक्त धान्य घेता येईल, असे केंद्र सरकारने ७ एप्रिलच्या परिपत्रकाद्वारे स्पष्ट केलेले आहे. त्यामुळे राज्यात करोना व लॉकडाउनमुळे अडचणीत सापडलेले जे वंचित घटक आहेत अशा आदिवासी व अन्य घटकांतील गरजूंसाठी या पर्यायाचा वापर करणे राज्य सरकारला शक्य आहे. सध्याची बिकट परिस्थिती लक्षात घेता हा निर्णय घेणे राज्य सरकारला अपरिहार्य आहे. मग तो का घेतला नाही?', अशी विचारणा करत मंगळवार, १२ मेच्या सुनावणीत प्रतिज्ञापत्रावर उत्तर दाखल करण्याचे निर्देश न्या. गुप्ते यांनी दिले.

‘गरजवंतांना तत्काळ अन्नधान्य द्या!’

संजय पाटील : नागपूर : 13 May: लॉकडाउनमुळे उपासमारी, स्थलांतरण आणि अन्नाधान्य खरेदी करण्यास सक्षम नसणाऱ्या नागरिकांची येत्या तीन दिवसांत पाहणी करावी, त्या नागरिकांना तातडीने अन्नधान्याचा पुरवठा करण्यात यावा, असा आदेश मुंबई हायकोर्टाच्या नागपूर खंडपीठाने दिला. शिधापत्रिका नसल्याने अनेकांना धान्य घेता आले नाही. याबाबत अखिल भारतीय ग्राहक पंचायतने उच्च न्यायालयात जनहित याचिका दाखल केली. त्यावर सुनावणी करताना न्यायालयाने राज्य सरकार, एफसीआय, महापालिका व जिल्हाधिकाऱ्यांना नोटीस बजावली होती. त्यावर न्या. माधव जामदार यांनी सुनावणी करताना श्रमिक, गरजवंत, महामार्गाने पायी जाणाऱ्या आदींना अन्नधान्य पुरवावे असे नमूद केले. आपत्ती व्यवस्थापन कायद्याअंतर्गत राज्य सरकारने विविध समित्या स्थापन केल्या आहेत. त्यापैकी एका समितीने येत्या तीन दिवसांत राज्यात अन्नाधान्याची गरज असणाऱ्यांची पाहणी करावी. गरजवंतांना एक महिना पुरेल इतकी अन्न धान्याच्या किट मोफत उपलब्ध करून द्यावी. असा आदेश दिला. या आदेशाच्या अंमलबजावणीचा अहवाल दोन आठवड्यांत सादर करण्याचे निर्देश दिलेत. याचिकाकर्त्यांतर्फे अॅड. स्मीता देशपांडे यांनी, सरकारतर्फे अॅड. सुमंत देवपुजारी, सहायक सरकारी वकील निवेदिता मेहता, महापालिकतर्फे सुधीर पुराणिक यांनी बाजू मांडली.


आता शिजणार डाळही

नागपूर : करोनामुळे गरिबांवर कोसळलेल्या आर्थिक संकटापासून त्यांना बाहेर काढण्यासाठी शासनाकडून मोफत तांदूळ देण्यात येत आहे. तांदळाबरोबर डाळही मिळावी, ही मागणी आता पूर्ण झाली असून, नागपूर जिल्ह्यातील अंत्योदय आणि प्राधान्य गटातील ७ लाख ४१ हजार ५२८ कटुंबांना प्रत्येकी एक किलो डाळ मोफत द्यायला सुरुवात झाली आहे.
पंतप्रधान गरीब कल्याण अन्न योजनेंतर्गत सार्वजनिक वितरण व्यवस्थेतील पात्र लाभार्थ्यांसाठी तांदूळ मोफत देण्यात येत आहे. प्रतिव्यक्तीप्रमाणे ५ किलो तांदूळ देण्यात येत आहे. एप्रिल, मे आणि जून असे तीन महिने हे धान्य मोफत देण्यात येत असून, या तांदळाबरोबर डाळही मिळावी, अशी मागणी नागरिकांकडून करण्यात येत होती. या मागणीनुसार, आता शासनाने स्वस्त धान्य दुकानात तूरडाळ आणि चनाडाळ उपलब्ध करून दिली आहे. केवळ एकच किलो डाळ देण्यात येणार असल्याने उपलब्धतेनुसार चनाडाळ किंवा तूरडाळ देण्यात येत असल्याचे धान्य खरेदी निरीक्षक प्रशांत शेंडे यांनी सांगितले.
दोन महिन्यांची डाळ एकाचवेळी
४०१ मेट्रिक टन तूरडाळ आणि ४५१ मेट्रिक टन चनाडाळ जिल्हा प्रशासनाकडे उपलब्ध झाली आहे. एप्रिल, मे आणि जून महिन्यांसाठी ही चनाडाळ देण्यात येणार आहे. एप्रिल महिना निघून गेल्याने आता एप्रिल आणि मे महिन्यांची डाळ एकत्र देण्यात येत असल्याचे शेंडे यांनी सांगितले. अंत्योदय कार्डधारकांना शहरात मोफत किटचे वाटप करण्यात आले. आता ग्रामीणमधील ७८ हजार ४९७ कार्डधारकांनाही या मोफत किटचे वाटप सुरू झाले असल्याचे शेंडे यांनी सांगितले.
...तर होणार कारवाई
रेशन धान्य दुकानातून प्राप्त होणाऱ्या धान्यावर पात्र लाभार्थ्यांचा अधिकार आहे. हे धान्य कुणी लाटण्याचे प्रयत्न करीत असेल तर त्यांच्यावर कारवाई करण्याचा इशारा प्रशासनाकडून देण्यात आला आहे. शहरात १५ लाख ४५ हजार १३१ आणि ग्रामीणमध्ये १६ लाख ६७ हजार ५८४ लाभार्थी आहेत. आपले हक्काचे धान्य रेशन दुकानातून मिळवा, असे आ‌वाहनही प्रशासनाकडून करण्यात आले आहे.
हेल्पलाइन क्रमांक : १८००२२४९५०

‘suit boot ki sarkar’ :Fight against Corona can’t be an excuse to crush human rights : Rahul Gandhi

‘suit boot ki sarkar’ :Fight against Corona can’t be an excuse to crush human rights : Rahul Gandhi

'वर्तमानपत्र हे जगात एकमेव प्रॉडक्ट आहे, जे बनविण्यासाठी फक्त २४ तास मिळतात आणि त्याचं आयुष्यदेखील २४ तासांपेक्षा जास्त नसतं.'



Sanjay Patil : New Delhi, May 11 (PTI) Congress leader Rahul Gandhi on Monday said many states were amending labour laws, but the fight against the novel coronavirus pandemic cannot be an excuse to exploit workers, suppress their voice and crush their human rights.


Gandhi said there cannot be any compromise on the basic principles by allowing unsafe workplaces.


"Many states are amending labour laws. We are together fighting against corona, but this cannot be an excuse to crush human rights, allow unsafe workplaces, exploit workers and suppress their voice," he said.

"There cannot be any compromise on these basic principles," he added.

Congress leader Jairam Ramesh also said it would be dangerous and disastrous to loosen labour, land and environment laws in the name of economic revival and stimulus.

"In the name of economic revival and stimulus, it will be dangerous and disastrous to loosen labour, land and environmental laws and regulations as the Modi govt is planning.

"The first steps have already been taken. This is a quack remedy like demonetisation," Ramesh tweeted.

It’s a ‘shameful move’, says Congress on dilution of labour laws by BJP-ruled states

It’s a ‘shameful move’, says Congress on dilution of labour laws by BJP-ruled states

In the backdrop of the deepening migrants’ crisis and the country’s economy tottering on the verge of collapse, the Congress party on Monday launched a no-holds-barred attack on BJP-ruled states for amending labour laws.
Calling it a “shameful move,” party spokesperson Shaktisinh Gohil said, “BJP-ruled states amending labour laws to lure foreign investors; it highlights the true nature of suit-boot ki sarkar”.
He also appealed to the Central government to deny permission to states amending labour laws “to strip workers of their basic rights”.
Three BJP-ruled states – Uttar Pradesh, Madhya Pradesh and Gujarat – have frozen some major labour laws, allowing businesses to hire and fire at will, among other ‘benefits’. BJP-ruled states have put forth the premise that businesses will recover from the impact of the COVID-19 pandemic and create more jobs on a net basis.
“If the Prime Minister has a little concern for workers and labourers, then he should himself tell these states to not go ahead with amending labour laws and not allow them in doing so. We would expect the Prime Minister to intervene today itself,” said Shaktisinh Gohil.
Led by Yogi Adityanath, BJP-ruled Uttar Pradesh was the first to amend most labour laws except a few for three years. The Yogi government has also suspended all labour laws. UP was followed by MP and Gujarat.
Gohil said as these laws are in the Concurrent List, no such suspension can take place without the explicit approval of the Central government.
“We, therefore, ask the Modi government to deny any permission that strip workers of their basic rights and have the potential of diminishing their livelihood. We also ask that trade unions be consulted before such an adverse step is taken,” he said.
As many as eight political parties had written to President Ramnath Kovind protesting the dilution of labour laws last week. On the pretext of battling the virus outbreak, daily working hours have been extended from eight to twelve in six states, said parties in the joint letter.
Here’s what the Congress spokesperson Shakti Sinh Gohi said:

कोरोनाच्या आड आर्थिक गुलामगिरी लादण्याचा  प्रयत्न 


     उत्तर प्रदेश सरकारने  कामगार कायद्यातील काही तरतूदी तात्पुरत्या स्वरूपात स्थगित करण्याचा अध्यादेश 2020 नुकताच जारी केला. या अध्यादेशाच्या माध्यमातून कारखाने, व्यापार, उद्योगधंदे आणि संबंधित अन्य आस्थापनांना कामगार  कायद्यातील तरतूदीपासून तीन वर्षांकरीता छूट देण्यात आली आहे. याचा अर्थ कामगारांना संरक्षण देणारे कायदे आगामी तीन वर्षांकरीता लागू होणार नाहीत. कोरोनामुळे उद्भवलेल्या परिस्थितीत उद्योगधंद्यांना चालना देण्यासाठी हा अध्यादेश जारी करण्यात आल्याचे स्पष्टीकरण सरकारने दिले आहे. या  निर्णयामुळे असंतोष निर्माण होऊ नये म्हणून अत्यंत चालाखीने काही कायदे जसे 1)वेठबिगार पद्धत निर्मूलन कायदा 1976, 2)कामगार नुकसान भरपाई कायदा  1923, 3)इमारती व अन्य बांधकाम कामगार कायदा 1996 आणि वेतन अदायगी कायदा 1936 मधील कलम पाच ( ज्यात रोज मजुरांना वेळेवर वेतन देण्याची तरतूद आहे) कायम ठेवण्यात आले आहेत. या अध्यादेशाच्या आड ज्या कायद्यातील तरतूदी तीन वर्षांकरीता स्थगित करण्यात आल्या आहेत त्यात 
1)किमान वेतन कायदा 
2)प्रसूतीविषयक फायदे कायदा
3)समान काम समान वेतन
     कायदा 
4)कामगार संघटना कायदा 
5)औद्योगिक रोजगारी कायदा 
 6)औद्योगिक विवाद कायदा    
      आणि 
7)कारखाने कायदा हे महत्वपूर्ण कायदे पुढील तीन वर्षे उत्तर प्रदेशात लागू होणार नाहीत. औद्योगिक विवाद, कामगारांचे आरोग्य व कार्य स्थळावरील वातावरण, करार पद्धतीने काम करणारे कामगार, स्थलांतरीत कामगार विषयक कायदे तीन वर्षांकरीता स्थगित करुन कारखानदारांना शासनाच्या श्रम विभागाने निश्चित केलेल्या दंडात्मक उपाययोजनांचा अवलंब  न करता कामगारांना कामावरून दूर करण्याचे अधिकार प्राप्त झाले आहेत. एवढेच नव्हे तर शासनाच्या अंमलबजावणी विभागाला विशिष्ट परिस्थितीत कारखान्यावर धाड टाकण्याचे जे अधिकार आहेत त्यांनाही या अध्यादेशाद्वारे स्थगिती देण्यात आली आहे. यावरुन एक गोष्ट स्पष्ट होते की उद्योगपती व कारखानदारांना कामगारांचे शोषण करण्याचा मुक्त परवाना बहाल करण्यात आला आहे. 

    बाबासाहेब डाॅ आंबेडकरांनी 1936 मध्ये स्वतंत्र मजूर पक्षाची स्थापना केली. या पक्षाच्या आर्थिक धोरणात कारखान्यातील कामगार वर्गाच्या हितासाठी कारखान्यातील नोकरी, बडतर्फी व पगारवाढ यावर सरकारी नियंत्रण, कामाचे कमाल तास, कामास योग्य असे वेतन, पगारी रजा इत्यादी स्वरुपाच्या उपकारक योजना व वृद्धापकाळ किंवा दुसरे योग्य कारण यामुळे निवृत्त होतांना बोनस,निवृत्तीवेतन  किंवा तशाच प्रकारची दुसरी मदत  यासाठी कायदेमंडळात कायदे पारित करण्याचे आश्वासन देण्यात आले होते. याशिवाय बेकारी निवारणाची जबाबदारी सरकारवर असेल हे तत्व या पक्षाला मान्य आहे. त्यासाठी शेती, वसाहती व जमीन नसणा-या आणि बेरोजगार कामगारांना काम मिळण्यासाठी सरकारी कामे सुरु करण्याच्या योजना अंमलात आणण्यात येतील इत्यादी महत्त्वपूर्ण 12 मुद्यांचा समावेश करण्यात आला होता. या मुद्यांचे अवलोकन करता गरीब कष्टकरी कामगारांच्या हितासाठी बाबासाहेब डाॅ आंबेडकर किती जागरुक होते हे स्पष्ट होते. तत्कालीन सरकारने काही कामगार विरोधी कायदे पारित केल्याने त्याच्या विरोधात 7 नोव्हेंबर 1938 रोजी बाबासाहेबडाॅ आंबेडकरांच्या नेतृत्वाखाली एक भव्य मोर्चा विधिमंडळावर नेण्यात आला होता. 

     बाबासाहेब डाॅ आंबेडकरांची तत्कालीन महाराज्यपाल परिषदेवर मजूर मंत्री म्हणून नेमणूक करण्यात आली. 27 जुलै 1942 रोजी त्यांनी मंत्रीपदाचा कार्यभार स्वीकारला आणि लगेच कामाला लागले. संयुक्त कामगार परिषदेला 7 ऑगस्ट 1942 रोजी मार्गदर्शन करताना औद्योगिक विवाद तोडगा काढण्याची कार्यपद्धती कशी असावी यावर जोर दिला. तसेच देशपातळीवरील नोकरदार व मालक(नियोक्ता) या विषयावर विस्तृत चर्चा केली. याशिवाय प्लीनरी मजूर परिषदेच्या नवी दिल्ली येथे 6 सप्टेंबर 1943 रोजी आयोजित परिषदेच्या प्रथम सत्रात अतिशय महत्त्वाचे निर्णय घेण्यात आले. ज्यात 1)अनिच्छिक बेकारी 2)सामाजिक सुरक्षा व किमान वेतन 3)महागाई भत्ता निश्चित करण्याचे नियम 4) प्रांतीय स्तरावर त्रिपक्षीय संघटना स्थापन  करणे 5)विधिमंडळ व अन्य संस्थांमध्ये कामगारांचे प्रतिनिधित्व आणि 6) भविष्य निर्वाह निधीचे आदर्श नियम या विषयांचा समावेश आहे. आज कामगार संघटना आपल्या हक्कासाठी कायदेशीरित्या जो संघर्ष करतात त्या कामगार संघटनांना कायदेशीर मान्यता मिळण्याबाबतचे भारतीय कामगार संघटना (सधारणा) विधेयक डाॅ आंबेडकरांनी 13 नोव्हेंबर 1943 रोजी मध्यवर्ती कायदेमंडळात सादर केला. यात  1)मालकांनी कामगार संघटनांना मान्यता देणे 2)कामगार संघटना स्थापन करण्याच्या अटींची पूर्तता करणे आणि 3) सर्व अटी  व  शर्तींची पूर्तता केल्यावरही संघटनेला मान्यता न देणे कायद्यानुसार अपराध ठरविणे या बाबींचा समावेश आहे. त्यावेळी महिला आणि पुरुषांना समान वेतन मिळत नव्हते. तसेच कोळसा खाणीत काम करण्याची महिलांना परवाणगी नव्हती. ही बाब लक्षात घेऊन आणि महिलाही पुरुषापेक्षा कमी नाहीत असे समजून 8 फेब्रुवारी 1944 रोजी कोळसा खाणीतील महिलांच्या कामावरील प्रतिबंध हटविणे आणि कोणत्याही लिंगभेदाविना समान कामासाठी समान वेतन मिळण्याविषयीच्या  विधेयकावर बोलतांना या दोन्ही बाबींचे पूरजोर समर्थन केले. पूर्वी  कामगारांना सुटीच्या दिवसात पगारी रजा मिळण्याची तरतूद कायद्यात नव्हती. आज ही तरतूद कायद्यात करण्यात आली आहे. मात्र अनेकांना माहिती नाही की याषयीचे विधेयक बाबासाहेब डाॅ आंबेडकरांनी 1नोव्हेंबर 1944 रोजी कारखाने (दुसरी सुधारणा) विधेयक मध्यवर्ती कायदेमंडळात मांडले व पारित करुन घेतले. यातील पहिल्या भागात अनिवार्य सुटीच्या दिवशी काम केल्यास त्याची प्रतिपूर्ती म्हणून इतर दिवशी रजा मंजूर करणे आणि दुस-या भागात पगारी रजेची तरतूद करण्यात आली आहे.   

     येथे केवळ ठराविक कायद्यांची माहिती देण्यात आली आहे. मजूर मंत्री म्हणून कामगार हिताचे कितीतरी कायदे डाॅ आंबेडकरांनी पारित करून घेतले होते. हे सर्व सांगण्याचा हेतू एवढाच आहे की गरीब कामगारांच्या श्रमाची किंमत त्याना माहिती होती. ज्यांच्या परिश्रमामुळे देशात संपत्तीची निर्मिती होते त्यातील उचित वाटा या श्रमिकांना मिळावा यासाठी ते सतत झटत होते. 

      या पार्श्वभूमीवर उत्तर प्रदेश सरकारने जो अध्यादेश जारी केला आहे तो पूर्णतः श्रमिक विरोधी व कामगारांचे शोषण करणारा आणि भांडवलदारांचे उखळ पांढरे करणारा आहे. येथील मुख्यमंत्री कट्टर हिंदूत्ववादी आहेत. मुळात हिंदुत्व नावाची विचारधारा अगदी प्राचीन काळापासून विद्यमान नाही.वैदिक परंपरेच्या कोणत्याही ग्रंथात हिंदुत्वाचा उल्लेख आढळत नाही.  भारतात केवळ दोनच मुख्य विचारधारा होत्या आणि अजूनही आहेत. त्या म्हणजे एक वैदिक व दुसरी अवैदिक. उतर प्रदेशाचे मुख्यमंत्री वैदिक परंपरेचे समर्थक  आहेत.  पैकी वैदिक विचारधारा सामाजिक आणि आर्थिक विषमतेचा पुरस्कार करणारी आहे. याचा पुरावा ऋग्वेदाच्या चौथ्या मंडळातील 28 व्या सुक्ताच्या चौथ्या ऋचेत आढळतो  - 
विश्वस्मात्सीमधमाँ इन्द्र दस्यून्विशो दासीरकृणोरप्रशस्ताः .
अबाधेथाममृणतं नि शत्रूनविन्देथामपचितिं वधत्रैः ..
अर्थात  - हे इंद्र! आपण या दस्यूजनांना सर्व गुणांनी हीन केले आणि यज्ञकर्मरहित दासांना निंदित केले. हे इंद्र आणि सोम ! आपण दोघेही शत्रूंना बाधा पोहचवा, त्यांना मारा आणि त्यांच्या हत्येच्या बदल्यात यजमानांची पूजा स्वीकार करा.

     ही ऋचा फार महत्वाची आहे. प्राचीन सिंधू संस्कृती ही कृषी, उद्योग, व्यापार आणि स्थापत्य अभियांत्रिकी व तत्सम तंत्रज्ञानात अतिशय समृद्ध होती. तेथील लोक या सर्व विद्याशाखात(ज्ञान) अतिशय पारंगत होते. वरील ऋचेतील हा उल्लेख की इंद्राने सर्व दस्यूजनांना गुनहीन केले, यावरुन असे दिसते की पराभूत दस्यूंना आर्यांनी त्यांच्या या नैपुण्य पूर्ण कामापासून दूर केले असावे जेणेकरून त्यांच्या आर्थिक समृद्धीमध्ये बाधा उत्पन्न होईल आणि ते आपोआप कमजोर होतील. असे झाले तर ते आर्यांविरुद्ध डोके वर काढू शकणार नाही व आर्थिक विपन्नतेमुळे आर्यांची गुलामी करण्यावाचून त्यांच्यापुढे दुसरा पर्याय उरणार नाही. 

     उत्तर प्रदेश सरकारने जारी केलेला अध्यादेश त्याच दिशेने म्हणजे गरीब कामगारांना आर्थिक विपन्नतेत ढकलणारा आणि भांडवलदारांना अधिक मजबूत करणारा आहे असे वाटते.

Sunday, 10 May 2020

 डॉ राऊत  : शिघ्र नवीन अ‍ॅग्री पंप कनेक्शन धोरणः संजय पाटील

डॉ राऊत : शिघ्र नवीन अ‍ॅग्री पंप कनेक्शन धोरणः संजय पाटील

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संजय पाटील :  नागपूर : ऊर्जामंत्री डॉ. नितीन राऊत यांनी महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेडला (एमएसईडीसीएल) मार्च  2018  पासून प्रलंबित कनेक्शनसाठी नवीन कृषी पंप कनेक्शन धोरण त्वरेने करण्यास सांगितले आहे. शनिवारी व्हिडिओ कॉन्फरन्सिंगद्वारे महावितरणच्या अधिका संबोधित करताना डॉ. राऊत यांनी सर्वसमावेशक धोरण तयार करण्यास सांगितले. प्रलंबित कृषी पंपांना विद्युत जोडणी पुरविणे. सुमारे 50,000 शेतकरी नवीन सेवा कनेक्शनची प्रतीक्षा करीत आहेत आणि त्यांनी मार्च 2018 पूर्वी सेवा कनेक्शन शुल्क भरले आहे आणि त्यानंतर सुमारे 1.5 लाख शेतकर्‍यांनी नवीन कनेक्शनसाठी अर्ज केले आहेत.

तथापि कोणतेही धोरण मार्गदर्शक तत्त्वे नसतानाही महावितरण सेवा कनेक्शन सोडू शकले नाही. कृषी पंपांना वीज देण्याचा मुद्दा राज्य विधानसभेच्या शेवटच्या अर्थसंकल्पीय अधिवेशनात उपस्थित झाला होता कारण शेतकरी त्यांच्या शेतीपंपांना विद्युत जोडणी देण्याची मागणी करीत होते. प्रलंबित कनेक्शनच्या मुद्दय़ावर लांबणीवर चर्चा करण्यात आली आणि उर्जा विभागातील अधिका  लवकरात लवकर धोरण अंतिम करण्याचे निर्देश मंत्र्यांनी दिले. उर्जा विभागाच्या प्राथमिक मसुद्यात कृषी पंपांना त्वरित जोडणी कमी तणावग्रस्त नेटवर्कपासून 1०० मीटरच्या अंतरावर उपलब्ध करून देण्याचे प्रस्तावित केले आहे तर कृषी फीडरपासून 1०० मीटर ते  600  मीटर अंतर असलेल्या कृषी पंपांना उच्च व्होल्टेज वितरण यंत्रणा (एचव्हीडीएस) कनेक्शन दिले गेले आहेत. . पुढे, ज्या शेतकर्‍यांचे कनेक्शन फीडरपासून 600 मीटरपेक्षा जास्त अंतरावर आहे त्यांना सौर उर्जा पंप देण्याचा प्रस्ताव आहे.

धोरण एकाच वेळी कृषी पंप ऊर्जा देण्यासाठी पारंपारिक उर्जा आणि अपारंपरिक उर्जा स्त्रोतांचा वापर करण्याचे उद्दीष्ट ठेवते. कृषी, पशुसंवर्धन, मत्स्यव्यवसाय व दुग्धव्यवसाय विकास यांच्या विभागातील विद्युत् जोडण्यांशी संबंधित त्यांचे प्रश्न सोडविण्यासाठी समन्वय साधण्यासाठी सर्व आलिंगन धोरण तयार करण्याचेही प्रस्तावित आहे. डॉ. राऊत यांनी ऊर्जा विभागाला क्षेत्रीय सर्व्हेक्षण करण्यास व सर्वंकष धोरण तयार करण्यासाठी या विभागांशी सल्लामसलत करण्यास सांगितले आहे. ऊर्जा राज्यमंत्री प्राजक्त तनपुरे; उर्जाचे प्रधान सचिव असीमकुमार गुप्ता आणि महावितरणचे अध्यक्ष व व्यवस्थापकीय संचालक; आणि महावितरण संचालकांनी परिषदेत भाग घेतला.

Sanjay Patil : Nagpur : Energy Minister Dr Nitin Raut has asked the Maharashtra State Electricity Distribution Company Limited (MSEDCL) to expedite new agriculture pump connection policy for the pending connections since March 2018. Addressing the MSEDCL officials on Saturday through video conferencing, Dr Raut asked for framing a comprehensive policy to provide electric connections to the pending agriculture pumps. About 50,000 farmers are waiting for new service connections and they have paid service connection charges before March 2018 and about 1.5 lakh farmers have applied for new connections thereafter.
However in absence of any policy guidelines, MSEDCL could not release the service connections. The issue of providing electricity to agriculture pumps was raised during the last budget session of the State Assembly as the farmers were demanding the electric connections to their agriculture pumps. The issue of the pending connections was discussed at length and the Minister instructed the Energy Department officials to finalise the policy at the earliest. Primary draft by Energy Department proposes to provide immediate connections to the agriculture pumps within a distance of 100 metres from Low Tension line networks while High Voltage Distribution System (HVDS) connections to the agriculture pumps having distance from 100 meters to 600 meters from the agriculture feeders. Further, it is also proposed to provide solar energy pumps to the farmers whose point of connection is more than 600 meters away from the feeder.
The policy simultaneously aims to tap conventional energy and non conventional energy sources to energise agriculture pump at the same time. There is also proposal to chalk out all embracing policy to coordinate with departments like Agriculture, Animal Husbandry, Fisheries and Dairy Development for addressing their issues related to electric connections. Dr Raut has also asked the Energy Department to conduct field surveys and to hold consultations with these departments for making a comprehensive policy. The Minister of State for Energy Prajakt Tanpure; Aseemkumar Gupta, Principal Secretary, Energy, and Chairman and Managing Director of MSEDCL; and MSEDCL Directors participated in the conference.

Saturday, 9 May 2020

First Indians arrive home after weeks stranded abroad: Sanjay Patil

First Indians arrive home after weeks stranded abroad: Sanjay Patil

Indian citizens evacuated from Dubai on Air India flights arrive at Chennai airport.

Sanjay Patil  : The Guardian  : Relieved Indians are arriving at airports across the country on the first flights to bring home those stranded abroad, and others are en route on naval warships, in an extensive repatriation effort labelled the vande mataram (long live the motherland) mission.
Photos from inside a plane landing at Chennai airport showed the flight crew, who were tested for Covid-19 beforehand, wearing protective suits and smiling behind masks and visors.
Thousands of Indians have been stuck abroad since India banned all incoming flights in late March as part of a strict lockdown, which has been extended three times.
Students in the UK and the US ran out of money for food and workers in the Gulf who had lost jobs had no money on which to survive. Indians who were abroad for diagnosis or medical treatment found themselves stuck there for much longer than planned, without enough money to continue paying bills.
Every day for a week, eight or nine flights run by Air India will carry passengers home from 12 countries, mainly from the Gulf but also from the US, UK, Russia, Bangladesh, Singapore, Malaysia and the Philippines.
Each flight will carry 200-250 passengers, to allow for physical distancing. Anyone who shows symptoms during the flight will be confined to a separate area.
Anshul Sheoran, the pilot of a flight that landed in Kochi, Kerala, from Abu Dhabi, told the media that doctors had trained him and the crew on protocols to be followed. “They taught us the correct ways of donning and doffing the PPE suits. We were told about the loopholes and the wrong practices. Wearing the suits meant we could not use the lavatory or eat during the flight,” Sheoran said.
Three of India’s naval warships have been deployed for the rescue operation. A naval official said one ship was on the way from Male, the capital of the Maldives, carrying nearly 700 Indians.
The government said those being brought home first had been selected on the basis of how urgent their need was to return, with priority given to those facing deportation, pregnant women, elderly people, students in difficulties with no income and those with medical emergencies.
The number of Indians to be repatriated over the coming weeks may be as high as 200,000.
The smiling faces of those returning home on planes presented a stark contrast with the migrant labourers who have been enduring their own “internal exile” in Indian cities during the lockdown.
Without jobs or income, they have also been desperate to return to their villages and families but have received little or no help from the government. So far only a few thousand have been able to go home on special trains.
Hundreds of thousands are still waiting in shelters. Many have given up waiting for the government to provide transport and are walking home. They are covering distances of hundreds of miles while carrying young children and their meagre belongings in summer temperatures of 40C (104F).
On Friday a goods train ran over 16 labourers who were walking more than 500 miles to their homes in Madhya Pradesh and had stopped to rest on the railway tracks.